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महिलाओं व दलितों के लिए यूपी सबसे असुरक्षित राज्य

रामराज्य का ढ़िढोरा पीटने वाले यूपी में आबादी के लिहाज से महिलाओं के खिलाफ सर्वाधिक अपराध दर्ज गये, बच्चों के खिलाफ भी बढ़े मामले
News

2025-10-04 15:37:10

संवाददाता

नई दिल्ली। देश में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में अभी तक कोई खास गिरावट देखने को नहीं मिली है। दहेज हत्या हो या घरेलू हिंसा, इन अपराधों के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। वर्ष 2023 में महिलाओं से जुड़े अपराधों के कुल 4,48,211 मामले सामने आए, जो 2022 की तुलना में करीब तीन हजार अधिक हैं। महिला अपराध दर के लिहाज से तेलंगाना सबसे ऊपर रहा, जबकि जनसंख्या अधिक होने के कारण उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए।

यूपी में आबादी के लिहाज से मामले सर्वाधिक

तेलंगाना में प्रति एक लाख महिला आबादी पर अपराध दर 124.9 रही, जो सबसे अधिक है। वहीं उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा 66,381 मामले सामने आए। इसके बाद महाराष्ट्र में 47,101, राजस्थान में 45,450, पश्चिम बंगाल में 34,691 और मध्य प्रदेश में 32,342 मामले दर्ज किए गए। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (ठउफइ) के अनुसार, ये आंकड़े राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस से जुटाए गए हैं। आंकड़ों के अनुसार, 2022 में महिलाओं के खिलाफ कुल 4,45,256 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2021 में यह संख्या 4,28,278 थी।

महिला अपराध के मामले में दूसरे राज्यों की स्थिति

वर्ष 2023 में प्रति एक लाख महिला जनसंख्या पर औसतन 66.2 आपराधिक घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि आरोप पत्र दाखिल करने की दर 77.6% रही। महिलाओं के खिलाफ दर्ज अपराधों में सबसे अधिक मामले पति या रिश्तेदारों द्वारा की गई क्रूरता के रहे, जो 19.7% रही। वहीं अपहरण के 88,605 मामले सामने आए, जिनकी दर 13.1 थी। राज्यवार मामलों की बात करें तो राजस्थान में यह दर 114.8, ओडिशा में 112.4, हरियाणा में 110.3 और केरल में 86.1 दर्ज की गई। रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं पर शील भंग करने के इरादे से हमले के 83,891 मामले दर्ज हुए, जबकि दुष्कर्म के 29,670 और दहेज हत्या के 6,156 केस सामने आए। इसके अलावा, आत्महत्या के लिए उकसाने के 4,825 मामले भी दर्ज किए गए।

बच्चों के खिलाफ अपराधों में 9.2 % की वृद्धि

बच्चों के खिलाफ अपराधों में 9.2% की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जिसके तहत कुल 1,77,335 मामले सामने आए। प्रति एक लाख बच्चों पर अपराध दर 36.6 से बढ़कर 39.9 हो गई। 2023 में देश के 19 प्रमुख शहरों में कुल 9,44,291 अपराध दर्ज किए गए, जो 2022 की तुलना में 10.6% अधिक हैं। वर्ष 2022 में इन शहरों में 8,53,470 मामले दर्ज किए गए थे।

क्षेत्रवार आंकड़ों में मध्य प्रदेश बच्चों के खिलाफ अपराधों के 22,393 मामलों के साथ पहले स्थान पर रहा। इसके बाद महाराष्ट्र में 22,390, उत्तर प्रदेश में 18,852, असम में 10,174 और बिहार में 9,906 मामले दर्ज किए गए।

केंद्र शासित प्रदेशों और छोटे राज्यों की बात करें तो अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में अपराध दर 143.4 रही, जबकि दिल्ली में यह दर 140.3 थी। केवल दिल्ली में ही बच्चों के खिलाफ 7,769 मामले दर्ज किए गए।

