




2025-11-15 15:29:38
कुशीनगर। भगवान तथागत बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर में दिवंगत भदंत ज्ञानेश्वर को उनके निधन के 12 वें दिन देश-विदेश के हजारों श्रद्धालुओं ने नम आंखों से अंतिम विदाई दी। मंगलवार को म्यांमार मंदिर के प्रमुख और भिक्षु संघ कुशीनगर के अध्यक्ष महास्थवीर का अंतिम संस्कार उनके गुरु भिक्षु चंद्रमणि के समाधि के निकट म्यांमार मंदिर में किया गया। इसके पूर्व संघ दान कार्यक्रम आयोजित हुआ और भंते की फूलों से सजे रथ पर शव यात्रा म्यांमार मंदिर से निकाली गई। जिसमें भारत, थाईलैंड, म्यांमार, कोरिया, तिब्बत, वियतनाम सहित विभिन्न देशों के उपासक, उपासिका, भिक्षु, भिक्षुणियां और विभिन्न दलों के नेता शामिल हुए।
यात्रा में जगह-जगह लोगों ने उनके पार्थिव शरीर पर पुष्प बरसाए व श्रद्धांजलि दी। इस दौरान बौद्ध भिक्षुओं की तरफ से बुद्ध वंदना के स्वर गूंजते रहे। बता दें कि भदंत ज्ञानेश्वर का 90 वर्ष की आयु में 31 अक्तूबर को लखनऊ के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया था। निधन के बाद उनका पार्थिव शरीर बौद्ध भिक्षुओं व अनुयायियों के दर्शन के लिए बुद्ध विहार में रखा गया था।
उनके अंतिम संस्कार में विधायक पीएन पाठक, अपनी जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य, उनकी पुत्री व पूर्व सांसद संघमित्रा, जौनपुर के सांसद बाबू सिंह कुशवाहा, बाराबंकी के कांग्रेस सांसद तनुज पुनिया, कांग्रेस अनुसूचित प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजपाल गौतम, पूर्व सांसद कमल किशोर कमांडो, सपा नेता राजेश प्रताप राव सहित बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।
बौद्ध अनुयायी भी हुए शामिल
भदंत एबी ज्ञानेश्वर की शव यात्रा व अंतिम संस्कार के अवसर पर भंते नंदा, भंते सागरा, भंते नंदका, भंते नन्द रतन, भंते महेंद्र, म्यांमार के राजदूत उ जा ऊं, धम्माचार्या विश्वविद्यालय के अलोद बपई, मुख्य अधिष्ठाता भिक्षु थू सी कबा, भंते उतरानंद सहित बड़ी संख्या में बौद्ध भिक्षु व उपासक मौजूद रहे।
भदंत ज्ञानेश्वर की शव यात्रा की शुरूआत मंगलवार की सुबह करीब नौ बजे म्यांमार बुद्ध विहार से हुई। उनके पार्थिव शरीर को फूलों से सजी गाड़ी पर रखा गया था। यात्रा शुरू होने के बाद मुख्य प्रवेश द्वार पहुंची, जहां वार्ड सभासद केशव सिंह की मौजूदगी में पुष्प की वर्षा की गई। बुद्ध पीजी कॉलेज कुशीनगर के सामने प्राचार्य प्रो. विनोद मोहन मिश्र की मौजूदगी में शिक्षकों ने पुष्प चढ़ाएं और शीश नवाकर दर्शन किए। इसके बाद कसया में गणमान्य लोगों ने फूलों की वर्षा कर श्रद्धांजलि अर्पित की।
म्यांमार बुद्ध विहार से निकली अंतिम यात्रा में मधुर स्वरों में उनका वंदन गूंज रहा था। बहे अश्कों की धारा, छोड़ गए साथ हमारा, ऐसे ज्ञानी गुरु ज्ञानेश्वर को वंदन हम करें बारंबार गूंजता रहा। इसमें गुरु के म्यांमार जन्म, कुशीनगर आगमन, कृतित्व व व्यक्तित्व को समेटा गया था। भदन्त ज्ञानेश्वर की शव यात्रा में पुलिस कर्मी ड्यूटी स्थलों पर तैनात रहे। किसी श्रद्धालु को असुविधा न हो पुलिस कर्मियों ने उसका ख्याल रखा और सुरक्षा को लेकर पैनी नजर भी बनाए रखी। एएसपी निवेश कटियार, सीओ कुंदन सिंह पुलिस कर्मियों के साथ खुद चले। कुशीनगर में बौद्ध धर्म के प्रमुख गुरु रहे भदंत ज्ञानेश्वर की अंतिम विदाई के सभी मोनेस्ट्री के बौद्ध भिक्षु साक्षी बने। इसमें प्रमुख बुद्ध विहार, मोनेस्ट्री व धर्मशाला शामिल रहे। जिसमें बिड़ला धर्मशाला, भिक्षु ज्ञानेश्वर बुद्ध विहार, तिब्बती बुद्ध विहार, श्रीलंका-जापान मैत्री बुद्ध विहार, थाई बुद्धिस्ट मोनास्ट्री कुशीनगर, वाट कुशावदी बुद्ध विहार, श्रीलंका बुद्ध विहार, कोरिया बुद्ध विहार, धम्म ज्योति बुद्ध विहार के बौद्ध भिक्षु, उपासक सहित अन्य मौजूद थे।





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