2025-09-20 18:15:16
नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कथित वोट चोरी को लेकर शुक्रवार को एक बार फिर चुनाव आयोग पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि चुनाव का चौकीदार जागता रहा, चोरी देखता रहा और चोरों को बचाता रहा। राहुल गांधी ने मतदाता सूची से नाम कथित तौर पर नाम हटाए जाने से संबंधित अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस का एक छोटा वीडियो एक्स पर शेयर। राहुल गांधी ने दावा किया है कि जिन लोगों के नाम का इस्तेमाल कर वोट हटाए गए उन्हें यह पता ही नहीं था और सुबह चार बजे भी नाम हटाने के लिए आॅनलाइन आवेदन किए गए।
कांग्रेस नेता ने शुक्रवार को एक्स पर पोस्ट किया, सुबह चार बजे उठो, 36 सेकंड में दो वोटर मिटाओ, फिर सो जाओ। ऐसे भी हुई वोट चोरी। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव का चौकीदार जागता रहा, चोरी देखता रहा और चोरों को बचाता रहा।
वहीं इससे पहले 18 सितंबर को नई दिल्ली स्थित इंदिरा भवन में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने को एक विशेष प्रेस कॉन्फ्रेंस की। 44 मिनट 25 सेकंड की इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने ‘वोट चोरी फैक्ट्री’ को मतदाता सूची में हेराफेरी करने का एक परिष्कृत और केंद्रीकृत तरीका बताया।
उन्होंने कर्नाटक के आलंद निर्वाचन क्षेत्र में कथित वोट चोरी की घटना का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि कर्नाटक के आलंद निर्वाचन क्षेत्र में 6,018 वोट डिलीट किए गए पाए गए। गांधी ने कहा कि वह व्यक्ति संयोगवश पकड़ा गया। एक बूथ लेवल अफसर ने देखा कि उसके अपने चाचा का वोट डिलीट कर दिया गया था।
उन्होंने आगे बताया कि जब बीएलओ ने जांच की कि मतदाता को किसने डिलीट किया, तो पता चला कि वह पड़ोसी था। हालांकि, वह पड़ोसी नहीं था। जिस व्यक्ति का नाम डिलीट किया गया और जिस व्यक्ति के नाम का इस्तेमाल वोटर डिलीट करने के लिए किया गया, दोनों को इस घटना की जानकारी नहीं थी। उन्होंने आरोप लगाया कि असली अपराधी एक अलग ताकत थी जिसने ‘पूरी प्रक्रिया को हाईजैक’ किया और ‘वोटरों को डिलीट करने वाले सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया।’ यह कोई मानवीय अपराध नहीं था, बल्कि एक व्यवस्था का अपराध था, चुनावों को चुराने का एक केंद्रीकृत आपराधिक अभियान’।
मोडस ओपेरेंडी: फर्जी लॉगिन और हाईजैक आइडेंटिटीज
अपराधियों की मोडस ओपेरेंडी बेहद शातिर तरीके वाली थी। राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सबूत पेश किए कि गोदाबाई नाम की एक 63 वर्षीय महिला के नाम से एक फर्जी लॉगिन बनाया गया था और उसका इस्तेमाल कर्नाटक के अलंद में 12 मतदाताओं के नाम हटाने के लिए किया गया था। जब गांधी की टीम ने जांच की तो उन्होंने दावा किया कि उन्होंने किसी भी मतदाता को हटाने के लिए कोई आवेदन नहीं किया था।
धोखाधड़ी के सबूत
आलंद निर्वाचन क्षेत्र पर अपने आरोपों के समर्थन में, राहुल गांधी ने कथित धोखाधड़ी कैसे हुई, यह दिखाने के लिए पांच प्रमुख साक्ष्य प्रस्तुत किए:
