Friday, 15th November 2024
Follow us on
Friday, 15th November 2024
Follow us on

धारा 66ए का इस्तेमाल गंभीर चिंता का विषय: सुप्रीम कोर्ट

धारा 66ए
News

2022-09-09 08:58:16

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में उसके द्वारा रद्द की गई सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कानून-2000 की धारा 66ए के तहत अभी भी एफआईआर दर्ज किए जाने को गंभीर चिंता का विषय करार देते हुए मंगलवार को राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया। आईटी कानून की रद्द की जा चुकी धारा 66ए के तहत आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट करने पर तीन साल तक की कैद और जुमार्ने का प्रावधान था।

शीर्ष अदालत ने 24 मार्च 2015 को विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रमुख करार दिया था और यह कहते हुए इस प्रावधान को रद्द कर दिया था कि जनता के जानने का अधिकार सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66ए से सीधे तौर पर प्रभावित होता है। बाद में, उसने रद्द किए गए प्रावधान का कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा उपयोग किए जाने के मामले को गंभीरता से लिया और राज्यों एवं उच्च न्यायालय रजिस्ट्री को नोटिस जारी किए। प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) उदय उमेश ललित और जस्टिस रविंद्र भट की पीठ ने मंगलवार को कहा, यह गंभीर चिंता का विषय है कि इस अदालत के एक आधिकारिक निर्णय में प्रावधान की वैधता को खारिज किए जाने के बावजूद अब भी मामले दर्ज किए जा रहे हैं। शीर्ष अदालत ने संबंधित राज्यों के मुख्य सचिवों को जल्द से जल्द उपचारात्मक कदम उठाने और मामलों को वापस लेने की कवायद तीन सप्ताह में पूरी करने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा, इन परिस्थितियों में हमने केंद्र के वकील जोहेब हुसैन से उन राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ संवाद करने को कहा है, जहां मामले अब भी दर्ज किए जा रहे हैं या दर्ज हैं। न्यायालय ने कहा कि केंद्र सरकार के वकील प्रासंगिक जानकारी प्राप्त करने के लिए मुख्य सचिवों के साथ संवाद करने के लिए स्वतंत्र होंगे और राज्य सरकारों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील उनकी मदद करेंगे। उसने कहा, आज से तीन सप्ताह में कवायद पूरी की जाए. मामले को तीन सप्ताह के बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए।

न्यायालय ने एनजीओ पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) की याचिका पर यह आदेश दिया. पीयूसीएल ने इस रद्द प्रावधान के तहत लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए जाने का आरोप लगाया है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, एनजीओ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख ने कहा कि शीर्ष अदालत द्वारा आवेदन पर नोटिस जारी किए जाने के बाद कुछ राज्यों ने जवाब दाखिल किया था और जो सामने आया वह वाकई चौंकाने वाला है.

वहीं, हुसैन ने कहा कि केंद्र ने एक हलफनामा दायर कर कहा है कि सरकार ने राज्यों के सभी मुख्य सचिवों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों को फैसले से अवगत करा दिया है.

अपने नोटिस पर राज्यों द्वारा दायर हुए हलफनामों का जिक्र करते हुए पीठ ने कहा, ज्यादातर राज्यों ने हमारे समक्ष स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया है कि श्रेया सिंघल बनाम भारत संघ मामले में जारी निदेर्शों का ईमानदारी से पालन किया जा रहा है और वर्तमान में अधिनियम की धारा 66ए के तहत कथित अपराध के संबंध में कोई मामला लंबित नहीं है.

अदालत ने आगे कहा, हालांकि, अभी भी कुछ ऐसे उदाहरण हैं जहां संबंधित प्रावधान लागू किया गया था और मामले अभी भी विचाराधीन हैं.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, अपने यहां कोई भी मामला लंबित न होने का दावा करने वाले राज्य उत्तर प्रदेश, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, मेघालय और पश्चिम बंगाल रहे. वहीं, याचिकाकर्ता के वकील पारिख ने रद्द होने के बावजूद इस धारा के तहत पुलिस/कानून प्रवर्तक एजेंसियों द्वारा दर्ज किए मामलों का विवरण भी सौंपा.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने उसके द्वारा धारा 66ए को निरस्त किए जाने के बावजूद लोगों के खिलाफ इसके तहत अब भी मामले दर्ज किए जाने पर पिछले साल पांच जुलाई को आश्चर्य व्यक्त किया था और इसे हैरान करने वाला बताया था.

इससे पहले, सात जनवरी 2019 को पीयूसीएल के आवेदन पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा था कि यह चौंकाने वाला है कि 2015 में शीर्ष अदालत द्वारा आईटी अधिनियम की धारा 66ए को खत्म करने के बाद भी इसके तहत लोगों पर मुकदमा चलाया जा रहा है. पीठ ने केंद्र से जवाब मांगा था और संबंधित अधिकारियों को उसके आदेशों का उल्लंघन करने के लिए जेल भेजने की चेतावनी दी थी.

वहीं, शीर्ष अदालत ने 15 फरवरी 2019 को सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया था कि वे सभी पुलिसकर्मियों को उसके 24 मार्च 2015 के फैसले से अवगत कराएं, जिसके तहत आईटी अधिनियम की धारा 66ए को निरस्त कर दिया गया था, जिससे लोगों को अनावश्यक रूप से इस प्रावधान के तहत गिरफ्तार न किया जाए.

सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के बाद केंद्र सरकार ने 13 जुलाई 2021 को भी राज्यों से पुलिस को यह निर्देश देने को कहा था कि वे सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कानून, 2000 की निष्प्रभावी की गई धारा 66ए के तहत मामला दर्ज नहीं करें.

वहीं, 27 जुलाई 2021 को अदालत में दाखिल हलफनामे में केंद्र द्वारा कहा गया था, हम यह बताना चाहते हैं कि भारत के संविधान के तहत पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था राज्य के विषय हैं और अपराधों की रोकथाम, पता लगाने, जांच और अभियोजन और पुलिसकर्मियों की क्षमता निर्माण मुख्य रूप से राज्यों की जिम्मेदारी हैं.

जिस पर पीठ ने कहा था कि पुलिस राज्य का विषय है, इसलिए यह बेहतर होगा कि सभी राज्य सरकारों और केंद्रशासित क्षेत्रों को पक्षकार बनाया जाए तथा हम एक समग्र आदेश जारी कर सकते हैं, जिससे यह मामला हमेशा के लिए सुलझ जाए.

मालूम हो कि महाराष्ट्र के ठाणे जिले के पालघर में सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर दो लड़कियों- शाहीन ढाडा और रिनू श्रीनिवासन को गिरफ्तार किए जाने के बाद अधिनियम की धारा 66ए में संशोधन के लिए कानून की छात्रा श्रेया सिंघल ने पहली बार 2012 में इस मुद्दे पर जनहित याचिका दायर की थी.

शाहीन और रिनू ने शिवसेना नेता बाल ठाकरे के निधन के मद्देनजर मुंबई में बंद के खिलाफ सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था। जस्टिस जे. चेलमेश्वर और आरएफ नरीमन की एक पीठ ने 24 मार्च, 2015 में विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को मौलिक बताते हुए कहा था, जनता का जानने का अधिकार सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66ए से सीधे प्रभावित होता है.

इस संबंध में अनेक शिकायतों के मद्देनजर शीर्ष अदालत ने 16 मई 2013 को एक परामर्श जारी कर कहा था कि सोशल मीडिया पर कथित तौर पर कुछ भी आपत्तिजनक पोस्ट करने वालों की गिरफ्तारी पुलिस महानिरीक्षक या पुलिस उपायुक्त स्तर के वरिष्ठ अधिकारी की अनुमति के बिना नहीं की जा सकती.

Post Your Comment here.
Characters allowed :


01 जनवरी : मूलनिवासी शौर्य दिवस (भीमा कोरेगांव-पुणे) (1818)

01 जनवरी : राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले और राष्ट्रमाता सावित्री बाई फुले द्वारा प्रथम भारतीय पाठशाला प्रारंभ (1848)

01 जनवरी : बाबा साहेब अम्बेडकर द्वारा ‘द अनटचैबिल्स’ नामक पुस्तक का प्रकाशन (1948)

01 जनवरी : मण्डल आयोग का गठन (1979)

02 जनवरी : गुरु कबीर स्मृति दिवस (1476)

03 जनवरी : राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले जयंती दिवस (1831)

06 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. जयंती (1904)

08 जनवरी : विश्व बौद्ध ध्वज दिवस (1891)

09 जनवरी : प्रथम मुस्लिम महिला शिक्षिका फातिमा शेख जन्म दिवस (1831)

12 जनवरी : राजमाता जिजाऊ जयंती दिवस (1598)

12 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. स्मृति दिवस (1939)

12 जनवरी : उस्मानिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद ने बाबा साहेब को डी.लिट. की उपाधि प्रदान की (1953)

12 जनवरी : चंद्रिका प्रसाद जिज्ञासु परिनिर्वाण दिवस (1972)

13 जनवरी : तिलका मांझी शाहदत दिवस (1785)

14 जनवरी : सर मंगूराम मंगोलिया जन्म दिवस (1886)

15 जनवरी : बहन कुमारी मायावती जयंती दिवस (1956)

18 जनवरी : अब्दुल कय्यूम अंसारी स्मृति दिवस (1973)

18 जनवरी : बाबासाहेब द्वारा राणाडे, गांधी व जिन्ना पर प्रवचन (1943)

23 जनवरी : अहमदाबाद में डॉ. अम्बेडकर ने शांतिपूर्ण मार्च निकालकर सभा को संबोधित किया (1938)

24 जनवरी : राजर्षि छत्रपति साहूजी महाराज द्वारा प्राथमिक शिक्षा को मुफ्त व अनिवार्य करने का आदेश (1917)

24 जनवरी : कर्पूरी ठाकुर जयंती दिवस (1924)

26 जनवरी : गणतंत्र दिवस (1950)

27 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर का साउथ बरो कमीशन के सामने साक्षात्कार (1919)

29 जनवरी : महाप्राण जोगेन्द्रनाथ मण्डल जयंती दिवस (1904)

30 जनवरी : सत्यनारायण गोयनका का जन्मदिवस (1924)

31 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर द्वारा आंदोलन के मुखपत्र ‘‘मूकनायक’’ का प्रारम्भ (1920)

2024-01-13 11:08:05