2023-08-19 09:54:01
77वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से 90 मिनट का भाषण दिया। जिसको गोदी मीडिया ने बड़े ही उत्कृष्ट रूप में अखबारों में छापा। जबकि हाल ही में संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर मणिपुर हिंसा को लेकर मोदी जी सिर्फ दो मिनट ही बोल पाए। वहाँ पिछले चार महीने से कुकी और मैतई समुदाय के बीच जातीय संघर्ष चल रहा है। मोदी जी संघी मानसिक चरित्र के कारण मणिपुर की घटना पर मौन रहे हैं। विपक्ष द्वारा बार-बार मोदी जी को मणिपुर की घटना पर संसद में आकर बयान देने को कहा गया परंतु विपक्ष की इस माँग को उन्होंने अनसुना किया। अंतत: विपक्ष ने मोदी के खिलाफ संसद में नियम 267 के तहत अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया जबकि विपक्ष को पता था कि संसद में संख्या बल के आधार पर उनका अविश्वास प्रस्ताव गिरना तय है। मोदी जी संसद के अधिवेशन के आखिरी दिनों में आये और मणिपुर पर बातें कम और देश के विभिन्न प्रदेशों में होने वाले चुनावों को लेकर भाषण में ज्यादा बातें कहीं, मणिपुर का नाम उन्होंने अपने भाषण में एक-दो बार लिया। मणिपुर के जातीय संघर्ष में 150 से अधिक लोगों की मौतें हो चुकी हंै, मोदी जी ने अपने भाषण के दौरान मणिपुर के लोगों के जख्मों पर मरहम लगाने जैसी कोई घोषणा नहीं की। मणिपुर में इसी जातीय संघर्ष में 100 से अधिक चर्चों को जला दिया गया। अपने भाषण में मोदी जी ने ईसाई अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों के जलाने पर भी कोई राहत की बात नहीं की और न ही उन्हें कोई उचित सुरक्षा प्रदान करने की बात कहीं। मोदी जी आए दिन उन राज्यों का दौरा करके रैलियाँ कर रहे हैं, जहाँ विधान सभा चुनाव होने है। उनमें हिंदुत्ववादी धार्मिक संसदों का आयोजन भी करा रहे हैं। यह दुर्भाग्य की बात है कि देश का प्रधानमंत्री देश की जनता के लिए चिंतित नहीं है। वह तो सिर्फ साम, दाम, दंड, भेद से भिन्न-भिन्न राज्यों में चुनाव जीतकर हिंदुत्ववादी मानसिकता वाली कट्टर आतंकी सरकारें देश में स्थापित करने के लिए प्रयासरत है। ताकि जनता का कोई भला न होकर देश में उथल-पुथल की स्थिति बनी रहे। मोदी जी का मूल चरित्र संघी है और संघियों में शांति और सद्भाव के लिए कोई जगह नहीं होती है। वे तो सिर्फ समाज में गैर जरूरी मुद्दे उठाकर अस्थिरता पैदा करते हैं और फिर समाज में पैदा हुई अस्थिरता को पाटने व शांत करने के लिए मनुवादी छलावों का सहारा लेते हैं। अपने दस साल के प्रधानमंत्रित्व काल में मोदी ने सिर्फ जुमले, छलावे, झूठे वायदे, बेबुनियादी हवाई बातें ही की हैं। पिछले दस साल के दौरान जनता से जुड़े किसी भी मुद्दे का मोदी सरकार ने न तो कोई संज्ञान लिया है और न कोई समाधान किया है।
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मोदी जी ने भाषण की शुरूआत मणिपुर से जरूर की और कहा कि कई लोगों को अपना जीवन खोना पड़ा, बहन बेटियों के सम्मान के साथ खिलवाड़ हुआ परंतु उन्होंने अपने भाषण में जनता को यह नहीं बताया कि जिन लोगों के साथ अमानवीय घटनाएँ हुई है उनपर मरहम लगाने के लिए मेरी सरकार क्या काम करेगी? इतनी बड़ी मणिपुर की घटना पर हल्का सा बोलकर मोदी जी ने अपना पल्ला झाड़ लिया।
