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Chandrayaan 3 : गरीबी से निकले हीरे ने किया नाम रोशन

पहले आईआईटी फिर ‘चंद्रयान-3’ का हिस्सा बन भरत कुमार ने रचा इतिहास
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2023-08-24 12:16:06



नई दिल्ली। भारत के इतिहास में 23 अगस्त 2023 का दिन स्वर्णिम दिवस के रूप में दर्ज हो चुका है। इस दिन भारत ने चंद्रमा की जमीन पर चंद्रयान-3 (chandrayaan-3) उतारकर इतिहास रच दिया है। देश को गौरवान्वित करने वाले चंद्रयान-3 की टीम में दुर्ग जिले के चरोदा जी केबिन का एक होनहार युवा के भरत कुमार भी शामिल है। के भारत कुमार वर्तमान में इसरो isro (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) में बतौर मेकेनिकल इंजीनियर पद पर हैं। बेहद गरीब परिवार के इस होनहार ने अपनी प्रतिभा के बूते इसरो में नौकरी पाई। बुधवार को जैसे ही चंद्रयान-3 ने चंद्रमा पर लैंडिंग की तो भरत कुमार के माता-पिता व अन्य स्वजन भी खुशी से उछल पड़े। जी केबिन की पहचान भिलाई-चरोदा निगम क्षेत्र की श्रमिक बस्ती के रूप में है। इसी बस्ती से निकले होनहार ने आज इस क्षेत्र को गौरवान्वित किया है। अभावों के बीच गुजर करने वाले के चंद्रमेनेश्वर राव व उनकी पत्नी के वनजाझी बुधवार को फूले नहीं समा रहे थे।

कौन है भरत कुमार

23 साल का भरत कुमार छत्तीसगढ़ के भिलाई शहर से महज 10 किलोमीटर दूर स्थित चरोदा के जी केबिन स्थित कच्चे घर में रहने वाले चंद्रमेनेश्वर राव का बेटा है। चंद्रमेनेश्वर राव एक बैंक में बतौर सुरक्षाकर्मी कार्यरत हैं। परिवार में के भरत कुमार सबसे बड़े है तथा लावण्या उनकी छोटी बहन है। अकेले पति की कमाई से रोजी-रोटी का जुगाड़ नहीं होने पर भरत की मां ने वनजाविसा घर के पास एक टपरी लगाकर इडली-चाय बेचने का काम करती हैं। इसरो में चयन होने से पहले पढ़ाई से समय मिलने पर भरत कुमार भी यहीं पर काम करके मां की मदद किया करता था।

फीस माफ हुई तब कर पाया पढ़ाई पूरी

भरत कुमार का जन्म गरीबी में हुआ, मगर मां-बाप दोनों ने मजदूरी करके बेटे का चरोदा के केंद्रीय विद्यालय में दाखिल करवाया। यहां से कक्षा नौ उत्तीर्ण करने के बाद आगे की पढ़ाई का खर्च उठ पाना भरत के परिवार के बूते से बाहर था। नतीजतन, भरत नौवीं के बाद केन्द्रीय विद्यालय से अपनी टीसी कटवाने पहुंच गया ताकि किसी अन्य सस्ते स्कूल में पढ़ सके। भरत की पढ़ाई के प्रति लगन को देख केन्द्रीय विद्यालय (KVS) प्रबंधन ने टीसी कटवाने की वजह जानी और फिर प्रयास करके भरत की आगे की स्कूल फीस माफ करवाई। फीस माफी के साथ-साथ शिक्षकों ने मिलकर भरत के लिए किताब-कॉपियों की भी व्यवस्था की।

