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आर्टिकल 370 को हटाने पर सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी, कहा

अगर संवैधानिक उल्लंघन हुआ है तो हम निश्चित हस्तक्षेप करेंगे
News

2023-08-19 11:30:30

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले के खिलाफ दायर की गई याचिकाओं पर लगातार सुनवाई चल रही है। इसी कड़ी में गुरुवार को भी सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 निरस्त करने में अगर कोई संवैधानिक उल्लंघन हुआ है तो अदालत के पास इसकी समीक्षा का अधिकार है। इसके अलावा संविधान पीठ ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि मामले में केंद्र सरकार के विवेक की न्यायिक समीक्षा नहीं हो सकती है।

सुनवाई के दौरान सीजआई के नेतृत्व में बनी संविधान पीठ ने गुरुवार को याचिकाकतार्ओं में से एक का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे से पूछा, क्या आप अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के सरकार के फैसले की समझदारी की समीक्षा करने के लिए अदालत को आमांत्रित कर रहे हैं? आप कह रहे हैं कि सरकार के फैसले के आधार का पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए कि अनुच्छेद 370 को जारी रखना राष्ट्रीय हित में नहीं था?

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की संविधान पीठ आर्टिकल 370 पर सुनवाई कर रही है। इस बेंच के सामने अपनी दलील रखते हुए सीनियर एडवोकेट राजीव धवन ने कहा, राज्यों की स्वायत्तता हमारे संविधान के लिए मौलिक है। उन्होंने कहा कि ये विशेष प्रावधान सिर्फ जम्मू-कश्मीर के लिए नहीं है, बल्कि कई दूसरे राज्यों के पास भी ये अधिकार है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की बेंच को बताया कि इस मामले में राज्यपाल की रिपोर्ट भी संसद के सामने पेश नहीं की गई, संसद और लोगों के सामने इसका खुलासा जरूरी था। इसीलिए राष्ट्रपति शासन की पूरी प्रक्रिया की जांच होनी चाहिए।

सीजेआई ने दिया जवाब

इस पर भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि राष्ट्रपति को आर्टिकल 356 के तहत संविधान के कुछ प्रावधानों को निलंबित करने की शक्ति है। बेंच ने कहा कि जनवरी 1957 में जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा भंग होने के बाद अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के प्रावधान को अकेले अस्तित्वहीन नहीं माना जा सकता है। आर्टिकल 370 के कुछ हिस्से अगले 62 सालों तक प्रभाव में रहे। याचिकाकतार्ओं में से एक रिफत आरा बट की तरफ से पेश हुए सीनयर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने इस दौरान तर्क दिया कि जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा ने जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति को खत्म करने के बजाय अनुच्छेद 370 को जारी रखने का फैसला किया था, इसके बाद प्रावधान को किसी भी बाद के अधिनियम के जरिए निरस्त नहीं किया जा सकता है।

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01 जनवरी : मूलनिवासी शौर्य दिवस (भीमा कोरेगांव-पुणे) (1818)

01 जनवरी : राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले और राष्ट्रमाता सावित्री बाई फुले द्वारा प्रथम भारतीय पाठशाला प्रारंभ (1848)

01 जनवरी : बाबा साहेब अम्बेडकर द्वारा ‘द अनटचैबिल्स’ नामक पुस्तक का प्रकाशन (1948)

01 जनवरी : मण्डल आयोग का गठन (1979)

02 जनवरी : गुरु कबीर स्मृति दिवस (1476)

03 जनवरी : राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले जयंती दिवस (1831)

06 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. जयंती (1904)

08 जनवरी : विश्व बौद्ध ध्वज दिवस (1891)

09 जनवरी : प्रथम मुस्लिम महिला शिक्षिका फातिमा शेख जन्म दिवस (1831)

12 जनवरी : राजमाता जिजाऊ जयंती दिवस (1598)

12 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. स्मृति दिवस (1939)

12 जनवरी : उस्मानिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद ने बाबा साहेब को डी.लिट. की उपाधि प्रदान की (1953)

12 जनवरी : चंद्रिका प्रसाद जिज्ञासु परिनिर्वाण दिवस (1972)

13 जनवरी : तिलका मांझी शाहदत दिवस (1785)

14 जनवरी : सर मंगूराम मंगोलिया जन्म दिवस (1886)

15 जनवरी : बहन कुमारी मायावती जयंती दिवस (1956)

18 जनवरी : अब्दुल कय्यूम अंसारी स्मृति दिवस (1973)

18 जनवरी : बाबासाहेब द्वारा राणाडे, गांधी व जिन्ना पर प्रवचन (1943)

23 जनवरी : अहमदाबाद में डॉ. अम्बेडकर ने शांतिपूर्ण मार्च निकालकर सभा को संबोधित किया (1938)

24 जनवरी : राजर्षि छत्रपति साहूजी महाराज द्वारा प्राथमिक शिक्षा को मुफ्त व अनिवार्य करने का आदेश (1917)

24 जनवरी : कर्पूरी ठाकुर जयंती दिवस (1924)

26 जनवरी : गणतंत्र दिवस (1950)

27 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर का साउथ बरो कमीशन के सामने साक्षात्कार (1919)

29 जनवरी : महाप्राण जोगेन्द्रनाथ मण्डल जयंती दिवस (1904)

30 जनवरी : सत्यनारायण गोयनका का जन्मदिवस (1924)

31 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर द्वारा आंदोलन के मुखपत्र ‘‘मूकनायक’’ का प्रारम्भ (1920)

2024-01-13 11:08:05