वृद्ध के खिलाफ अपराध: वर्ष 2023 में देशभर में वरिष्ठ नागरिकों के खिलाफ अपराध के 27,886 मामले दर्ज किए गए, जो 2022 की तुलना में थोड़े कम हैं। वर्ष 2022 में ऐसे मामलों की संख्या 28,545 थी। राज्यवार आंकड़ों में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु में वरिष्ठ नागरिकों के खिलाफ सबसे अधिक अपराध दर्ज किए गए। इन मामलों में प्रमुख रूप से चोरी के 4,130 मामले (जो कुल मामलों का 14.8% हैं) और जालसाजी, धोखाधड़ी व ठगी के 3,473 मामले शामिल थे। वरिष्ठ नागरिकों के खिलाफ दर्ज मामलों की संख्या में मध्य प्रदेश 5,738 मामलों के साथ सबसे आगे रहा। इसके बाद महाराष्ट्र में 5,115, तमिलनाडु में 2,104 और कर्नाटक में 1,840 मामले दर्ज किए गए।

अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के खिलाफ अपराधों में वृद्धि: साल 2023 में देश में न केवल साइबर अपराधों में तेजी आई, बल्कि अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के खिलाफ अपराधों में भी वृद्धि देखी गई। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के अनुसार, एसटी के खिलाफ अपराधों में 28% की बढ़ोतरी हुई, जो 2022 में 10,064 मामलों से बढ़कर 2023 में 12,960 हो गए। साइबर अपराधों में भी 31.2% की वृद्धि दर्ज हुई, जिसमें 2023 में कुल 86,420 मामले आए, जबकि 2022 में यह संख्या 65,893 थी। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि हत्या के मामलों में 2.8% की कमी आई है। 2022 में हत्या के कुल 28,522 मामले दर्ज हुए थे, जो 2023 में घटकर 27,721 रह गए। इसके अलावा, अपहरण के 1.16 लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए, जिनमें लगभग 18,000 ऐसे मामले थे, जिनमें 9,000 बच्चे और 8,800 वयस्क की अपनी मर्जी थी।

1.73 लाख लोगों ने सड़क दुर्घटनाओं में गंवाई जान: देशभर में सड़क दुर्घटनाओं में 1.73 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई और 4,47,969 लोग घायल हुए। इनमें से 45.8% पीड़ित दोपहिया वाहनों पर सवार थे। तेज गति और लापरवाही वाहन चलाने को सड़क हादसों के मुख्य कारण माना गया है। साल 2023 में कुल 4,64,029 सड़क दुर्घटनाओं में से 95,984 हादसे शाम 6 से रात 9 बजे के बीच हुए, जो कुल दुर्घटनाओं का 20.7% है।

