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भ्रष्टाचारी मोदी सरकार की खुली पोल

उज्जैन: आंधी में उड़े भगवान
News

2023-06-03 06:04:59

उज्जैन: महाकाल लोक में हुआ भ्रष्टाचार अब परत दर परत खुलने लगा है। कांग्रेस पार्टी सप्तऋषि की प्रतिमा के आंधी तूफान में टूटने के बाद भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर इस पूरे मामले में उच्च स्तरीय जांच की मांग कर रही है। ऐसे में गुरुवार की दोपहर महाकाल लोक में और भी बखेड़ा खड़ा हो गया. जब यहां नंदी द्वार के समीप लगा एक पत्थर का लट्टू टूट कर नीचे गिर गया. घटना के समय पत्रकार यहां कवरेज करने पहुंचे थे जो कि इस घटना में घायल होते हुए बच गए। गुरुवार दोपहर को महाकाल लोक के मुख्य नंदी द्वार पर लगा पत्थर का लट्टू अचानक नीचे गिर गया. इस समय मीडियाकर्मी यहां कवरेज करने पहुंचे थे. कवरेज के दौरान जब एक पत्रकार आगे बढ़े तब 3 किलो वजनी पत्थर का लट्टू नीचे गिर गया. जिससे यहां लगी टाइल्स टूट गई। बताया जा रहा है कि महाकाल लोक मे कई स्थानों पर इस तरह के पत्थर के लट्टू लगे हुए हैं जो कि संभवत अत्यधिक गर्मी के कारण यहां लगा गम (केमिकल) छोड़ने से नीचे गिर रहे हैं। जिम्मेदारों को इस ओर ध्यान देना चाहिए क्योंकि प्रतिदिन महाकाल लोक में लाखों श्रद्धालु इसे देखने के लिए पहुंचते हैं. अगर इसी प्रकार से पत्थर और लट्टू गिरते रहे तो कोई जनहानि भी हो सकती है।

वहीं बुधवार को कांग्रेस ने कहा कि वह उज्जैन के महाकाल लोक कॉरिडोर में कथित भ्रष्टाचार के मुद्दे पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी। कॉरिडोर में मूर्तियों के गिरने की जांच करने गई टीम में शामिल कांग्रेस विधायक सज्जन सिंह वर्मा और शोभा ओझा ने आरोप लगाया है निर्माण कार्य में घटिया क्वालिटी की सामग्री इस्तेमाल की गई। इतना ही नहीं, निर्माण कार्य में तय शर्तों का पालन नहीं किया गया और मूर्तियों के लिए तीन से चार गुना ज्यादा कीमत का भुगतान किया गया। पार्टी ने उज्जैन के कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम पर भी सवाल उठाते हुए आरोप लगाया है कि उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कठपुतली की तरह काम किया है। भोपाल में पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए सत्तारूढ़ भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए। ये दोनों मंगलवार को महाकाल लोक कॉरिडोर का दौरा करने वाले सात विपक्षी नेताओं में शामिल थे। कांग्रेस नेताओं ने दावा किया कि चीन की स्थानीय सामग्री का इस्तेमाल सप्तर्षि की मूर्तियों के निर्माण के लिए किया गया था।

सज्जन सिंह वर्मा ने कहा, सप्तर्षि प्रतिमाओं में चाइनीज जाली का प्रयोग किया गया था। इसमें इस्तेमाल की गई अन्य सामग्री भी अच्छी गुणवत्ता की नहीं थी। जो प्रतिमाएं अभी बची हुई हैं, उनका रंग भी फीका पड़ गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि मूर्तियों की स्थापना में तय शर्तों का पालन नहीं किया गया। एफआरपी की बनी मूर्तियों की मजबूती के लिए लोहे का आंतरिक ढांचा बनाया जाता है, मगर महाकाल लोक में लगी मूर्तियों में ऐसा नहीं किया गया। प्रतिमाओं के निर्माण में उपयोग की जाने वाले नेट की मोटाई 1200 से 1600 ग्राम जीएसएम होनी चाहिए, लेकिन महाकाल लोक में 150 से 200 ग्राम जीएसएम के ही चाइनीज नेट का उपयोग किया गया।

बाकी मूर्तियों की दशा भी कोई ठीक नहीं कार्तिकेय: भगवान कार्तिकेय की भाला पकड़े मूर्ति के हाथ का रंग खराब हो गया है। इसमें भी दरार आ गई है।

कमलासना महालक्ष्मीस बसे ऊंची तीन मूर्तियां पास-पास हैं। भगवती शक्तिस्वरूपा कमलासना महालक्ष्मी के कमल की पत्तियां जगह छोड़ चुकी है वहीं भगवान शिव की प्रतिमा का हाथ की दरार देखकर लगा कि कहीं गिर न जाए।

