2022-08-23 09:35:31
लखनऊ। बांदा दलित परिवार से मारपीट के पांच दोषियों को 23 साल बाद छह-छह हजार रुपए जुमार्ने की सजा सुनाई गई। दौरान मुकदमा पांच नामजद की मौत हो गई थी। विशेष अभियोजक विमल सिंह, महेंद्र कुमार द्विवेदी, सहायक शासकीय अधिवक्ता जावत्री विश्वकर्मा और शिवकुमार बुलेट ने बताया कि बिसंडा थानाक्षेत्र के अलिहा गांव निवासी फकीरा पुत्र बंधना रैदास ने 14 जुलाई 1999 को रिपोर्ट दर्ज कराई थी। आरोप था कि 13 जुलाई की शाम छह बजे कालका पंडित के दरवाजे पर बैठा था। तभी गांव के चंद्रपाल, मुसवा, देवी सिंह, रामदीन, चुनबाद सिंह, फकीरा सिंह, बिल्ला सिंह, राम सिंह, बाबू सिंह और शिवराम पहुंचे। सभी ने एकराय होकर गालीगलौज करते हुए मारापीटा। लड़का रामबहोरी और बहू बिसनिया को भी मारापीटा। मामले की सुनवाई विशेष न्यायाधीश एससी-एसटी मोहम्मद कमरुज्जमां खान की अदालत में चल रही थी। दौरान मुकदमा रामदीन, चुनबाद सिंह, फकीरा सिंह, बिल्ला सिंह और रामसिंह की मौत हो गई। मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन की ओर से चार गवाह पेश किए गए। पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों के अवलोकन और दोनों पक्ष के अधिवक्ताओं की दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश ने चंद्रपाल, मुसवां, देवीसिंह, बाबू सिंह और शिवराम को दोषी करार देते हुए छह-छह हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।
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