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हिंदू धर्म का खत्मा कर देगा नफरती प्रचार

विषमतावादी सोच समाज के विभिन्न समुदायों में नफरत का भाव भर रही है
News

2023-08-12 10:57:33

इसमें कोई संदेह नहीं कि वर्तमान समय में भारत में हिंदुत्व का आतंक चल रहा है। हिंदुत्व की विषमतावादी सोच समाज के विभिन्न समुदायों में नफरत का भाव भर रही है, की विषमतावादी सोच समाज के विभिन्न समुदायों में नफरत का भाव भर रही है, समाज को बाँट रही है, जिसके कारण भारत की एकता और अखंडता को खतरा हो गया है। इसका वर्तमान ज्वलंत उदाहरण मणिपुर के जातीय संघर्ष का है। मणिपुर में जातीय संघर्ष कुकी और मैतई समुदायों के बीच पिछले साढ़े तीन महीने से चल रहा है। इस जातीय संघर्ष की शुरूआत मणिपुर हाईकोर्ट के फैसले के बाद शुरू हुई थी। मणिपुर का जातीय संघर्ष देश के लिए एक गंभीर मुद्दा है लेकिन देश के प्रमुख चौकीदार (मोदी) को मणिपुर के लिए समय नहीं है। देश के मुख्य चौकीदार अपनी मनुवादी संस्कृति के अनुसार देश के गंभीर मुद्दें पर मौन है जिसे देखकर लगता है कि देश के प्रमुख चौकीदार के पास भाजपा के चुनाव-प्रचार के लिए तो समय है। परंतु देश की बाह्य सीमा से लगे मणिपुर प्रदेश के लिए उनके पास कोई समय नहीं है। इससे यह पता लगता है कि देश के मुख्य चौकीदार को देश की कितनी चिंता है वह तो राजस्थान और मध्य प्रदेश में चुनावी सभाओं को संबोधित कर रहे हैं। देश की सत्ता पिछले करीब दस साल से प्रमुख चौकीदार के पास है परंतु इस दौरान देश की सीमा पर लद्दाख से लगी गलवान घाटी में चीनी अतिक्रमण हुआ जिसका काफी समय तक देश के प्रमुख चौकीदार को पता ही नहीं लगा। विपक्षी दलों ने जब इस मुद्दे को संसद में उठाया तब जाकर चौकीदार की नींद टूटी और फिर सरहद पर भारतीय जवानों ने अपनी जिम्मेदारी के मुताबिक चीनियों के इस अतिक्रमण का विरोध किया। देश के चौकीदार को देश की सीमाओं की सुरक्षा के बारे में हर वक्त सरहद की ताजा स्थिति से अवगत रहना चाहिए। परंतु देश के चौकीदार को देश की सुरक्षा की कोई चिंता नहीं है वे तो सिर्फ हर वक्त चुनावी मोड में ही रहते हैं। उनकी और संघी मानसिकता वाले साथियों की हर समय यही सोच दिखती है कि चुनाव के बाद सत्ता में कैसे वापस आया जाये। उसके लिए चाहे उन्हें कोई भी अमर्यादित काम करना पड़े। इसी आधार पर चौकीदार और उनके संघी साथी 2047 तक का चुनावी सपना संजोये हुए है और अनर्गल व भ्रामक स्लोगन जनता के बीच फेंकते रहते हैं। राहुल गांधी को अमर्यादित बातों के षड्यंत्रकारी तरीके से निशाना बनाकर जनता को बरगलाते रहते हैं।

