2023-05-26 10:21:53
संवाददाता
दिल्ली। मायावती ने जो नए संसद भवन के उद्घाटन पर अपने ट्वीटों में लिखा है वह बहुजन समाज की भावना के विरूद्ध है और बहुजन समाज उसके ऐसे बयानों का समर्थन नहीं करता। मायावती को समझना चाहिए कि वर्तमान सरकार मनुवादी संघी मानसिकता की सरकार है और उसी मानसिकता के तहत 28 मई का दिन संभवत्: इसलिए चुनाव गया है चूकि 28 मई को ही सावरकर का जन्मदिवस होता है। मनुवादियों की यह एक षड्यंत्रकारी चाल है कि भविष्य में जब नए संसद भवन की जयंती मनाई जायेगी तो उसी के बहाने मनुवादी मानसिकता के लोग सावरकर की जयंती भी मनायेंगे। यह मनुवादियों का पहला कृत्य नहीं है वे अतीत से अब तक ऐसे षड््यंत्रों की रचना करने में माहिर रहे हैं। हमारा माननीय मायावती जी से निवेदन है कि अगर वे व्यक्तिगत तौर पर मनुवादियों के समर्थन में हैं तो उसे खुले तौर पर बहुजन समाज के सामने आकर बतायें। जिससे बहुजन समाज में अभी तक बना हुआ भ्रम खत्म हो जाये कि आप बहुजन समाज की समर्थक न होकर मनुवादी सत्ताधारियों की समर्थक हैं। शायद इसमें आपका कोई न कोई व्यक्तिगत स्वार्थ है।
ुइसी संदर्भ में मायावती जी को नये संसद भवन का नाम बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर के नाम पर रखने की मांग को सरकार के सामने रखना चाहिए था। परंतु उनके ट्वीटों में ऐसा कोई संदर्भ नहीं दिखाई पड़ता। इससे यही माना जा सकता है कि मायावती पूर्णत: मनुवादी संघी शासन का समर्थन कर रहीं है जबकि देश में दलित महिलाओं के साथ हर रोज 10 से अधिक बलात्कार की घटनाएं घट रहीं है। अनगिनत दलितों के साथ उत्पीड़न की घटनाएं विभिन्न प्रदेशों से हर रोज मिलती हैं। क्या देश में यही कानून का राज है? जिसे वे अपना समर्थन दे रहीं हैं। बहुजन समाज के सामने आज संसद भवन का नामकरण बाबा साहेब के नाम पर होने का एक अहम मुद्दा है जिसके बारे में बहन मायावती की अभी तक कोई प्रतिक्रि या नहीं सामने आयी है। पूरा बहुजन समाज इससे क्षुब्ध है। बहुजन समाज को दार्शनिकता की नहीं, व्यवहारिकता की जरूरत है।
क्या कहा था मायावती ने?
मायावती ने कहा कि केन्द्र में पहले चाहे कांग्रेस पार्टी की सरकार रही हो या अब वर्तमान में बीजेपी की, बीएसपी ने देश व जनहित निहित मुद्दों पर हमेशा दलगत राजनीति से ऊपर उठकर उनका समर्थन किया है तथा 28 मई को संसद के नये भवन के उद्घाटन को भी पार्टी इसी संदर्भ में देखते हुए इसका स्वागत करती है।
बसपा सुप्रीमो ने आगे कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा नए संसद का उद्घाटन नहीं कराए जाने को लेकर बहिष्कार अनुचित है। सरकार ने इसको बनाया है इसलिए उसके उद्घाटन का उसे हक है। इसको आदिवासी महिला सम्मान से जोड़ना भी अनुचित है। उन्होंने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि यह उन्हें निर्विरोध न चुनकर उनके विरुद्ध उम्मीदवार खड़ा करते वक्त सोचना चाहिए था। उन्होंने कहा कि देश को समर्पित होने वाले कार्यक्रम अर्थात नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का निमंत्रण मुझे प्राप्त हुआ है, जिसके लिए आभार और मेरी शुभकामनायें। किन्तु पार्टी की लगातार जारी समीक्षा बैठकों सम्बंधी अपनी पूर्व निर्धारित व्यस्तता के कारण मैं उस समारोह में शामिल नहीं हो पाऊंगी।
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