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आकाश आनंद ही ‘BSP’ का भविष्य

यूपी में अकेले चुनाव लड़ेगी ‘बसपा’
News

2023-08-25 12:47:06

नई दिल्ली। बसपा (BSP) ने मिशन 2024 को फतह करने के लिए प्लान तैयार कर लिया है। बुधवार को बसपा प्रमुख मायावती mayawati ने लखनऊ स्थित प्रदेश मुख्यालय में पार्टी पदाधिकारियों की बैठक बुलाई और एजेंडे को स्पष्ट कर दिया है। मायावती ने आगामी चुनाव अपनी दम पर लड़ने की तरफ कदम बढ़ा दिए हैं। हाईलेवल मीटिंग में मायावती ने कहा कि बीजेपी लगातार जनाधार खो रही है। चुनाव एकतरफा नहीं है। ये इलेक्शन काफी दिलचस्प होने जा रहा है। मायावती ने जीत के लिए रणनीति साझा की और कई निर्देश पदाधिकारियों को दिए। उन्होंने संगठन को खचीर्ले तामझाम और नुमाइशी कार्यक्रमों से दूर रहते हुए जन जन तक जुड़कर काम करने का निर्देश दिया। बुधवार की बैठक में सबसे खास रहा भतीजे आकाश आनंद Akash anand को सभी के सामने बुलाकर आशीर्वाद देना। आकाश इन दिनों राजस्थान में पदयात्रा कर रहे हैं। उन्हें इस बैठक के लिए विशेष रूप से बुलाया गया और सभी के सामने प्रस्तुत किया गया। पार्टी के अंदर इसके मायने तलाशे जा रहे हैं। पार्टी से जुड़े कुछ बड़े नेताओं का कहना है कि भविष्य में वह पार्टी के प्रमुख चेहरा हो सकते हैं।

मायावती ने पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों, प्रभारियों और अन्य जिम्मेदार लोगों के साथ बैठक कर पिछली बैठक में दिये गए निदेर्शों की रिपोर्ट ली। बैठक में गहन चिंतन के बाद स्पष्ट हुई कमियों पर प्रभावी नियंत्रण करते हुए पूरे तन मन धन से लोकसभा चुनाव में जुटने का आह्वान किया। उन्होंने राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में चुनाव के ठीक बाद लोकसभा चुनाव की अपेक्षित घोषणा को देखते हुए पार्टी उम्मीदवारों के चयन को लेकर खासी सावधानी बरतने के निर्देश दिए।

गठबंधन से फायदा कम नुकसान ज्यादा

उन्होंने दावा किया कि जब भी बसपा यूपी में किसी अन्य पार्टी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ती है, तो उसके वोट गठबंधन साझेदार को मिल जाते हैं, लेकिन इसका उलटा नहीं होता है। ‘बसपा को यूपी में गठबंधन करने से फायदे से ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा, क्योंकि उसके वोट स्पष्ट रूप से गठबंधन सहयोगी को मिलते हैं, लेकिन अन्य दलों के पास हमारे उम्मीदवार को अपना वोट ट्रांसफर कराने की सही मंशा या क्षमता नहीं होती। उन्होंने कहा कि इस ‘कड़वे सच’ को ध्यान में रखना होगा, क्योंकि इससे पार्टी कार्यकतार्ओं के मनोबल पर असर पड़ता है। उन्होंने कहा कि इसलिए हमने अगले साल संसदीय चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया है। उन्होंने अपनी पार्टी के नेताओं से ‘सर्व समाज’ के बीच समर्थन आधार बढ़ाने के लिए गांवों में छोटी कैडर-आधारित बैठकें आयोजित करके संगठन को मजबूत करने के लिए काम करने को कहा। बसपा ने इससे पहले यूपी में विधानसभा और लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था. पार्टी ने पिछला लोकसभा चुनाव समाजवादी पार्टी के साथ लड़ा था और वर्तमान में यूपी से लोकसभा में उसके 10 सांसद हैं। यूपी, उत्तराखंड और पंजाब में भी उसके कुछ विधायक भी हैं।

