2025-10-25 15:56:36
संवाददाता
नई दिल्ली। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने जनता के सनातनियों से जुड़ने के खिलाफ कड़ी चेतावनी जारी की, वहीं बीजेपी के वैचारिक मार्गदर्शक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और संघ परिवार के प्रति भी सतर्क रहने का आग्रह किया। मैसूर विश्वविद्यालय के अंबेडकर अध्ययन केंद्र के रजत जयंती समारोह और नए ज्ञान दर्शन भवन के उद्घाटन के अवसर पर उन्होंने यह बात कही। उन्होंने सनातनियों पर ऐतिहासिक रूप से बीआर अंबेडकर और उनके नेतृत्व में तैयार किए गए संविधान का विरोध करने का आरोप लगाया। सिद्धारमैया ने नागरिकों से समाज में प्रगतिशील और तार्किक ताकतों के साथ जुड़ने का आग्रह किया। सिद्धारमैया ने कहा कि अपनी संगति सही रखें। उन लोगों के साथ जुड़ें जो समाज के लिए खड़े हैं, न कि उन लोगों के साथ जो सामाजिक परिवर्तन का विरोध करते हैं या सनातनियों के साथ हैं।
सीजेआई पर जूता फेंकने की घटना का भी किया जिक्र
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने हाल ही में भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर जूता फेंके जाने की घटना का भी जिक्र किया और इसे गहरी जड़ें जमाए रूढ़िवादिता का प्रतिबिंब बताया। उन्होंने कहा कि, एक सनातनी द्वारा मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकना दर्शाता है कि समाज में अभी भी सनातनी और रूढ़िवादी तत्व मौजूद हैं। इस कृत्य की निंदा केवल दलितों द्वारा ही नहीं, बल्कि सभी को करनी चाहिए। तभी हम कह सकते हैं कि समाज परिवर्तन की राह पर आगे बढ़ रहा है।
आरएसएस और संघ ने अंबेडकर के संविधान का विरोध किया: सिद्धारमैया ने आरोप लगाया कि आरएसएस और संघ परिवार ने हमेशा अंबेडकर के दृष्टिकोण का विरोध किया है और संविधान के मूल्यों को चुनौती देते रहे हैं।
उन्होंने कहा कि वे झूठ फैला रहे हैं कि कांग्रेस ने चुनावों में बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर को हराया। लेकिन सच्चाई वही है जो अम्बेडकर ने खुद अपनी लिखावट में लिखी थी- सावरकर और डांगे (श्रीपाद अमृत डांगे) ने मुझे हराया। संघ परिवार के झूठ को उजागर करने के लिए ऐसे सत्य समाज के सामने रखे जाने चाहिए। अम्बेडकर को एक दूरदर्शी व्यक्ति बताते हुए, जिन्होंने ज्ञान को सुधार के साधन के रूप में इस्तेमाल किया, सिद्धारमैया ने कहा, अंबेडकर ने समाज को समझने के लिए ज्ञान प्राप्त किया और जीवन भर समाज को बदलने के लिए इसका इस्तेमाल किया। उन्होंने अम्बेडकर की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए अपनी सरकार के प्रयासों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, मैंने अंबेडकर स्कूल आॅफ इकोनॉमिक्स की स्थापना इसलिए की ताकि अंबेडकर का अध्ययन करने वाले उनके बताए रास्ते पर चल सकें। अंबेडकर बेजोड़ हैं। दूसरा अंबेडकर कभी पैदा नहीं होगा, लेकिन सभी को उनके आदर्शों का पालन करना चाहिए और उनके पदचिन्हों पर चलना चाहिए। मैसूर विश्वविद्यालय के अंबेडकर अध्ययन केंद्र के 25 वर्ष पूरे करने और विश्व ज्ञानी अंबेडकर सभा भवन के उद्घाटन की प्रशंसा करते हुए, सिद्धारमैया ने कहा कि शिक्षा के माध्यम से समानता को बढ़ावा देने की दिशा में यह एक स्वागत योग्य कदम है।
अंधविश्वास को त्यागें: सिद्धारमैया ने कहा कि उन्हें बुद्ध, बसव और अंबेडकर के विचारों से प्रेरणा मिलती है और उन्होंने कहा कि सामाजिक प्रगति का मार्गदर्शन तार्किकता से होना चाहिए। उन्होंने कहा, इसलिए मुझे उम्मीद है कि तार्किकता और वैज्ञानिक सोच बढ़ेगी। ऐसा व्यक्ति मत बनो जो विज्ञान तो पढ़ता है लेकिन अंधविश्वासों पर अमल करता है।





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