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‘ब्राह्मणवाद’ का एकमात्र सटीक इलाज है ‘अंबेडकरवाद’: राजकुमार भाटी

बाबा साहब ने कहा था शिक्षित बनो, संगठित हो, संघर्ष करो, मैं उसमें दो बात और जोड़ना चाहता हूँ कि निर्भीक बनो और मुखर बनो
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2025-12-30 16:08:34

बहुजन स्वाभिमान समाचार

नई दिल्ली। रविवार 21 दिसंबर को बहुजन स्वाभिमान संघ के तत्वाधान में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसका विषय था ‘बढ़ता ब्राह्मणवाद देश की एकता व अखंडता के लिए खतरा’। जहां देश के विख्यात प्रोफेसर, समाजसेवी व बहुजन समाज से जुड़े संगठनों के गणमान्य लोग मौजूद रहे। इसी बीच नोएडा से आये राजकुमार भाटी, समाजसेवी ने भी कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए अपना संबोधन दिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि मैं बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर साहब के चरणों में नमन करता हूँ। मंच पर और सामने बैठे हुए सभी शिक्षित, जागरूक और प्रबुद्ध जनों को प्रणाम करता हूँ, खासतौर से बहनों को जो बहुत संख्या में आई हैं। और मैंने ये शब्द जानबूझकर प्रयोग किए हैं- शिक्षित, जागरूक, प्रबुद्ध। जब भी किसी कार्यक्रम में मुझे बुलाया जाता है, मैं कभी ये नहीं पूछता कि कार्यक्रम कहाँ पर होगा, सड़क पर होगा, हॉल में होगा या होटल में होगा और कितने लोग आएंगे। मैं केवल ये देखता हूँ कि कार्यक्रम का विषय क्या है? कार्यक्रम का मकसद क्या है? कार्यक्रम का उद्देश्य क्या है? अभी वैसे एक सप्ताह पहले मैं एक जगह गया था एक कार्यक्रम में, तो बड़ी उम्मीद करके गया था 250 किलोमीटर चल के। उन्होंने जिस तरह की बातें कीं कि बहुत बड़ा कार्यक्रम होगा, लेकिन मैं जब वहाँ पहुँचा, तो एक पेड़ के नीचे प्लास्टिक की कुर्सियां डाल के कोई 50-एक लोग बैठे थे। लेकिन हमने वहाँ भी अपनी पूरी बात कही जो कहनी थी। बात अगर एक आदमी की भी समझ में आ जाए, तो भी सार्थक हो जाता है जाना। यह भूमिका मैंने इसलिए बनाई है कि आज जब मैं इस हॉल में प्रविष्ट हुआ, तो मुझे यह देखकर बहुत गर्व और बहुत खुशी हुई और बहुत प्रसन्नता हुई कि इतनी संख्या में इतने प्रबुद्ध लोग बैठे हैं। और इतना अच्छा कार्यक्रम हमारे बहुजन स्वाभिमान संघ की ओर से आयोजित किया गया है। तो मैं इसके लिए आप सबका बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूँ और अपने आपको बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ कि इतने सुंदर कार्यक्रम में, इतने अच्छे लोगों के बीच, इतने अच्छे वातावरण में मुझे कुछ बात कहने का आपने अवसर दिया।

उन्होंने आगे कहा, मैं इस स्पष्टीकरण के साथ कहता हूं कि ब्राह्मणवाद का विरोध करना बहुत ज्यादा जरूरी है इस देश की रक्षा के लिए, ब्राह्मणवाद देश के लिए खतरा है, इस बात से सहमत होते हुए... ये स्पष्टीकरण कर दूँ कि ब्राह्मणवाद का विरोध करना, ब्राह्मण का विरोध करना नहीं है। इसलिए कोई ब्राह्मण भाई भी बैठा हो तो वो बिल्कुल न घबराए। और उन्हें भी हमारे साथ मिलकर ब्राह्मणवाद का विरोध करना चाहिए।

