2023-08-14 11:23:35
जल्द tv channel के मजबूत स्व-नियमन के लिए गाइडलाइंस लाएगा SC
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट supreme court ने सोमवार को कहा कि टीवी चैनलो tv channel के स्व-नियमन (self regulation) को मजबूत करने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि टेलीविजन television चैनलों का स्व-नियमन अप्रभावी साबित हुआ है और अदालत टीवी चैनलों के विनियमन को मजबूत करने के लिए दिशानिर्देश जारी करेगी। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ dy chandrachud और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा p.v narasimha और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा manoj mishra की पीठ ने कहा कि जब तक नियमों को सख्त नहीं किया जाएगा, तब तक टीवी चैनल्स उन्हें मानने के लिए बाध्य नहीं होंगे।
बता दें कि बॉम्बे हाईकोर्ट bombay high court ने टीवी चैनल्स के स्व-नियमन को नाकाफी बताते हुए इसे सख्त बनाने की बात कही थी। इसके खिलाफ न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (NBA) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। इसी याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उक्त टिप्पणी की। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि आप कहते हैं कि टीवी चैनल आत्मसंयम बरतते हैं। मैं नहीं जानता कि अदालत में कितने लोग आपसे सहमत होंगे। हर कोई पागल हो गया कि क्या यह हत्या है आदि। आप जांच शुरू कर दीजिए। आप कितना जुर्माना लगाते हैं? 1 लाख! 1 lakh एक चैनल एक दिन में कितना कमाता है। जब तक आप नियमों को सख्त नहीं बनाते, किसी भी टीवी चैनल पर इसका पालन करने की कोई बाध्यता नहीं है। किसी भी उल्लंघन के लिए अगर एक लाख का जुर्माना है तो उन्हें कौन रोकता है?
पीठ ने तब कहा कि वह ढांचे को मजबूत करने का प्रस्ताव कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की, हम ढांचे को मजबूत करेंगे। हमने अपलिंकिंग और डाउनलिंकिंग दिशानिर्देश देखे हैं। हम बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले में बदलाव करेंगे। लेकिन अब हम नियमों को मजबूत करेंगे।
केंद्र सरकार से भी मांगा जवाब
पीठ ने एनबीए की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील अरविंद दतार से कहा कि वह जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस आरवी रविंद्रन से टीवी चैनल्स के स्व-नियमन को मजबूत करने के लिए सलाह मांगें और बाद में इसे कोर्ट में पेश करें। पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार से भी इस पर जवाब मांगा जाएगा। कोर्ट ने जुमार्ने की राशि एक लाख को लेकर भी सलाह मांगी है। पीठ ने अपने आदेश में आगे कहा, इस न्यायालय को इस बात पर विचार करना होगा कि क्या स्व-नियामक तंत्र तैयार करने के लिए उठाए गए कदमों को ढांचे के संबंध में मजबूत करने की आवश्यकता है।
दातार ने कहा कि टीवी चैनलों को स्व-विनियमित होना होगा और इस पर कोई नियंत्रण नहीं होना चाहिए। हालाँकि, न्यायालय ने कहा कि स्व-नियमन का निवारक प्रभाव भी होना चाहिए। पीठ ने एनबीए से यह भी सवाल किया कि 1 लाख का जुर्माना कब लगाया गया। सीजेआई चंद्रचूड़ ने पूछा, 1 लाख रुपये का जुर्माना कब तैयार किया गया था। दातार ने उत्तर दिया। सन 2008 में, केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, वहां तीन स्तरीय प्रणाली है। अन्य चैनलों का प्रतिनिधित्व करने वाले अन्य संघ भी हैं। हम उन्हें भी रिकॉर्ड पर रखेंगे। अधिवक्ता अमित पई ने स्व-नियमन की एक और कमी बताई। उन्होंने कहा कि इससे पहले एक टीवी चैनल का उदाहरण है। जब एनबीए ने 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया तो उन्होंने एसोसिएशन की सदस्यता छोड़ दी और दूसरे में शामिल हो गए। इसके बाद अदालत ने याचिका पर नोटिस जारी किया और एनबीए दिशानिदेर्शों के उल्लंघन के लिए समाचार चैनलों पर लगाए गए वर्तमान दंड पर सुझाव भी मांगे।
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