2023-05-05 11:10:30
एडवोकेट, अमित प्रकाश
नई दिल्ली। भारत का संविधान और देश के सभी संबंधित कानूनों ने नागरिकों को दिए जाने वाले असंख्य अधिकारों को व्यापक रूप से निर्धारित किया है। लेकिन इनमें से कितने अधिकार किसी व्यक्ति को उसकी मृत्यु के बाद प्राप्त होते हैं? इसकी पड़ताल कई शिक्षाविदों और न्यायाधीशों द्वारा की गई है। कॉमन कॉज (ए पंजीकृत सोसायटी) बनाम भारत संघ के ऐतिहासिक फैसले में 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, जीवन के अधिकार में सम्मान के साथ मरने का अधिकार शामिल है। किसी भी व्यक्ति की मृत्यु हो गई है, उसे बिना किसी देरी के एक सभ्य संस्करा का अधिकार है। 1995 में परमानंद कटारा बनाम भारत संघ और अन्य के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने सम्मान के साथ अंतिम संस्कार के अधिकार को मान्यता दी। संविधान के अनुच्छेद 21 में मृतक का सम्मानपूर्वक दाह संस्कार भी एक अधिकार है।
लेकिन देश में दलितों व गरीबों का सम्मान से जीना तो दूर बल्कि उन्हे मरने के बाद सम्मान पूर्वक अंत्येष्टि भी नहीं मिल रही है। ऐसा ही एक और मामला बागपत जिले के भैडापुर ग्राम में सामने आया है जहां पर एक दलित युवक टीटू पुत्र राजी वाल्मिकी की मृत्यु हो जाने के बाद उसे अंतिम संस्कार के लिए शमशान भी नसीब नहीं हुआ। परिजन उसके शव को लेकर इधर-उधर घूमते रहे, जब कहीं भी उन्हें कोई जगह नहीं मिली तो उन्होंने शव को सड़क के किनारे रखकर अंतिम संस्कार किया।
लेकिन यह कोई पहला मामला नहीं इससे पूर्व भी इसी गांव में एक दलित महिला केला पत्नि हरीश चन्द्र की 21 अक्टूबर 2022 शुक्रवार की सुबह बीमारी के चलते मौत हो गई थी जिसके बाद उसके अंतिम संस्कार के लिए शमशान की जरूरत पड़ी परंतु गांव में एक भी शमशान घाट नहीं होने की वजह से परिजन शव को लेकर इधर-उधर भटकते रहे और परेशान होकर उन्होंने शव को सड़क पर रख करीब 6 घंटे से अधिक शासन-प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन कर एसडीएम और डीएम का ध्यान समस्या की ओर आर्कषित किया। परंतु फिर भी कोई सही समाधान न निकलने के कारण उनका अंतिम संस्कार सड़क किनारे ही खेत में करना पड़ा। यह खबर बड़ी दर्दनाक है कि गांव में शमशान नहीं है जोकि एक आवश्यक जरूरत है जबकि गांव में शमशान के लिए जमीन भी नामित है। परंतु वहां पर किसी और का कब्जा है, मुकदमा भी उस जमीन पर चल रहा है। परंतु आज तक उसका कोई उचित समाधान नहीं निकल पाया है। गांव के गणमान्य व्यक्तियों का प्रशासन से अनुरोध है कि इस समस्या का जल्द से जल्द हल निकाला जाये ताकि अब किसी शव को इस तरह खुले खेत में रखकर न जलाया जाये। क्योंकि गांव में मौजूद कई वर्गों के पास अपने खुद के खेत मौजूद हैं तो वे वहां पर अपने परिजनों के शव को जला लेते हैं लेकिन वहीं गांव में कुछ बेहद गरीब व भूमिहीन लोग भी रहते हैं जिनके पास न तो खुद का मकान है और ना ही कोई खेत तो ऐसे में इन लोगों को अंतिम संस्कार कराने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है क्योंकि बाकी वर्ग के लोग उनको अंतिम संस्कार के लिए अपने खेत देने को भी राजी नहीं होते है।
Ani kumar, Uttar Pradesh | |
<गांव टुकली अंतिम संस्कार के लिए शमशान घाट भी मौजूद नहीं <अंतिम संस्कार के लिए शव लेकर भटते हैं गरीब व भूमिहीन लोग हैं | |
2023-05-24 10:52:52 | |
Gyani jail singh, Uttar Pradesh | |
Bahujan | |
2023-05-24 10:53:01 | |
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