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देश के पहले बौद्ध सीजेआई भूषण रामकृष्ण गवई

अंबेडकरवादी परिवार से निकलकर सुप्रीम कोर्ट की सबसे ऊंची कुर्सी तक का सफर
News

2025-05-17 15:50:11

न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने बुधवार को सुबह 10 बजे भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के रूप में शपथ ली। उन्होंने न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का स्थान लिया, जो 13 मई को सेवानिवृत्त हुए। न्यायमूर्ति गवई देश के सर्वोच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश बनने वाले पहले बौद्ध हैं। उनसे पहले न्यायमूर्ति के.जी. बालकृष्णन 2007 में पहले दलित मुख्य न्यायाधीश बने थे। न्यायमूर्ति गवई का कार्यकाल छह महीनों का होगा और वे नवंबर 2025 में सेवानिवृत्त होंगे।

आर्किटेक्ट बनना चाहते थे, बन गए जज

न्यायमूर्ति गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था। उन्होंने बी.कॉम की डिग्री लेने के बाद अमरावती विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की। कई लोग नहीं जानते कि न्यायमूर्ति गवई कभी वास्तुकार (आर्किटेक्ट) बनना चाहते थे, लेकिन अपने पिता की इच्छा के कारण उन्होंने वकालत का रास्ता चुना। उनके पिता रामकृष्ण सूर्यभान गवई एक प्रसिद्ध अंबेडकरवादी नेता और रिपब्लिकन पार्टी आॅफ इंडिया के संस्थापक में से एक थे।

रामकृष्ण गवई अमरावती से लोकसभा सांसद रहे और 2006 से 2011 के बीच बिहार, सिक्किम और केरल के राज्यपाल के रूप में कार्य किया। उनका निधन 2015 में हुआ, चार साल पहले जब उनके बेटे बी.आर. गवई सुप्रीम कोर्ट के जज बनाए गए।

वकालत से सर्वोच्च न्यायालय तक

न्यायमूर्ति गवई ने 16 मार्च 1985 को बार काउंसिल में पंजीकरण कराया और 1987 से 1990 तक बॉम्बे हाई कोर्ट में स्वतंत्र रूप से वकालत की। बाद में वे नागपुर बेंच में प्रैक्टिस करने लगे। 12 नवंबर 2005 को उन्हें बॉम्बे हाई कोर्ट का स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया। 24 मई 2019 को वे सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने। सुप्रीम कोर्ट में वे लगभग 700 बेंच का हिस्सा रहे और करीब 300 महत्वपूर्ण फैसले लिखे।

प्रमुख फैसले:

<न्यायमूर्ति गवई ने कई संवेदनशील और ऐतिहासिक मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई:

<नवंबर 2024 में, उन्होंने एक फैसले में कहा कि बिना उचित प्रक्रिया के संपत्तियों को गिराना कानून के शासन के खिलाफ है।

<वे उस संविधान पीठ का हिस्सा थे, जिसने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने को वैध ठहराया।

<फरवरी 2024 में, वे उस बेंच का हिस्सा थे, जिसने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया।

<उन्होंने यूएपीए और पीएमएलए जैसे सख्त कानूनों के तहत मनमानी गिरफ्तारी के खिलाफ प्रक्रियागत सुरक्षा की स्थापना की।

<एक महत्वपूर्ण फैसले में उन्होंने अनुसूचित जाति आरक्षण में उप-वर्गीकरण को वैध बताया और उसके विरोध की तुलना ऊँची जातियों द्वारा किए गए ऐतिहासिक भेदभाव से की।

<वे वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना मामले की सुनवाई करने वाली पीठ का हिस्सा भी रहे।

<इसके अलावा, उन्होंने 2016 की नोटबंदी को वैध ठहराने वाला बहुमत मत भी लिखा। राहुल गांधी के मामले में पारदर्शिता

जुलाई 2023 में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ चल रहे आपराधिक मानहानि मामले की सुनवाई करते समय, न्यायमूर्ति गवई ने पारदर्शिता दिखाते हुए अपने पारिवारिक राजनीतिक संबंधों का उल्लेख किया और खुद को इस मामले से अलग करने की पेशकश की।

उन्होंने कहा, हालांकि मेरे पिता कांग्रेस के सदस्य नहीं थे, लेकिन वे पार्टी के साथ करीब 40 वर्षों तक जुड़े रहे। मेरे भाई आज भी कांग्रेस से जुड़े हुए हैं।

सरकार ने उनकी अलग होने की पेशकश को स्वीकार नहीं किया और बेंच ने राहुल गांधी की सजा पर रोक लगा दी, जिससे उनकी लोकसभा सदस्यता बहाल हो सकी।

चुनौतियां और प्राथमिकताएं:

मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति गवई के सामने कई अहम चुनौतियां होंगी। वर्तमान में दो हाई कोर्ट के जज — न्यायमूर्ति शेखर यादव (इलाहाबाद हाई कोर्ट) और पूर्व न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा (दिल्ली हाई कोर्ट) — महाभियोग जैसी कार्यवाही का सामना कर रहे हैं।

न्यायमूर्ति गवई के कार्यकाल की शुरूआत में ही 15 मई को एक महत्वपूर्ण सुनवाई होनी है, जिसमें वक्फ अधिनियम में किए गए संशोधनों को चुनौती दी गई है।