रेल हादसों में 21 हजार से ज्यादा लोगों की मौत: साल 2023 में देशभर में रेल हादसों में 21,803 लोगों की मौत हुई है. वहीं इस अवधि में कुल 24,678 रेल हादसों की जानकारी दर्ज की गई है। राज्यों में महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा मौतें रिपोर्ट की गई हैं. पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 में हुए सभी रेल हादसों में से 56 मामलों का कारण ड्राइवर की गलती रही, जबकि 43 हादसे तकनीकी खामियों- जैसे खराब डिजाइन, पटरियों की खराबी या पुल और सुरंग के ढहने के चलते हुए। ट्रेन से गिरने या पटरियों पर लोगों से टकराने जैसी घटनाएं रेल हादसों का सबसे बड़ा हिस्सा, 74.9%, रहीं. इन मामलों की संख्या 18,480 दर्ज की गई, जिनमें से 15,878 लोगों की मौत हुई. यह 2023 में हुई कुल मौतों का 72.8% है. अकेले महाराष्ट्र में ऐसे मामलों की हिस्सेदारी 29.8% (5,507 केस) रही। कुल मिलाकर, साल 2022 की तुलना में 2023 में रेल हादसों के मामलों में 6.7% की बढ़ोतरी दर्ज की गई. 2022 में 23,139 मामले दर्ज हुए थे, जबकि 2023 में यह बढ़कर 24,678 हो गए. इन हादसों में 3,014 लोग घायल और 21,803 लोग मारे गए। सबसे अधिक रेल हादसे महाराष्ट्र में दर्ज हुए. राज्य में 5,559 मामले रिपोर्ट किए गए, जो कुल मामलों का 22.5% था. दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश रहा, जहां 3,212 मामले (13%) सामने आए। डेटा के विश्लेषण से पता चलता है कि सबसे अधिक रेल हादसे शाम 6 बजे से रात 9 बजे के बीच हुए (3,771 मामले, 15.3%), जबकि सुबह 9 बजे से दोपहर 12 बजे के बीच 3,693 मामले (15%) दर्ज किए गए। हादसों के कारणों में ड्राइवर की लापरवाही, तोड़फोड़, सिग्नलमैन की गलती, तकनीकी खराबी और अन्य वजहें शामिल हैं। रेलवे क्रॉसिंग पर सबसे अधिक हादसे उत्तर प्रदेश में दर्ज हुए. देश भर से कुल 2,483 ऐसे मामलों में से 1,025 मामले (41.3%) राज्य से सामने आए. इसके बाद पश्चिम बंगाल में 805 मामले (32.4%) और मध्य प्रदेश में 375 मामले (15.1%) दर्ज हुए। रेलवे क्रॉसिंग हादसों में सबसे अधिक मौतें भी इन्हीं तीन राज्यों में हुईं. 2023 में यूपी में 1,007 (44.9%), पश्चिम बंगाल में 581 (25.9%) और मध्य प्रदेश में 375 (16.7%) लोगों की जान गई।

किसानों की आत्महत्या के सर्वाधिक मामले महाराष्ट्र और कर्नाटक में: 2023 में देशभर में 10,786 किसानों और कृषि मजदूरों ने आत्महत्या की। इनमें से सबसे ज्यादा संख्या महाराष्ट्र (38.5%) से थी, उसके बाद कर्नाटक (22.5%) का स्थान था। रिपोर्ट के अनुसार, कृषि क्षेत्र में हुई 10,786 आत्महत्याओं में से 4,690 किसान थे, और 6,096 खेतिहर मजदूर थे. देश में कुल आत्महत्याओं (2023 में 1,71,418 आत्महत्याएं) में किसानों की आत्महत्याओं का हिस्सा 6.3% है. आत्महत्या करने वाले 4,690 किसानों में से 4,553 पुरुष और 137 महिलाएं थीं, और कृषि श्रमिकों द्वारा की गई 6,096 आत्महत्याओं में से 5,433 पुरुष और 663 महिलाएं थीं। महाराष्ट्र और कर्नाटक के बाद आंध्र प्रदेश (8.6%), मध्य प्रदेश (7.2%) और तमिलनाडु (5.9%) में सबसे अधिक आत्महत्याएं दर्ज की गईं. पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मणिपुर, मिजोरम, नगालैंड, त्रिपुरा, चंडीगढ़, दिल्ली और लक्षद्वीप में कृषि क्षेत्र से किसी भी आत्महत्या की सूचना नहीं मिली।

रिपोर्ट में कहा गया था कि साल 2023 में मराठवाड़ा क्षेत्र हुईं 1,088 आत्महत्याओं में से बीड जिले में सबसे अधिक 269 मौतें दर्ज की गईं, इसके बाद औरंगाबाद में 182, नांदेड़ में 175, धाराशिव में 171 और परभणी में 103 मौतें हुईं. जालना, लातूर और हिंगोली में क्रमश: 74, 72 और 42 ऐसी मौतें हुईं।

भारत में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और उत्पीड़न में बढ़ोतरी: रिपोर्ट

(बैंकॉक) ह्ूमन राइट्स वॉच ने अपनी विश्व रिपोर्ट 2025 में बताया कि मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव, दुश्मनी और हिंसा को बढ़ावा देने वाले चुनाव अभियान के बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी हिंदू राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जून 2024 में तीसरी बार सत्ता में वापसी हुई। भारत सरकार भारत की सीमाओं से बाहर असहमति दबाने की कोशिशों के आरोप में लगातार संलिप्त रही, जिसमें अपने आलोचकों के वीजा रद्द करना और विदेश में अलगाववादी नेताओं की हत्या के लिए उन्हें निशाना बनाना शामिल है।