आप समझ जाएंगे जब मैं बयान बताऊंगा। एक आध्यात्मिक नेता है रामभद्राचार्या, उन्होंने कहा था कि ब्राह्मणों में जो ये दीक्षित, उपाध्याय, चौबे, पाठक, त्रिगुणायत... ये नीच ब्राह्मण होते हैं, हम इनमें अपनी बेटियाँ नहीं देते। जिसके अंदर ऊंच-नीच की भावना हो, वो ब्राह्मणवादी है। और जिसके अंदर ऊंच-नीच की भावना न हो, वो ब्राह्मणवादी नहीं है, वो अंबेडकरवादी है। और ब्राह्मणवाद का विरोध केवल अंबेडकरवाद से ही किया जा सकता है। और कोई तरीका भी नहीं है विरोध करने का।

आगे उन्होंने कहा कि ये हमारा सौभाग्य है कि बाबा साहब हमारे बीच में पैदा हुए, हमारे समाज में पैदा हुए। तो उन्होंने अपने पहले से जो हजारों साल का ज्ञान था, जो हजारों साल का इतिहास था, जो हजारों साल का संघर्ष था, जो हजारों साल की विचारधाराएं थीं, उन सबका निचोड़ निकालकर बहुत कम शब्दों में हमें दिया और एक मार्ग दिखाया जिस मार्ग से चलकर हम अपने समाज की मुक्ति का लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं। तो ये हमारा सौभाग्य है। और अगर हम उस रास्ते पर नहीं चल रहे हैं, तो ये हमारा दुर्भाग्य है। हमारे लिए ज्यादा परेशानी ब्राह्मणवाद नहीं हैं। ज्यादा परेशानी हमारे अपने समाज के वो लोग हैं जो इस ब्राह्मणवाद के षड्यंत्र को नहीं समझ के उन्हीं की जय-जयकार बोलने में लगे हुए हैं। जो अपनी ऊर्जा और अपना समय अंबेडकरवाद का विरोध करने में व्यर्थ करते हैं। जो अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने का काम करते हैं। जो हमारे शत्रु हैं, उन्हीं को मजबूत करते हैं। जो सर्पों को ही दूध पिलाते हैं। जो अपने लोगों के ही विरोध में रहते हैं, वो हमारे लिए ज्यादा चिंता की बात हैं। और जिसके दिमाग में, जिसके दिल में बाबा साहब के विचार आ जाएंगे, जो बाबा साहब को पढ़ लेगा, बाबा साहब को समझ लेगा, वो इस चंगुल से निकल जाएगा। बाबा साहब ने था, शिक्षित बनो, संगठित हो, संघर्ष करो। जब तथागत बुद्ध ने कहा था कि बुद्धं शरणं गच्छामि, संघं शरणं गच्छामि, धम्मं शरणं गच्छामि, तो बाबा साहब ने वही बात सरल शब्दों में कह दी, व्यावहारिक शब्दों में कह दी। शिक्षित होना ही बुद्ध की शरण में जाना है (बुद्धं शरणं गच्छामि)। संगठित होना ही संघ की शरण में जाना है। और न्याय के और समानता के लिए संघर्ष करना ही धर्म की शरण में, धम्म की शरण में जाना है। हमारे धर्म का मार्ग यही है कि हम समानता के लिए संघर्ष करें। तो जो ब्राह्मणवादी हैं और जो अंबेडकरवादी हैं, उनमें फर्क क्या है? वे कहते हैं कि ये दुनिया किसी अलौकिक शक्ति ने, किसी अज्ञात सत्ता ने, किसी सर्वशक्तिमान ने बनाई है। क्यों बनाई है? बस उसके मन में आया एक दिन कि बनाते हैं दुनिया और बना दी। कोई कारण नहीं। हम कहते हैं कि ये दुनिया प्राकृतिक घटनाओं से, प्राकृतिक कारणों से स्वाभाविक रूप से निर्मित हुई है, स्वाभाविक रूप से आगे बढ़ी है, विकसित हुई है। वे कहते हैं कि कोई बैठा है, उसी की घंटी बजाओ, उसी की पूजा करो, उसी की आरती करो। हम चाहे कितने भी योग्य हैं, हम चाहे कितने भी शिक्षित हैं, हम चाहे कितने भी गुणवान हैं, हम चाहे कितने भी परिश्रमी हैं, हमें अपने परिश्रम से, अपने ज्ञान से कुछ नहीं मिलेगा, उसकी घंटी बजाओ, उसकी आरती उतारो तब तुम्हें मुक्ति मिलेगी। हम कहते हैं कि नहीं, ये बहकाने की बात है। हमें मुक्ति अपने परिश्रम से ही मिलेगी, अपने संघर्ष से ही मिलेगी। अपने ज्ञान से ही मिलेगी, इसलिए ज्ञानवान बनो।

