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प्रतिमा नहीं लगी तो, 14 अक्टूबर को अपनायेंगे ‘बौद्ध धर्म’

बाबा साहेब के सम्मान में जंतर-मंतर पर उमड़ा बहुजन समाज, सरकार को चेताया
News

2024-08-16 11:56:34



संवाददाता

नई दिल्ली। बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर के सम्मान की खातिर 9 अगस्त को जंतर-मंतर पर बहुजन समाज के लोगों ने भारी संख्या में पहुंचकर जोरदार प्रदर्शन किया। हजारों की संख्या में जंतर-मंतर पर पहुंचे अम्बेडकरवादियों ने संघी-मोदी सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार ने उनकी बात नहीं मानी और बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर की प्रतिमा को संसद भवन के परिसर में उसी अवस्था में उसी ऊंचाई पर विस्थापित नहीं किया तो वे बड़ी संख्या में सामुहिकता के साथ बोद्ध धर्म अपनायेंगें।

क्या है मामला?

दरअसल, अब की बार 400 पार के अहंकार और तानाशाही मे डूबी केंद्र की सरकार ने 4 जून को लोक सभा चुनाव परिणाम घोषित होने की तारीख की पूर्व संध्या पर यानि कि 3 जून की रात के अंधेरे में परम पूज्य भारत रत्न बौधिसत्व बाबा साहेब डॉ. भीम राव अम्बेड़कर जी, राष्ट्रपिता महात्मा गॉधी, राष्ट्रपिता ज्योति राव फुले, छत्रपति शिवाजी महाराज और भगवान बिरसा मुण्डा जी की प्रतिमाओं को संसद परिसर के प्रांगण से लोक सभा सचिवालय को निर्देशित करके संकीर्ण मानसिकता और एक सुनियोजित षड़यंत्र के तहत हटवा दिया था। इन प्रतिमाओं में से बाबा साहेब की प्रतिमा को संसद परिसर में लगवाने के लिए कई वर्षो तक, परिनिर्वाण प्राप्त आदर और सम्मान के योग्य तत्कालीन बहुजन नेता श्री बी.पी. मौर्या जी की कुशल और डायनेमिक लिड़रशिप मे जेल भरो आंदोलन चला था। तब जाकर ये प्रतिमा संसद भवन के परिसर मे 2 अप्रैल 1967 को स्थापित हो पायी थी। इस प्रतिमा के संसद भवन प्रांगण में लगे रहने का ही प्रतिफल है कि वर्ष में 14 अप्रैल और 6 दिसम्बर को संसंद भवन के दरवाजें आम जन के लिए खोले जाते है। 14 अप्रैल और 6 दिसम्बर को हर वर्ष बाबा साहेब में श्रद्धा और आस्था रखने वाले अम्बेड़करवादियों की लगातार बढ़ती और उमड़ती हुई लाखों की भीड से भयभीत होकर केंद्र सरकार के इशारे पर इस कृत्य को अंजाम दिया गया है। जिससे देश विदेश मे रहने वाले करोड़ों-करोड़ों अम्बेडकरवादियों की श्रद्धा और भावनाओं को ठेस पहुंची है और पूरे देश मे जबरदस्त रोष और आक्रोष व्याप्त है।

पहले तो मोदी-संघी सरकार ने संघी मानसिकता की कार्यशैली के तहत कायरतापूर्ण तरीके से प्रतिमा को विस्थापित कर दिया और अब जब देश के अम्बेडकरवादी प्रतिमा विस्थापन होने पर सरकार से सवाल कर रहे हैं तो संघी कायर सरकार से कोई जवाब नहीं मिल रहा है। शायद उनका मन्तव्य और मानसिकता है कि प्रतिमा के मुद्दे को ठंडे बस्ते में डालकर रखो और कुछ दिन बाद अम्बेडकरवादी बहुजन समाज के लोग स्वत: ही ठंडे होकर शांत हो जाएँगे। हम सरकार को इस मुद्दे पर चेताना चाहते हैं कि अम्बेडकरवादी समाज के लोग कायर नहीं हैं उनकी रग-रग में संघर्ष का मादा है और वे प्रतिमा विस्थापन के मुद्दे को लेकर किसी भी हद तक जाने को तैयार है। उनका संकल्प है कि जब तक सरकार हटाई गई प्रतिमाओं को उनके मूल स्थान पर ही उसी अवस्था और मुद्रा में स्थापित नहीं कर देती तब तक आंदोलन जारी रहेगा और प्रतिमा वहीं लगेगी यही अम्बेडकरवादियों का एक मत से संकल्प है।