राहुल गांधी ने की चौकीदार की बोलती बंद : संसद का सत्र चल रहा है और उसमें विपक्ष (इंडिया) के सभी सांसद सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा कर रहे हैं। जिसमें चर्चा के दौरान राहुल गांधी ने संसद में बोलते हुए चौकीदार पर जबरदस्त हमला बोला और कहा कि ‘देश में अहंकार की सरकार चल रही है’ जिसे मुख्य तौर पर दो ही लोग मोदी और शाह चला रहे हैं। रावण भी अपने शासन में दो ही व्यक्तियों की बातें सुनता था एक-मेघनाथ और दूसरा कुंभकर्ण। देश की जनता की परेशानी उन्हें नहीं दिखती हैं, इसलिए पूरे विपक्ष ने गठबंधन करके देश के चौकीदार को संसद में मणिपुर पर अपना बयान देने के लिए मजबूर किया है। मोदी जी मणिपुर मुद्दे पर संसद में बयान देने से बचते रहे हैं। चूंकि संसद में आकर जवाब देना उनकी जिम्मेदारी को चिन्हित कराता है इसलिए चौकीदार जिम्मेदारी से बचने के लिए संसद से बाहर बयानबाजी करते हैं परंतु संसद में आकर जवाब देने से परहेज करते हैं। उनमें यह मनुवादी सोच की छिपी रणनीति है कि देश से जुड़े गंभीर मसलों पर मौन रहो और संसद के बाहर इधर-उधर की बात करके जनता को बरगलाते रहो। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर बोलते हुए चौकीदार पर करारा हमला बोला और कहा कि वर्तमान सरकार ने भारत माता का कत्ल किया है। जिसको भाजपाईयों ने हल्का करने के इरादे से राहुल गांधी पर लांछन लगाया कि राहुल गांधी ने सदन में ‘फ्लाइंग किस’ का एक्शन करके अमर्यादित आचरण किया है इसलिए सदन को उन पर उचित कार्यवाही करनी चाहिए। राहुल गांधी अविश्वास प्रस्ताव के दौरान दोपहर 12:09 बजे से 12:46 बजे तक यानी 37 मिनट तक बोले, जिसमें से संसद टीवी कैमरे ने उन्हें केवल 14 मिनट 37 सेकेंड के लिए दिखाया। यह 40 प्रतिशत से भी कम स्क्रीन समय था। राहुल गांधी मणिपुर पर 15 मिनट 42 सेकेंड तक बोले। इस दौरान संसद टीवी का कैमरा 11 मिनट 08 सेकेंड यानी 71 प्रतिशत समय तक स्पीकर ओम बिरला पर फोकस रहा। संसद टीवी ने राहुल गांधी को मणिपुर पर बोलते हुए केवल 4 मिनट 34 सेकेंड के लिए वीडियो पर दिखाया। यह दर्शाता है कि देश का चौकीदार और उसकी संघी ब्रिगेड सच्चाई से कितने घबराएँ हुए हैं और माननीय लोक सभा अध्यक्ष ‘ओम बिरला जी’ को इस पर निष्पक्ष संज्ञान लेते हुए सदन को बताना चाहिए कि ऐसा व्यवहार क्यों हुआ? वास्तविकता के आधार पर ऐसा व्यवहार संसद की अवमानना है जिसका माननीय लोक सभा अध्यक्ष ‘ओम बिरला जी’ को स्वत: संज्ञान लेकर निष्पक्ष जाँच करनी चाहिए और दोषियों को दंडित भी करना चाहिए।