भाजपा पर निशाना, कांग्रेस पर भी हमला

उन्होंने कहा कि जहां तक चुनावी माहौल का सवाल है तो सभी तरफ से यही फीडबैक है कि भाजपा की संकीर्ण जातिवादी और सांप्रदायिक नीतियों के कारण जनता त्रस्त है और इसी कारण भाजपा का जनाधार कमजोर हो गया है और यह प्रक्रिया आगे भी जारी रहेगी। इस कारण उत्तर प्रदेश का चुनाव एकतरफा न होकर काफी दिलचस्प और देश की राजनीति को एक नई करवट देने वाला साबित होगा। बसपा सुप्रीमो ने कहा कि जबरदस्त महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, द्वेषपूर्ण राजनीति और देश में बिगड़ते माहौल से आमजन पूरी तरह से त्रस्त है। भाजपा की तरह ही कांग्रेस की भी कथनी और करनी में बड़ा अंतर है। कुल मिलाकर एक ओर सत्ता तथा विपक्षी दलों का गठबंधन लोकसभा चुनाव में जीत के अपने अपने दावे ठोक रहे हैं लेकिन दोनों के ही दावे सत्ता में बने रहने के बावजूद खोखले साबित हुए हैं। दोनों की ही नीतियों और कार्यशैलियों से देश के गरीब, पिछड़े, दलित और मजदूर और एक तरह से सर्वजन का हित तो कम, अहित अधिक हुआ है।उन्होंने कहा कि बसपा समाज से भी वर्गों को जोड़कर आगे बढ़ाने का प्रयास करती है जबकि वह तोड़कर कमजोर करने की संकीर्ण राजनीति में ही अधिकतर व्यस्त रहते हैं इसलिए इनसे सुरक्षित दूरी बनाना ही बेहतर है।

पार्टी में बदलाव जरूरी

बसपा सुप्रीमो ने पार्टी में कुछ जरूरी बदलाव करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश विशाल और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य है इसी कारण यहां राजनीतिक हालात तेजी से बदलते हैं। इसी कारण पार्टी में कुछ बदलाव अच्छे चुनावी परिणाम हासिल करने की नीयत से लगातार करने होते हैं, इसलिए जो जिम्मेदारी दी जाती है उसे कम न आंके और पार्टी के हित को सर्वोपरि मानकर पूरी निष्ठा और ईमानदारी से अपनी जिम्मेदारी निभाएं।

आकाश आनंद ही बसपा का भविष्य

बहुजन समाज पार्टी को लेकर अक्सर लोगों के मन में यह सवाल उठता ही है कि दल में मायावती के बाद कौन? अब ऐसा लग रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा की मुखिया मायावती ने इसका जवाब देना शुरू कर दिया है। लखनऊ में मायावती की बैठक में जिला स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक के नेता शामिल थे लेकिन आकर्षण का केंद्र एक युवा लड़का था, जिसके कंधे पर मायावती अपने भरोसे का हाथ रखे नजर आईं। इसकी तस्वीर भी सामने आई और कहा गया कि यह कोई सामान्य तस्वीर नहीं है। यह बसपा के दलित मूवमेंट और राजनैतिक विरासत की जिम्मेदारी के पीढ़ीगत स्थानांतरण की भूमिका है, जिससे मायावती के बाद कौन का जवाब तय होना है। जिस युवा चेहरे की हम बात कर रहे हैं, वह आकाश आनंद हैं। मायावती के भाई आनंद कुमार के बेटे, जिन्हें साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बुरी तरह पराजय के बाद सहारनपुर की एक राजनैतिक रैली में मायावती ने लॉन्च किया था। तब भी कहा गया था कि आकाश आनंद ही बीएसपी में मायावती के उत्तराधिकारी होंगे। हालांकि, इसके बाद आनंद उतने सक्रिय नहीं दिखे लेकिन अभी पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए मायावती ने जब उन्हें बहुत बड़ी जिम्मेदारी सौंपी तब चीजें तेजी से साफ होने लगीं। बसपा के राष्ट्रीय को-आॅर्डिनेटर आकाश आनंद पर मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ समेत पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में पार्टी को मजबूत करने की जिम्मेदारी है। वह इसके लिए तन-मन से जुट भी गए हैं। राजस्थान में आकाश आनंद बहुजन हिताय-बहुजन सुखाय संकल्प यात्रा भी निकाल रहे हैं। यह पदयात्रा 150 विधानसभा इलाकों से गुजरेगी। साढ़े 3 हजार किलोमीटर की इस यात्रा को बहुजन अधिकार यात्रा भी कहा जा रहा है। राजस्थान के चुनाव में काफी सक्रिय आकाश आनंद बुधवार को अचानक लखनऊ में दिखे।

