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सदियों से बहुजन समाज बटता और कटता आ रहा है

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2024-11-08 13:05:06

ब्राह्मणी मनुवादी संस्कृति के लोग इस मुद्दे को जोर-शोर से जनता में प्रचारित कर रहे हैं। सबसे पहले भारतीय समाज को इन मनुवादी संस्कृति के लोगों को यह बताना चाहिए कि भारतीय समाज को टुकड़ों, वर्णों एवं जातियों में बाँटने का काम किसने शुरू किया? यह बात संघ प्रमुख मोहन भागवत भी प्रमाणित कर चुके हैं। यह कार्य किस डर से किया गया, स्पष्ट रूप से समाज में इन लोगों को बताना चाहिए। ब्राह्मणी और मनुवादी संस्कृति के लोग भारतीय समाज को स्पष्ट करें कि ऐसे षड्यंत्रकारी स्लोगन समाज को छलने के लिए क्यों दिये जा रहे हैं? भारतीय जनता विशेषकर शूद्र (एससी/ एसटी/ ओबीसी/ पसमांदा अल्पसंख्यक) समाज अब अतीत के मुकाबले जागरूक है, समझदार है, वह अब ब्राह्मणी संस्कृति के छलावों की समझ रखने में बेहतर हुआ है। इसलिए हम ब्राह्मणी संस्कृति के हिदुत्ववादियों को यह बताना चाहते हैं कि वे किसी भ्रम में न रहे और ऐसे षड्यंत्रों की रचना करके, लोगों को मूर्ख समझकर उन्हें अपने षड्यंत्रकारी जाल में फँसाने की कोशिश न करें। हम इन ब्राह्मणी संस्कृति के पाखण्डियों को यह भी बताना चाहते हैं कि सरकारी समर्थन और धन के बल पर शहर के गली, मौहल्लों में ‘जय श्रीराम’ के उद्घोष को बंद करें। जनता को पता है कि गली-मौहल्लों में ऐसे उद्घोष निरंतरता के साथ कराकर जनता को मूर्ख समझकर वे छलना चाहते हैं। उनका असली निशाना शूद्र वर्ग की कम समझ महिला व बच्चों को इस षड्यंत्र में फँसाना है और अपने पाखंडी तथाकथित बाबाओं के प्रवचन सुनने के लिए बड़े-बड़े टैंट, उनमें खाने-पीने की व्यवस्था तथा अपने संघी षड्यंत्र के प्रचार-प्रसार को जनता के मस्तिष्क में स्थापित करना है। उन्हें और जनता को यह भी मालूम है कि दिल्ली में आगामी 3-4 महीने में विधान सभा के चुनाव होने हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने अपने पाखंडी प्रचार-प्रसार को तेज कर दिया है। अब देश की राजधानी की जनता को इस ब्राह्मणी संस्कृति के पाखंड को समझकर, विशेषकर शूद्रों (बहुजन समाज) को उनके जाल में नहीं फँसना है। देशहित और जनहित को ध्यान में रखकर उन्हें वोट देने का फैसला करना है। वोट देते समय यह भी ध्यान में रखना है कि ब्राह्मणी संस्कृति ने कभी भी इस देश की जनता का भला नहीं किया। उन्होंने हमेशा ब्राह्मणी संस्कृति के हित को सर्वोपरि रखा और देश की जनता को छोटे-छोटे जातीय टुकड़ों में बांटा है। इन जातीय टुकड़ो के लालची, स्वार्थी व उनके धन-बल की ताकत से अपने आपको समाज में चमकाने का काम किया। इसी छल-कपट की नीति से बहुजन समाज को कभी एक नहीं होने दिया। इसी रणनीति पर चलते हुए ब्राह्मणी संस्कृति के लोगों ने बहुजन समाज की ताकत को हमेशा बाँटकर रखा जिसका फायदा हमेशा ब्राह्मणी संस्कृति के मनुवादियों को हुआ। आज समय आ गया है कि ब्राह्मणी संस्कृति के इसी छल-कपट की नीति को बहुजन समाज समझें और बहुजन समाज के बाँटने के उनके प्रयास को विफल करे। अपने जातीय घटकों में एकता की भावना को बढ़ाएं, समाज को छोटे-छोटे जातीय टुकड़ों में न बंटने दे, बहुजन समाज में जितने भी जातीय घटक है वास्तव में वे ही इस देश के मूलनिवासी है और उनकी एकता ही उनकी राजनीतिक ताकत बना सकती है।

