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सभी खतरों से निपटने में सक्षम है भारतीय सेना

News

2025-05-23 18:17:27

आज देश आतंकवादियों के निशाने पर है, ऐसा क्यों हैं, क्या हमारी रणनीतिक चूक है या हमारी सामाजिक व्यवस्था में खामिया हैं, या फिर सरकार की सुरक्षा नीति में चूक है? कई वर्षों से भारत पड़ोसी देशों के आतंकवादियों से जूझ रहा है। देश में अभी तक जो आतंकवादी हमले हुए हैं वे ज्यादातर भाजपा संघी शासन के दौरान ही हुए हैं। यह जनता के लिए एक विचारणीय प्रश्न है कि जिस देश का प्रधानमंत्री और उसके धार्मिक अंधभक्तों की फौज रात-दिन अनर्गल अलाप करके देश की जनता को मूर्ख समझकर बता रही है कि मोदी जी का विश्व में डंका बज रहा है? पाकिस्तान मोदी से थर-थर काँप रहा है। देश की जनता मोदी और उसके अंधभक्तों से स्पष्टता से पूछना चाहती है कि जब मोदी जी से पाकिस्तान काँप रहा है तो आतंकी हमला कैसे हुआ? देश की स्थिति मोदी ने ऐसी बना दी है कि सभी पड़ोसी देशों से हमारे संबंध तनावपूर्ण है। यह दर्शाता है कि मोदी शासन की रणनीति और कूटनीति दोनों पूरी तरह विफल है। मोदी के धार्मिक अन्धभक्त और देश की नासमझ जनता मोदी के छलावे में फँसकर उसे विश्व गुरु बना रही है जो दुनिया का एक सबसे बड़ा छलावा है। जिस देश के संबंध पड़ोसी देशों से अच्छे न हो क्या वह शासन की विफलता नहीं है? मोदी संघी शासन ने 2014 से देश में अपने अंधभक्तों के माध्यम से हिंदू-मुसलमान का राग अपालकर जो नफरत के बीज बौये हैं शायद आतंकी हमला उसी का प्रतिफल है। किसी मुद्दे को लेकर किसी के साथ तनाव हो, मगर यहाँ तो सभी पड़ोसी देश भारत के साथ अपने अच्छे संबंध नहीं रखे हुए हैं। क्या यह मोदी संघी शासन की विफलता का प्रतीक नहीं है?

