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राजनीतिक विरोध का शत्रुता में बदलना स्वस्थ लोकतंत्र नहीं: सीजेआई

News

2022-08-23 08:56:41

जयपुर। भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस एनवी रमना ने शनिवार को कहा कि राजनीतिक विरोध का शत्रुता में बदलना स्वस्थ लोकतंत्र के संकेत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि कभी सरकार और विपक्ष के बीच जो आपसी सम्मान हुआ करता था, वह अब कम हो रहा है।

जस्टिस रमना राष्ट्रमंडल संसदीय संघ की राजस्थान शाखा के तत्वावधान में ‘संसदीय लोकतंत्र के 75 वर्ष’ विषयक संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। जस्टिस रमना ने कहा, राजनीतिक विरोध बैर में नहीं बदलना चाहिए, जैसा हम इन दिनों दुखद रूप से देख रहे हैं. ये स्वस्थ लोकतंत्र के संकेत नहीं हैं। उन्होंने कहा, सरकार और विपक्ष के बीच आपसी आदर-भाव हुआ करता था. दुर्भाग्य से विपक्ष के लिए जगह कम होती जा रही है। उन्होंने विधायी प्रदर्शन (परफॉरमेंस) की गुणवत्ता में गिरावट पर भी चिंता जताई।

जस्टिस रमना ने कहा, दुख की बात है कि देश विधायी प्रदर्शन की गुणवत्ता में गिरावट देख रहा है। उन्होंने कहा कि कानूनों को व्यापक विचार-विमर्श और जांच के बिना पारित किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि यदि राज्य की प्रत्येक शाखा दक्षता और जिम्मेदारी के साथ काम करती है, तो दूसरों पर बोझ काफी कम हो जाएगा. यदि कोई अधिकारी सामान्य प्रशासनिक कामकाज कुशलता से करता है, तो एक विधायक को अपने मतदाताओं के लिए बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए परिश्रम करने की आवश्यकता नहीं होगी। उन्होंने कहा कि संविधान में यह उल्लेख नहीं है कि एक साल में राज्य विधानसभा की कितनी बैठकें होनी चाहिए, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि सदन में ज्यादा चर्चा होने से नागरिकों को निश्चित रूप से लाभ होगा। संसदीय बहस और संसदीय समितियों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि संसदीय लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए विपक्ष को भी मजबूत करना होगा। जस्टिस रमना ने कहा, विपक्ष के नेता बड़ी महत्ती भूमिका निभाते रहे हैं. सरकार और विपक्ष के बीच काफी आपसी सम्मान हुआ करता था. दुर्भाग्य से विपक्ष की गुंजाइश कम होती जा रही है. हम देख रहे हैं कि कानूनों को बिना व्यापक विचार-विमर्श और पड़ताल के पारित किया जा रहा है। खबर के मुताबिक उन्होंने कहा कि एक मजबूत संसदीय लोकतंत्र विपक्ष को भी मजबूत करने की मांग करता है। उन्होंने कहा, भारत में संसदीय लोकतंत्र होता था, न कि संसदीय सरकार, क्योंकि लोकतंत्र का मूल विचार प्रतिनिधित्व है। उन्होंने कहा, मजबूत, जीवंत और सक्रिय विपक्ष शासन को बेहतर बनाने में मदद करता है और सरकार के कामकाज को ठीक करता है। एक आदर्श दुनिया में, यह सरकार और विपक्ष की सहकारी कार्यप्रणाली है जो एक प्रगतिशील लोकतंत्र की ओर ले जाएगी। जस्टिस रमना ने इससे पहले विधिक सेवा प्राधिकरणों के दो दिवसीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया. इसमें उन्होंने कहा कि देश में अदालतों में बड़ी संख्या में मामले लंबित होने का मुख्य कारण न्यायिक पदों की रिक्तियों को न भरा जाना व न्यायिक बुनियादी ढांचे में सुधार नहीं करना है।

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01 जनवरी : राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले और राष्ट्रमाता सावित्री बाई फुले द्वारा प्रथम भारतीय पाठशाला प्रारंभ (1848)

01 जनवरी : बाबा साहेब अम्बेडकर द्वारा ‘द अनटचैबिल्स’ नामक पुस्तक का प्रकाशन (1948)

01 जनवरी : मण्डल आयोग का गठन (1979)

02 जनवरी : गुरु कबीर स्मृति दिवस (1476)

03 जनवरी : राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले जयंती दिवस (1831)

06 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. जयंती (1904)

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