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भारत में ‘RSS’ और इजरायल में ‘जियोनिस्ट’ जुड़वां भाई: पिनाराई

News

2025-10-04 15:47:14

नई दिल्ली। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने गुरुवार को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की तुलना इजरायल में जियोनिस्ट से करते हुए उन्हें जुड़वां भाई करार दिया है। कन्नूर में एक जनसभा के दौरान विजयन ने कहा कि इजरायल में जिÞयोनिस्ट और भारत में आरएसएस जुड़वां भाई हैं। वहीं इससे पहले सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में विजयन ने कहा था कि आरएसएस का शताब्दी मनाना ‘हमारे संविधान का घोर अपमान’ है।

उन्होंने लिखा कि यह एक ऐसे संगठन को वैधता प्रदान करता है जिसने स्वतंत्रता संग्राम से दूरी बनाए रखी और औपनिवेशिक रणनीति से जुड़ी एक विभाजनकारी विचारधारा को बढ़ावा दिया। यह राष्ट्रीय सम्मान हमारे सच्चे स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृति और उनके द्वारा देखे गए धर्मनिरपेक्ष, एकीकृत भारत पर सीधा हमला है।

वहीं भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव डी. राजा ने भी सामाजिक और सांस्कृतिक इतिहास में आरएसएस के योगदान पर सवाल उठाया और उन्हें प्रतिक्रियावादी, विभाजनकारी और सांप्रदायिक करार दिया। उन्होंने कहा कि सामाजिक और सांस्कृतिक इतिहास में आरएसएस का क्या योगदान है? यह प्रतिक्रियावादी, विभाजनकारी, सांप्रदायिक और लोगों का ध्रुवीकरण करने वाला संगठन है और देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा पैदा कर रहा है। मैं प्रधानमंत्री को चुनौती देता हूं कि वे स्वतंत्रता आंदोलन में आरएसएस की भूमिका स्पष्ट करें. उन्हें लोगों को समझाना चाहिए।

इसी तरह, आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि वह एक ऐसे संगठन का जश्न मना रही है जिसने 52 वर्षों तक राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहराया और औपनिवेशिक शासन के दौरान अंग्रेजों का समर्थन किया।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने इस आयोजन को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि यह एक ऐसा संगठन है जिसे महात्मा गांधी की हत्या में भूमिका के लिए तत्कालीन गृह मंत्री सरदार पटेल ने प्रतिबंधित कर दिया था. यह एक दुर्भाग्यपूर्ण संयोग है कि इसका शताब्दी समारोह गांधी जयंती के साथ मेल खाता है।

उन्होंने आगे कहा कि शायद इससे भी बुरी बात यह है कि मौजूदा सरकार इसे पूरे जोश के साथ मना रही है। आज भाजपा सरकार और आरएसएस के बीच की सीमा रेखा मिट चुकी है।

बता दें, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के शताब्दी समारोह के उपलक्ष्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा एक स्मारक डाक टिकट और सिक्के जारी किये थे। विशेष रूप से डिजाइन किए गए स्मारक डाक टिकट और सिक्के को जारी करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने आरएसएस को ‘शाश्वत राष्ट्रीय चेतना’ का अवतार बताया और कहा कि 2047 तक एक विकसित भारत के निर्माण के मिशन में इस संगठन की भूमिका महत्वपूर्ण होगा।

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01 जनवरी : मूलनिवासी शौर्य दिवस (भीमा कोरेगांव-पुणे) (1818)

01 जनवरी : राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले और राष्ट्रमाता सावित्री बाई फुले द्वारा प्रथम भारतीय पाठशाला प्रारंभ (1848)

01 जनवरी : बाबा साहेब अम्बेडकर द्वारा ‘द अनटचैबिल्स’ नामक पुस्तक का प्रकाशन (1948)

01 जनवरी : मण्डल आयोग का गठन (1979)

02 जनवरी : गुरु कबीर स्मृति दिवस (1476)

03 जनवरी : राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले जयंती दिवस (1831)

06 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. जयंती (1904)

08 जनवरी : विश्व बौद्ध ध्वज दिवस (1891)

09 जनवरी : प्रथम मुस्लिम महिला शिक्षिका फातिमा शेख जन्म दिवस (1831)

12 जनवरी : राजमाता जिजाऊ जयंती दिवस (1598)

12 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. स्मृति दिवस (1939)

12 जनवरी : उस्मानिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद ने बाबा साहेब को डी.लिट. की उपाधि प्रदान की (1953)

12 जनवरी : चंद्रिका प्रसाद जिज्ञासु परिनिर्वाण दिवस (1972)

13 जनवरी : तिलका मांझी शाहदत दिवस (1785)

14 जनवरी : सर मंगूराम मंगोलिया जन्म दिवस (1886)

15 जनवरी : बहन कुमारी मायावती जयंती दिवस (1956)

18 जनवरी : अब्दुल कय्यूम अंसारी स्मृति दिवस (1973)

18 जनवरी : बाबासाहेब द्वारा राणाडे, गांधी व जिन्ना पर प्रवचन (1943)

23 जनवरी : अहमदाबाद में डॉ. अम्बेडकर ने शांतिपूर्ण मार्च निकालकर सभा को संबोधित किया (1938)

24 जनवरी : राजर्षि छत्रपति साहूजी महाराज द्वारा प्राथमिक शिक्षा को मुफ्त व अनिवार्य करने का आदेश (1917)

24 जनवरी : कर्पूरी ठाकुर जयंती दिवस (1924)

26 जनवरी : गणतंत्र दिवस (1950)

27 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर का साउथ बरो कमीशन के सामने साक्षात्कार (1919)

29 जनवरी : महाप्राण जोगेन्द्रनाथ मण्डल जयंती दिवस (1904)

30 जनवरी : सत्यनारायण गोयनका का जन्मदिवस (1924)

31 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर द्वारा आंदोलन के मुखपत्र ‘‘मूकनायक’’ का प्रारम्भ (1920)

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