बैर से बैर बढ़ता है घटता नहीं: भगवान बुद्ध का यह साधारण कथन सभी के लिए उपयोगी है। मोदी संघी शासन ने अपने करीब 12 वर्षों के दौरान एक ही काम किया है। हिंदू-मुसलमान, पाकिस्तान, कपड़ों से पहचाने जाते हैं, अनर्गल संघी प्रचारकों की नफरती फौज समाज में उतरकर, सत्ताबल के सहारे नफरत को समाज में गहराई तक समाहित करने का काम कर रही है। हर रोज कलश यात्राएं, भागवत कथायें, हनुमान चालीसा, सुंदर कांड का पाठ, तिरंगा यात्रा आदि से देश की जनता को मूर्ख बनाकर यह बताया जा रहा है कि मोदी की वजह से देश का चारों तरफ दूर-दूर तक डंका बज रहा है। देश की फौजी ताकत से पाकिस्तान के छक्के छूट रहे हैं और पाकिस्तान घबरा रहा है। पाकिस्तान के असली चेहरे को दुनिया के सामने रखने के लिए 59 सांसदों की सर्वदलीय टीम को 33 देशों में भेजा जा रहा है। 59 सांसद 7 टीमों में बंटे हैं। इन सभी टीमों का मकसद एक ही होगा कि पाकिस्तान एक आतंकवादी देश है जो बार-बार भारत पर आतंकी हमले करवाता है। देश की जनता मोदी जी से पूछना चाहती है कि अगर इन सभी सांसदों के डेलिगेशन का मकसद पाकिस्तान को सिर्फ आतंकवादी देश साबित करना है तो यह कार्य आसानी से भी किया जा सकता था। सभी देशों के राजदूतों के साथ प्रेस कांफ्रेस करके इन मुद्दों से मोदी जी स्वयं अवगत करा सकते थे। इस प्रक्रिया में समय भी कम लगता और धन भी बचता। मोदी जी को पैसे की चिंता नहीं है वे तो देश के पैसे को अपने लिए और अपनी झूठी छवि देश-विदेश में फैलाने के लिए जनता के धन को पानी की तरह बहाते रहे हैं। मोदी जी के द्वारा भेजे जा रहे डेलिगेशन से क्या भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे मतभेद, द्वेष कम होंगे? हमें लगता है कम तो नहीं होंगे उल्टा पाकिस्तान भी मोदी की तर्ज पर अपने देश से डेलिगेशन भेजने की बात कर रहा है। इससे साफ है कि बैर से बैर घटने के बजाए और आगे बढ़ेगा। पाकिस्तान के उग्रवादियों ने भारत के सैलानियों पर हमला किया और बेगुनाहों की जान ली, जो एक बहुत ही संवेदनशील मुद्दा था। तब पाकिस्तान के साथ कई विदेशी राजनयिक खड़े नजर आए परंतु भारत के साथ कोई भी नजर नहीं आया इससे पता चलता है कि विदेशियों को भारत की आंतरिक संरचना के बारे में और मोदी जी की नफरती राजनीति के बारे में सबकुछ पता है। इसलिए मोदी जी के साथ दुनिया का कोई भी देश नहीं है। यहाँ तक कि मोदी जी ट्रम्प को अपना दोस्त बताते हैं वह भी इस दुर्दांत घटना के बाद पाकिस्तान की तरफ झुका हुआ दिखा। मोदी की पाखंडी मानसिकता को देखकर ‘नकली-असली’ फिल्म का ये गाना याद आता है ‘लाख छिपाओ छुप न सकेगा राज हो कितना गहरा, दिल की बात बता देता है असली-नकली चेहरा’। सारी दुनिया जानती है कि मोदी जी विश्व में सबसे बड़े झूठ और पाखंड फैलाने वाले व्यक्ति हैं, वे अपनी संघी मानसिकता के बलबूते कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहते हैं। उनके किसी भी वक्तव्य में सत्यता नहीं होती, वे हर मौके को अपने चुनावी फायदे की तरफ मोड़ने की कोशिश करते हैं। कुछ ही महीने बाद बिहार में विधान सभा के चुनाव होने हैं। 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के अगले दिन मोदी जी बिहार में चुनावी फायदे के लिए रैली करने पहुँच गए। अगर मोदी जी में मरने वाले सैलानियों के प्रति जरा भी संवेदनशीलता होती तो उन्हें आतंकी हमलों में मारे गए बेगुनाहों के परिजनों से मिलने जाना चाहिए था। लेकिन मोदी जी ने यह न करके बिहार में चुनावी रैली को प्राथमिकता दी। देशवासियों को सोचना चाहिए कि भारत जैसे महान देश को क्या ऐसे असंवेदनशील प्रधानमंत्री की आवश्यकता है? मोदी व अन्य संघी मनुवादी लोग देश को बार-बार हिंदू राज्य पुकारकर देश की जनता को छलने का काम कर रहे हैं। देश की आधी आबादी भी हिंदू नहीं है। देश में करीब 17 प्रतिशत अनुसूचित जाति के लोग है जो मनुवादी वर्गीकरण के अनुसार हिंदू नहीं है। देश में करीब 8 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के लोग है। बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर ने इन सभी एससी/एसटी के लोगों को लंदन की गोलमेज सभा के सम्मेलनों में गांधी व देश से गए अन्य प्रतिनिधियों के सामने सिद्ध कर दिया था कि एससी और एसटी के लोग हिंदू नहीं है। उन्हें अति विशिष्ट अल्पसंख्यक माना जाए। बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर के द्वारा प्रस्तुत तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर ब्रिटिश सरकार ने बाबा साहब की दलीलों को स्वीकारते हुए एससी व एससी के सभी जातीय घटकों को एक अति विशिष्ट अल्पसंख्यक मानकर कम्युनल अवार्ड घोषित किया था। अगर फिर भी एससी/एसटी का कोई भी जातीय घटक अपने आपको मनुवादियों के छलावे में आकर हिंदू मानता है तो वह या तो तथ्यों से अनभिज्ञ है या फिर उच्च कोटी का मूर्ख है। इसी के साथ इस देश में 15-16 प्रतिशत मुस्लिम समुदाय के लोग हैं जो हिंदू नहीं कहलाये जा सकते, देश में 3 प्रतिशत सिख हैं तथा 1 प्रतिशत के करीब ईसाई हैं और साथ में 1 या 1.5 प्रतिशत अन्य गैर हिंदू लोग है। ये सब मिलाकर करीब 45 से 50 प्रतिशत से अधिक वे लोग हैं जो हिंदू वर्गीकरण में नहीं गिने जा सकते। इनके अलावा देश में करीब 10-12 प्रतिशत वे लोग हैं जो नास्तिक हैं। इस प्रकार देश की जनसंख्या का 55 प्रतिशत भाग भी हिंदू नहीं है। इन्हीं तथ्यों को ध्यान में रखते हुए मनुवादी संघी लोग अपनी ढपली रात-दिन गली-मौहल्लों में बजाकर हिंदुत्व का जागरण करते रहते हैं, उन्हें अच्छी तरह पता है कि हिंदू धर्म नाम का पौधा एक गमले के पौधे जैसा है जब तक उसे प्रपंचकारी मनुवादी मानसिकता का खाद-पानी मिलता रहेगा वह जिंदा दिखाई देता रहेगा, अन्यथा वह मर जाएगा। हिंदुत्ववादी मनुवादियों को हम सचेत करना चाहे हैं कि हिंदुत्व की वैचारिकी मानवता विरोधी है इसलिए उसका अस्तित्व अब 100 साल से अधिक नहीं है। यह तथ्य जानकर अब देश के बहुत सारे जागरूक लोग अपने आपको हिंदू कहलाने से बचते हैं और हिंदू बने रहने में शर्म महसूस करते हैं। इसके विपरीत मोदी संघियों को यह पता है कि भारत ही अकेला ऐसा देश है जहाँ पर कुछेक हिंदू गिने जाने वाले लोग हैं। विश्व में करीब 60 से अधिक देश इस्लामिक हैं और उनकी जनसंख्या विश्व में ईसाइयों के बाद दूसरे नंबर पर हैं।

