2023-10-06 10:18:17
दिल्ली। बिहार में जातिगत जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक होने के बाद उत्तर प्रदेश में भी सियासत गर्म हो गई है। सपा मुखिया अखिलेश यादव के बाद अब बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी यूपी में जातिगत जनगणना कराए जाने की मांग की है। उनका कहना है कि यूपी सरकार को जनभावना को ध्यान में रखते हुए जातीय जनगणना अविलंब शुरू करा देना चाहिए। हालांकि इसका सही समाधान तभी होगा जब केंद्र सरकार राष्ट्रीय स्तर पर जातीय जनगणना कराकर उन्हें उनका वाजिब हक देना सुनिश्चित करेगी।मंगलवार को मायावती ने सोशल मीडिया पर एक के बाद एक तीन ट्वीट किए। उन्होंने लिखा है- बिहार सरकार द्वारा कराए गए जातीय जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक होने की खबरें आज काफी सुर्खियों में है तथा उस पर गहन चचार्एं जारी है। कुछ पार्टियाँ इससे असहज जरूर हैं किन्तु बीएसपी के लिए ओबीसी के संवैधानिक हक के लम्बे संघर्ष की यह पहली सीढ़ी है। बीएसपी को प्रसन्नता है कि देश की राजनीति उपेक्षित ‘बहुजन समाज’ के पक्ष में इस कारण नया करवट ले रही है, जिसका नतीजा है कि एससी/एसटी आरक्षण को निष्क्रिय व निष्प्रभावी बनाने तथा घोर ओबीसी और मण्डल विरोधी जातिवादी एवं साम्प्रदायिक दल भी अपने भविष्य के प्रति चिंतित नजर आने लगे हैं।
वहीं इससे पहले अखिलेश यादव ने भी यूपी में जातिगत जनगणना कराए जाने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि भाजपा सरकार राजनीति छोड़े और देशव्यापी जातिगत जनगणना करवाए। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर लिखा- जातिगत जनगणना 85-15 के संघर्ष का नहीं, बल्कि सहयोग का नया रास्ता खोलेगी और जो लोग प्रभुत्वकामी नहीं हैं, बल्कि सबके हक के हिमायती हैं, वो इसका समर्थन भी करते हैं और स्वागत भी। जो सच में अधिकार दिलवाना चाहते हैं वो जातिगत जनगणना करवाते हैं।
अखिलेश ने कहा कि जब लोगों को ये मालूम पड़ता है कि वो गिनती में कितने हैं, तब उनके बीच एक आत्मविश्वास भी जागता है और सामाजिक नाइंसाफी के खिलाफ एक सामाजिक चेतना भी, जिससे उनकी एकता बढ़ती है और वो एकजुट होकर अपनी तरक्की के रास्ते में आने वाली बाधाओं को भी दूर करते हैं, नये रास्ते बनाते हैं और सत्ताओं और समाज के परम्परागत ताकतवर लोगों के अन्याय का खात्मा भी करते हैं। अखिलेश यादव ने कहा कि इससे समाज बराबरी के मार्ग पर चलता है और समेकित रूप से देश का विकास होता है। जातिगत जनगणना देश की तरक्की का रास्ता है। अब ये निश्चित हो गया है कि पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) ही भविष्य की राजनीति की दिशा तय करेगा।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार के यह कहने कि वह जनगणना में एससी और एसटी के अलावा अन्य जातियों की गिनती नहीं करेगी, के बाद नीतीश कुमार सरकार ने पिछले साल इस सर्वेक्षण का आदेश दिया था। भाजपा ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया था कि वह जातिगत तनाव बढ़ाने और 2024 के लोकसभा चुनाव और 2025 में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव में राजनीतिक लाभ लेने के लिए सर्वे का इस्तेमाल कर रही है। इस कवायद को अदालतों- हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने दलील दी थी कि जनगणना या जनगणना जैसी कोई अन्य कार्रवाई करने का अधिकार केवल केंद्र सरकार के पास है।
हालांकि, बिहार सरकार का कहना था कि राज्य जाति जनगणना नहीं कर रहा है बल्कि केवल लोगों की आर्थिक स्थिति और उनकी जाति से संबंधित जानकारी एकत्र कर रहा है ताकि सरकार उन्हें बेहतर सेवा देने के लिए विशिष्ट कदम उठा सके। बिहार में जाति सर्वेक्षण का पहला दौर जनवरी में 7 से 21 जनवरी के बीच आयोजित किया गया था। दूसरा दौर 15 अप्रैल को शुरू हुआ था और यह एक महीने तक जारी रहने वाला था। हालांकि 4 मई को पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार को जाति आधारित सर्वेक्षण को तुरंत रोकने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि अंतिम आदेश पारित होने तक पहले से ही एकत्र किए गए आंकड़ों को किसी के साथ साझा न किया जाए. बाद में इसी अदालत ने इसकी अनुमति दी थी। सर्वे के परिणाम जारी होने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ट्विटर (अब एक्स) पर इस कवायद में लगी हुई टीम को बधाई दी और कहा कि इसी के आधार पर सभी वर्गों के विकास एवं उत्थान के लिए आगे की कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने कहा, जाति आधारित गणना से न सिर्फ जातियों के बारे में पता चला है बल्कि सभी की आर्थिक स्थिति की जानकारी भी मिली है। इसी के आधार पर सभी वर्गों के विकास एवं उत्थान के लिए अग्रेतर कार्रवाई की जाएगी. बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना को लेकर शीघ्र ही बिहार विधानसभा के उन्हीं 9 दलों की बैठक बुलाई जाएगी तथा जाति आधारित गणना के परिणामों से उन्हें अवगत कराया जाएगा। सरकार में सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने ट्विटर पर लिखा कि केंद्र में सरकार बनने पर देशभर में ऐसी जनगणना करवाई जाएगी।
उन्होंने कहा, आज गांधी जयंती पर इस ऐतिहासिक क्षण के हम सब साक्षी बने हैं. भाजपा की अनेकों साजिशों, कानूनी अड़चनों और तमाम षड्यंत्र के बावजूद आज बिहार सरकार ने जाति आधारित सर्वे को रिलीज किया. ये आंकड़े वंचितों, उपेक्षितों और गरीबों के समुचित विकास और तरक़्की के लिए समग्र योजना बनाने एवं हाशिए के समूहों को आबादी के अनुपात में प्रतिनिधित्व देने में देश के लिए नजीर पेश करेंगे।
उन्होंने आगे कहा, सरकार को अब सुनिश्चित करना चाहिए कि जिसकी जितनी संख्या, उसकी उतनी हिस्सेदारी हो। हमारा शुरू से मानना रहा है कि राज्य के संसाधनों पर न्यायसंगत अधिकार सभी वर्गों का हो. केंद्र में 2024 में जब हमारी सरकार बनेगी तब पूरे देश में जातिगत जनगणना करवाएंगे और दलित, मुस्लिम, पिछड़ा और अति पिछड़ा विरोधी भाजपा को सता से बेदखल करेंगे।
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