ह्ूमन राइट्स वॉच की 546 पृष्ठों की विश्व रिपोर्ट, जो इसका 35वां संस्करण है, में 100 से अधिक देशों में मानवाधिकार स्थितियों की समीक्षा की है। अपने परिचयात्मक आलेख में कार्यकारी निदेशक तिराना हसन ने कहा, दुनिया के ज्यादातर हिस्सों में सरकारों ने राजनैतिक विरोधियों, कार्यकतार्ओं और पत्रकारों पर कठोर कार्रवाई की और उन्हें गलत तरीके से गिरफ़्तार कर जेल में डाला गया। सशस्त्र समूहों और सरकारी बलों ने गैरकानूनी तौर पर नागरिकों की हत्या की, अनेक लोगों को उनके घरों से बेदखल किया गया और मानवीय सहायता तक पहुंच को बाधित किया। 2024 में हुए 70 से ज्यादा राष्ट्रीय चुनावों में से कई में, सत्तावादी नेताओं ने अपने भेदभावपूर्ण प्रचार अभियानों और वोट चारी की नीतियों के जरिए चुनावी बढ़त हासिल की।

ह्ूमन राइट्स वॉच की एशिया उप निदेशक मीनाक्षी गांगुली ने कहा, प्रधानमंत्री मोदी भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं का झूठा बखान करना पसंद करते हैं, लेकिन अल्पसंख्यकों और आलोचकों पर उनकी सरकार की बढ़ती दमनात्मक कार्रवाई को छिपाना उनके लिए लगातार मुश्किल होता जा रहा है। एक दशक की भेदभावपूर्ण नीतियों और दमन ने कानून के शासन को कमजोर किया है और हाशिए के समुदायों के आर्थिक और सामाजिक अधिकारों को सीमित कर दिया है।

पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में हुई नृजातीय हिंसा में मई 2023 से अब तक 200 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और 60,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं। सितंबर में, मुख्यत: ईसाई कुकी-जो समुदाय और ज्यादातर हिंदू मैतेई समुदाय के सशस्त्र समूहों के बीच हिंसा हुई, जिनमें खबरों के मुताबिक कम-से-कम 11 लोग मारे गए।

भारत के सरकारी तंत्र ने विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) जैसे विदेशी आर्थिक सहायता प्राप्त करने संबंधी उत्पीड़नकारी कानून और आतंकवाद निरोधक कानून-गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, फर्जी वित्तीय जांच तथा अन्य तरीकों का इस्तेमाल नागरिक समाज समूहों और कार्यकतार्ओं पर गैरकानूनी हमलों के लिए किया।

अगस्त में कोलकाता के एक सरकारी अस्पताल में 31 वषीर्या डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के बाद व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए। इस हत्या ने इस बात को उजागर किया कि भारतीय महिलाओं के समक्ष कार्यस्थल पर हिंसा और अन्य प्रकार के उत्पीड़न का खतरा बना हुआ है और यौन हिंसा के लिए न्याय पाने में वे गंभीर बाधाओं का सामना कर रही हैं।

