2025-06-14 14:17:20
मोदी-संघी सरकार ने सत्ता में 11 साल पूरे कर लिए हैं। मोदी-संघी लोग हमेशा ही अपनी तुलना भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के कार्यकाल से करते हैं जबकि मोदी और उनके संघी साथियों में तुलना करने के लिए कुछ भी सार्थक नहीं हैं। जवाहर लाल नेहरु और इन्दिरा गांधी जब देश के प्रधानमंत्री थे तब इन नेताओं का नाम विश्व के महान नेताओं में था। नेहरु एक वैज्ञानिक सोच के व्यक्ति थे, पाखंड और काल्पनिक पत्थर की मूर्तियों में विश्वास नहीं करते थे। नेहरु पूरे विश्व के नेताओं की कतार में एक स्टेट मैन की भूमिका रखते थे। श्रीमती इन्दिरा गांधी ने भी अपने कार्यकाल में देश को कई मुसीबतों से उभारा। वे देश के प्रति समर्पण, ईमानदारी और अदम्य साहस से मुकाबला करने के लिए जानी गई। उन्होंने पाकिस्तान के दो टुकड़े कराकर पूर्वी पाकिस्तान को बांग्लादेश में बदला। वे किसी भी देश के सामने झुकी नहीं और अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश को भी उन्होंने अपने देश की राजनीति में दखल करने नहीं दिया। मोदी-संघी मानसिकता के लोग हमेशा से ही अपने आपको राष्ट्रभक्त कहते हैं लेकिन उनके व्यवहार में देश की मुखबरी करना ही रहा है तथा देश को नुकसान पहुँचाने के लिए विदेशी आकाओं पर निर्भर रहते हैं। ताजा उदाहरण अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प का है जो बार-बार मोदी को नीचा दिखा रहे हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध मैंने रुकवा दिया। और मोदी इस बयान पर मौन हैं। मोदी-संघी शासन के दौरान पाकिस्तान से जितने भी हमले हुए हैं वे सभी मनुवादी सरकारों के काल में ही हुए हैं। मनुवादी संघी सरकारों की एक फितरत है कि वे स्वयं मियाँमिट्ठू बनते हैं और अपनी तारीफों के पुलों का निर्माण करने के लिए साम-दाम-दंड के आधार पर अंधभक्त पैदा करते हैं। मोदी-संघी सरकार ने अपने 11 वर्षों में अंधभक्तों की एक बड़ी फौज खड़ी की हैं। संघी मनुवादियों को शायद इस बात का ज्ञान नहीं है कि जब तक ये अंधभक्त सरकार से कुछ खा रहे हैं तभी तक ये संघी सरकारों का गुणगान करेंगे, उसके बाद ये सभी अंधभक्त पाला बदलने में भी महारथ रखते हैं।
भारत 1947 में आजाद हुआ तब से 2014 तक देश की जीडीपी 2 ट्रिलियन डॉलर थी, लेकिन मोदी-संघी सरकार के 11 वर्षों के दौरान कुल जीडीपी 4.187 ट्रिलियन डॉलर हो गई। यह कोई मोदी संघी सरकार का करिश्मा नहीं है, बल्कि यह देश की बढ़ती आबादी का आउट-पुट है। देश की भोली-भाली जनता को मालूम होना चाहिए कि जीडीपी का बुनियादी आधार जनसंख्या होती है, लेकिन चौथी वैश्विक अर्थव्यवस्था वाले भारत की प्रतिव्यक्ति आय 2.31 लाख रुपये हैं। विश्व के सर्वोच्य 10 अर्थव्यवस्था वाले देशों में भारत की प्रतिव्यक्ति आय सबसे कम हैं। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की हालिया रिपोर्टों में खुलासा हुआ है कि भारत में करीब 27 करोड़ लोग अत्यधिक गरीबी से बाहर आयें हैं, जो रोजाना 250 रुपये के करीब खर्च कर सकते हैं। लेकिन भारत की मोदी संघी सरकार जोर-जोर से ढ़ोल पीटकर कह रही है कि हर महीने करीब 81 करोड़ लोगों को मुफ्त में राशन बांटा जा रहा हैं। यह एक बड़ा छलावा है, कथनी और करनी में फर्क है। एक तरफ 27 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर बताया जा रहा है, दूसरी और 81 करोड़ गरीबों को मुफ्त में राशन बांटा जा रहा है। मोदी संघी सरकार द्वारा बताए गए आँकड़े जनता को भ्रामक लगते हैं।
