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11 साल के शासन का हिसाब दें मोदी

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2025-09-19 18:26:50

11 साल से देश की सत्ता में मोदी प्रधानमंत्री है, इन 11 सालों में मोदी ने अपनी विफलताओं के कीर्तिमान गढ़े हैं। उनकी कुछेक विफलताएँ ऐसी हैं कि अगर आज मोदी-संघी शासन बदल भी जाये तो आने वाले 30-40 वर्षों तक उन्हें दुरुस्त नहीं किया जा सकता। मोदी का प्रधानमंत्री बनना देश की बदकिस्मती का सबसे चमकता दौर है। हम यहाँ मोदी की कुछेक विफलताओं को इंगित कर रहे हैं, जिन्हें देखकर और समझकर आज की प्रबुद्ध जनता को यह एहसास होने लगेगा कि मोदी शासन देश के लिए विनाशकारी साबित हुआ है।

मोदी ने सांप्रदायिता फैलायी: भारत एक लोकतांत्रिक देश है, यहाँ संविधान सत्ता है, यहाँ पर रहने वाले सभी धर्मों, संप्रदायों के लोग बराबर है। किन्हीं भी दो समुदायों के बीच भेद नहीं है, सभी नागरिकों को अपने-अपने विश्वास और धर्म के अनुसार पूरी स्वतंत्रता हैं। सरकार का अपना कोई धर्म नहीं है, सरकार में बैठे लोगों का अपना कोई धार्मिक एजेंडा नहीं होगा और सरकार किसी भी धर्म को आगे बढ़ाने के लिए काम नहीं करेगी। 26 जनवरी 1950 से 2014 में मोदी की सत्ता आने तक इस तरह की भावना को पूर्व की सरकारों ने निष्ठा के साथ निभाया और संविधान की पूरी तरह से रक्षा भी की। मोदी 2014 से देश के प्रधानमंत्री है तबसे उन्होंने संघ से प्रेरित होकर संविधान की मान्यताओं को पूरी तरह से कुचला है। मोदी-संघ ने संघी प्रचारकों, पाखंडी बाबाओं, सत्संगकर्ताओं, कथावाचकों और अपने पाखंडी कथित धर्म गुरुओं को इस देश में सांप्रदायिक जहर फैलाने की पूरी छूट दी हुई है। मोदी के आने के बाद से ही ये पाखंडी प्रचारक समाज के ताने-बाने को धार्मिक आधार पर जहरीला बनाने के भरसक यत्न कर रहे हैं और ऐसा कराने के पीछे मोदी संघी सरकार का प्रत्यक्ष और परोक्ष समर्थन है। मोदी-संघी शासन के दौरान देश के कामगारों की हालत बद-से-बदत्तर हुई है, देश में सामाजिक सौहार्द घटा है, धार्मिक उन्माद बढ़ा है। ये सभी काम स्वत: नहीं हुए हैं, इन सभी को मोदी-संघी शासन में बैठे लोगों ने चतुराई से संस्थानिक रूप से स्थापित किया है।

देश की हर संस्था में संघी-मनुवादी व्यवस्था: प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने सिर्फ एक काम को ही तबजों दी, वह है हर संस्था में एक षड्यंत्रकारी संघी मानसिकता का व्यक्ति स्थापित किया जाये। इसी मिशन को मोदी ने आगे बढ़ाया और देश के हर शैक्षणिक और औद्योगिक संस्थान में एक षड्यंत्रकारी संघी को स्थापित किया। इसी षड्यंत्रकारी संघी के माध्यम से शैक्षणिक और औद्योगिक संस्थानों के कार्य बल की मानसिकता को दूषित किया। मोदी ने ये सारे कार्य सत्ता में बैठे धूर्त किस्म के संघियों की मिलीभगत से किये। आज 11 वर्षों के बाद हालात ये हो चुके हैं कि देश के किसी भी शैक्षणिक और औद्योगिक संस्थान में आम जनता से कोई भी जुड़ा कार्य आसानी से नहीं होता है, जबतक संस्थान के अंदर बैठाये गए संघी से उन कार्यों को करने की हरी झंडी न मिल जाये। हालात को देखकर देश की जनता दुखी है मगर वह कर भी क्या सकती है? चूंकि जो सरकार में बैठे हैं वे जनता ने ही चुनकर वहाँ बैठाएँ हैं। इसके साथ ही मोदी ने सामाजिक ताने-बाने को इतना दूषित कर दिया है कि देश का ताना-बाना और उसका सामाजिक सौहार्द पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है।