कनाडा, संयुक्त राज्य अमेरिका और पाकिस्तान ने भारतीय खुफिया एजेंसियों पर संदिग्ध आतंकियों और अलगाववादी नेताओं की हत्या करने के लिए उन्हें निशाना बनाने का आरोप लगाया। अक्टूबर 2024 में, कनाडा की नेशनल पुलिस सर्विस ने आरोप लगाया कि भारतीय एजेंट कनाडा के अंदर आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त रहे हैं। भारत सरकार ने भारत में काम करने वाले ऐसे विदेशी पत्रकारों और भारतीय मूल के विदेशी नागरिकों के वीजा संबंधी विशेषाधिकार रद्द कर दिए, जो सरकार के आलोचक थे। ह्ूमन राइट्स वॉच ने कहा कि भारतीय सरकारी तंत्र को मुसलमानों, ईसाइयों, बौद्धों और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभावपूर्ण नीतियां खत्म करनी चाहिए और प्रभावित लोगों के लिए न्याय सुनिश्चित करना चाहिए। उन्हें चाहिए कि नागरिक समाज समूहों को परेशान करना बंद करें, मणिपुर में जनजातीय समूहों और सुरक्षा बलों की हिंसक कार्रवाइयों की निष्पक्ष जांच करें और सुरक्षा बहाल करने के लिए सामुदायिक नेताओं के साथ मिलकर काम करें।

बौद्ध गया बिहार प्रदेश के महाबोधि विहार जो भारत के चक्रवर्ती सम्राट प्रिय दर्शनी अशोक ने बनवाया था। वहाीं पर बीटी एक्ट 1950 के माध्यम से ब्राह्मणों का कब्जा निरंतरता के साथ चल रहा है। बौद्ध समुदाय काफी लंबे समय से महाबोधि टैम्पल को ब्राह्मणों के कब्जे से आजाद कराने के लिए आंदोलन कर रहा है। जिसे केन्द्र व बिहार की संघी सरकार दबाने की कोशिश कर रही है।

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01 जनवरी : मूलनिवासी शौर्य दिवस (भीमा कोरेगांव-पुणे) (1818)

01 जनवरी : राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले और राष्ट्रमाता सावित्री बाई फुले द्वारा प्रथम भारतीय पाठशाला प्रारंभ (1848)

01 जनवरी : बाबा साहेब अम्बेडकर द्वारा ‘द अनटचैबिल्स’ नामक पुस्तक का प्रकाशन (1948)

01 जनवरी : मण्डल आयोग का गठन (1979)

02 जनवरी : गुरु कबीर स्मृति दिवस (1476)

03 जनवरी : राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले जयंती दिवस (1831)

06 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. जयंती (1904)

08 जनवरी : विश्व बौद्ध ध्वज दिवस (1891)

09 जनवरी : प्रथम मुस्लिम महिला शिक्षिका फातिमा शेख जन्म दिवस (1831)

12 जनवरी : राजमाता जिजाऊ जयंती दिवस (1598)

12 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. स्मृति दिवस (1939)

12 जनवरी : उस्मानिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद ने बाबा साहेब को डी.लिट. की उपाधि प्रदान की (1953)

12 जनवरी : चंद्रिका प्रसाद जिज्ञासु परिनिर्वाण दिवस (1972)

13 जनवरी : तिलका मांझी शाहदत दिवस (1785)

14 जनवरी : सर मंगूराम मंगोलिया जन्म दिवस (1886)

15 जनवरी : बहन कुमारी मायावती जयंती दिवस (1956)

18 जनवरी : अब्दुल कय्यूम अंसारी स्मृति दिवस (1973)

18 जनवरी : बाबासाहेब द्वारा राणाडे, गांधी व जिन्ना पर प्रवचन (1943)

23 जनवरी : अहमदाबाद में डॉ. अम्बेडकर ने शांतिपूर्ण मार्च निकालकर सभा को संबोधित किया (1938)

24 जनवरी : राजर्षि छत्रपति साहूजी महाराज द्वारा प्राथमिक शिक्षा को मुफ्त व अनिवार्य करने का आदेश (1917)

24 जनवरी : कर्पूरी ठाकुर जयंती दिवस (1924)

26 जनवरी : गणतंत्र दिवस (1950)

27 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर का साउथ बरो कमीशन के सामने साक्षात्कार (1919)

29 जनवरी : महाप्राण जोगेन्द्रनाथ मण्डल जयंती दिवस (1904)

30 जनवरी : सत्यनारायण गोयनका का जन्मदिवस (1924)

31 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर द्वारा आंदोलन के मुखपत्र ‘‘मूकनायक’’ का प्रारम्भ (1920)

2024-01-13 16:38:05