विपक्षी नेताओं के सवाल: विपक्ष के मल्लिकार्जुन खरगे ने जोर देकर कहा है कि मोदी संघी सरकार ने नोटबंदी, जीएसटी, अनियोजित लॉक डाउन और असंगठित क्षेत्रों पर मनुवादी हथौड़ा चलाकर करोड़ों भारतीयों का भविष्य बर्बाद किया, मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, स्टैंडअप इंडिया, डिजिटल इंडिया, नमामी गंगे, सौ स्मार्ट शहर, स्वच्छ भारत अभियान, प्रतिवर्ष दो करोड़ लोगों को रोजगार, हर भारतीय नागरिक के बैंक खाते में 15-15 लाख रुपये, विदेशों से सौ दिन में काला धन वापस, किसानों की आय दुगुनी, आतंकवाद का खात्मा, प्रमुख शहरों के बीच बुलेट ट्रेन चलना आदि सैंकड़ों घोषणाएँ की लेकिन मोदी संघी सरकार ने अभी तक उनमें से एक भी पूरी नहीं की। सारी घोषणाएँ जुमला ही साबित हुर्इं। विपक्ष और जनता ने समय-समय पर मोदी संघी सरकार से इन सवालों पर बातचीत की।
महँगाई और बेरोजगारी: मोदी संघी शासन में महँगाई और बेरोजगारी बेइंतिहा बड़ी है, देश में आर्थिक असमानता पिछले सौ सालों में सबसे अधिक दिखाई दे रही है। मोदी संघी सरकार झूठ बोलने में, छलावे दिखाने में, भविष्य के सपने दिखाने में सबसे आगे है जिसके कारण आज की युवा पीढ़ी विकास के सभी मानकों में पीछे हैं।
जनता से छिपाये जा रहे निर्यात के आँकड़े: भारत चीन को 16 बिलियन डॉलर का निर्यात करता है, वहीं भारत चीन से 113 बिलियन डॉलर का आयात करता है। इस प्रकार भारत को 97 बिलियन डॉलर का नुकसान है। लेकिन गोदी मीडिया, अंधभक्त व सेलेब्रिटी चीन का बहिष्कार करने पर मोदी की प्रशंसा करते नहीं थकते। मोदी के अंधभक्त सचमुच भ्रामक दुनिया में रह रहे हैं, वर्तमान की सच्चाई यह है कि आप चीन को पसंद या ना पसंद कर सकते हैं लेकिन उसे नजरअंदाज नहीं कर सकते। चूंकि चीन हर मौर्चे पर भारत से कई कदम आगे है बल्कि वह दूसरे विकसित देशों से भी अच्छा कर रहा है।
मनुवादी संघियों की आँकड़े छिपाने की पुरानी आदत: मोदी संघी सरकार ने चीन हमले में शहीद हुए सैनिकों के आंकड़ें छिपाए; कोरोना व आॅक्सीजन की कमी से मरने वाले के आंकड़ें छिपाएं; कुंभ मेलों में मरने वालों के भी आँकड़े छिपाएं, राफेल डील के आँकड़े छिपाएं; पीएम केयर फंड के आँकड़े छिपाएं; चुनावी चंदे के आँकड़े छिपाएं; दलित-अल्पसंख्यकों पर बढ़ रहे अत्याचार के आँकड़े छिपाएं।
मोदी संघियों के 11 साल, जनता बेहाल: भारत आज विश्व के सभी स्तरों पर नीचे जाता दिख रहा है। विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत 151वें स्थान पर; काला धन काला ही रह गया; कुपोषण में भारत 120 देशों में 105वें स्थान पर; भारत में प्रतिव्यक्ति आय ‘अंगोला’ जैसे देश से भी कम है; प्रतिव्यक्ति आय के मामले में भारत 142वें स्थान पर; पाकिस्तान के खिलाफ भारत का एक भी पड़ोसी देश समर्थन में नहीं आया; 2014 में जो इंजीनियर 3 लाख कमाता था वह 2025 में भी 3 लाख पर ही है; प्रचार और झूठ में मोदी विश्व चैम्पियन बन गए हैं; ईडी और सीबीआई का इस्तेमाल सिर्फ विपक्ष और जनता की आवाज दबाने के लिए हो रहा है।