अंधभक्तों परोस रहे धार्मिक अंधता: मोदी जबसे प्रधानमंत्री बने है तभी से वे और उसके संघी साथी देश में बड़े पैमाने पर धार्मिक अंधता फैलाने का काम कर रहे हैं। हजारों पाखंडी बाबाओं को उन्होंने अपने इस प्रचार के लिए लगाया हुआ है। जिनमें से कुछेक नाम है-लाला रामदेव, बागेश्वर धाम, प्रदीप मिश्रा, प्रेमानंद महाराज, राम-रहीम, अनिरुद्धचार्य, देवकीनन्दन, आदि बहुत सारे पाखंडियों को मोदी संघियों ने जनता को मूर्ख बनाने के लिए मैदान में उतारा हुआ है। ये सब और इसके चेले रात-दिन समाज में घूम-घूमकर पाखंडी प्रचार करके पाखंड को बढ़ाते हैं। इन पाखंडी प्रचारकों द्वारा जनता को मानसिक रूप से गुलाम बनाया जा रहा है, उनमें सोचने और समझने की शक्ति को भी कमजोर किया जा रहा है। विश्व भर में जो भी देश सम्पन्न नजर आ रहे हैं वे सभी वैज्ञानिक और तकनीकी शोध के आधार पर समृद्ध और शक्तिशाली बन रहे हैं। विश्व भर में भारत शायद अकेला देश है जहां पर मोदी और मोदी के अंधभक्त अपने झूठ और पाखंड के प्रचार के बल पर मोदी को विश्व गुरु बताते थक नहीं रहे हैं। मोदी के 11 साल के शासन में देश की जनता बेहाल है, मोदी के पाखंडी बाबा और उनके अंधभक्त मालामाल हैं। लोकतंत्र के चलते मोदी को जनता की फिक्र नहीं है उसे सिर्फ दो किस्म के ही लोग पसंद है। पहले वे जो पाखंड के बल पर जनता को मूर्ख बनाकर उन्हें मानसिक रूप से गुलाम बनाने में सक्षम हो; दूसरे वे जो मोदी की सत्ता में छिपकर देश के सरकारी संस्थानों और उद्योगों को औने-पौने दाम पर खरीदकर निजी संस्थानों और उद्योगों में बदलें। इस प्रक्रिया के माध्यम से अवैध रूप से जो धन मेज के नीचे से आ रहा है उसी से संघी संस्थानों और प्रचारकों को मजबूत किया जा रहा है। हाल ही में केशव कुंज नाम से संघियों के दफ्तर का निर्माण दिल्ली में हुआ। जिसका कुल खर्च जनता को 150 करोड़ बताया गया है जबकि इसके निर्माण में खर्च कई हजार गुना हुआ होगा। जनता इस पर विचार करें कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) न इस देश में और न किसी अन्य देश में रजिस्टर्ड संस्था है, न उसका कोई रजिस्टर है, न उसके मेम्बर की संख्या का पता है, न उसकी आमदनी और खर्च का कोई ब्यौरा है तो फिर इतनी बड़ी रकम इस भवन के निर्माण के लिए कहाँ से आई? यह गंभीर मुद्दा है और गंभीर सवाल भी है। देश की जनता मोदी के माध्यम से संघियों से जानना चाहती है कि जो धन-संपत्ति से ये आलिशान दफ्तर और बंगले बनवाये जा रहे हैं आप देश की जनता को उसका पूरा हिसाब देकर बताए? आप इस देश की जनता को कब तक मूर्ख समझते रहेंगे, अब यह ज्यादा दिन तक चलने वाला नहीं। भारत के पड़ोसी राज्यों में जहां-जहां धार्मिक उन्माद को फैलाया गया वहाँ-वहाँ पर ऐसे पाखंडी नेताओं को जड़ मूल से उखाड़कर फेंक दिया गया है, हम नहीं चाहते कि भारत में भी ऐसा हो। लेकिन मोदी संघी शासन देश में ब्राह्मणवाद और पाखंड को परोस रहा है, जिससे जनता त्रस्त है।