आगे उन्होंने कहा कि मैं एक बार भिखारी ठाकुर के बारे में पढ़ रहा था, वे बहुत बड़े कवि हुए हैं, बिहार के शेक्सपियर कहे जाते हैं। भिखारी ठाकुर जब पैदा हुए नाई जाति में, तो पूरे गाँव में शोर मच गया कि बड़ा सुंदर बच्चा हुआ है। पंडित जी को बुलाया गया, पंडित जी इसका नाम रख दो। ये हमारी सबसे बड़ी मूर्खता है, हम न ब्राह्मण के बिना अपने बच्चे का नाम रखते हैं, न अपनी बेटी की शादी करते हैं, न अपने घर में प्रवेश करते हैं। आपकी बबार्दी का कारण यही है। उस अनपढ़, गंवार आदमी को आप बुलाते हो, शराबी को, जुआरी को, जिसमें सारे दुर्गुण हैं, जो चरित्रहीन है, उस आदमी को बुलाते हो, अपने घर में बैठाते हो, उसके पैर छूते हो, उसे दक्षिणा देते हो और उससे हाथ जोड़ के कहते हो- पंडित जी इस बच्चे का नाम क्या रखूँ? या बेटी की शादी किस तारीख को करूँ? या घर में प्रवेश करूँ कि न करूँ? तो पंडित जी ने कहा कि अरे, ये बच्चा तो बहुत बड़ा संकट लेके पैदा हुआ है, इसके तो चेहरे पे अपशकुन दिखाई दे रहे हैं। तो बोले फिर क्या करें? कि इसका ऐसा नाम रख दो गंदा सा, निंदनीय नाम रख दो। बोले जी क्या रखें? भिखारी रख दो इसका नाम। तो वो भिखारी ठाकुर इतने बड़े विद्वान हुए, इतने बड़े कवि हुए कि आज दर्जनों पंडितों ने उन पर पीएचडी की है उनकी लिखी कविताओं पर। आप में से ज्यादातर लोगों ने पढ़ा होगा। मनुस्मृति जन्म के साथ ही भेदभाव शुरू कर देती है। जो लोग ये कह के उसकी वकालत करते हैं और हमें बेवकूफ बनाते हैं कि नहीं, कर्म के आधार पर वर्ण का निर्धारण करती है, नहीं! वर्ण के आधार पर कर्म का निर्धारण करती है। वो जन्म होते ही यहीं से शुरू कर देती है कि ब्राह्मण का नाम बुद्धि सूचक शब्द से, वैश्य का नाम धन सूचक शब्द से, क्षत्रिय का नाम बल सूचक शब्द से, और शूद्र का नाम निंदा सूचक शब्द से शुरू होना चाहिए।

तो मैं कहना ये चाहता हूँ कि आजकल जो, जिस ब्राह्मणवाद की हम चिंता कर रहे हैं, जो ब्राह्मणवाद मनुष्यता के लिए खतरा है, जो ब्राह्मणवाद मानवतावाद के लिए खतरा है, जो ब्राह्मणवाद देश के लिए खतरा है, समाज के लिए खतरा है। ब्राह्मणवाद का जितनी जल्दी समूल नाश हो, उतना ही इसे देश और समाज के हित में है। हम सभी को आगे बढ़-चढ़ के इस ब्राह्मणवाद के खिलाफ बोलना चाहिए। क्योंकि मैं अक्सर उदाहरण देता हूँ, मेरी जाति गुर्जर है। अगर कोई गुर्जर, अहीर को अपने से छोटी जाति मानता है तो वो गुर्जर भी ब्राह्मणवादी है। अगर कोई जाटव, वाल्मीकि को अपने से छोटी जाति मानता है, तो वो जाटव भी ब्राह्मणवादी है। और अगर कोई ब्राह्मण समतावाद की और समानता की बात करता है, भाईचारे की बात करता है, तो वो ब्राह्मण भी अंबेडकरवादी है। हम उसे ब्राह्मणवादी कहने को तैयार नहीं हैं। हम ब्राह्मण होने के नाते उससे नफरत करेंगे, तो फिर हम भी जातिवादी हैं। हमारी लड़ाई जातिवाद खत्म करने की है। जाति का समूल नाश हो। और जो सर ने बात कही, मैं उस बात से सौ प्रतिशत सहमत हूँ। हालाँकि आपने मेरी ही जाति के गाँव का नाम लेकर शुरूआत की, और आपके पड़ोस में भगोट में मेरी ससुराल भी है। लेकिन चाहे वो गुर्जर गाँव लिख रहे हों, चाहे जाट गाँव लिख रहे हों, चाहे राजपूत गाँव लिख रहे हों, गाँव सबका होता है, देश सबका है। इसलिए किसी जाति के नाम से गाँव नहीं होने चाहिए। वो मुझे राहत इंदौरी की पंक्तियां भी याद आती हैं कि ये सभी का खून है शामिल यहाँ की मिट्टी में, किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है? ये हिंदुस्तान हम सबका है, हम सबने इसके लिए खून दिया है।

