Wednesday, 31st December 2025
Follow us on
Wednesday, 31st December 2025
Follow us on

देश के मूर्ख बहुजनों पर भारी धूर्त ब्राह्मणवादी

News

2025-12-30 15:52:50

नई दिल्ली। बहुजन समाज (एससी/एसटी/ओबीसी/अल्पसंख्य) के अजागरुक मूर्खों का ध्यान हम इस बात पर आकर्षित करना चाहते हैं कि जब लखनऊ में बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर के नाम से बहन मायावती जी एक विश्व स्तरीय पार्क का निर्माण करा रही थीं तब बहुजन समाज के मूर्ख, अजागरुक और धूर्त ब्राह्मण संघियों के बहकावे और छलावे में आकर और शायद उनसे आवश्यक धन शक्ति अर्जित करके देश भर के अलग-अलग शहरों, कस्बों, गाँव-गाँव और गली-गली में शोर मचाते घूम रहे थे कि बहन जी ने हमारे और देश के लिए कुछ नहीं किया। उन्होंने प्रदेश भर का सरकारी पैसा खर्च करके पत्थर की मूर्तिया और हाथी खड़े कर दिये इससे हमारे समाज का क्या भला हुआ? हम अब ऐसे मूर्ख बहुजन समाज के अजागरुक, कम समझ, कम शिक्षित लोगों से जानना/पूछना चाहते हैं कि अब वे योगी-मोदी ब्राह्मणवादी संघियों की सरकार द्वारा ‘राष्ट्र प्रेरणा स्थल’ का मोदी ने लोकार्पण किया जो सरकारी खजाने से 230 करोड़ की लागत से बनाया गया और यह प्रेरणा स्थल 98000 वर्ग फुट में फैला एक कमल के फूल के आकर में बनाया गया है। यह पूरा परिसर 65 एकड़ में फैला हुआ है। यह मनुवादियों का प्रेरणा स्थल लखनऊ में हरदोई रोड पर गोमती नदी के किनारे राष्ट्र प्रेरणा स्थल के रूप में समर्पित किया गया है। इस परिसर में 65 फिट ऊंची पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी, श्यामा प्रसाद मुखर्जी और दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमाएँ स्थापित की गई है।

इस दृश्य और कृत्य को देखकर बहुजन स्वाभिमान संघ, बहुजन समाज के मूर्खों से जानना चाहता है कि जिन तीन व्यक्तियों की प्रतिमाएँ इस विशाल पार्क में लगाई गई हैं और इन प्रतिमाओं को स्थापित करने में जो राष्ट्र का धन खर्च हुआ है उससे बहुजन समाज के व्यक्तियों को क्या लाभ होने वाला है? बल्कि हम इस पार्क के विशाल क्षेत्र (65 एकड़) का आंकलन करके देखे तो बहुजन समाज पाएगा कि इस परिसर को बनाने से बहुत सारे किसानों की जमीन इसमें ली गई होगी और इस जमीन में अनाज या अन्य खाने योग चीजे भी पैदा हो रही होंगी। जिससे लाखों लोगों का पेट भी भर रहा होगा, जो इस विशाल परिसर की भूमि पर निर्भर रहे होंगे। वे अब अनआश्रित हो गए होंगे। शायद इस जमीन के मालिकों को सरकार से भारी मुआवजा भी मिल गया होगा मगर जो लोग इस विशाल परिसर की भूमि से जुड़कर अपना जीवन यापन कर रहे होंगे उनका अब क्या होगा? हम जानते हैं कि कोई भी सरकार ऐसे अन-आश्रित हुए लोगों पर कोई ध्यान नहीं देती, उन्हें बे-सहारा और बे-रोजगार बनाकर छोड़ देती है। ब्राह्मणी संघी संस्कृति के ये कार्यक्रम देशभर में चलाये जा रहे हैं जिससे ऐसी जमीनों से जुड़े किसानों सहित पूरा कामगार बहुजन समाज बे-रोजगार हो रहा है। उन्हें न कोई मुआवजा देने का प्रावधान बनाया गया और न कोई रोजगार देने का कार्यक्रम बनाया गया है। हमें पता है कि मूर्ख बहुजन समाज के असमझ लोग ऐसे मार्मिक व संवेदनशील मुद्दों पर न ध्यान देते है और न विचार करते हैं। वे तो सिर्फ मनुवादियों संघियों के तलवे चाटकर, उनकी गुलामी करने में ही अपना गौरव समझते हैं। इसी प्रकार स्टैच्यू आॅफ यूनिटी का उद्घाटन 31 अक्टूबर, 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार वल्लभभाई पटेल की 143वीं जयंती के अवसर पर किया था। यह स्टैच्यू गुजरात के केवड़िया में नर्मदा नदी के किनारे साधु बेट पर बनाया गया जिसमें भारत सरकार ने लगभग 3 हजार करोड़ से अधिक धन राशि खर्च की। मोदी देश की जनता को यह बताए कि इससे देश की आम जनता को क्या फायदा है। यह स्टैच्यू मोदी ने जनजातीय समाज की जमीन को अधिग्रहण करके बनाया जिसके कारण जनजातीय समाज के सैकड़ों परिवारों के ऊपर अपने जीवनयापन करने का संकट आया। जिसके बाद जनजातीय समाज ने आंदोलन भी किया लेकिन सरकार ने सत्ता बल से उसे दबा दिया।