1. फर्जी लॉगिन और इंप्रेशन (गलत पहचान): गोदाबाई नाम की एक 63 वर्षीय महिला के नाम पर कथित तौर पर फर्जी लॉगिन बनाए गए ताकि 12 मतदाताओं के नाम हटाए जा सकें। राहुल गांधी की टीम ने पाया कि गोदाबाई ने ऐसा कोई आवेदन ही नहीं किया था। 12 पड़ोसियों के नाम हटाने के लिए अलग-अलग राज्यों के मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल करके धोखाधड़ी का और सबूत मिला।
2. बड़े पैमाने पर नाम हटाने के लिए पहचान का दुरुपयोग: 67 वर्षीय सेवानिवृत्त कॉलेज प्रिंसिपल सूर्यकांत गोविंद की पहचान कथित तौर पर हाइजैक कर ली गई। उनके पहचान पत्रों का इस्तेमाल मतदाताओं के नाम हटाने के लिए नौ आवेदन दाखिल करने में किया गया, जबकि उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी।
इन आवेदनों का इस्तेमाल सिर्फ 14 मिनट में 12 मतदाताओं के नाम हटाने के लिए किया गया।
3. मानव क्षमता से परे तेज आवेदन की प्रक्रिया: प्रेस कॉन्फ्रेंस में दो आवेदनों को केवल 36 सेकंड के भीतर दाखिल और प्रस्तुत किए जाने के प्रमाण दिखाए गए, जिसे मानवीय रूप से असंभव बताया गया। यह व्यक्तिगत मानवीय कार्रवाई के बजाय एक स्वचालित कार्यक्रम के इस्तेमाल की ओर इशारा करता है।
4. आॅटोमेटेड प्रोग्राम टार्गेट्स: यह आरोप लगाया गया कि अपराधियों ने एक आॅटोमेटेड प्रोग्राम का इस्तेमाल किया जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि किसी भी मतदान केंद्र का पहला मतदाता हमेशा आवेदक ही होगा। स्थानीय सूची में पहले या दूसरे मतदाता के क्रेडेंशियल्स का इस्तेमाल करके दूसरों के लिए नाम हटाने का अनुरोध करने के इस पैटर्न को एक परिष्कृत, स्वचालित आॅपरेशन के स्पष्ट संकेत के रूप में प्रस्तुत किया गया।
5. मजबूत क्षेत्रों में जानबूझकर हटाने की प्रक्रिया: ये डिलिशन रैंडम नहीं थे। प्रस्तुत साक्ष्यों से पता चला कि यह एक सुनियोजित अभियान था जिसमें कांग्रेस के मजबूत बूथों से निशाना बनाकर हटाया गया था। यह भी ध्यान देने वाली बात है कि सबसे ज्यादा हटाने वाले शीर्ष 10 बूथ कांग्रेस के गढ़ थे, जहां पार्टी ने 2018 के चुनावों में 10 में से 8 बूथ जीते थे।
इस सबूत के आधार पर, राहुल गांधी ने जोर देकर कहा, इस बात के निर्विवाद प्रमाण हैं कि मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार वोट चोरी को संरक्षण दे रहे हैं।
राहुल गांधी ने खुलासा किया कि कथित धोखाधड़ी की कर्नाटक आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) द्वारा की जा रही जांच रुकी हुई है। प्रस्तुत समय-सीमा से पता चलता है कि सीआईडी द्वारा भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) को लगातार भेजे गए अनुरोधों का एक पैटर्न है, जिनका कथित तौर पर कोई जवाब नहीं दिया गया है।
फरवरी 2023: धोखाधड़ी वाले आवेदनों का पता चलने के बाद एक प्राथमिकी दर्ज की गई।
मार्च 2023: कर्नाटक सीआईडी ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर अपनी जांच को आगे बढ़ाने के लिए आवेदनों से संबंधित सभी विवरण मांगे।
