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यूपी और उत्तराखंड की संघी सरकारों का तुगलकी फरमान

कांवड़ मार्ग की हर दुकान पर लगानी होगी ‘नेमप्लेट’
News

2024-07-20 09:08:28

नई दिल्ली। आज पूरे देश में भाजपा की डबल इंजन की सरकारें समाज में नफरत, जहर घोलने, समाजिक एकता को विखंडित करने के लिए काम कर रहीं हैं। जिसका ताजा उदाहरण यूपी और उत्तरखंड की सरकार द्वारा लिया गया यह फैसला है जिसके तहत अब कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित रेस्टोरेंट और होटलोंं के मालिकों को अपने नाम के साथ बोर्ड लगाना होगा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पूरे यूपी में कांवड़ मार्गों पर खाने पीने की दुकानों पर संचालक मालिक का नाम पहचान लिखना होगा। उन्होंने कहा कि कांवड़ यात्रियों की आस्था की शुचिता बनाए रखने के लिए यह फैसला लिया गया है। इसके अलावा हलाल सर्टिफिकेशन वाले प्रोडक्ट बेचने वालों पर भी कड़ी कार्रवाई होगी।

इस फैसले का अखिलेश यादव और मायावती ने कड़ा विरोध किया है।

हरिद्वार के एसएसपी प्रमेंद्र डोबाल ने बताया, कांवड़ की तैयारियों के संबंध में जो होटल, ढाबे, रेस्तरां और कांवड़ मार्ग पर जो रेड़ी-पटरी वाले हैं उन्हें हमारे द्वारा सामान्य निर्देश दिया गया है कि वे अपनी दुकानों पर मालिक का नाम लिखेंगे और ऐसा न करने पर उनके खिलाफ हम कानूनी कार्रवाई करेंगे... कई बार इसके कारण विवाद की स्थिति उतपन्न होती है, इसलिए हमारे द्वारा यह निर्णय लिया गया है।

वहीं इससे पहले मुजफ्फरनगर के पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने ठेले वालों को भी इसका अनुपालन करने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि इस फैसले के पीछे का कारण यह सुनिश्चित करना है कि कांवड़ियों के बीच किसी भी प्रकार का कोई भ्रम न हो और ऐसी कोई स्थिति उत्पन्न न हो जहां आरोप और प्रत्यारोप हों और जो कानून व्यवस्था में बाधा उत्पन्न करें।

योगी सरकार ने कथित तौर पर मुजफ्फरनगर समेत तीन जिलों में 33,000 से अधिक फले-फूले वृक्षों यात्रा के दौरान अपनी दुकानों का नाम हिंदू देवी-देवताओं के नाम पर नहीं रखना चाहिए, क्योंकि जब भक्तों (कांवड़ियों) को पता चलता है कि जिन दुकानों पर वे खाना खाते हैं वे मुस्लिमों द्वारा चलाई जाती हैं तो यह विवाद का कारण बनता है।

योगी आदित्यनाथ की सरकार ने कथित तौर पर मुजफ्फरनगर समेत तीन जिलों में 33,000 से अधिक फले-फूले वृक्षों की कटाई को मंजूरी दी है, ताकि कांवड़ यात्रा के लिए एक नई सड़क बनाई जा सके। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने फरवरी में इस विषय पर एक समाचार रिपोर्ट के बाद मामले का संज्ञान लिया था।

इसके लेकर कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने मुजफ्फरनगर पुलिस के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि सिर्फ राजनीतिक दलों को ही नहीं, बल्कि सभी लोगों और मीडिया को भी इस राज्य प्रायोजित कट्टरता के खिलाफ खड़ा होना चाहिए। खेड़ा ने कहा, हम भाजपा को देश को अंधकार युग में धकेलने की इजाजत नहीं दे सकते।

वहीं हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि मुजफ्फरनगर पुलिस द्वारा निर्देश इसलिए दिया गया है ताकि कोई भी कांवड़िया गलती से मुस्लिम दुकान से कुछ न खरीदे। ओवैसी ने इसकी तुलना दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद और नाजी जर्मनी में यहूदियों के खिलाफ किए जाने वाले भेदभाव से की।