संघियों का आजाद भारत में योगदान क्या?

देश की शिक्षित और जागरूक जनता इस तथ्य से पूर्णतया अवगत है कि संघी मानसिकता के कथित महानायकों ने देश की आजादी के आंदोलन में लेस मात्र भी योगदान नहीं दिया था। बल्कि संघियों के कथित महानायक देश की आजादी से जुड़े आंदोलनकारियों की खुफिया जानकारी अंग्रेजों को देकर बदले में पेंशन पा रहे थे और अंग्रेजों से माफी मांगकर जेल से बाहर भी आ रहे थे। देश की नौजवान पीढ़ी के लिए ये बड़े शर्म की बात है कि जिन राष्ट्र विरोधी संघियों ने देश के विरुद्ध कार्य किए उन्हें आज की मोदी-संघी सरकार महानायक कहकर पुकार रही है? आसानी से आज की वरिष्ठ व युवा पीढ़ी यह समझ सकती है कि वर्तमान प्रधानमंत्री संघी मानसिकता के व्यक्ति है जिनकी आंतरिक संरचना में धूर्तता भरी हुई है और उनके दूसरे संघी साथी भी यह अच्छी तरह से जानते हैं कि जो आज हम अपने पूर्व के वरिष्ठ संघी साथियों को महानायक कहकर संबोधित कर रहे हैं हमारा उद्देश्य वर्तमान की युवा पीढ़ी और आने वाली पीढ़ियों को यह बताकर अपने आपको संघियों के अतीत को गौरवान्वित करके बताना है, ताकि वे संघियों के इतिहास की असलियत को न समझ पायें, और बताए गए मनगढ़ंत, काल्पनिक वक्तव्यों पर विश्वास करने के लिए बाध्य हों।

मूर्ख बहुजन समाज के नेता ऐसा देखकर अब समाज को क्या कहेंगे? बहुजन समाज के सामाजिक घटकों में नेता बनने की ललक और होड़ बहुत तीव्र गति से बढ़ रही है। शायद उनकी इस तीव्र गति को ऊर्जा मनुवादी संघियों से ही प्राप्त हो रही है। आज समाज का हर व्यक्ति नेता बनने की रेस में हैं। उन्हें यह भी नहीं समझ आ रहा है हमें क्या करना है? किधर जाना है, समाज की पीढ़ा और हालात के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। समाज ने अपने जिन राजनैतिक नेताओं पर भरोसा किया समाज ऐसे नेताओं से ठगा सा महसूस कर रहा है। इसका ज्वलंत उदाहरण आप सबके सामने हैं। देश की संसद में 131 सदस्य एससी/एसटी वर्ग से चुनकर बैठे हैं इनके अलावा पिछड़े व अल्पसंख्यक समुदाय से जीतकर आए संसद सदस्यों की संख्या 200 या इससे अधिक हो सकती है, परंतु देश में बढ़ती बेरोजगारी, स्वास्थ्य की समस्याओं से त्रस्त, महंगाई की मार से परेशान और अपनी बच्चों की उन्नत किस्म की शिक्षा दिलाने में असमर्थ दिख रहे लोगों को देखकर संसद में बैठ 200 से अधिक जनप्रतिनिधियों की आवाज मौन है। तो ये सब 200 से अधिक नेता बहुजन समाज के प्रतिनिधि कैसे कहे जा सकते हैं? देश में बहुजन समाज का राजनैतिक आरक्षण से गुलाम और दलाल मानसिकता के नेता ही पैदा हो रहे हैं। ऐसे नेता बहुजन समाज के किसी भी काम के नहीं है। इसलिए आने वाले समय में सबसे पहले बहुजन समाज मनुवादी पार्टियों द्वारा प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से थौंपे गए मनुवादी संस्कृति के लोगों को न अपना नेता माने और न उन्हें किसी भी चुनाव में आप अपना वोट दें। मान्यवर साहेब कांशीराम जी ने अपने संघर्ष के दौरान अपने समाज के लोगों को जागरूक करते हुए बताया था कि बने-बनाए नेताओं को हमें नहीं लेना है, हमें समाज से नए नेता पैदा करने है इसी के साथ उन्हें समाज को यह भी चेताया था कि पहले मनुवादियों के छलावे, झांसे में आकर पहले समाज बिकता है और फिर उनका नेता बिकता है। बहुजन स्वाभिमान संघ का आपसे निवेदन है कि आप समाज में न बिकने वाले नेता पैदा करें।