भगवान बुद्ध का कथन बैर से बैर बढ़ता है इसलिए भारत और पाकिस्तान दोनों देशों को आपस में बैर नहीं रखना चाहिए। दोनों देशों की जनता को आपस में मिल-जुलकर रहना चाहिए, दोनों देशों में बराबर का धार्मिक पाखंडवाद और अंधता है। दोनों का अतीत बुद्ध का ही है इसलिए दोनों देशों को बुद्ध की शिक्षाओं पर अमल करना चाहिए, तभी दोनों देश प्रगति पथ पर अग्रसर हो सकते हैं?

मनुवादी संघी शासन में आतंकवादी घटनाएँ अधिक =

उरी हमला: 18 सितंबर 2016 को जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में नियंत्रण रेखा के पास स्थित भारतीय सेना के कैम्प पर हमला किया गया था। इस हमले में 19 जवान मारे गए थे। इस हमले को दो दशकों का सबसे बड़ा हमला बताया गया था।

=पठानकोट हमला: 2 जनवरी 2016 को चरमपंथियों ने पंजाब के पठानकोट एयरबेस पर हमला किया था। इसमें 7 सुरक्षाकर्मी मारे गए थे जबकि 20 अन्य घायल हुए थे। जवाबी कार्रवाई में चार चरमपंथियों की भी मारे गये थे।

=गुरदासपुर हमला: 27 जुलाई 2015 को पंजाब के गुरदासपुर के दीनापुर में हमलावरों ने एक बस पर फायरिंग की और इसके बाद पुलिस थाने पर हमला कर दिया। हमले में एसपी समेत चार पुलिसकर्मी और तीन नागरिक मारे गए थे।

=अमरनाथ यात्रियों पर हमला: 10 जुलाई 2017 को अमरनाथ जा रहे श्रद्धालुओं पर अनंतनाग जिÞले में एक चरमपंथी हमला हुआ। इस हमले में 7 लोग मारे गए थे।

=पुलवामा हमला: पुलवामा जिÞले में श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग पर चरमपंथियों ने आईईडी धमाका कर सीआरपीएफ के काफिले पर हमला किया था। इस हमले में 43 जवान मारे गए थे और कई जख़्मी भी हुए थे। मोदी की जाँच एजेंसियां अभी तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँची है।

मोदी-संघी आतताही लोग अमन चेन में विश्वास नहीं रखते वे हमेशा अपने नफरती बयानों से जनता में उथल-पुथल मचाकर आनंद का अनुभव करते हैं। सभी मनुवादी संघियों की पैदाइस इसी वातावरण में हुई है। संघियों की पृष्ठभूमि मुसोलिनी तानाशाह जैसे नायक की रही है चूंकि उनके पूर्ववर्ती नेताओं ने मुसोलिनी से ही शिक्षा लेकर 1925 में संघ की स्थापना की थी और तभी से वे अपने चेलों को समाज में उथल-पुथल की शिक्षा देते हैं। समाज में शांति और सद्भावना बनाने में उनका कोई विश्वास नहीं है। इसलिए आज देश में हर जगह उथल-पुथल और सामाजिक भेदभाव व सामाजिक नफरत की घटनाएँ अधिक घट रही हैं। दलितों के साथ हिंदुत्ववादी आतंकी घटनाओं को अधिक अंजाम दिया जा रहा है। जिनका नेतृत्व भाजपा संघी नेताओं द्वारा किया जा रहा है।