सामाजिक सद्भाव की दुश्मन है भाजपा: अखिलेश

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि भाजपा सामाजिक सद्भाव की दुश्मन है। समाज का भाईचारा बिगाड़ने का कोई न कोई बहाना ढूंढ़ती रहती है। भाजपा की इन्हीं विभाजनकारी नीतियों के चलते प्रदेश का सामाजिक वातावरण प्रदूषित हो रहा है। उन्होंने कहा कि कांवड़ यात्रा को लेकर मुजफ्फरनगर पुलिस ने नया फरमान जारी किया है कि ठेले-ढाबे सहित सभी दुकानदार अपना नाम बाहर जरूर लिखें। इसके पीछे सरकार की मंशा अल्पसंख्यक वर्ग को समाज से अलग बांटने और उन्हें शक के दायरे में लाने की है। जिसका नाम गुड्डू, मुन्ना, छोटू या फत्ते है, उसके नाम से क्या पता चलेगा। अखिलेश ने कहा कि भाजपा की नीति और नीयत दोनों विभाजनकारी हैं, जिसे जनता समझ चुकी है। उन्होंने मांग की कि न्यायालय स्वत: संज्ञान ले और प्रशासन के पीछे के शासन तक की मंशा की जांच करवाकर उचित कार्यवाही करे।

दंगा झेल चुके, नई शुरूआत नहीं होने देंगे : टिकैत

वहीं इस मामले को लेकर भाकियू प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि मुजफ्फरनगर के लोग 2013 का दंगा झेल चुके हैं। इस तरह की नई शुरूआत नहीं होने देंगे। हिंदू और मुस्लिम सब मिलकर कांवड़ यात्रा निकलवाते हैं। कांवड़ के समय नई परंपरा शुरू नहीं होने देंगे। ट्रेनिंग सेंटर नहीं बनने देंगे। दंगा बाहर के लोग करके जाएंगे और मुजफ्फरनगर को झेलना पड़ेगा।

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01 जनवरी : मूलनिवासी शौर्य दिवस (भीमा कोरेगांव-पुणे) (1818)

01 जनवरी : राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले और राष्ट्रमाता सावित्री बाई फुले द्वारा प्रथम भारतीय पाठशाला प्रारंभ (1848)

01 जनवरी : बाबा साहेब अम्बेडकर द्वारा ‘द अनटचैबिल्स’ नामक पुस्तक का प्रकाशन (1948)

01 जनवरी : मण्डल आयोग का गठन (1979)

02 जनवरी : गुरु कबीर स्मृति दिवस (1476)

03 जनवरी : राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले जयंती दिवस (1831)

06 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. जयंती (1904)

08 जनवरी : विश्व बौद्ध ध्वज दिवस (1891)

09 जनवरी : प्रथम मुस्लिम महिला शिक्षिका फातिमा शेख जन्म दिवस (1831)

12 जनवरी : राजमाता जिजाऊ जयंती दिवस (1598)

12 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. स्मृति दिवस (1939)

12 जनवरी : उस्मानिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद ने बाबा साहेब को डी.लिट. की उपाधि प्रदान की (1953)

12 जनवरी : चंद्रिका प्रसाद जिज्ञासु परिनिर्वाण दिवस (1972)

13 जनवरी : तिलका मांझी शाहदत दिवस (1785)

14 जनवरी : सर मंगूराम मंगोलिया जन्म दिवस (1886)

15 जनवरी : बहन कुमारी मायावती जयंती दिवस (1956)

18 जनवरी : अब्दुल कय्यूम अंसारी स्मृति दिवस (1973)

18 जनवरी : बाबासाहेब द्वारा राणाडे, गांधी व जिन्ना पर प्रवचन (1943)

23 जनवरी : अहमदाबाद में डॉ. अम्बेडकर ने शांतिपूर्ण मार्च निकालकर सभा को संबोधित किया (1938)

24 जनवरी : राजर्षि छत्रपति साहूजी महाराज द्वारा प्राथमिक शिक्षा को मुफ्त व अनिवार्य करने का आदेश (1917)

24 जनवरी : कर्पूरी ठाकुर जयंती दिवस (1924)

26 जनवरी : गणतंत्र दिवस (1950)

27 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर का साउथ बरो कमीशन के सामने साक्षात्कार (1919)

29 जनवरी : महाप्राण जोगेन्द्रनाथ मण्डल जयंती दिवस (1904)

30 जनवरी : सत्यनारायण गोयनका का जन्मदिवस (1924)

31 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर द्वारा आंदोलन के मुखपत्र ‘‘मूकनायक’’ का प्रारम्भ (1920)

2024-01-13 11:08:05