बहुजन समाज के मूर्खों को समझना होगा: देश के संघी प्रधानमंत्री मोदी लोगों को मूर्ख समझकर संघियों की छलावामयी नीति में उलझाने और फँसाने की कोशिश कर रहे हैं। देश के पहले गृहमंत्री बल्लभ भाई पटेल जिन्होंने गृहमंत्री रहते हुए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) को अपने आदेश से प्रतिबंधित किया था। चूंकि आरएसएस की गतिविधियां देश विरोधी थी और उनके द्वारा कहे जाने वाले महानायक सावरकर के मित्र नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या की थी। पूरा देश यह भी जनता है कि सरदार बल्लभ भाई पटेल का निधन 15 दिसम्बर 1950 को हो गया था। इस सत्य को जानकर भी मनुवादी संघी संस्कृति के लोग अपनी छलावामयी षड्यंत्रकारी नीति के तहत देश की जनता को बार-बार यह कहकर भ्रमित करने का प्रयास करते रहते हैं कि नेहरू की जगह पर सरदार बल्लभभाई पटेल को देश का प्रधानमंत्री होना चाहिए था। इन धूर्त संघियों से देश की जनता को पूछना चाहिए कि जब सरदार बल्लभभाई पटेल का निधन जब 15 दिसंबर 1950 को हो गया और लोकसभा का पहला आम चुनाव 1952 में हुआ तो सरदार बल्लभ भाई पटेल देश के पहले प्रधानमंत्री कैसे चुने जा सकते थे? मोदी के कथित महानायक संघी श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने मुस्लिम लीग के साथ मिलकर फजलूल हक के नेतृत्व में 1942 में बंगाल में सरकार बनाई थी और उस सरकार में वे खुद मंत्री बने थे। और वे बंगाल गवर्नर जॉन हरबर्ट को ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ को कुचलने के सुझाव दे रहे थे। इतिहास में इस चिट्ठी को ‘क्विट इंडिया सप्रेसन लैटर’ के नाम से जाना जाता है। दीनदयाल उपाध्याय जिनकों मोदी द्वारा आजाद भारत का नायक बताया जा रहा है उनका शव रेलवे ट्रेक पर मृत अवस्था में पाया गया था। जिसके बारे में कोई तथ्यात्मक साक्ष्य आजतक देश को नहीं बताए गए। परंतु दीनदायल उपाध्याय अटल बिहारी वाजपेयी के विरोधी माने जाते थे इसलिए उस समय के कुछेक लोग उनकी हत्या में वाजपेयी का हाथ होने का संदेह जताते हैं।