देश की कानून व्यवस्था खस्ता हाल: मोदी जबसे सत्ता में आए है तभी से देश की कानून व्यवस्था खस्ता हाल हो रही है। कानून का राज लगभग खत्म है, संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर किया जा रहा है। चुनाव आयोग को मोदी ने अपना आयोग बना लिया है जिसके द्वारा चुनाव दर चुनाव वैध और अवैध रूप से मोदी के चुनाव जीतने का पक्का इंतजाम कर रखा है। विपक्ष खुले रूप में मोदी शासन पर वोट चोरी के आरोप लगा रहा है, जो निराधार नहीं है, उनमें कुछ न कुछ सच्चाई जरूर है। मोदी संघियों ने शासन सत्ता में उन्हीं लोगों को स्थापित किया है जो कहीं न कहीं किसी न किसी रूप में कमजोर हैं और उन्हें आसानी से सत्ता के सामने झुकाया जा सकता है। ईडी, आईटी, सीबीआई का बे-लिहाज इस्तेमाल करके लोगों को डरा-धमकाकर शासन प्रक्रिया को अवैध रूप में आगे बढ़ाया जा रहा है, जिसके कारण देश की जनता में प्रतिशोध की भावना बढ़ रही है। हाल ही में नेपाल की घटना से मोदी संघियों को सबक लेना चाहिए चूंकि वहाँ पर ब्राह्मणवाद के विरुद्ध आंदोलन खड़ा हुआ और वहाँ की जनता ने सत्ता की कुर्सी को ध्वस्त कर दिया। इससे मोदी-संघियों और उनके व्यापारी मित्रों को सबक लेना चाहिए चूंकि गलत चीजों को बर्दाश्त करने की भी एक सीमा होती है। जिस दिन यह सीमा समाप्त होने के कगार पर पहुँचती है तो यह सत्ता को ध्वस्त करने के लिए ज्वालामुखी बन जाती है। हमारा मनुवादी संघियों और मोदी से नम्र निवेदन है कि यह देश सबका है, इसमें सभी को रहने का अधिकार है, संघी मानसिकता के अनुसार हर समय सबका विरोध न करे। आपकी मानसिकता की ये छिपी प्रतिक्रियाएँ इस देश के लिए घातक है। देश की जनता अब अच्छी तरह से समझ चुकी है कि संघी मानसिकता के लोग जमीन की सतह के नीचे रहकर काम करते हैं, सतह के ऊपर वे दिखाई नहीं देते, अब देश की जनता आपको जमीन की सतह के नीचे से ही खोजकर निकालेगी और आपको सभी मानवता विरोधी षडयंत्रों के कारण देश की सत्ता से बेदखल करेगी?

