2023-09-23 12:03:52
संवाददाता
लखनऊ। लोकसभा में महिला आरक्षण बिल के पेश होने के एक दिन बाद ही बसपा प्रमुख मायावती ने बीजेपी की मोदी सरकार पर करारा हमला बोला है। उन्होंने महिला आरक्षण बिल को समर्थन देने का तो ऐलान कर दिया है लेकिन इसे तत्काल न लागू करने के प्रावधान पर आपत्ति जताते हुए उन्होंने मोदी सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं। मायावती ने कहा कि आने वाले 15-16 वर्षों तक महिला आरक्षण बिल लागू नहीं हो सकेगा। ऐसे में इससे बीजेपी सरकार की मंशा का पता चलता है। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने चुनावों को देखते हुए भोली-भाली महिलाओं की आंखों में धूल झोंकने का काम किया है।
वहीं शुक्रवार को ट्वीट करते हुए बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि महिला आरक्षण बिल संसद के दोनों सदनों से पारित हो जाने का स्वागत, किन्तु देश इसका भरपूर व जोरदार स्वागत करता अगर उनकी अपेक्षाओं के मुताबिक यह अविलम्ब लागू हो जाता। अब तक लगभग 27 वर्षों की लम्बी प्रतीक्षा के बाद अनिश्चितता का अब आगे और लम्बा इंतजार करना कितना न्यायसंगत?
उन्होंने आगे कहा, वैसे देश की आबादी के बहुसंख्यक ओबीसी समाज की महिलाओं को आरक्षण में शामिल नहीं करना बहुजन समाज के उस बड़े वर्ग को न्याय से वंचित रखना है। इसी प्रकार एससी व एसटी समाज की महिलाओं को अलग से आरक्षण नहीं देना भी उतना ही अनुचित व सामाजिक न्याय की मान्यता को नकारना है।
अपने आखिरी ट्वीट में उन्होंने कहा, किन्तु जहाँ चाह है वहाँ राह है और इसीलिए सरकार ओबीसी समाज को इस महिला आरक्षण बिल में शामिल करे, एससी व एसटी वर्ग की महिलाओं को अलग से आरक्षण दे तथा इस विधेयक को तत्काल प्रभाव से लागू करने के सभी जरूरी उपाय करे। धार्मिक अल्पसंख्यक समाज की महिलाओं कीे भी उपेक्षा अनुचित।
इससे पहले उन्होंने कहा था कि इस विधेयक में जो प्रावधान रखे गए हैं तो उनका मैं यहां उल्लेख करना जरूरी समझती हूं। संशोधन विधेयक के तहत इस महिला आरक्षण विधेयक के पास होने के बाद पहले पूरे देश में जनगणना कराई जाएगी। जब ये बिल पास हो जाएगा हाउस में तो पास होने के बाद पहले पूरे देश में जनगणना कराई जाएगी। इस तरह से ये पास तो हो जाएगा लेकिन तुरंत लागू नहीं होगा।
मायावती ने कहा कि बिल पास होने के बाद पहले पूरे देश में जनगणना कराई जाएगी और जब ये जनगणना पूरी हो जाएगी तब पूरे देश में लोकसभा तथा राज्यसभा का परिसीमन कराया जाएगा। उसके बाद ही ये विधेयक लागू होगा। ऐसे में ये बात भी किसी से छिपी नहीं है कि देशभर में नए सिरे से जनगणना कराने में अनेक वर्ष लग जाते हैं। पिछड़ी जनगणना साल 2011 में प्रकाशित हुई थी। उसके बाद से आज तक जनगणना नहीं हो सकी है। ऐसी स्थिति में संविधान संशोधन के तहत इस नई जनगणना में जिसमें अनेक साल लग जाएंगे, उसके बाद ही पूरे देश में परिसीमन का काम शुरू होगा, जिसमें भी अनेक साल लगेंगे।
उन्होंने आगे कहा कि इस परिसीमन के पश्चात ही ये महिला आरक्षण बिल लागू होगा जबकि 128वें संशोधन विधेयक की सीमा ही 15 साल रखी गई है। इस प्रकार से यह स्पष्ट है कि यह संशोधन विधेयक वास्तव में महिलाओं को आरक्षण देने की साफ नीयत से नहीं लाया गया है बल्कि आने वाली लोकसभा तथा विधानसभा के चुनावों में देश की भोली-भाली महिलाओं को यह प्रलोभन देकर और उनकी आंखों में धूल झोंककर उनका वोट हासिल करने की नीयत से ही लाया गया है।
वहीं इससे पहले मंगलवार को बसपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने महिला आरक्षण बिल का विरोध करने वाली पार्टियों को निशाने पर लिया। कहा कि जातिवादी पार्टियां महिलाओं को आगे बढ़ते नहीं देखना चाहती हैं। मायावती ने महिला आरक्षण में अलग से ओबीसी और एससी-एसटी कोटा निर्धारित करने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि इन वर्गों की महिलाओं को अलग से आरक्षण की व्यवस्था की जानी चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता है तो हम ये मान कर चलेंगे कि ये भी कांग्रेस की तरह इन्हें हाशिये पर रखना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण बिल लम्बे समय से टलता आ रहा है। अब उम्मीद है कि सभी पार्टियां साथ देंगी और इस बार ये बिल पास हो जाएगा। मायावती ने कहा कि सीटें बढ़ाई जाएं तो किसी भी प्रकार की राजनीति नहीं होनी चाहिए। महिला आरक्षण बिल को हम पूरा समर्थन देंगे। इसे पास कराने में मदद करेंगे।
2029 के लोकसभा चुनाव में होगा लागू
विधेयक पारित होने के बाद आयोजित पहली जनगणना के आधार पर परिसीमन प्रक्रिया पूरी होने के बाद सीटें आरक्षित की जाएंगी. यह अधिनियम के प्रारंभ से 15 वर्षों के लिए महिला आरक्षण को अनिवार्य करता है, संसद को इसे आगे बढ़ाने का अधिकार है। विधेयक के अनुसार, महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों का रोटेशन बाद में होने वाली हर परिसीमन प्रक्रिया के बाद ही होगा, जिसे संसद कानून द्वारा निर्धारित करेगी। लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि यह राजीव गांधी सरकार थी जिसने 1989 में स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण प्रदान किया था. उन्होंने कहा कि बाद की कांग्रेस सरकारों ने महिला आरक्षण विधेयक को पारित कराने की कोशिश की थी, लेकिन या तो यह लोकसभा में पास हो जाता था या फिर राज्यसभा में लेकिन दूसरे सदन में पारित होने में विफल हो जाता था।
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