प्रायोजित मनुवादी हमले: हिंदुत्व के विषमतावादी आतंकी हमले देश के विभिन्न प्रदेशों में प्रायोजित किये जा रहे हैं। हिंदुत्ववादी लोगों ने हरियाणा के मेवात, नूंह, गुड़गांव, फरीदाबाद व बल्लभगढ़ इत्यादि शहरों में साम्प्रदायिक दंगे प्रायोजित किये। इन शहरों में साम्प्रदायिक दंगे हिंदुत्व के टुकड़ों पर पलने वाले गुंडों द्वारा किये गए। मुस्लिमों की दुकानों से भारी मात्रा में सामान की लूट की गई, लोगों को मारा-पीटा गया, दंगों में 6 लोगों की मौतें भी हुई, उसके बाद संघियों द्वारा अपने आपको न्यायिक व हिंदू रक्षक दिखाने के लिए घड़ियाली आँसू के तौर पर बुलडोजर को एक्शन में लाया गया और 200 से अधिक गरीब लोगों के मकानों को जमीदोज किया गया। स्थानीय लोगों से पूछताछ में पता चला है कि तोड़े गए मकानों में ज्यादातर मकान मुस्लिम समुदाय के थे। इससे साफ होता है कि संघी मानसिकता के लोगों का चरित्र न्यायिक नहीं साम्प्रदायिक है वे सिर्फ जाति और धर्म के आधार पर सामाजिक उत्पीड़न और अमानवीय घटनाओं को अंजाम देते हैं। हिंदुत्व की जहरीली मानसिकता न न्याय के लिए उपयुक्त है और न ही समाज में सद्भावना और शांति स्थापित करने के लिए। शांति व न्याय के लिए समता भाव का होना आवश्यक तत्व है जो हिंदुत्व के डीएनए में है ही नहीं। वर्तमान में अशांति का मूल कारक विषमता ही है। हिंदुत्व विषमता को अपने अंदर से निकालना नहीं चाहता और जाति हिंदुत्व का अभिन्न अंग है। हिंदुत्व की जातिवादी मानसिकता समाज में भेदभाव और गैर बराबरी को जन्म देती है और उसी आधार पर समाज का विभाजन करे हुए है। जाति आधारित सामाजिक विभाजन देश के लिए एक बड़ा खतरा है। समाज में सामाजिक चुनौतियों का उभरना स्वाभाविक है और उनका निराकरण भी सरकार द्वारा सम्यक न्याय के आधार पर करना चाहिए परंतु मोदी संघी शासन में न्याय और सम्यक दृष्टि है ही नहीं। मोदी-संघी शासन की मानसिकता मनुवादी है जिसमें न्याय के लिए कोई स्थान नहीं है। इसलिए जनता को जागरूक होकर वर्तमान शासन की नाकामियों और षड्यंत्रों से सजग होकर मोदी-संघी शासन को उखाड़ फेंकने का संकल्प लेना चाहिए। मोदी के बरगलाने व जुमलों में फँसकर उनको अपना वोट नहीं देना चाहिए। मोदी के संघी शासन के कार्यों का सही अवलोकन करके बुद्धि से सोचना चाहिए कि मोदी इस देश की बहुसंख्यक जनता के लिए कितने उपयुक्त है? समाज में आए दिन साम्प्रदायिक नफरत बढ़ाई जा रही है और इसके बढ़ने के पीछे संघी ताकतें हैं। मनुवादी संघी ताकतें आए दिन समाज में अपने गुण्डे भेजकर नफरती घोषणाएँ करते रहते हैं। मुस्लिम समुदाय की मस्जिदों के सामने या आसपास जाकर जय श्रीराम के नारे का उद्धघोष करते हैं। जिससे समाज में नफरत बढ़ रही है। सरकार का मीडिया तंत्र 247 टेलीविजन पर निर्बाध तरीके से नफरती व उत्तेजक बातों को दिखाकर जनता में उत्तेजना पैदा करते हैं और इस प्रकार की उत्तेजना ही साम्प्रदायिक दंगों का रूप ले लेती है। यही साम्प्रदायिक दंगे कभी-कभी इतने बड़े हो जाते हैं कि उन पर काबू पाना सुरक्षा बलों के लिए भी मुश्किल हो जाता है। गुड़गांवा, नूंह, बल्लभगढ़, फरीदाबाद के जो साम्प्रदायिक दंगे दिखाये जा रहे हैं, उनमें समाज में व्याप्त साम्प्रदायिक दूरभावना की नियत कम और मनुवादी नफरत के जहर का कार्य अधिक दिख रहा है। इन दंगों में मुस्लिम समुदाय का रोल काफी सकारात्मक दिखा। उन्होंने हिंदुओं की महिलाओं, बच्चों, बूढ़ों को हिंसा से बचाने में काफी मदद की। हिंदू महिलाओं व बच्चियों को मुस्लिमों ने अपने घर में पनाह दी और उनको सुरक्षित उनके घर तक पहुँचाया। इसके विपरीत हिंदुत्व के ठेकेदारों की मानसिकता में साम्प्रदायिक जहर अधिक दिखा और उन्होंने मुस्लिम समुदायों के विरुद्ध जहर उगला और समाज में साम्प्रदायिक झगड़े कराने के लिए लोगों को उत्तेजित करने का काम किया। जगह-जगह लाउड स्पीकर लगाकर साम्प्रदायिक जहर को फैलाया गया। मुस्लिम समुदाय की दुकानों को लूटा गया और उनके मकान, दुकान व अन्य व्यवसायिक ठिकानों को ध्वस्त किया गया। इन सभी घटनाओं की तसदीक खट्टर सरकार के उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चोटाला ने की और उन्होंने माना कि दंगों में सरकार से चूक हुई है। लेकिन हरियाणा के इन साम्प्रदायिक दंगों में आम जनता से एक सकारात्मक सोच भी निकलकर सामने आयी है।