बसपा को खत्म करने के लिए मनुवादियों ने रामविलास पासवान-उदितराज-मीरा कुमार जैसे कई दलित नेताओं को फंडिंग कर लांच किया था। जिग्नेश मेवाणी-हार्दिक पटेल-चन्द्रशेखर रावण की उत्पत्ति मनुवादियों की कोख से हुई है। बहुजन युवाओं से अपील है कि वह जोश में न आयें, धैर्य के साथ बसपा को आगे बढ़ायें।

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01 जनवरी : मूलनिवासी शौर्य दिवस (भीमा कोरेगांव-पुणे) (1818)

01 जनवरी : राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले और राष्ट्रमाता सावित्री बाई फुले द्वारा प्रथम भारतीय पाठशाला प्रारंभ (1848)

01 जनवरी : बाबा साहेब अम्बेडकर द्वारा ‘द अनटचैबिल्स’ नामक पुस्तक का प्रकाशन (1948)

01 जनवरी : मण्डल आयोग का गठन (1979)

02 जनवरी : गुरु कबीर स्मृति दिवस (1476)

03 जनवरी : राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले जयंती दिवस (1831)

06 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. जयंती (1904)

08 जनवरी : विश्व बौद्ध ध्वज दिवस (1891)

09 जनवरी : प्रथम मुस्लिम महिला शिक्षिका फातिमा शेख जन्म दिवस (1831)

12 जनवरी : राजमाता जिजाऊ जयंती दिवस (1598)

12 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. स्मृति दिवस (1939)

12 जनवरी : उस्मानिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद ने बाबा साहेब को डी.लिट. की उपाधि प्रदान की (1953)

12 जनवरी : चंद्रिका प्रसाद जिज्ञासु परिनिर्वाण दिवस (1972)

13 जनवरी : तिलका मांझी शाहदत दिवस (1785)

14 जनवरी : सर मंगूराम मंगोलिया जन्म दिवस (1886)

15 जनवरी : बहन कुमारी मायावती जयंती दिवस (1956)

18 जनवरी : अब्दुल कय्यूम अंसारी स्मृति दिवस (1973)

18 जनवरी : बाबासाहेब द्वारा राणाडे, गांधी व जिन्ना पर प्रवचन (1943)

23 जनवरी : अहमदाबाद में डॉ. अम्बेडकर ने शांतिपूर्ण मार्च निकालकर सभा को संबोधित किया (1938)

24 जनवरी : राजर्षि छत्रपति साहूजी महाराज द्वारा प्राथमिक शिक्षा को मुफ्त व अनिवार्य करने का आदेश (1917)

24 जनवरी : कर्पूरी ठाकुर जयंती दिवस (1924)

26 जनवरी : गणतंत्र दिवस (1950)

27 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर का साउथ बरो कमीशन के सामने साक्षात्कार (1919)

29 जनवरी : महाप्राण जोगेन्द्रनाथ मण्डल जयंती दिवस (1904)

30 जनवरी : सत्यनारायण गोयनका का जन्मदिवस (1924)

31 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर द्वारा आंदोलन के मुखपत्र ‘‘मूकनायक’’ का प्रारम्भ (1920)

2024-01-13 11:08:05