12वीं कक्षा में मेरिट में आया भरत

आगे की पढ़ाई की फीस माफ और निशुल्क कॉपी-किताब मिलने पर भरत ने मन लगाकर पढ़ाई की। 12वीं कक्षा में मेरिट में भी आया। केन्द्रीय विद्यालय की पढ़ाई पूरी होने के बाद भरत आईआईटी (IIT) धनबाद में पढ़ना चाहता था, मगर एक बार फिर पढ़ाई की राह में आर्थिक तंगी रोड़ा बन गई। इस बार रायपुर के उद्यमी अरुण बाग और निजी कंपनी जिंदल ने भरत कुमार की पढ़ाई का खर्च उठाया। आईआईटी धनबाद (IIT Dhanwad) में भरत जब 7 वें सेमेस्टर की पढ़ाई पूरा कर रहा था, तब वहां इसरो के कैंपस सलेक्शन में भरत समेत 15 मैकेनिकल इंजीनियर का चयन हुआ। जुलाई 2019 में भरत ने इसरो ज्वाइन किया। यहां प्रशिक्षण के बाद अब वह चंद्रयान-3 के डिजाइन प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है।

आईआईटी धनबाद में रहा गोल्ड मेडलिस्ट

पढ़ाई और अपने लक्ष्य का हासिल करने के प्रति भरत कुमार की मेहनत और उत्साह देखते बनते थे। यही वजह है कि भरत कुमार 98 फीसदी से ज्यादा अंक हासिल आईआईटी धनबाद में गोल्ड मेडल हासिल किया। भरत असल में चरोदा के उन बच्चों का हीरो है, जिनके घर चरोदा और जी केबिन की तंग गलियों में हैं। वे कच्चे मकान पर रहकर भी पढ़ाई के बल पर बड़ा बनने का सपना देख रहे हैं।

पूत के पांव पालने में ही दिखाई दे जाते हैं

एक बहुत पुरानी कहावत है कि पूत के पांव पालने में ही दिखाई दे जाते हैं जो के भरत कुमार पर सटीक बैठती है। इस पूत के पांव सबसे पहले साल 2014 में कोयले के ढेर में हीरा तलाशने निकले रामदास जोगलेकर व उनके साडू भाई अरुण और अरुण की पत्नी वनजा भावे को दिखाई दिए। जब वह छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में भिलाई से 10 किलोमीटर दूर चरोदा में हीरा तलाशने पहुंचे तो उन्हें कोयले, लोहा अयस्क और गरीबी के बीच फंसा हुआ एक लड़का मिला। चरोदा भारतीय रेलवे का मार्शलिंग यार्ड है, जहां खदानों से आए कोयले और लोहे का ढेर आता है। फिर इन्हें भिलाई से होते हुए देश के कई हिस्सों में पहुंचाने के लिए ब्रॉडगेज ट्रेनों पर लादा जाता है। यहां कुछ घंटे खड़े होने पर ही आपके कपड़ों और शरीर पर कोयले की काली परत जम जाएगी। यहां उन्हें जो लड़का मिला वह अपनी 10 बाय 10 की झोपड़ी के बाहर बैठकर बर्तन धो रहा था, जबकि उसकी मां उन कामगारों के लिए इडली और अन्य नाश्ता बेच रही थी जो यहां से रोजाना नाका जाते थे, ताकि उन्हें ठेकेदार से काम मिल सके।

रामदास और वनजा ने लड़के से पूछा कि यहां भरत कुमार कहां मिलेगा? क्योंकि आज के अखबारों में खबर छपी थी कि केंद्रीय विद्यालय बीएमवाई (भिलाई मार्शलिंग यार्ड) के उस छात्र ने फिजिक्स में 99 केमिस्ट्री में 98 और गणित में 99 अंक हासिल किए थे और वह आईआईटी में पढ़ना चाहता था, किंतु इसमें गरीबी बाधा थी। दोनों इस लड़के से मिलकर उसकी आर्थिक मदद करना चाहते थे। ताकि वह अपना सपना पूरा कर सके। दोनों ने देखा कि उस झोपड़ी में एक छोटी बच्ची बैठ कर पढ़ रही है। बच्चों का पिता सिक्योरिटी गार्ड था और ड्यूटी पर गया था। लड़के ने बर्तन धोकर हाथ पोंछे और पास आकर बोला- बताइए! मैं ही भरत कुमार हूं। उन्होंने लड़के की अंक सूची मांगी और उसकी बुद्धिमत्ता देखकर हैरान रह गए। रामदास और वनजा के पति अरुण ने फैसला किया कि वे भारत की आईआईटी कोचिंग का खर्चा उठाएंगे।