ब्राह्मणी संस्कृति के मनुवादी लोग इस बात को अच्छी तरह समझते हैं और अपनी षड्यंत्रकारी नीति के तहत पूरे बहुजन समाज में जातीयता की भावना को बढ़ाकर उसी के आधार पर बाँटकर देश की मनुवादी सत्ता को स्थापित करते हैं। बहुजन समाज अपनी कम समझ और आपस में एकता के भाव को न रखने के कारण देश की सत्ता में मनुवादियों को स्थापित कर रहा है। मनुवादियों के इस छल को समझकर अब अपने सभी जातीय (बहुजन) घटकों में एकता की भावना को स्थापित करके मनुवादियों की षड्यंत्रकारी नीति को चुनाव में विफल करके बहुजन समाज की सत्ता स्थापित करनी होगी।

बहुजन समाज के बंटने से फायदा किसको? यह पूर्णतया स्पष्ट है कि बंटने से नुकसान हमेशा बंटने वालों को होता है और बाँटने के षड्यंत्र के पीछे जो षड्यंत्रकारी होते हैं फायदा उन्हीं को होता है। इस देश की जनता को विभिन्न वर्णों, जातीय घटकों में बाँटने का काम ब्राह्मणी संस्कृति के मनुवादियों ने ही किया है। चिरकाल से आजतक ऐसा करने से फायदा भी ब्राह्मणी संस्कृति के मनुवादियों को ही हुआ है। इस षड्यंत्र को समझने में बहुजन समाज की भोली-भाली, अशिक्षित व कम समझ वाली जनता हमेशा विफल ही रही है। उनकी इसी विफलता के कारण ब्राह्मणी संस्कृति के मनुवादी लोग समाज में सर्वोपरि बनकर अपनी जातीय श्रेष्ठता और वर्चस्व स्थापित करते रहे हैं। आजतक बहुजन समाज अपनी अशिक्षित व्यवस्था के कारण ब्राह्मणवादी/मनुवादियों के षड्यंत्र को समझने में नाकामयाब रहे। भारत में शिक्षा के द्वार लॉर्ड मैकाले ने सभी के लिए समान रूप से खोले। शिक्षा और कानून में समानता का अधिकार देने का श्रेय भी उन्हीं को जाता है। जिसकी ब्राह्मणी संस्कृति के मनुवादी लोगों ने भर्त्सना की और आज भी करते हैं। देश की भोली-भाली जनता में झूठा प्रचार करते हैं कि मैकॉले के शिक्षा मॉडल ने हमारी शिक्षा और संस्कृति को ध्वस्त किया है।

मैकाले के द्वारा कानून और शिक्षा को समानता के आधार पर स्थापित करके भारत की जनता को बराबर के अधिकार मिले। बहुजन समाज की जनता को भी पढ़ने-लिखने का अधिकार मिला, उनके द्वारा दिये शिक्षा के अधिकार के कारण (शूद्र) शिक्षा ग्रहण कर पाये और शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात उन्हें यथासंभव सरकारी नौकरियां भी प्राप्त हुई। सरकारी नौकरियों के आधार पर बहुजन समाज का समझदार वर्ग संपन्नता के रास्ते पर आगे बढ़ा और उसी आधार पर उन्होंने अपनी पीढ़ी को भी शिक्षित करने का काम किया। लॉर्ड मैकाले की व्यवस्था के कारण ही इस देश में समानता का अधिकार पूरे समाज को मिला। मैकाले द्वारा ही भारतीय समाज को 1860 में इंडियन पैनल कोड बनाकर दिया गया। जिसके आधार पर भारतीय समाज में एक जैसे अपराधों के लिए भारतीय दण्ड संहिता लागू की गई। जिसके आधार पर इस देश में पहली बार बंगाल के ‘नन्द कुमार’ नाम के ब्राह्मण को फाँसी की सजा सुनाई गई थी। जिसको लेकर मनुवादी संस्कृति के ब्राह्मणों ने इस बात का पूरे देश में विरोध किया था और इस कार्य को देश विरोधी कृत्य बताकर लोगों को बरगलाया भी था।