उन्होंने आगे कहा कि मैं यह कहना चाहता हूँ, मैं उपसंहार इस बात के साथ करना चाहता हूँ कि बहुजन स्वाभिमान संघ के साथी तो प्रयास कर रहे हैं, वो लोगों को जगा रहे हैं कि ब्राह्मणवाद को खत्म करो। ब्राह्मणवाद देश के लिए खतरा है। और आपने इसमें एक पॉइंट ये भी लिखा है जो मैं शुरूआत में ही कह रहा था, जिक्र कर रहा था कि मुझे आपके बिंदु बहुत अच्छे लगे, आपका विषय बहुत अच्छा लगा। एक बिंदु लिखा है कि बहुजन समाज में बढ़ती नालायकी के कारण अंबेडकरवादी आंदोलनों में आ रही गिरावट के कारण व निवारण। मैं इस नालायकी की जगह दूसरा शब्द इस्तेमाल करना चाहता हूँ। बहुजन समाज में आ रही काहिली के कारण, जहालत के कारण। क्योंकि नालायकी जब ही आती है जब हमारे अंदर जहालत होती है। जब हम ये समझ नहीं रहे होते हैं कि ये कितना बड़ा खतरा है।

अंबेडकरवाद को बढ़ावा देना देश की कितनी बड़ी सेवा है और ब्राह्मणवाद को बढ़ावा देना देश का कितना बड़ा नुकसान है, इस बात को हम नहीं समझ रहे हों, तब ये निराशा आती है। तो ये काहिली भी हमें दूर करनी पड़ेगी और हमें ये समझना पड़ेगा। कि हमारी मूर्खता के कारण, हमारी अज्ञानता के कारण, हमारी काहिली के कारण, हमारी जहालत के कारण वो लोग हम पे हावी हो गए हैं।

उन्होंने कहा कि ब्राह्मणों की फर्जी बातों को हम धर्म मानकर पूजने लगते हैं। फर्जी बातों को जैसे- गंगा जी कहाँ से निकल रही हैं? शिव जी की जटाओं से निकल रही हैं। किसी ने सूरज को भी मुँह में ले लिया। इन मूर्खों को ये पता ही नहीं है कि सूर्य धरती से 109 गुना बड़ा है। और उसका टेंपरेचर इतना है कि हजार-दो हजार किलोमीटर पहले ही भाप बन के उड़ जाओगे, वहाँ तक पहुँचना तो बहुत दूर की बात है। और धरती से 15 करोड़ किलोमीटर दूर है। ये भी कहते हैं कि एक बंदर का पसीना समुद्र में गिरा, मछली के मुँह में गया और मछली से उसका बेटा पैदा हो गया। और वो एक महीने में इतना बड़ा हो गया कि उसी से लड़ा फिर। पहले तो पसीने से बच्चा कैसे पैदा हो सकता है? फिर मछली के पेट से बंदर का बच्चा कैसे पैदा हो सकता है? फिर एक ही महीने में वो इतना बड़ा कैसे हो सकता है? ये हमारी काहिली है, ये जहालत है। और इसे हम धर्म मानते हैं। अधर्म को, झूठ को, पाखंड को धर्म मानते हैं। मुझे फिर एक शेर याद आ रहा है, बोलते हुए, आदरणीय उदय प्रताप जी का कि- जाने क्या जादू करते हैं मंदिर-मस्जिद वाले लोग। नफरत को मजहब समझे हैं जग के भोले-भाले लोग। पता नहीं ये कैसे-कैसे बहकाते हैं?

