2023-12-16 11:52:51
बसपा सुप्रीमो मायावती द्वारा भतीजे आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी बनाने के विरूध तो हमारी कोई टिप्पणी नहीं है। परंतु बहन जी द्वारा जो तरीका अपनाया गया वह निश्चित तौर पर अशिष्टि है जिससे जनता में सही संदेश नहीं पहुंच रहा है। अच्छा होता अगर आकाश आनंद को उत्तराधिकारी बनाने का प्रस्ताव जनता के माध्यम से बहन जी के पास आता और उसपर देश की वर्तमान राजनीति को बीच में रखकर विचार-विमर्श किया जाता और फिर उसके अनुसार फैसला लिया जाता। हर राजनीतिक पार्टी जनता की पार्टी होती है।
जनता की सोच, समझ से ही उसे आगे बढ़ना चाहिए तभी पार्टी में तर्क संगत निर्णय लेने में सुविधा होती है और जनता का भरोसा भी बढ़ता है। एकांकी नाटक के नायक की तरह एकतरफा फैसला सुनाना किसी भी दृष्टि से जनता को नहीं भाता है। सबको साथ लेकर चलना ही समाज हित में होता है। पिछले चुनावों के परिणामों को देखें तो चुनाव-दर-चुनाव बसपा का मत प्रतिशत गिरा है। शायद इसका कारण भी यही है कि पार्टी के अन्दर विचार विमर्श और प्रजांतात्रिक सोच की कमी है जो कार्यकर्ता वर्षों से पार्टी के मिशन को अपने कंधों पर उठाकर यहां तक लाये हैं उनका भरोसा और उनमें कार्य करने की शक्ति ऐसे फैसलों से कमजोर होती है। फैसले ऐसे होने चाहिए जो सर्व-साधारण जनता को तार्किक लगें और उनमें पार्टी के प्रति उत्साह और लगाव पहले के मुकाबले अधिक पैदा हो। लेकिन बहन जी के अधिकतर फैसले एकांकी है। उनमें न कोई तार्किक सूझ-बूझ और तालमेल नजर आता है। अगर इसे देखकर यूं कहा जाये कि बहुजन समाज पार्टी को बहन जी समाज और मिशन को आगे न बढ़ाकर अपने अंदर के अहंकार को सिर्फ संतुष्ट कर रही हैं तो इसके परिणाम पार्टी के हित में न होकर मुनवादियों को हित पहुंचते दिखते हैं।
बहुजन समाज की जागरूक जनता का यही मनत्वय है कि माननीय साहेब कासीराम जी ने जब बहुजन समाज पार्टी का गठन किया था तब उनका मकसद यह था कि एसटी, एससी, ओबीसी और अल्पसंख्यकों को एकजुट करके देश की सरकार में इन वर्गों की हिस्सेदारी कायम करेंगे। उनकी इस सोशल इंजिनियरिंग को मोदी-संघ ने अच्छी तरह से समझकर बहन जी की अदूरदृष्टि के कारण विफल कर दिया है।
चूंकि हाल ही के विधान सभा चुनावों में मोदी-संघ ने जनसंख्या के हिसाब से अमहत्वपूर्ण समझी जाने वाली जातियों के वोटों को एकजुट करके भाजपा के पाले में ला दिया और परिणाम स्वरूप भाजपा को जीत मिली और बहुजन समाज पार्टी का मत प्रतिशत और भी गिर गया। आशा की जाती है कि बहन जी मुद्दों को समझें और बाबा साहेब व कासीराम जी के मिशन को आगे बढ़ाने के लिए समाज के साथ विचार-विमर्श करके रणनीति बनायें और अपने दरवाजे से राजनैतिक दलालों को भगाने का काम करें चूंकि ये राजनैतिक दलाल ही मिशन को चुनाव-दर-चुनाव निराशा दिला रहे हैं।
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