मनुवादी समाज किसको न बंटने का उपदेश देना चाहता है: शायद मनुवादी संस्कृति का समाज यह उपदेश बहुजन समाज को टारगेट करके न बंटने का उपदेश दे रहा है। उनका इस स्लोगन से तात्पर्य है कि बहुजन समाज के सभी जातीय घटक हिन्दू हैं और वे बंटकर न रहे। उनमें एकता के आधार पर हिंदुत्व की भावना जाग्रत हो जिसका फायदा मनुवादी संस्कृति के ब्राह्मणवादियों को होगा। इसलिए बहुजन समाज के जागरूक लोगों से अपील की जाती है कि वे मनुवादियों के इस छलावे में न फँसे उन्होंने अतीत में आपके पूर्वजों को जो यातनायें दी हैं वे अविस्मरणीय है। उन्हीं को ध्यान में रखकर बहुजन समाज मनुवादी संस्कृति के षड्यंत्र में न फँसे और अपने आपको हिन्दू समाज का अंग न माने। चूंकि ब्राह्मणवादियों के ऐसे बयानों और छलावों में फँसाने के लिए आज बड़े-बड़े होर्डिंग लगाए जा रहे हैं और उनके द्वारा जनता को अपने जाल में फँसाने का षड्यंत्र किया जा रहा है। मनुवादी संस्कृति के लोगों को मालूम है कि बहुजन समाज की भोली-भाली जनता की आधी संख्या भी इनके षड्यंत्रकारी जाल में फंस जाये तो आने वाले दिल्ली विधान सभा चुनाव में उनकी जीत पक्की हो सकती है। इसी उद्देश्य को सफल बनाने के लिए पूरा मनुवादी संस्कृति तंत्र देश की जनता को अपने झूठ के आधार पर बरगलाने का काम कर रहा है। अब देखना यह है कि बहुजन समाज के जो जातीय घटक मनुवादी जाल में फँसकर उन्हें वोट देने का फैसला करते हैं तो नुकसान किसको होगा। इसलिए बहुजन समाज के जागरूक लोगों को समाज के बीच उतरकर मनुवादियों की इस मंशा का पदार्फाश करके अपने महापुरुषों द्वारा बताएँ गए रास्ते पर चलने की शिक्षा देनी चाहिए। मनुवादी संस्कृति के लोग अगर गरम तवे पर बैठकर भी कोई वायदा करके आपको आश्वासन दें तो भी उस पर यकीन नहीं करना चाहिए। बहुजन समाज के महापुरुषों की ऐसी शिक्षा रही है जिसपर चलकर हम अपने समाज को सही रास्ता दिखा सकते हैं।