न्यायमूर्ति गवई का मुख्य न्यायाधीश बनना भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में एक अहम मोड़ है, जो न केवल प्रतिनिधित्व की दृष्टि से बल्कि न्याय, समानता और संवैधानिक मूल्यों को सुदृढ़ करने के लिए भी महत्वपूर्ण है।

जस्टिस गवई का मानना है कि न्यायपालिका में विश्वास ही लोकतंत्र की नींव है। वे चाहते हैं कि न्याय हर उस जरूरतमंद तक पहुंचे, जो सामाजिक-आर्थिक पिरामिड के सबसे निचले पायदान पर है। सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स आॅन रिकॉर्ड एसोसिएशन के अध्यक्ष विपिन नायर कहते हैं, जस्टिस गवई के नेतृत्व में भारतीय संविधान के मूल्य न केवल सुरक्षित रहेंगे, बल्कि नई ऊंचाइयों को छूएंगे। गवई के सीजेआई बनने को लेकर बहुजन समुदाय हर्षित है क्योंकि सभी को विशवास है कि उनके छह महीने के कार्यकाल (23 नवंबर, 2025 तक) में भारतीय न्यायपालिका निश्चित रूप से नई मिसालें कायम करेगी।

तीस्ता सेटलवाड के लिए दौड़ पड़े जस्टिस गवई

जुलाई 2023 की एक शनिवार की रात, जब अधिकांश लोग अपने सप्ताहांत का आनंद ले रहे थे, जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई एक सांस्कृतिक कार्यक्रम से सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। मकसद? सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सेटलवाड को तत्काल गिरफ्तारी से बचाना। 2002 के गुजरात दंगों से जुड़े एक मामले में तीस्ता पर सबूतों के साथ छेड़छाड़ का आरोप था। जस्टिस गवई की अगुवाई वाली बेंच ने देर रात सुनवाई की और सवाल उठाया कि एक सामान्य अपराधी को भी अंतरिम राहत का अधिकार है, तो तीस्ता को क्यों नहीं? इस घटना ने जस्टिस गवई की मानवीय संवेदना और कानून के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता को उजागर किया।

जस्टिस गवई न केवल एक कठोर और निष्पक्ष न्यायाधीश हैं, बल्कि एक ऐसे इंसान भी हैं जो सामाजिक न्याय और मानवीय मूल्यों को गहराई से समझते हैं। मणिपुर में लंबे समय से चले आ रहे जातीय संघर्ष के पीड़ितों से मिलने के लिए वे स्वयं राहत शिविरों में गए। वहां उन्होंने पीड़ितों से बात की और उनकी तकलीफों को सुना, जिससे उनकी संवेदनशीलता और जमीनी स्तर पर जुड़ाव का पता चलता है।

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01 जनवरी : मूलनिवासी शौर्य दिवस (भीमा कोरेगांव-पुणे) (1818)

01 जनवरी : राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले और राष्ट्रमाता सावित्री बाई फुले द्वारा प्रथम भारतीय पाठशाला प्रारंभ (1848)

01 जनवरी : बाबा साहेब अम्बेडकर द्वारा ‘द अनटचैबिल्स’ नामक पुस्तक का प्रकाशन (1948)

01 जनवरी : मण्डल आयोग का गठन (1979)

02 जनवरी : गुरु कबीर स्मृति दिवस (1476)

03 जनवरी : राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले जयंती दिवस (1831)

06 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. जयंती (1904)

08 जनवरी : विश्व बौद्ध ध्वज दिवस (1891)

09 जनवरी : प्रथम मुस्लिम महिला शिक्षिका फातिमा शेख जन्म दिवस (1831)

12 जनवरी : राजमाता जिजाऊ जयंती दिवस (1598)

12 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. स्मृति दिवस (1939)

12 जनवरी : उस्मानिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद ने बाबा साहेब को डी.लिट. की उपाधि प्रदान की (1953)

12 जनवरी : चंद्रिका प्रसाद जिज्ञासु परिनिर्वाण दिवस (1972)

13 जनवरी : तिलका मांझी शाहदत दिवस (1785)

14 जनवरी : सर मंगूराम मंगोलिया जन्म दिवस (1886)

15 जनवरी : बहन कुमारी मायावती जयंती दिवस (1956)

18 जनवरी : अब्दुल कय्यूम अंसारी स्मृति दिवस (1973)

18 जनवरी : बाबासाहेब द्वारा राणाडे, गांधी व जिन्ना पर प्रवचन (1943)

23 जनवरी : अहमदाबाद में डॉ. अम्बेडकर ने शांतिपूर्ण मार्च निकालकर सभा को संबोधित किया (1938)

24 जनवरी : राजर्षि छत्रपति साहूजी महाराज द्वारा प्राथमिक शिक्षा को मुफ्त व अनिवार्य करने का आदेश (1917)

24 जनवरी : कर्पूरी ठाकुर जयंती दिवस (1924)

26 जनवरी : गणतंत्र दिवस (1950)

27 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर का साउथ बरो कमीशन के सामने साक्षात्कार (1919)

29 जनवरी : महाप्राण जोगेन्द्रनाथ मण्डल जयंती दिवस (1904)

30 जनवरी : सत्यनारायण गोयनका का जन्मदिवस (1924)

31 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर द्वारा आंदोलन के मुखपत्र ‘‘मूकनायक’’ का प्रारम्भ (1920)

2024-01-13 16:38:05