अगस्त 2023: चुनाव आयोग ने पोर्टल की केवल आंशिक जानकारी दी, जिसमें 200 से ज्यादा उपयोगकतार्ओं से जुड़े डायनेमिक आईपी एड्रेस शामिल थे, जिससे सीआईडी के लिए यह एक असंभव काम रह गया।
जनवरी 2024 से अब तक: कर्नाटक चुनाव आयोग बार-बार चुनाव आयोग से पूरी जानकारी मांग रहा है, जिसमें दोषियों की पहचान के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण डेस्टिनेशन आईपी और डेस्टिनेशन पोर्ट डिटेल्स शामिल हैं। राहुल गांधी ने कहा कि कर्नाटक सीआईडी ने चुनाव आयोग को कुल 18 पत्र भेजे हैं, लेकिन चुनाव आयोग ने कोई जवाब नहीं दिया है, जिससे जांच प्रभावी रूप से बाधित हो गई है।
वोट चोरी फैक्टरी: बहु-राज्यीय घोटाला
आलंद मामले के अलावा, राहुल गांधी ने महाराष्ट्र के राजुरा विधानसभा में हुए एक ऐसे ही घोटाले का जिक्र करते हुए इसे राजुरा विधानसभा का वही घोटाला बताया। उन्होंने कहा कि जहां आलंद मामले में हटाने पर जोर दिया गया था, वहीं राजुरा घोटाले में जोड़ने की बात थी। प्रेस कॉन्फ्रेंस में राजुरा में फ्रजी नाम, फर्जी पते का इस्तेमाल करके 6850 फर्जी आॅनलाइन जोड़ का जिक्र किया गया। इसे इस बात के सबूत के तौर पर पेश किया गया कि एक ही वोट चोरी फैक्टरी अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग हथकंडों से काम कर रही थी।
चुनाव आयोग पर राहुल गांधी के आरोप
मीडिया को संबोधित करते हुए, राहुल गांधी ने आलंद से इस घटना की जानकारी दी।
उन्होंने आरोप लगाया कि जो मतदाता को हटा रहा है और जिसका नाम काटा जा रहा है, दोनों को ही इसकी जानकारी नहीं है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि बाहरी राज्यों के मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल और चुनाव आयोग की ओर से कोई प्रतिक्रिया न मिलना एक समन्वित प्रयास साबित होता है। उन्होंने आगे आरोप लगाया कि मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार वोटचोरों (चोरी करने वालों) को संरक्षण दे रहे हैं और भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त उन लोगों को संरक्षण दे रहे हैं जिन्होंने भारतीय लोकतंत्र को नष्ट किया है।
क्या कभी किसी चोर ने चोरी करके कहा है कि चोरी मैंने की है?
हमारे विचार से ऐसा आजतक कभी भी नहीं हुआ है। संघी मानसिकता के चोर तो शातिर चोर हैं वो ऐसा कभी भी नहीं कह सकते, वे हमेशा जमीन के 6 इंच नीचे रहकर ही वार करते हैं ताकि जनता को पता न लगे। वोट चोरी का मुद्दा तो जनता के सामने स्पष्ट है। इसके अलावा देश की जनता के सामने दूसरे मुद्दे भी हैं जो मोदी की कार्यशैली को संदिग्ध बनाते हैं जैसे- वोट चोरी पर प्रतिक्रिया चुनाव आयोग को देनी चाहिए लेकिन चुनाव आयोग सामने आकर जनता को तर्कपूर्ण सफाई नहीं देता, बल्कि भाजपा-संघियों के लफरझंटिश जनता के सामने आकर चुनाव आयोग की तरफ से सफाई देने लगते हैं। भाजपा-संघियों ने जनता को मूर्ख बनाने के लिए आम चलन बना लिया है कि देश की जनता से जुड़ा मुद्दा कितना भी अहम क्यों न हो, उसे दूसरी तरफ मोड़ने का प्रयास करो ताकी लोग असली मुद्दे पर पहुंच ही ना पायें और उसपर अपनी प्रतिक्रिया भी ना दे पायें।
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