आरएसएस इस षड्यंत्रकारी प्रचार में अधिक दिलचस्पी क्यों ले रहा है? आरएसएस की दिलचस्पी का कारण साफ है कि वह देश की राजनीति में अपना प्रभुत्व और सत्ता बनाए रखने के लिए हर षड्यंत्रकारी कार्य करने के लिए समर्पित है। जबकि बहुजन समाज की कम जागरूक और कम समझ जनता उनके षड्यंत्र को समझने में कम पड़ रही है। अब इसका इलाज यही हो सकता है कि बहुजन समाज अपनी पूरी ताकत लगाकर और ब्राह्मणी संस्कृति के मनुवादी षड्यंत्र को बताकर तथा समझकर उन्हें जागरूक करे। उन्हें यह भी बताया जाये कि उनके इसी तरह के षड्यंत्रों के कारण हमारा बहुजन (शूद्र) समाज सभी मानवीय अधिकारों से वंचित रहा, संपत्ति विहीन रहा और अशिक्षित भी रहा। जिसके कारण हमारे समाज में इन सभी चीजों की आज भी कमतरता दिखती है। मनुवादियों का टारगेट बहुजन समाज की भोली-भाली महिलाओं को फँसाने का रहता है और बहुत हद तक वे षड्यंत्रकारी जाल में कामयाब भी हो रहे हैं। पाखंडी बाबाओं द्वारा बड़े-बड़े पांडाल लगाकर हमारे समाज की कम समझ महिलाओं को इसमें बुलाया जा रहा है। उन्हें वहाँ पर खाना खिलाकर छोटी-मोटी वस्तुएं भी भेंट की जा रही हंै जिसके कारण बहुजन समाज की ये सभी महिलाएँ स्थायी रूप से इनके जाल में फँसकर मनुवादी समाज को अपना वोट देखने का काम कर रही हैं। ऐसे सभी व्यक्तियों व महिलाओं को उनके इस षड्यंत्रकारी जाल में न फँसने की प्रतिज्ञा करनी चाहिए।

वर्तमान सरकार की मानसिकता? आज देश में मनुवादी संस्कृति की सत्ता स्थापित है जिसके बल पर पूरे देश में पाखंडी (तथाकथित साधु/संत) प्रचार चरम पर है। बहुजन समाज को ऐसे प्रचारों के माध्यम से उनकी छलावामयी संस्कृति पर विश्वास नहीं करना चाहिए। आज देश की मनुवादी सरकार के बल पर ही ये सभी पाखंडी प्रचार कराए जा रहे हैं। इनसे बहुजन समाज को अपनी बुद्धिमत्ता और चतुराई से किनारा करना है चूंकि इनके ऐसे छलावामयी प्रचार-प्रसार कभी भी देश और जनहित में नहीं रहे। इन्होंने अपने ऐसे प्रचारों के माध्यम से बहुजन समाज की जनता को हमेशा ठगने का काम किया है। इनकी किसी भी बात पर भरोसा करना बहुजन समाज के हित में नहीं है, इसलिए देश की बहुजन जनता से अपील है कि ब्राह्मणी संस्कृति के ऐसे छलावों से सावधान रहे और मनुवादियों को कभी भी अपना कीमती वोट देने का विचार न करे। ये सभी मनुवादी लोग अतीत में हमारे महापुरुषों के हत्यारे रहे हैं। अतीत में हमारे जिन महापुरुषों ने समाज को जगाकर सही रास्ते पर चलने का पाठ सिखाया था उन सभी का इस छलावामयी संस्कृति के लोगों ने षड्यंत्रकारी तरीके से वध किया था। इसलिए इन लोगों को किसी भी तरह अपने हित में समझना, कम समझ का परिचय ही होगा। बहुजन समाज की जागरूक जनता अपने समाज के कम जागरूक लोगों को एक रहने का मंत्र दे और उनको समय आने पर ब्राह्मणी संस्कृति के लोगों को वोट न देने का प्रण भी कराये।

