2025-10-11 17:42:08
संवाददाता
नई दिल्ली। वर्तमान खबरों से पता चल रहा है कि बहन जी कांग्रेस और सपा पर गरम और मोदी-योगी और संघ पर नरम रुख दिखा रही हैं। यह क्या दर्शाता है? बहन मायावती जी का यह बयान दर्शा रहा है कि अब वह बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर व मान्यवर कांशीराम जी की विचारधारा पर न चलकर मोदी-संघी विचारधारा के अनुसार कदम ताल कर रही हंै। उनके भाषण में देखा गया कि उन्होंने योगी सरकार का आभार जताया जिनके शासन काल में यूपी में महिलाओं, दलितों व मुस्लिमों के ऊपर बेतहाशा अत्याचार की घटनाएँ हुई है। हाल ही कि एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार महिला और दलितों पर हो रहे अत्याचारों के मामले में यूपी देश का नबंर-1 राज्य बन चुका है, तो बहन जी को बताना चाहिए कि वह किस मुंह और मानवता के आधार पर योगी सरकार का आभार जता रही है?
अखिलेश पर साधा निशाना: संसार में कभी भी कुछ भी हमेशा सार्थक नहीं रहता, विशेषकर राजनीतिक क्षेत्र में बदलाव उस वक्त की जनता की सोच के आधार पर होते रहते हैं और उस समय के नेता भी जनता की सोच के अनुसार बदलते रहते हैं। यह सत्य है कि अखिलेश यादव और उनके पिता मुलायम सिंह यादव एक सामंतवादी विचारधारा के व्यक्ति रहे हैं। जिनकी बुनियादी सोच में बहुजन समाज के नायक और नायिकाओं की शिक्षा का प्रभाव नगण्य था। देश का पूरा यादव समाज ब्राह्मणवादी मानसिकता से संक्रमित था और उसके अनुसार ही उनके पूरे समाज का आचरण रहा। अखिलेश यादव भी उसी सामाजिक परिवेश में पले और बढ़े, जिसका असर अखिलेश यादव के वक्तव्य पर भी पड़ा। अखिलेश यादव के आसपास उनके परिवार के अन्य सदस्यों की मानसिकता भी सामंतवादी विचारधारा की रही है। यादव समाज के अधिकांश लोग आज भी अपने आपको सवर्ण समाज में ही मानते हैं जबकि ब्राह्मणी वर्गीकरण के अनुसार वे शूद्र वर्ग में आते हैं। बहन मायावती जी का देश की राजनीति और परिस्थिति के मुताबिक दिया गया बयान आज की राजनीतिक परिस्थितियों और सामाजिक सोच से मेल नहीं खाता। बहन जी को एक सशक्त राजनीतिक नेता होने के साथ-साथ अपने समाज और अपने जैसे दूसरे समाजों की सोच और उनके द्वारा किये जा रहे विचार-विमर्श पर भी ध्यान देकर एक अच्छा विचारक भी बनना चाहिए। बिना खुद के विचारक बने, अंधभक्तों के सहारे आपकी राजनीति कब तक आपको सत्ता में लाती रहेगी। यह प्रश्न आज बहुजन समाज के शिक्षित व जागरूक लोगों के सामने गंभीरता से खड़ा है, जिसपर बहन जी का कोई ध्यान नहीं है। राजनीतिक सोच, समझ और बयानबाजी हमेशा वर्तमान की समस्याओं और उससे जुड़े समाधानों के आधार पर होनी चाहिए।
छोटी-छोटी सभाएं करें समर्थक: बसपा के सभी समर्थक मान्यवर साहेब कांशीराम जी के मार्गदर्शक में बसपा के समर्थक बने हैं और उन्हें अच्छी तरह से पता है कि बहन जी को सत्ता में लाने के लिए क्या करना चाहिए? बहन जी जो उनको ज्ञान दे रही है उन्हें वह आज पर्याप्त नहीं लग रहा है और न वे आज बहन जी के कार्यकलापों को देखकर बहन जी के प्रति वैसा विश्वास और समर्थन नहीं देना चाह रहे है जैसा उन्होंने मान्यवर साहेब कांशीराम जी के समर्थन में चलकर सीखा और किया था।