कोयले में दबा हीरा साल दर साल चमकदार होता गया। उसे आईआईटी धनबाद में दाखिला मिल गया। हर सेमेस्टर रामदास और अरुण उसे एक निश्चित प्रतिशत लाने की चुनौती देते, जिसके बदले उसे नगद पुरस्कार मिलता। पहला सेमेस्टर छोड़कर, भरत ने सातवें सेमेस्टर तक मेकेनिकल इंजीनियरिंग में टॉप किया और आईआईटी से गोल्ड मेडल जीता। केंपस इंटरव्यू में मैकेनिकल ब्रांच से केवल उसी का चयन एक बड़े सरकारी संस्थान में हुआ।

अब आते हैं 18 अगस्त 2023 पर। इस दिन भारत ने अपने चंद्र अभियान में एक और जरूरी कदम बढ़ाया जो चन्द्रयान-3 पर जो 23 अगस्त की शाम को चंद्रमा पर उतरा और इतिहाच रच गया। के भरत कुमार जिसे इसरो ने 2019 में चुना था। वही कोयले में दबा हुआ चमकदार हीरा, जो आज इसरो में चंद्रयान की सफलता के लिए स्वर्ण अक्षरों में अपना नाम दर्ज कराने में सफल हुआ। तात्पर्य है कि हीरा सड़क पर नहीं मिलता। उस हीरे को तलाशना पड़ता है और फिर कड़ी प्रक्रिया से गुजरने के बाद ही उसे चमक मिलती है जो हमेशा बरकरार रहती है।

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01 जनवरी : मूलनिवासी शौर्य दिवस (भीमा कोरेगांव-पुणे) (1818)

01 जनवरी : राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले और राष्ट्रमाता सावित्री बाई फुले द्वारा प्रथम भारतीय पाठशाला प्रारंभ (1848)

01 जनवरी : बाबा साहेब अम्बेडकर द्वारा ‘द अनटचैबिल्स’ नामक पुस्तक का प्रकाशन (1948)

01 जनवरी : मण्डल आयोग का गठन (1979)

02 जनवरी : गुरु कबीर स्मृति दिवस (1476)

03 जनवरी : राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले जयंती दिवस (1831)

06 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. जयंती (1904)

08 जनवरी : विश्व बौद्ध ध्वज दिवस (1891)

09 जनवरी : प्रथम मुस्लिम महिला शिक्षिका फातिमा शेख जन्म दिवस (1831)

12 जनवरी : राजमाता जिजाऊ जयंती दिवस (1598)

12 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. स्मृति दिवस (1939)

12 जनवरी : उस्मानिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद ने बाबा साहेब को डी.लिट. की उपाधि प्रदान की (1953)

12 जनवरी : चंद्रिका प्रसाद जिज्ञासु परिनिर्वाण दिवस (1972)

13 जनवरी : तिलका मांझी शाहदत दिवस (1785)

14 जनवरी : सर मंगूराम मंगोलिया जन्म दिवस (1886)

15 जनवरी : बहन कुमारी मायावती जयंती दिवस (1956)

18 जनवरी : अब्दुल कय्यूम अंसारी स्मृति दिवस (1973)

18 जनवरी : बाबासाहेब द्वारा राणाडे, गांधी व जिन्ना पर प्रवचन (1943)

23 जनवरी : अहमदाबाद में डॉ. अम्बेडकर ने शांतिपूर्ण मार्च निकालकर सभा को संबोधित किया (1938)

24 जनवरी : राजर्षि छत्रपति साहूजी महाराज द्वारा प्राथमिक शिक्षा को मुफ्त व अनिवार्य करने का आदेश (1917)

24 जनवरी : कर्पूरी ठाकुर जयंती दिवस (1924)

26 जनवरी : गणतंत्र दिवस (1950)

27 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर का साउथ बरो कमीशन के सामने साक्षात्कार (1919)

29 जनवरी : महाप्राण जोगेन्द्रनाथ मण्डल जयंती दिवस (1904)

30 जनवरी : सत्यनारायण गोयनका का जन्मदिवस (1924)

31 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर द्वारा आंदोलन के मुखपत्र ‘‘मूकनायक’’ का प्रारम्भ (1920)

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