उन्होंन आगे कहा कि मैं ये कहना चाहता हूँ कि जिस ब्राह्मणवाद को हम खत्म करना चाहते हैं, जिस ब्राह्मणवाद को हम देश के लिए खतरा मान रहे हैं। जिस आडंबर को, जिस पाखंड को, जिस अज्ञानता को, जिस अंधविश्वास को, जिस जातिवाद को, जिस वर्णवाद को, जिस भेदभाव को, हम समाज के लिए और देश के लिए खतरा मान रहे हैं, उन सबको सुनियोजित तरीके से सरकारी संरक्षण में बढ़ाने का षड्यंत्र किया जा रहा है। सरकार उसके लिए पूरा फंड खर्च कर रही है। सरकार अपने संसाधनों का प्रयोग कर रही है। और उसमें सबसे बड़ी भूमिका सरकार का गुलाम मीडिया निभा रहा है। आप एक शब्द कोई ज्ञान का बोल दो, तर्क का बोल दो, सत्यता का बोल दो, तो सुमित भाई तो ज्यादा परिचित हैं उस रास्ते से होकर निकले हैं, ये तो... वो जो एंकर नाम के प्राणी हैं, जो लिपाई-पुताई करके, मेकअप करके, टाई लगा के आते हैं और उन्हें एक अक्षर नहीं पढ़ सकते वो बिना उसके टीपी (ळी’ीस्र१ङ्मेस्र३ी१) के। जब देश का प्रधानमंत्री नहीं पढ़ सकता तो वो बेचारे क्या पढ़ेंगे? हमारे प्रधानमंत्री का टीपी खराब हो जाए तो वहीं भाषण बंद हो जाता है, वो एक शब्द नहीं बोल पाते।

उन्होंने आगे कहा कि अभी एक और पाखंडी है जो देश में पाखंड परोसता रहता है और बहुत बदतमीजी के साथ बोलता है, वो देखा होगा, उसने एक यात्रा निकाली हिंदू एकता या हिंदू राष्ट्र क्या करके? ये हिंदू एकता चाहते हैं? योगी जी कहते हैं कटेंगे तो बटेंगे। लेकिन इन्हें कभी हिंदू एकता याद नहीं आती जब हिंदू धर्म के ही लोग, हिंदू धर्म को ही मानने वाले, हिंदू धर्म के ही नौजवान को घोड़ी पर बैठने से रोकते हैं। जब उसको मूंछ रखने पर पिटाई कर देते हैं उसकी। जब उसकी घोड़ा खरीदने पर हत्या कर देते हैं। तब इन्हें कभी हिंदू धर्म की एकता याद नहीं आती, कभी आंदोलन करने नहीं जाते। इन्हें हिंदू धर्म की एकता जब याद आती है जब इस देश के दलित और पिछड़े नौकरियों में अपना हक मांगते हैं। जब शिक्षा मांगते हैं। जब बराबरी की बात करते हैं, तब इन्हें हिंदू धर्म की एकता याद आती है। तो ये जो षड्यंत्र किया जा रहा है, इस षड्यंत्र को हमें बहुत ज्यादा समझने की जरूरत है। और हम गलती क्या करते हैं? हम गलती ये करते हैं, उस षड्यंत्र के खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं कर पाते। जो बाबा साहब ने कहा था कि शिक्षित बनो, संगठित हो, संघर्ष करो, मैं उसमें दो बात और जोड़ना चाहता हूँ कि निर्भीक बनो और मुखर बनो। अपने अंदर के भय को निकाल दो। जब आपको कोई अतार्किक बात करता हुआ मिले, चाहे वो कहीं चाय की दुकान पे बैठा हो, चाहे वो कहीं ब्याह-शादी में मंडप पे बैठा हो, चाहे वो कहीं मौत में शोक में बैठा हो, चाहे वो किसी राजनीतिक कार्यक्रम में हो, चाहे कहीं हो... जब वो अतार्किक बात करे, कूपमंडूकता की बात करे, मूढ़ता की बात करे, अंधविश्वास की बात करे, तो हिम्मत के साथ छाती चौड़ी करके उसके खिलाफ बोलना शुरू कर दो। तभी ये जहालत दूर होगी। तभी बाबा साहब का मिशन आगे बढ़ेगा। तभी ब्राह्मणवाद से हम निपट पाएंगे। और जब तक हम डरते रहेंगे, जब तक इनके खिलाफ बोलेंगे नहीं...