मोदी ने चौपट की देश की अर्थ-व्यवस्था: आज देश में भयावह बेरोजगारी, महंगी शिक्षा चरम पर है। आम लोगों के पास कोई रोजगार नहीं है, मोदी की नोटबंदी से अर्थ-व्यवस्था आजतक उभर नहीं पाई है, देश की जनता तभी से आर्थिक दलदल में फंसी हुई है। मोदी-संघियों ने नोटबंदी करके देश की जनता को आर्थिक अंधकार में धकेला है, छोटे व्यापारियों और कारोबारियों को ध्वस्त किया है। मोदी-संघी लोग नोटबंदी के दौरान देश की जनता को बता रहे थे कि नोटबंदी करने से देश में कालाबाजारी और आतंकवादी गतिविधियों की कमर टूट जाएगी। मोदी के रामदेव जैसे अंधभक्त ऐसे बातें कर रहे थे कि जैसे वे विश्व के सबसे बड़े अर्थशास्त्री हैं। उन्हें सबकुछ ज्ञान है, देश की जनता को मालूम होना चाहिए कि रामदेव उर्फ बालकृष्ण यादव पौने आठ कक्षा तक ही स्कूल गए है, मोदी की शिक्षा की तरह ही उनकी शिक्षा भी संदिग्ध है। देश की भोली-भाली जनता की कम समझ के कारण वे जनता में बाबा बने हुए है और उसी के झांसे में लेकर देश की जनता को नकली दवाइयाँ, खाने के सामान इत्यादि बेचकर मोदी-संघियों की मेहरबानी से बाबा से लाला रामदेव बन गए हैं। इनके सभी उत्पाद संदिग्ध है जिनपर कई बार देश का उच्चतम न्यायालय रोक लगा चुका है। लेकिन अपनी हिन्दुत्व की बेशर्म वैचारिकी के कारण अपने नाजायज और धोखाधड़ी करने वाले कार्यों से बाज नहीं आ रहे है। देश में आर्थिक तंगी से रोज 19 आत्महत्याएँ हो रही है, डॉलर के मुकाबले रुपया 86 रुपए प्रति डॉलर से ऊपर पहुँच चुका है। सोने और चाँदी की कीमतें देश के आमजनों से बाहर हो चुकी है। पेट्रोल-डीजल मोदी सरकार ने 100 रुपए के पार पहुंचाया है। जीएसटी की मार गरीबों पर बेशुमार पड़ रही है। अभी हाल में मोदी ने कुछ वस्तुओं पर जीएसटी कम करने का स्वांग रचा और जनता में उसका बड़े पैमाने पर प्रचार-प्रसार किया। जनता को यह समझना होगा कि मोदी ने जहां-जहां जीएसटी कम करने का ढोंग दिखाया है उसे वे अंदर से समझें। उदाहरण के तौर पर मोदी ने बड़े जोर-शोर का प्रचार करके जनता को बताया कि मैंने किताबों पर जीएसटी कम किया है। लेकिन देश की जनता को यह भी जानना चाहिए कि जिस पेपर से किताबें छपती है उस पेपर पर जीएसटी मोदी सरकार ने घटाया नहीं है बल्कि बढ़ाया है जिससे किताबों की कीमतें पहले की तुलना में अधिक बढ़ जाएगी। जनता को जीएसटी का तमाशा दिखाना मोदी द्वारा बनिया गिरि का नया ढोंग है। आज पूरे देश में ब्राह्मण-बनियों के गठजोड़ की सरकार चल रही है जो कभी भी जनता के लिए कल्याणकारी योजनाएँ लेकर नहीं आ सकती।