गठबंधन होने पर अन्य दलों का सहयोगी वोट नहीं मिलता: बहन जी का यह ब्यान सत्यता से परे है चूंकि बसपा का गठबंधन जब 2019 में सपा के साथ था तब लोकसभा में बसपा से 10 सांसद जीतकर आए थे और सपा के केवल 5, यही गठबंधन अगर निर्बाध गति से चलता रहता तो 2024 के लोकसभा चुनाव में बसपा को करीब 50 या उससे अधिक लोकसभा सीटों पर जीत हासिल होती। बहन जी को विधान सभा और लोकसभा में अपने प्रतिनिधियों की संख्या बढ़ाने के लिए इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि जो आपका (बसपा का) कोर वोटर है, वह क्या चाहता है, और आपसे उसकी क्या अपेक्षाएँ हैं? बहन जी हमेशा इस तरह की सोच पर कोई ध्यान नहीं देती है और न जरूरी समझती है। उसी का परिणाम है कि आज उत्तर प्रदेश की विधान सभा में बसपा का केवल एकमात्र सदस्य है वह भी वैचारिक रूप से बसपा के साथ नहीं है। लोकसभा में बसपा की नुमाइंदगी मनुवादी संघियों को छिपे ढंग से जनता को न दिखने वाला समर्थन देने के कारण शून्य है।
बिकाऊ लोगों को खरीदकर बसपा को किया जा रहा कमजोर: बसपा के समर्थक आज पूरी तरह से सशक्त हंै वे अपने बुद्धि बल के अनुसार हर तथ्य का आंकलन भी करते हैं और उसी के अनुसार फैसले भी लेते हैं। बहन जी का बयान बसपा के समर्थकों की सोच से परे हैं। बसपा को कमजोर करने का अगर कोई काम कर रहा है तो उनमें सबसे पहला नंबर बहन जी का है, दूसरा नंबर उनके दरवाजे पर बैठे राजनीतिक दलालों का है और तीसरे नंबर पर बसपा से जुड़े अंधभक्तों का है। अंधभक्त तो हमेशा अंधभक्त ही होते हैं और वे मूर्खों की श्रेणी में आते हैं। लेकिन पहले व दूसरे नंबर पर बैठे लोग धूर्तों की श्रेणी में आते हैं जो बसपा को ज्यादा नुकसान पहुंचा रहे हैं।
भाजपा-कांग्रेस ने बसपा की छवि धूमिल करने का प्रयास किया: बसपा की छवि धूमिल करने का श्रेय बहन जी के दरवाजे पर बैठे राजनैतिक दलालों को जाता है। साथ ही बहन जी का आमजन के मुद्दों को लेकर सड़क पर न उतरना है। उन्होंने रैली में कहा कि बसपा सरकार के दौरान सर्वजन हिताय और सर्वजन हिताय की सत्ता की गई, जिससे प्रदेश की सभी जनता खुश है। बहन जी का ऐसा कहना बिल्कुल निराधार है। सर्वजन सुखाय और सर्वजन हिताय की नीति ने बीएसपी से जुड़े लोगों को हताश और निराश किया है और उनकी इसी नीति के कारण बसपा का मत प्रतिशत पिछले सभी चुनावों में गिरा है। बहन जी को इससे सबक लेना चाहिए था लेकिन बहन जी की धूर्तता के कारण उन्होंने इसका आंकलन ही नहीं किया।
बसपा सरकार में मिलेगा सभी को आरक्षण: आरक्षण मिलना बहुजन समाज के लिए कोई भीख नहीं है और न यह किसी सरकार द्वारा चलाये जा रहे छलावों से निरस्त होने वाला है। बहन जी ने 2027 में बसपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का आव्हान किया, आकाश आनंद को इसका नेता बताया। बहन जी को बहुजन समाज बता देना चाहता है कि समाज को वे मूर्ख न समझें अब समाज के जागरूक लोग आपके किसी छलावे में फँसने वाले नहीं है। वे सब अब अपनी बुद्धि की कसौटी पर स्थिति का जायजा लेकर वोट देने का फैसला करेंगे। वह आपके द्वारा परोक्ष रूप से मनुवादी-संघियों को फायदा पहुँचाने वाले रास्ते पर आपके कहने के अनुसार नहीं चलेंगे। चूंकि अब उन्होंने पिछले चुनावों के परिणामों को देखकर आंकलन कर लिया है कि बहन जी छिपे ढंग से किसको फायदा पहुंचा रही है।
पैसे मांगकर बहन जी को सुनने पहुंचे समर्थक: यह बात बिलकुल सत्य है कि जो भी व्यक्ति बहन जी की रैली में लखनऊ पहुंचे वे अपने व्यक्तिगत खर्च और श्रम शक्ति से ही पहुंचे। चूंकि उन्हें अभी भी बहन जी से कुछ आशाएँ थी, रैली में जाकर उनकी सभी आशाएँ निराशा में बदल गई और उन सभी ने फैसला किया कि बहन जी मनुवादी संघियों के जाल में इतनी फंस चुकी हैं कि अब वे इससे बाहर निकलने और सुधरने असक्षम हैं।