उन्होंने एक किस्सा बताते हुए कहा कि कुछ दिन पहले एक शादी में अखिलेश यादव गए थे वहां पीछे एक ब्राह्मण नौजवान था, उसकी शादी थी, पार्टी कार्यकर्ता था। तो दूल्हा और दुल्हन ने दोनों ने अखिलेश यादव के पैर छू लिए और वो फोटो जो है सोशल मीडिया पे वायरल हो गई। तो ये लिख रहे हैं एक पंडित जी, त्रिपुरारी पांडे जी हैं कोई- एक ब्राह्मण का पुत्र अखिलेश यादव का पैर छूकर आशीर्वाद ले रहा है। और कुछ देखने को बाकी है? नाश हो गया भाई! मतलब अपने पैर तो छुआ लेंगे हमारे 80-80 साल के बुजुर्ग से। और उस नौजवान ने अपने नेता के पैर छू लिए तो इससे नाश हो जाएगा देश का? ये ब्राह्मणवाद है। उन्होंने आगे बताया कि अजय भट्ट, बीजेपी के सांसद हैं उत्तराखंड से। उन्होंन लोकसभा के अंदर बोला है- लड़की की शादी न हो रही हो, नौकरी नहीं लग रही हो, घर में कहीं उठापटक हो रही हो, पति-पत्नी में नहीं बन रही हो, लड़का बिगड़ गया हो, गाय अगर दूध नहीं दे रही हो... तो जय राम, जय राम, जय जय राम बोल दीजिए, सब काम निकल जाएगा। और इस मूढ़ता को मीडिया बढ़ा रही है।

उन्होंने आगे कहा कि रामभद्राचार्य मुझे उससे मूर्ख आदमी दूसरा नहीं लगता कोई। इतनी मूढ़ता की बात करता है। मतलब ये तो प्रकृति का प्रकोप है कि बेचारा अंधा है, हमें सहानुभूति है उसके साथ लेकिन हमें चिंता इस बात की है, नेत्रों से तो अंधा है ही, अकल से भी अंधा है। वो कह रहा है, हम ब्राह्मण हैं, हमारे अंदर इतनी शक्तियां होती हैं, बिना संभोग के बच्चा पैदा कर सकते हैं। हम शादी के बाद तंत्र-मंत्र और सिद्धियों से बच्चा पैदा कर सकते हैं। और कह रहा है इस देश में ब्राह्मण से बड़ा कोई भी नहीं है। ये वो है उसका चेला, धीरेंद्र शास्त्री। वो कह रहा है, इस देश में ब्राह्मण से बड़ा कोई भी नहीं है। पहले भी ब्राह्मणों का राज था, आज भी राज है। और कल भी ब्राह्मण का राज रहेगा। ब्राह्मणों के चरणों में स्वर्ग है। जिस देश में ये सब चल रहा हो और इसे हम सहन कर रहे हों, उस देश में यह बहुत बड़ी चुनौती है। और इसी का परिणाम है कि अभी शिक्षक भर्ती की खबर तो आपने सबने सुनी होगी कि उसमें एससी और ओबीसी के साथ सरासर बेईमानी की और वो केस अब सुप्रीम कोर्ट में है। केंद्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग और उत्तर प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी उत्तर प्रदेश सरकार ने उन लोगों को नौकरी नहीं दी जिनके हक छीने गए थे। लेकिन अभी लेखपालों की भर्ती निकली है उत्तर प्रदेश में ओबीसी के 717 पद कम कर दिए गए। और मैं नाम लेकर कहूंगा तो ये न समझ लिया जाए कि भाई पार्टी का प्रचार कर रहा है, क्योंकि ये गैर-राजनीतिक कार्यक्रम है। एक नेता ने आवाज उठाई, उसके बाद योगी आदित्यनाथ ने यू-टर्न लिया और कहा कि इसकी जांच कराएंगे और उतने ही पद देंगे जितने बनते हैं। यानी सरासर बेईमानी की जा रही है। आपको नौकरी से वंचित किया जा रहा है, आपको शिक्षा से वंचित किया जा रहा है।