अपने भाषण में मोदी ने तीन बुराइयों का जिक्र किया। इन तीन बुराइयों में उन्होंने भ्रष्टाचार, परिवारवाद, तुष्टीकरण को बताया। लोकहित के दृष्टिकोण से ये तीनों बुराइयाँ अहम है परंतु मोदी जी से जनता पूछना चाहती है कि आप भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर ही सत्ता में आए थे और लोगों से वोट माँगते वक्त वायदा भी किया था कि देश में कांग्रेसियों की सत्ता के दौरान जो भ्रष्टाचार पनपा है उसे एक तय समय सीमा में हम जड़ से खत्म कर देंगे। अपने दस साल के प्रधानमंत्रित्व काल में क्या आपको भ्रष्टाचार को खत्म करने की याद नहीं आयी? क्या चुनावों के वक्त ही आपको भ्रष्टाचार की याद आती है? मोदी जी साथ में यह भी बताओ जहाँ-जहाँ आपकी डबल इंजन की सरकारें हैं क्या वे प्रदेश भ्रष्टाचार मुक्त हो चुके हैं? जहाँ-जहाँ आपकी डबल इंजन की सरकारें हैं वहाँ-वहाँ पर भ्रष्टाचार का लेवल अपेक्षाकृत तीन से चार गुणा तक बढ़ चुका है। क्या आपको भ्रष्टाचार सिर्फ विपक्ष की सरकारों में ही दिखाई देता है, अपनी डबल इंजन की सरकारों में नहीं? मोदी जी कर्नाटक के विधान सभा चुनाव अभी कुछ ही महीने पहले हुए हैं जहाँ पर आपने और आपके भरोसेमंद मंत्रियों ने ताबड़तोड़ रैलियाँ की थी। कर्नाटक की जनता ने आपकी सरकार के ठेकों में 40 प्रतिशत कमीशन लेने का मुद्दा उठा था और इसी 40 प्रतिशत के मुद्दे पर आपकी डबल इंजन की सरकार चुनाव हार गई। कर्नाटक की जनता का देश धन्यवाद करता है कि वहाँ की जनता आपके झूठे छलावों में नहीं फंसी और वहाँ की जनता ने यथार्थ की जमीन को देखकर अपना वोट किया और आपकी झूठी और छलावामयी पार्टी को कर्नाटक से बेदखल कर दिया।
मोदी जी क्या आपको याद नहीं है कि मध्य प्रदेश के उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में आपने चुनाव में लोगों को छलने के लिए जो तथाकथित मूर्तियाँ स्थापित कराई थी वे कुछ दिन बाद ही आँधी के हल्के से झौंके से हवा में उड़ गई थी। मोदी जी क्या यह डबल इंजन की सरकार द्वारा किया गया भ्रष्टाचार का खुला नमूना नहीं था? आपने इस भ्रष्टाचार का एक बार भी जिक्र नहीं किया, क्या आपको यह देखकर शर्म आ रही है या आप जान-बूझकर यह सोचकर, छिपकर चुप बैठे हैं कि जनता कुछ दिन बाद इन सब बातों को भूल जाएगी। मोदी जी याद रखो कि प्रजातंत्र में जनता ही सर्वोपरि होती है जो आपके भ्रष्टाचारी कृत्यों को देखकर आपको इसी प्रकार उड़ा देगी जैसे आपके द्वारा उद्घाटन की गई मूर्तियाँ हल्की सी आँधी के झौके से उड़ गई थी।
मोदी जी देश में जिन-जिन प्रदेशों में आपकी डबल इंजन की सरकारें हैं वहाँ-वहाँ पर जनता सरकारी तंत्रों में बढ़ते भ्रष्टाचार से त्रस्त है और जनता कह रही है कि जो काम पहले 500-1000 रुपए देकर होता था वही काम अब डबल इंजन की सरकारों के प्रशासन में 3000-5000 रुपए देकर होता है। मोदी जी क्या आपको अपनी डबल इंजन की सरकारों के भ्रष्टचार पर नजर नहीं रखनी चाहिए? मोदी जी आपके प्रिय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के राज में तो भ्रष्टाचार इस कदर बढ़ गया है कि वहाँ पर भ्रष्टाचार खुले सांड की तरह खुला घूम रहा है। मोदी जी ने अपने भाषण में दूसरी बुराई परिवारवाद को बताया है, क्या परिवारवाद आपको विपक्ष में ही दिखाई देता है। भाजपा या आपके अनुसांगिक संगठनों में परिवारवाद किस सीमा तक है यह आपको क्यों नहीं पता है? परिवारजन शब्द को आपने अपने भाषण में 50 बार इस्तेमाल किया मगर फिर भी आप जनता को सच्चाई नहीं बता पाये। आपके अपने सगे पारिवारिक भाइयों की हालत आपके प्रधानमंत्री बनने से पहले क्या थी और आज क्या है? जनता के सामने आपने यह प्रश्न क्यों नहीं रखे? सोशल मीडिया के सूत्रों से देश की जनता को पता चल रहा है कि आपके भाइयों की संपत्ति में बेतहाशा वृद्धि हुई है? क्या आपको उनकी आर्थिक स्थिति के बारे में जनता को नहीं बताना चाहिए? मोदी जी आज दुनिया संचार क्रांति के युग में है इस युग में जनता से कुछ भी छिपा पाना असंभव है।
