2024-01-12 12:33:36
नई दिल्ली। जहां एक तरफ देश लगातार बढ़ती बेरोजगारी से जूझ रहा है वहीं देश की संघी-मोदी सरकार उत्तर प्रदेश में इन दिनों भव्य राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर जोर-शोर से लगी हुई है। अयोध्या के राम मंदिर का प्रचार-प्रसार काफी तेजी से किया जा रहा है।
लेकिन सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के ताजा आंकड़ों से संकेत मिलता है कि युवा बेरोजगारी (20-34 आयु वर्ग) बढ़ रही है। रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर-दिसंबर 2023 तिमाही में 20 से 24 आयु वर्ग के लोगों में बेरोजगारी दर जुलाई से सितंबर 2023 की पिछली तिमाही के 43.65 प्रतिशत से बढ़कर 44.49 प्रतिशत हो गई। वहीं, 25-29 आयु वर्ग के लिए यह 14.33 प्रतिशत तक बढ़ गई, जबकि जुलाई-सितंबर तिमाही में यह 13.35 प्रतिशत थी. 25-29 आयु वर्ग के लिए 14.33 प्रतिशत बेरोजगारी दर 14 तिमाहियों में सबसे अधिक थी। इसी तरह 30-34 आयु वर्ग के लिए बेरोजगारी दर 10 तिमाहियों के उच्चतम 2.49 प्रतिशत पर रही, जो पिछली तिमाही में 2.06 प्रतिशत थी।
सीएमआईई के अनुसार, बेरोजगारी में वृद्धि का मुख्य कारण शहरी बेरोजगारी की तुलना में ग्रामीण बेरोजगारी है। ग्रामीण बेरोजगारों में यह 20-24 आयु वर्ग (43.79 प्रतिशत) में सबसे अधिक हो गई, इसके बाद 25-29 आयु वर्ग में बेरोजगारी दर 13.06 प्रतिशत और 30-34 आयु वर्ग में 2.24 प्रतिशत रही। इसके विपरीत, वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही की तुलना में तीसरी तिमाही में शहरी बेरोजगारी दर में सुधार के संकेत दिखे, विशेषकर 20-24 और 30-34 वर्ष की आयु वर्ग में। 20-24 आयु वर्ग के लिए यह 47.61 प्रतिशत से घटकर 45.98 प्रतिशत हो गई और 30-34 आयु वर्ग के लिए यह दर 3.29 प्रतिशत से घटकर 3.04 प्रतिशत हो गई। हालांकि, 25-29 आयु वर्ग में यह आंकड़ा 15.61 प्रतिशत से बढ़कर 16.54 प्रतिशत हो गया।
देश में बेरोजगारी की स्थिति और भी बदतर हुई: कांग्रेस
वहीं कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि विगत 10 वर्षों में देश में ‘नौकरियों के अकाल’ के हालात और भी बदतर हो गए हैं। कांग्रेस ने साथ ही आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हर साल दो करोड़ रोजगार सृजन का अपना वादा पूरा करने में पूरी तरह विफल रहे हैं। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि भारत का युवा ऐसी तरक्की का हकदार है जो उसे अच्छी गुणवत्ता वाली नौकरी दे, न कि बेरोजगारी और पकौड़े की दुकान। उन्होंने आरोप लगाया, इसका मतलब यह है कि बेरोजगारी की स्थिति अब कोविड-19 महामारी के समय से भी बदतर है।
रमेश ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में संकट विशेष रूप से भयावह है। अधिक से अधिक परिवार मनरेगा की ओर रुख कर रहे हैं क्योंकि कोई अन्य रोजगार उपलब्ध नहीं है। रमेश ने कहा कि यह बिल्कुल स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री प्रति वर्ष दो करोड़ नौकरियां पैदा करने के अपने वादे को पूरा करने में बुरी तरह विफल रहे हैं।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के आंकड़े भी सीएमआईई द्वारा ग्रामीण बेरोजगारी पर को लेकर निकाले गए निष्कर्षों की पुष्टि करता है। मनरेगा ग्रामीण भारत में रोजगार का सबसे बड़ा प्रदाता है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2024 की तीसरी तिमाही में परिवारों द्वारा मांगे गए काम में साल-दर-साल 1.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई; लेकिन यह दूसरी तिमाही में दर्ज की गई 15.1 प्रतिशत वृद्धि से कम थी।
कुछ अर्थशास्त्रियों ने ‘मासिक आंकड़ों में स्पष्ट अस्थिरता’ का हवाला देते हुए सीएमआईई डेटा के आंकड़ों की विश्वसनीयता के बारे में चिंता जताई है. हालांकि, सीएमआईई डेटा अभी भी महत्व रखता है, क्योंकि ‘यह देश में बेरोजगारी की स्थिति का तात्कालिक नजरिया पेश करने वाला एकमात्र स्रोत बना हुआ है’।
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