डॉ. सतीश जी और सुमित जी ने दोनों ने बताया कि नई शिक्षा नीति में किस तरह के षड्यंत्र किए गए हैं हमारे बच्चों को शिक्षा से वंचित करने के लिए। इन सब चीजों के प्रति जागरूक होने की जरूरत है। हमको पाखंड और अंधविश्वास का विरोध ऐसे करना पड़ेगा जैसे टीबी और मलेरिया का विरोध करते हैं। ये टीबी और मलेरिया हैं। अगर ये मानकर चुप बैठे रहोगे कि चलो चल रहा है तो चलने दो, तो इस टीबी और मलेरिया से आपकी मौत होनी निश्चित है। और आपको ज्यादा चिंता इसलिए होनी चाहिए कि आपकी मौत हो जाए तो कोई बात नहीं है, आपके बच्चों का भविष्य अंधकार में चला जायेगा और उनका जीवन खतरे में पड़ जायेगा। इसलिए इस ब्राह्मणवाद का, इस पाखंडवाद का, इस अंधविश्वास का और जातिवाद का और वर्णवाद का, छुआछूत का, ऊंच-नीच का, हम सबको अपनी पूरी ताकत से विरोध करना है। यही इसका मंत्र है।

जय भीम, जय भारत।

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01 जनवरी : मूलनिवासी शौर्य दिवस (भीमा कोरेगांव-पुणे) (1818)

01 जनवरी : राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले और राष्ट्रमाता सावित्री बाई फुले द्वारा प्रथम भारतीय पाठशाला प्रारंभ (1848)

01 जनवरी : बाबा साहेब अम्बेडकर द्वारा ‘द अनटचैबिल्स’ नामक पुस्तक का प्रकाशन (1948)

01 जनवरी : मण्डल आयोग का गठन (1979)

02 जनवरी : गुरु कबीर स्मृति दिवस (1476)

03 जनवरी : राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले जयंती दिवस (1831)

06 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. जयंती (1904)

08 जनवरी : विश्व बौद्ध ध्वज दिवस (1891)

09 जनवरी : प्रथम मुस्लिम महिला शिक्षिका फातिमा शेख जन्म दिवस (1831)

12 जनवरी : राजमाता जिजाऊ जयंती दिवस (1598)

12 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. स्मृति दिवस (1939)

12 जनवरी : उस्मानिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद ने बाबा साहेब को डी.लिट. की उपाधि प्रदान की (1953)

12 जनवरी : चंद्रिका प्रसाद जिज्ञासु परिनिर्वाण दिवस (1972)

13 जनवरी : तिलका मांझी शाहदत दिवस (1785)

14 जनवरी : सर मंगूराम मंगोलिया जन्म दिवस (1886)

15 जनवरी : बहन कुमारी मायावती जयंती दिवस (1956)

18 जनवरी : अब्दुल कय्यूम अंसारी स्मृति दिवस (1973)

18 जनवरी : बाबासाहेब द्वारा राणाडे, गांधी व जिन्ना पर प्रवचन (1943)

23 जनवरी : अहमदाबाद में डॉ. अम्बेडकर ने शांतिपूर्ण मार्च निकालकर सभा को संबोधित किया (1938)

24 जनवरी : राजर्षि छत्रपति साहूजी महाराज द्वारा प्राथमिक शिक्षा को मुफ्त व अनिवार्य करने का आदेश (1917)

24 जनवरी : कर्पूरी ठाकुर जयंती दिवस (1924)

26 जनवरी : गणतंत्र दिवस (1950)

27 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर का साउथ बरो कमीशन के सामने साक्षात्कार (1919)

29 जनवरी : महाप्राण जोगेन्द्रनाथ मण्डल जयंती दिवस (1904)

30 जनवरी : सत्यनारायण गोयनका का जन्मदिवस (1924)

31 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर द्वारा आंदोलन के मुखपत्र ‘‘मूकनायक’’ का प्रारम्भ (1920)

2024-01-13 16:38:05