इन्कम टैक्स व सीबीआई लगाई गई बसपा के पीछे: इस बात में सत्यता हो सकती है चूंकि आम जनता को इस सत्यता का ज्ञान नहीं है, हर सरकार सीबीआई और इन्कम टैक्स को विरोधियों के पीछे लगाकर डर पैदा करती आ रही है। बहन जी को इसे लेकर साक्ष्यों के साथ अपने समर्थकों के सामने आना चाहिए कोरी बयानबाजी से काम चलने वाला नहीं। अगर बहन जी को कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ा है तो वह उनका व्यक्तिगत स्वार्थ हो सकता है।
ईवीएम पर सवाल: बहन जी ने कहा कि विरोधी पार्टियां बीएसपी को कमजोर करने के लिए दलित समाज के बिकाऊ और कमजोर लोगों को आगे कर रही हैं और बसपा का वोट कटवा रही हैं। बहन जी को बहुजन समाज आगाह करना चाहता है कि मनुवादी संघियों की सरकारें इस काम में सबसे ज्यादा दक्ष है और बीएसपी के साथ हो रहा है तो फिर मनुवादियों का ही हाथ होगा? ईवीएम के सवाल को लेकर आपको सड़कों पर उतरना चाहिए मगर आप जनता की अदालत में न जाकर अपने आप खाली बयानबाजी कर रही है, जिसका लोकतंत्र में कोई मूल्य नहीं होता।
अकेले दम पर लडेंगे चुनाव: बहन जी यह आपका फैसला है आप जाने, लेकिन बहुजन समाज की जागरूक जनता के हिसाब से आपका यह फैसला मूर्खता भरा होगा।
सत्ता में रहे या ना रहे समर्थन बहन जी का ही करेंगे: देश के राजनैतिक दलों में अंधभक्त अपेक्षाकृत बसपा और भाजपा में ही है। इस तहत के अंधभक्त यह बताने के लिए पर्याप्त है कि मोदी की भाजपा और बहन जी की बसपा में अतार्किक व अवैज्ञानिक व्यक्तियों की अधिकता है। जिसके कारण समाज को ऐसी सोच रखने वालों से कोई फायदा नहीं होता।
राहुल गांधी पर कसा तंज: बहन जी ने राहुल गांधी पर तंज कसा की वह हाथ में संविधान लेकर नाटक कर रहे हैं। संविधान 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा भारत के राष्ट्रपति को सौंपा गया उस वक्त और उसके कुछ वर्षों बाद भी संघी मानसिकता के ब्राह्मणवादी लोग देशभर में बाबा साहेब के पुतलों को फूँक रहे थे, संविधान की कॉपी जला रहे थे और साथ में उस वक्त के सभी पाखंडी कथित साधू संत हर मंच से संविधान को कोस रहे थे। यह आप कभी भी अपने समर्थकों को क्यों नहीं बताती? इस पर भी अपने समर्थकों को कुछ न कुछ ज्ञान जरूर बांटे।
कांग्रेस ने अम्बेडकरवाद को संसद पहुँचने से रोका: यह तथ्यात्मक रूप से सत्य है लेकिन आज की वर्तमान सामाजिक परिस्थिति में आपकी ये सभी बातें अप्रासांगिक हो चुकी है। आप जनता को मूर्ख न समझें चूंकि अब आप बहुजन समाज की नेता नहीं बल्कि मनुवादी संघियों की मानसिक गुलाम बन चुकी है। बहुजन समाज को आपकी सोच और दृष्टिकोण को देखकर अपने ऊपर शर्म आने लगी है चूंकि अब आप सर्वजन समाज की बात करती है जो बहुजन समाज के नायक और नायिकाओं की सोच और शिक्षा से मेल नहीं खाता। बीएसपी को खड़ा करने में मान्यवर साहेब कांशीराम जी के साथ देश के हजारों बहुजन कार्यकर्त्ताओं, विचारकों, बौद्धिक, आर्थिक बल व समर्पण लगा हुआ है। इसलिए बहुजन समाज के मूवमेंट को जिंदा रखने व मान्यवर साहेब कांशीराम जी की विचारधारा को जिंदा रखने के लिए अब किसी निष्पक्ष, ईमानदार, पूर्ण रूप से अम्बेडकरवाद के लिए समर्पित निष्ठवान व्यक्ति को आगे आने दीजिये। बसपा किसी एक व्यक्ति की बपौती नहीं है इसलिए अब आप इसे छोड़िए और किसी अन्य कर्मठ नेता को आगे आने दीजिये।
बहन जी ने अगर स्वार्थ और परिवारवादी राजनीति में अपनी दिलचस्पी नहीं जताई होती तो आज भारत की राजनीति में उनका कद सभी राजनेताओं से ऊंचा होता! शायद आज आयरन लेडी इंदिरा गांधी की तरह ही उन्हें भी ‘आयरन लेडी’ तथा भारत की सर्वोच्च बहुजन नेता कहा जाता।
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