भाजपा संघी सरकार देश में खड़ा कर रही संवैधानिक संकट: भाजपा संघियों के राजनैतिक परिवेश को देखकर जनता को खुलेआम महसूस हो रहा है कि भाजपा के मनुवादी राजनेता संवैधानिक संकट पैदा करने में अपनी अग्रणीय भूमिका निभा रहे हैं। शायद इसके पीछे का मन्तव्य है कि संविधान को कमजोर किया जाए; और जनता का संविधान के प्रति भरोसा कमतर किया जाए। अभी हाल के उच्चतम न्यायालयों के फैसलों में प्रदेश के राज्यपालों के लिए समय सीमा निर्धारण करने को लेकर भाजपा संघी नेताओं की मानसिक प्रवृति के अनुसार उबाल है और उन्होंने देश की माननीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु जी को उच्चतम न्यायालय के सापेक्ष खड़ा करके 14 सवाल पूछे हैं। जो संवैधानिक प्रक्रिया के विपरीत है। इससे वे यह साबित करना चाहते हैं कि देश में संसद ही सर्वोच्य है, संविधान नहीं। जबकि पूरे विश्व के जागरूक व बुद्धिमान लोग यह जानते हैं कि भारत की संसदीय प्रणाली में संविधान ही सर्वोच्य है विधायिका व कार्यपालिका नहीं। इस घटना को देखकर महाभारत में भीष्म पितामह के वध की योजना याद आती है। पांडवों की युक्ति आज के संघी मनुवादियों की छलावामयी रणनीति से मेल खाती है।

जय जवान, जय संविधान

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01 जनवरी : मूलनिवासी शौर्य दिवस (भीमा कोरेगांव-पुणे) (1818)

01 जनवरी : राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले और राष्ट्रमाता सावित्री बाई फुले द्वारा प्रथम भारतीय पाठशाला प्रारंभ (1848)

01 जनवरी : बाबा साहेब अम्बेडकर द्वारा ‘द अनटचैबिल्स’ नामक पुस्तक का प्रकाशन (1948)

01 जनवरी : मण्डल आयोग का गठन (1979)

02 जनवरी : गुरु कबीर स्मृति दिवस (1476)

03 जनवरी : राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले जयंती दिवस (1831)

06 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. जयंती (1904)

08 जनवरी : विश्व बौद्ध ध्वज दिवस (1891)

09 जनवरी : प्रथम मुस्लिम महिला शिक्षिका फातिमा शेख जन्म दिवस (1831)

12 जनवरी : राजमाता जिजाऊ जयंती दिवस (1598)

12 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. स्मृति दिवस (1939)

12 जनवरी : उस्मानिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद ने बाबा साहेब को डी.लिट. की उपाधि प्रदान की (1953)

12 जनवरी : चंद्रिका प्रसाद जिज्ञासु परिनिर्वाण दिवस (1972)

13 जनवरी : तिलका मांझी शाहदत दिवस (1785)

14 जनवरी : सर मंगूराम मंगोलिया जन्म दिवस (1886)

15 जनवरी : बहन कुमारी मायावती जयंती दिवस (1956)

18 जनवरी : अब्दुल कय्यूम अंसारी स्मृति दिवस (1973)

18 जनवरी : बाबासाहेब द्वारा राणाडे, गांधी व जिन्ना पर प्रवचन (1943)

23 जनवरी : अहमदाबाद में डॉ. अम्बेडकर ने शांतिपूर्ण मार्च निकालकर सभा को संबोधित किया (1938)

24 जनवरी : राजर्षि छत्रपति साहूजी महाराज द्वारा प्राथमिक शिक्षा को मुफ्त व अनिवार्य करने का आदेश (1917)

24 जनवरी : कर्पूरी ठाकुर जयंती दिवस (1924)

26 जनवरी : गणतंत्र दिवस (1950)

27 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर का साउथ बरो कमीशन के सामने साक्षात्कार (1919)

29 जनवरी : महाप्राण जोगेन्द्रनाथ मण्डल जयंती दिवस (1904)

30 जनवरी : सत्यनारायण गोयनका का जन्मदिवस (1924)

31 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर द्वारा आंदोलन के मुखपत्र ‘‘मूकनायक’’ का प्रारम्भ (1920)

2024-01-13 16:38:05