26 जून 2024 को जो सांकेतिक प्रदर्शन जंतर-मंतर पर हुआ था और दूसरा आन्दोलन जो 9 अगस्त 2024 को हुआ जिसमें कई हजार लोगों ने भाग लिया था जंतर-मंतर का पूरा प्रांगण आंदोलनकारियों से खचा-खच भरा हुआ था। सभी आन्दोलनकारी एक मत से कसमें खा रहे थे कि बाबा साहेब की प्रतिमा वहीं लगेगी इससे कम हमें कुछ भी मंजूर नहीं चाहे हमारी जानें ही क्यों न चली जाएँ। बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर जी की प्रतिमा वहीं पर सम्मानपूर्वक तरीके से लगा दी जाये अन्यथा पूरा अम्बेडकरवादी समाज आने वाले 14 अक्तूबर 2024 को सामूहिकता के साथ हिन्दू धर्म त्यागकर बौद्ध धर्म अपना लेगा। यह हमारा एकमत से संकल्प है और हम इसे अवश्य ही पूरा करेंगे। संघी सरकार समय रहते अपनी आँखें खोले और अम्बेडकरवादियों को सकारात्मक निर्णय लेकर प्रतिमा की स्थापना मूल स्थान पर स्थापित करके उन्हें सूचित करने का काम करें।

गोदी मीडिया को किया नंगा

भारत का मीडिया मनुवादी तो है यह तो पहले से ही पता था और मीडिया में अधिसंख्यक लोग ब्राह्मणी संस्कृति के हैं जो दिन-रात मीडिया में मनुवाद को परोसते रहते हैं और अम्बेडकरवादियों के आंदोलन की खबरों को अपने अखबारों में न छापकर सरकार की नजर से ओझल करके गोदी-मीडिया बनने का काम करते हैं। सभी अम्बेडकरवादी इस मनुवादी गोदी मीडिया को सचेत और आगाह करना चाहते हैं कि वह स्वतंत्र रूप से मीडिया के दायित्व को बिना पक्षपात किये और अम्बेडकरवादियों की खबरों को सरकार से ओझल करने का काम न करें। अन्यथा पूरा बहुजन समाज जो इस देश में संख्या के हिसाब से बहुसंख्यक है वह मनुवादी संघी मीडिया के अखबारों को खरीदने और पढ़ने का बहिष्कार करेगा और उनके यू-ट्यूब चैनल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का भी पूर्ण रूप से बहिष्कार करेगा।

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01 जनवरी : मूलनिवासी शौर्य दिवस (भीमा कोरेगांव-पुणे) (1818)

01 जनवरी : राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले और राष्ट्रमाता सावित्री बाई फुले द्वारा प्रथम भारतीय पाठशाला प्रारंभ (1848)

01 जनवरी : बाबा साहेब अम्बेडकर द्वारा ‘द अनटचैबिल्स’ नामक पुस्तक का प्रकाशन (1948)

01 जनवरी : मण्डल आयोग का गठन (1979)

02 जनवरी : गुरु कबीर स्मृति दिवस (1476)

03 जनवरी : राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले जयंती दिवस (1831)

06 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. जयंती (1904)

08 जनवरी : विश्व बौद्ध ध्वज दिवस (1891)

09 जनवरी : प्रथम मुस्लिम महिला शिक्षिका फातिमा शेख जन्म दिवस (1831)

12 जनवरी : राजमाता जिजाऊ जयंती दिवस (1598)

12 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. स्मृति दिवस (1939)

12 जनवरी : उस्मानिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद ने बाबा साहेब को डी.लिट. की उपाधि प्रदान की (1953)

12 जनवरी : चंद्रिका प्रसाद जिज्ञासु परिनिर्वाण दिवस (1972)

13 जनवरी : तिलका मांझी शाहदत दिवस (1785)

14 जनवरी : सर मंगूराम मंगोलिया जन्म दिवस (1886)

15 जनवरी : बहन कुमारी मायावती जयंती दिवस (1956)

18 जनवरी : अब्दुल कय्यूम अंसारी स्मृति दिवस (1973)

18 जनवरी : बाबासाहेब द्वारा राणाडे, गांधी व जिन्ना पर प्रवचन (1943)

23 जनवरी : अहमदाबाद में डॉ. अम्बेडकर ने शांतिपूर्ण मार्च निकालकर सभा को संबोधित किया (1938)

24 जनवरी : राजर्षि छत्रपति साहूजी महाराज द्वारा प्राथमिक शिक्षा को मुफ्त व अनिवार्य करने का आदेश (1917)

24 जनवरी : कर्पूरी ठाकुर जयंती दिवस (1924)

26 जनवरी : गणतंत्र दिवस (1950)

27 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर का साउथ बरो कमीशन के सामने साक्षात्कार (1919)

29 जनवरी : महाप्राण जोगेन्द्रनाथ मण्डल जयंती दिवस (1904)

30 जनवरी : सत्यनारायण गोयनका का जन्मदिवस (1924)

31 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर द्वारा आंदोलन के मुखपत्र ‘‘मूकनायक’’ का प्रारम्भ (1920)

2024-01-13 11:08:05