बहुजन समाज के जातीय घटकों को क्या करना चाहिए? बहुजन समाज के जातीय घटकों को अपने समाज की सफलता और उन्हें आगे बढ़ने के लिए एकता का पाठ पढ़ाना चाहिए। उन्हें यह भी समझना चाहिए कि वे किसी भी कीमत पर न बंटे। चूंकि ब्राह्मणी संस्कृति के मनुवादी लोग ही हम लोगों को आपस में बाँटकर और काटकर अपनी सत्ता स्थापित करते आ रहे हैं। हम सब अब एक होकर प्रण करे कि हम कभी भी मनुवादी सरकारों को अपना वोट नहीं देंगे। हम हर हालत में बहुजन समाज के चुनावी प्रत्याशियों को ही अपना समर्थन देंगे। अगर बहुजन समाज का कोई भी प्रत्याशी ब्राह्मणी संस्कृति के पाले में जाकर चुनाव लड़ने का प्रयास करता है तो उसे भी अपना समर्थन न देने का प्रण करे। ब्राह्मणी संस्कृति के मनुवादियों ने हमारे समाज के अग्रणीय लोगों का कत्ल बहुजन समाज के व्यक्तियों द्वारा सुपारी देकर ही कराया था। इन सब बातों से सावधान रहकर ही हमें आगे बढ़ना है और समाज को जागरूक करना है। किसी भी हाल में हमें आपस में बंटना नहीं है चाहे सरकार किसी भी तरह की चाल चले। अभी हाल में आरक्षण में वर्गीकरण सरकार की एक छिपी हुई चाल थी जिससे वह समाज की दो बहुसंख्यक जातियों को दो हिस्सों में बांटना चाहती है। ऐसा करके वह इस तरह बांटने का फायदा चुनावों के जरिए सवर्णों को पहुंचाना चाहती है। बहुजन समाज ऐसी चालों से सावधान रहे और आपस में अपना भाईचारा कभी भी कम न होने दें। बहुजन समाज के सभी जातिय घटकों से निवेदन है कि वह अपनी कम और कमजोर जातियों को अपने साथ लेकर आगे बढ़े।

मनुवाद हटाओ, देश बचाओ

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01 जनवरी : मूलनिवासी शौर्य दिवस (भीमा कोरेगांव-पुणे) (1818)

01 जनवरी : राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले और राष्ट्रमाता सावित्री बाई फुले द्वारा प्रथम भारतीय पाठशाला प्रारंभ (1848)

01 जनवरी : बाबा साहेब अम्बेडकर द्वारा ‘द अनटचैबिल्स’ नामक पुस्तक का प्रकाशन (1948)

01 जनवरी : मण्डल आयोग का गठन (1979)

02 जनवरी : गुरु कबीर स्मृति दिवस (1476)

03 जनवरी : राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले जयंती दिवस (1831)

06 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. जयंती (1904)

08 जनवरी : विश्व बौद्ध ध्वज दिवस (1891)

09 जनवरी : प्रथम मुस्लिम महिला शिक्षिका फातिमा शेख जन्म दिवस (1831)

12 जनवरी : राजमाता जिजाऊ जयंती दिवस (1598)

12 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. स्मृति दिवस (1939)

12 जनवरी : उस्मानिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद ने बाबा साहेब को डी.लिट. की उपाधि प्रदान की (1953)

12 जनवरी : चंद्रिका प्रसाद जिज्ञासु परिनिर्वाण दिवस (1972)

13 जनवरी : तिलका मांझी शाहदत दिवस (1785)

14 जनवरी : सर मंगूराम मंगोलिया जन्म दिवस (1886)

15 जनवरी : बहन कुमारी मायावती जयंती दिवस (1956)

18 जनवरी : अब्दुल कय्यूम अंसारी स्मृति दिवस (1973)

18 जनवरी : बाबासाहेब द्वारा राणाडे, गांधी व जिन्ना पर प्रवचन (1943)

23 जनवरी : अहमदाबाद में डॉ. अम्बेडकर ने शांतिपूर्ण मार्च निकालकर सभा को संबोधित किया (1938)

24 जनवरी : राजर्षि छत्रपति साहूजी महाराज द्वारा प्राथमिक शिक्षा को मुफ्त व अनिवार्य करने का आदेश (1917)

24 जनवरी : कर्पूरी ठाकुर जयंती दिवस (1924)

26 जनवरी : गणतंत्र दिवस (1950)

27 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर का साउथ बरो कमीशन के सामने साक्षात्कार (1919)

29 जनवरी : महाप्राण जोगेन्द्रनाथ मण्डल जयंती दिवस (1904)

30 जनवरी : सत्यनारायण गोयनका का जन्मदिवस (1924)

31 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर द्वारा आंदोलन के मुखपत्र ‘‘मूकनायक’’ का प्रारम्भ (1920)

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