जम्मू कश्मीर में महबूबा मुफ़्ती के साथ तालमेल करके मोदी-शाह के निर्देशन में सरकार बनाई और लेकिन आतंकी गतिविधियां ज्यों की त्यों बनीं रही। मोदी-संघी प्रधानमंत्री देश से 370 हटाने का श्रेय लेने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन वे श्रेय लेने से पहले देश की जनता को यह बताएं कि आंशिक रूप से 370 की अवधारणा के बाद आतंकी गतिविधियां मोदी-शाह के नेतृत्व में क्या कम हुई हैं? इस संदर्भ में तथ्यात्मक सत्य यह है कि देश में जम्मू कश्मीर सहित आतंकवादी घटनाओं में इजाफा हुआ है। यह तथ्यात्मक सत्य है कि देश में जितने भी आतंकवादी हमले हुए हैं वे अधिकतर मोदी व अन्य संघियों के नेतृत्व की सरकार के दौरान ही हुए हैं। देश में जितने भी नफरती भाषण देने वाले, महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न करने वाले, दलितों और पिछड़ों के साथ मार-पीट और हत्या करने वालों में अधिकतर संघी मानसिकता के ही लोग पाये गए हैं। जिन्हें मोदी आज आजाद भारत के महानायक बता रहे हैं ये वही लोग हैं जो बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर के बनाए हुए संविधान को अंगीकृत नहीं कर रहे थे और दीनदायल उपाध्याय ने खुद कहा था कि अम्बेडकर द्वारा बनाए गए संविधान में कुछ भी भारतीय नहीं है इसलिए हम इसे नहीं मानते। दीनदयाल उपाध्याय और उनके संघी साथी बाबा साहेब द्वारा बनाए गए संविधान और उनके हिन्दू कोड बिल को लेकर पूरे देश में घूम-घूमकर उनके विरूद्ध प्रचार कर रहे थे और उनके पुतले जला रहे थे। बहजन समाज के अंधभक्तों अपनी आंखे खोलो, दिमाग की बत्ती जलाओ और समझों कि मोदी द्वारा बताए गए आजाद भारत के नायक बहुजन समाज के कितने हितैषी थे। ये सभी मोदी के कथित आजाद भारत के महानायक अम्बेडकरबाद के घोर विरोधी और दुशमन थे।

संघियों के उपरोक्त कृत्यों को देखकर लखनऊ में मोदी द्वारा अपने आजाद भारत में महानायकों का ऐलान करना एक छलावामयी, झूठ है। देश की जागरूक जनता को इसका संज्ञान लेना चाहिए और मोदी के वक्तव्यों पर बिलकुल भी विश्वास नहीं करना चाहिए। इसी मानसिकता के छलावामयी मोदी जैसे खलनायक ठग बहुजनों के अतीत को ध्वस्त करते आ रहे हैं। सभी को इस षड्यंत्र से सावधान रहना आवश्यक है।

Post Your Comment here.
Characters allowed :


01 जनवरी : मूलनिवासी शौर्य दिवस (भीमा कोरेगांव-पुणे) (1818)

01 जनवरी : राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले और राष्ट्रमाता सावित्री बाई फुले द्वारा प्रथम भारतीय पाठशाला प्रारंभ (1848)

01 जनवरी : बाबा साहेब अम्बेडकर द्वारा ‘द अनटचैबिल्स’ नामक पुस्तक का प्रकाशन (1948)

01 जनवरी : मण्डल आयोग का गठन (1979)

02 जनवरी : गुरु कबीर स्मृति दिवस (1476)

03 जनवरी : राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले जयंती दिवस (1831)

06 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. जयंती (1904)

08 जनवरी : विश्व बौद्ध ध्वज दिवस (1891)

09 जनवरी : प्रथम मुस्लिम महिला शिक्षिका फातिमा शेख जन्म दिवस (1831)

12 जनवरी : राजमाता जिजाऊ जयंती दिवस (1598)

12 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. स्मृति दिवस (1939)

12 जनवरी : उस्मानिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद ने बाबा साहेब को डी.लिट. की उपाधि प्रदान की (1953)

12 जनवरी : चंद्रिका प्रसाद जिज्ञासु परिनिर्वाण दिवस (1972)

13 जनवरी : तिलका मांझी शाहदत दिवस (1785)

14 जनवरी : सर मंगूराम मंगोलिया जन्म दिवस (1886)

15 जनवरी : बहन कुमारी मायावती जयंती दिवस (1956)

18 जनवरी : अब्दुल कय्यूम अंसारी स्मृति दिवस (1973)

18 जनवरी : बाबासाहेब द्वारा राणाडे, गांधी व जिन्ना पर प्रवचन (1943)

23 जनवरी : अहमदाबाद में डॉ. अम्बेडकर ने शांतिपूर्ण मार्च निकालकर सभा को संबोधित किया (1938)

24 जनवरी : राजर्षि छत्रपति साहूजी महाराज द्वारा प्राथमिक शिक्षा को मुफ्त व अनिवार्य करने का आदेश (1917)

24 जनवरी : कर्पूरी ठाकुर जयंती दिवस (1924)

26 जनवरी : गणतंत्र दिवस (1950)

27 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर का साउथ बरो कमीशन के सामने साक्षात्कार (1919)

29 जनवरी : महाप्राण जोगेन्द्रनाथ मण्डल जयंती दिवस (1904)

30 जनवरी : सत्यनारायण गोयनका का जन्मदिवस (1924)

31 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर द्वारा आंदोलन के मुखपत्र ‘‘मूकनायक’’ का प्रारम्भ (1920)

2024-01-13 16:38:05