गजासुरसंहार: बेहद सुंदर आकृति में से एक बटुकभैरव ने बेस ही छोड़ दिया है। इसमें हवा- पानी अंदर जा सकता है।

शिव प्रतिमा: हाथ उठाए शिव की मूर्ति के पैर और पास ही शेर की प्रतिमा में भी दरार आ चुकी है। शेर की प्रतिमा ने भी बेस छोड़ दिया है। यहां भगवान पहाड़ पर खड़े हैं, पहाड़ का भी रंग कई जगह से निकल चुका है।

मणिभद्र: नीचे लेटी हुई प्रतिमा के पैर में भी दरार दिखी। घोड़े के घुटने का रंग उतरा- घोड़े पर आकर्षित प्रतिमा दर्शकों का ध्यान खींचती है लेकिन इसके हवा में उठे पैर के घुटनों से रंग की पपड़ी उखड़ गई है।

पशुपतिनाथ- भगवान पशुपति नाथ की मूर्तियों के पास नंदी की मूर्ति भी रखी हुई है। इसका रंग भी उखड़ गया है।

शिव बारात: शिव बारात में कुछ बारातियों में दरारें आ चुकी है। शिव जिस नंदी पर विराजमान है, उसमें दरार हैं वहीं एक बाराती के कमर, वस्त्रों में भी दरारे हैं। नंदी के नीचे वाले हिस्से में पानी से रंग भी खराब हो चुका है।

शिव लीला- शिव लीला की प्रतिमा में भगवान शिव की प्रतिमा पर तो सीने में ही दरार पड़ चुकी है। वहीं जिस बेस पर मूर्ति को बैठाया गया है उसमें भी बड़ा गड्ढा हो रहा है, जिसमें पानी भरा है।

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01 जनवरी : मूलनिवासी शौर्य दिवस (भीमा कोरेगांव-पुणे) (1818)

01 जनवरी : राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले और राष्ट्रमाता सावित्री बाई फुले द्वारा प्रथम भारतीय पाठशाला प्रारंभ (1848)

01 जनवरी : बाबा साहेब अम्बेडकर द्वारा ‘द अनटचैबिल्स’ नामक पुस्तक का प्रकाशन (1948)

01 जनवरी : मण्डल आयोग का गठन (1979)

02 जनवरी : गुरु कबीर स्मृति दिवस (1476)

03 जनवरी : राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले जयंती दिवस (1831)

06 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. जयंती (1904)

08 जनवरी : विश्व बौद्ध ध्वज दिवस (1891)

09 जनवरी : प्रथम मुस्लिम महिला शिक्षिका फातिमा शेख जन्म दिवस (1831)

12 जनवरी : राजमाता जिजाऊ जयंती दिवस (1598)

12 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. स्मृति दिवस (1939)

12 जनवरी : उस्मानिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद ने बाबा साहेब को डी.लिट. की उपाधि प्रदान की (1953)

12 जनवरी : चंद्रिका प्रसाद जिज्ञासु परिनिर्वाण दिवस (1972)

13 जनवरी : तिलका मांझी शाहदत दिवस (1785)

14 जनवरी : सर मंगूराम मंगोलिया जन्म दिवस (1886)

15 जनवरी : बहन कुमारी मायावती जयंती दिवस (1956)

18 जनवरी : अब्दुल कय्यूम अंसारी स्मृति दिवस (1973)

18 जनवरी : बाबासाहेब द्वारा राणाडे, गांधी व जिन्ना पर प्रवचन (1943)

23 जनवरी : अहमदाबाद में डॉ. अम्बेडकर ने शांतिपूर्ण मार्च निकालकर सभा को संबोधित किया (1938)

24 जनवरी : राजर्षि छत्रपति साहूजी महाराज द्वारा प्राथमिक शिक्षा को मुफ्त व अनिवार्य करने का आदेश (1917)

24 जनवरी : कर्पूरी ठाकुर जयंती दिवस (1924)

26 जनवरी : गणतंत्र दिवस (1950)

27 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर का साउथ बरो कमीशन के सामने साक्षात्कार (1919)

29 जनवरी : महाप्राण जोगेन्द्रनाथ मण्डल जयंती दिवस (1904)

30 जनवरी : सत्यनारायण गोयनका का जन्मदिवस (1924)

31 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर द्वारा आंदोलन के मुखपत्र ‘‘मूकनायक’’ का प्रारम्भ (1920)

2024-01-13 11:08:05