मोदी जी ने लाल किले से यह ऐलान भी किया कि ‘अपने घर का सपना’ देखने वाले शहरी लोगों के लिए बैंक लोन में राहत दी जायेगी। स्वास्थ्य के मुद्दे पर मोदी जी ने देश की जनता से जन-औषधी केंद्रों की संख्या 10,000 से बढ़ाकर 25,000 कर देने की बात भी कही। देश की जनता के लिए यह घोषणा बैमायने है। देश की जनता को शिक्षा, स्वास्थ्य और जनता से जुड़े सरोकार बिना किसी शुल्क के प्रदान किए जाने चाहिए तभी जनता राहत की साँस ले सकती है। ओबीसी समुदायों को 17 सितंबर को विश्वकर्मा जयंती के मौके पर ‘विश्वकर्मा योजना’ शुरू की जाएगी। मोदी जी ओबीसी समुदाय को जो सुनहरा सपना दिखा रहे हैं वह वास्तविकता के आधार पर ओबीसी समुदायों के साथ एक बहुत बड़ा षड्यंत्र है। विश्वकर्मा योजना के तहत संघियों का जो मनुवादी षड्यंत्र छिपा है वह यह हैं कि ओबीसी व दलितों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने से रोका जाये? संघियों की मूल किताब ‘बँच आॅफ थोट’ में साफ लिखा है कि देश की कामगार जातियों को उनके पारंपरिक कामों तक सीमित रखा जाए और शिक्षा से वंचित करके आगे बढ़ने से रोका जाये। इस विश्वकर्मा योजना के तहत मनुवादी मानसिकता की सोच यही है कि धोबी, धोबी का, लौहार, लौहार का, नाई, नाई का व अन्य सभी कामगार सिर्फ अपने सभी पारंपरिक काम करें उन्हें अधिक पढ़ाई करने की जरूरत नहीं। उन्हें इसी काम के लिए सरकार उनके कार्यों से जुड़े औजारों की किट भी मुफ्त में प्रदान करेगी और सभी को अपने पारंपरिक काम करने तक सीमित करेगी। मनुवादियों को यह अच्छा नहीं लग रहा है कि आप पढ़-लिखकर बड़े अफसर बने, सत्ता का सुख भोगे, यह उनको पच नहीं रहा है आप सिर्फ मुफ्त की रेबड़िया खाकर उन्हें वोट देकर सत्ता में स्थापित करते रहो यही आपका काम मनुवादियों को चाहिए ओबीसी समुदाय समझे कि मोदी जी की यही ‘विश्वकर्मा योजना’ है।
मोदी जी ने अपने भाषणों में महिला सशक्तिकरण की बात करते रहते हैं जबकि देश को पता है कि मोदी जी ने अपनी पत्नी को अपने साथ नहीं रखा हुआ है, मोदी जी जब महिलाओं की बात करते हैं तो उसमें दोगलापन ही दिखाई देता है, कुछ दिन पहले दिल्ली में देश की महिला पहलवानों ने अपने ऊपर हुए यौन शोषण को लेकर महीनों तक आंदोलन व धरना प्रदर्शन किया। मोदी जी न तो उनसे मिले और न उनकी बात सुनने के लिए अपने पास बुलाया। चूंकि जिस व्यक्ति पर महिला पहलवानों ने यौन शोषण का आरोप लगाया था वह भाजपा का ही सांसद व कुश्ती संघ का अध्यक्ष है तो फिर मोदी जी महिलाओं के सशक्तिकरण की बात किस मुँह से कर रहे हैं?
महँगाई को लेकर मोदी जी ने जिक्र किया और कहा कि हम महँगाई से लड़कर उसे नितंत्रण में लाने की कोशिश कर रहे हैं। मोदी जी की ये सभी बातें निराधार और छलावे युक्त लगती है चूंकि आज देश की गरीब जनता 50 रुपए किलो आटा, 60 रुपए से अधिक किलो का चावल, 200-300 रुपए किलो टमाटर, जीरा 1000 रुपए, अदरक 360 रुपए किलो, चीनी 50 रुपए किलो, चायपत्ती 400 रुपए किलो, प्याज 60 रुपए किलो जैसी रोजमर्रा की खाने वाली चीजों का इतना महंगा होना मोदी है तो मुमकिन हो पाया है। जनता महँगाई की मार से बुरी तरह त्रस्त है।
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