मोदी के निर्लजतापूर्ण झूठे बयान: मोदी और उसके साथियों द्वारा पिछले 11 वर्षों से देश की भोली-भाली जनता के साथ झूठ आधारित षड्यंत्रकारी छल किया जा रहा है। पूरे देश को मालूम है कि जितने आतंकी हमले मोदी शासन काल के दौरान हुए हैं उतने अन्य किसी पार्टी के शासन काल में नहीं हुए। देश की जनता मोदी-संघियों की कार्यशैली को भाँपकर यह कहने लगी है कि जब भी देश में कोई अहम चुनाव आता है उस समय देश के किसी भी भाग में आतंकी हमला एक षड्यंत्र के तहत होता है और उससे अगले दिन मोदी उस क्षेत्र का दौरा करते हैं और वहाँ पर चुनाव संबंधी बयानबाजी करते हैं। इस षड्यंत्रकारी रणनीति का खेल अब देश की जनता को अच्छी तरह से समझ में आ रहा है। मोदी के 11 साल के शासन काल में देश की कई लाख भोली-भाली जनता अपनी जान दे चुकी है। मोदी और उनके संघी साथियों को न अपने देशवासियों की चिंता है और न देश के मान सम्मान की। मोदी का दोस्त ट्रम्प आज भी चिल्ला-चिल्ला कर कह रहा है पाकिस्तान और भारत का युद्ध मैंने रुकवाया है, लेकिन मोदी के संघी मानसिकता के मंत्री राजनाथ सिंह अपनी पूरी बेशर्मी के साथ देश की जनता को गुमराह कर रहे हैं कि ‘आतंक के खिलाफ एक्शन में तीसरे देश की दखलअंदाजी नहीं’।

मोदी और संघियों के षड्यंत्रकारी छलावों से सावधान रहो, किसी भी हालत में उन्हें सत्ता की कुर्सी मत सौंपों, सत्ता में रहकर ये संविधान के लिए घातक है इसलिए मोदी और संघियों से देश को बचाओ।

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01 जनवरी : मूलनिवासी शौर्य दिवस (भीमा कोरेगांव-पुणे) (1818)

01 जनवरी : राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले और राष्ट्रमाता सावित्री बाई फुले द्वारा प्रथम भारतीय पाठशाला प्रारंभ (1848)

01 जनवरी : बाबा साहेब अम्बेडकर द्वारा ‘द अनटचैबिल्स’ नामक पुस्तक का प्रकाशन (1948)

01 जनवरी : मण्डल आयोग का गठन (1979)

02 जनवरी : गुरु कबीर स्मृति दिवस (1476)

03 जनवरी : राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले जयंती दिवस (1831)

06 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. जयंती (1904)

08 जनवरी : विश्व बौद्ध ध्वज दिवस (1891)

09 जनवरी : प्रथम मुस्लिम महिला शिक्षिका फातिमा शेख जन्म दिवस (1831)

12 जनवरी : राजमाता जिजाऊ जयंती दिवस (1598)

12 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. स्मृति दिवस (1939)

12 जनवरी : उस्मानिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद ने बाबा साहेब को डी.लिट. की उपाधि प्रदान की (1953)

12 जनवरी : चंद्रिका प्रसाद जिज्ञासु परिनिर्वाण दिवस (1972)

13 जनवरी : तिलका मांझी शाहदत दिवस (1785)

14 जनवरी : सर मंगूराम मंगोलिया जन्म दिवस (1886)

15 जनवरी : बहन कुमारी मायावती जयंती दिवस (1956)

18 जनवरी : अब्दुल कय्यूम अंसारी स्मृति दिवस (1973)

18 जनवरी : बाबासाहेब द्वारा राणाडे, गांधी व जिन्ना पर प्रवचन (1943)

23 जनवरी : अहमदाबाद में डॉ. अम्बेडकर ने शांतिपूर्ण मार्च निकालकर सभा को संबोधित किया (1938)

24 जनवरी : राजर्षि छत्रपति साहूजी महाराज द्वारा प्राथमिक शिक्षा को मुफ्त व अनिवार्य करने का आदेश (1917)

24 जनवरी : कर्पूरी ठाकुर जयंती दिवस (1924)

26 जनवरी : गणतंत्र दिवस (1950)

27 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर का साउथ बरो कमीशन के सामने साक्षात्कार (1919)

29 जनवरी : महाप्राण जोगेन्द्रनाथ मण्डल जयंती दिवस (1904)

30 जनवरी : सत्यनारायण गोयनका का जन्मदिवस (1924)

31 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर द्वारा आंदोलन के मुखपत्र ‘‘मूकनायक’’ का प्रारम्भ (1920)

2024-01-13 16:38:05