उभरती सामाजिक सजगता: सबसे महत्वपूर्ण कृत्य जाट समुदाय का रहा जिन्होंने पंचायत करके अपने जाट समुदाय के लोगों को आगाह किया और साथ ही यह भी तय किया कि मनुवादियों द्वारा प्रायोजित दंगों में जाट समुदाय का कोई भी व्यक्ति भाग नहीं लेगा। जाट समुदाय के इस फैसले का समाज में काफी सकारात्मक प्रभाव दिखा। समाज के अन्य समुदायों ने भी इसी का अनुसरण करने का फैसला किया और अपने नौजवानों व जनता को निर्देशित किया कि इस तरह के प्रायोजित मनुवादी-संघी झगड़ों में भाग नहीं लेना है। उन्होंने यह भी बताया कि मुस्लिम और हम (हिन्दू) सदियों से एक साथ रह रहे हैं आपस में कोई भेदभाव की भावना नहीं है हम एक-दूसरे के दुख-सुख में भी शामिल होते हैं ब्याह-शादियों व त्यौहारों पर भी मिल-जुलकर ही काम करते हैं इसलिए हम मानवता को ही अपना धर्म मानते हैं। हमारा मुस्लिमों से कोई झगड़ा नहीं है। उनकी सुरक्षा के लिए हम भरपूर सहयोग करेंगे। इसी प्रकार पंजाब में भी सिख समुदाय और अन्य जगहों पर गुर्जर व दलित समुदायों ने भी हिन्दुत्व के आंतक के विरोध में पंचायतें की, जुलुस निकाले और मुस्लिमों का समर्थन करते हुए सुरक्षा देने बात की। यह देश में एक सकारात्मक सोच का उदय लग रहा है और आशा की जाती है की देश इसी सोच और समझ के साथ आगे बढ़ता रहेगा। हिन्दुत्व के गुंडे व आतंकियों को कोई भी समाज अपना समर्थन नहीं देगा।

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01 जनवरी : मूलनिवासी शौर्य दिवस (भीमा कोरेगांव-पुणे) (1818)

01 जनवरी : राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले और राष्ट्रमाता सावित्री बाई फुले द्वारा प्रथम भारतीय पाठशाला प्रारंभ (1848)

01 जनवरी : बाबा साहेब अम्बेडकर द्वारा ‘द अनटचैबिल्स’ नामक पुस्तक का प्रकाशन (1948)

01 जनवरी : मण्डल आयोग का गठन (1979)

02 जनवरी : गुरु कबीर स्मृति दिवस (1476)

03 जनवरी : राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले जयंती दिवस (1831)

06 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. जयंती (1904)

08 जनवरी : विश्व बौद्ध ध्वज दिवस (1891)

09 जनवरी : प्रथम मुस्लिम महिला शिक्षिका फातिमा शेख जन्म दिवस (1831)

12 जनवरी : राजमाता जिजाऊ जयंती दिवस (1598)

12 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. स्मृति दिवस (1939)

12 जनवरी : उस्मानिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद ने बाबा साहेब को डी.लिट. की उपाधि प्रदान की (1953)

12 जनवरी : चंद्रिका प्रसाद जिज्ञासु परिनिर्वाण दिवस (1972)

13 जनवरी : तिलका मांझी शाहदत दिवस (1785)

14 जनवरी : सर मंगूराम मंगोलिया जन्म दिवस (1886)

15 जनवरी : बहन कुमारी मायावती जयंती दिवस (1956)

18 जनवरी : अब्दुल कय्यूम अंसारी स्मृति दिवस (1973)

18 जनवरी : बाबासाहेब द्वारा राणाडे, गांधी व जिन्ना पर प्रवचन (1943)

23 जनवरी : अहमदाबाद में डॉ. अम्बेडकर ने शांतिपूर्ण मार्च निकालकर सभा को संबोधित किया (1938)

24 जनवरी : राजर्षि छत्रपति साहूजी महाराज द्वारा प्राथमिक शिक्षा को मुफ्त व अनिवार्य करने का आदेश (1917)

24 जनवरी : कर्पूरी ठाकुर जयंती दिवस (1924)

26 जनवरी : गणतंत्र दिवस (1950)

27 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर का साउथ बरो कमीशन के सामने साक्षात्कार (1919)

29 जनवरी : महाप्राण जोगेन्द्रनाथ मण्डल जयंती दिवस (1904)

30 जनवरी : सत्यनारायण गोयनका का जन्मदिवस (1924)

31 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर द्वारा आंदोलन के मुखपत्र ‘‘मूकनायक’’ का प्रारम्भ (1920)

2024-01-13 11:08:05