मोदी-संघी सरकार समाज में फैला रही नफरत: मोदी संघी मानसिकता के लोग खुलेआम ऐलान करते हैं कि कपड़ों से पहचान हो जाती है; मोदी कभी पंचर बनाने वाली बातें करते हैं; कभी शमशान और कब्रिस्तान की बात करते हैं; अगर अमानवीय अत्याचार आदिवासी, दलितों व अल्पसंख्यकों पर होता है तो मोदी उससे विचलित नहीं होते; मोदी संघियों को लोगों का अपमान करने में मजा आता है; भाजपा से संबंधित लोग जब जनता को प्रताड़ित करते हैं तो उनपर कोई कार्यवाही नहीं होती; मोदी संघी सरकार घटिया भाषा और झूठ का प्रचार-प्रसार करती है; न्यायपालिका पर जनता का भरोसा कमजोर हुआ है; चुनाव आयोग जैसी संस्था की साख गिरी है; देश के विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों में शोध ठप है चूंकि उन्हें शोध के लिए बजट ही नहीं दिया जा रहा है; देश के विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों का भगवाकरण कराया जा रहा है; अधिकतर शोध विषय गाय-गोबर और पाखंड से प्रेरित है; शोध और शिक्षण संस्थानों का निजीकरण कराया जा रहा है; 11 वर्षों में लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ माने जाने वाले मीडिया का स्तर पाताल में पहुँच चुका है; प्रधानमंत्री मोदी की भाषा का स्तर सभी सीमाएँ तोड़कर अमर्यादित हो गया है; सोना गरीबों की पहुँच से बाहर हो चुका है; देश बाबा-भक्ति, धर्म संसद, सत्संग आदि के प्रपंचों में फंस चुका है; बलात्कारी बाबाओं को पैरोल पर छोड़ा जा रहा है; भाजपा के अशिष्ट और अश्लील नेताओं को राजनीतिक रसूक के कारण छूट मिल रही है; मोदी ने 11 साल के शासन में देश में तबाही की बिसात बिछायी है; 11 वर्षों के मोदी संघी शासन में सैन्य बलों की संख्या में कमी आयी है; 11 वर्षों में सांप्रदायिकता अधिक मुखर हुई है और देश की सामाजिक व्यवस्था मोदी काल में दो ध्रुवों में बंटी दिखाई देती है; देश की सामाजिक समरसता और सद्भावना में कमी आयी है।
महिलाओं और दलितों के प्रति अपराध: बीजेपी से जुड़े नेता और कार्यकर्ता जब किसी महिला के साथ अपराध करते हैं तो मोदी उन्हें संरक्षण देते हैं; कुलदीप सेंगर, ब्रजभूषण सिंह, प्रज्वल रेवन्ना, रामदुलार गौड, चिनमियानन्द, बब्बन सिंह, मनोहर लाल धाकड़ आदि ज्वलंत उदाहरण है; दलितों पर अपराध के मामले 11 वर्षों में 13 प्रतिशत बढ़े हैं; आदिवासियों पर अपराध के मामले 14.3 प्रतिशत बढ़े हैं; आदिवासियों के सिर पर पेशाब करना और उसे भाजपाई सरकार द्वारा संरक्षण देना आम बात हो गई है।
देश का राजा मस्त किसान पस्त: मोदी संघी सरकार ने किसानों के आंदोलन को कुचला और सत्ता के नशे में उनकी जायज मांगों को नहीं सुना, जिसके कारण किसानों के आंदोलन में 750 किसानों की शहादत हुईं; एमएसपी का वायदा करके, एमएसपी को आजतक कानूनी जामा नहीं पहनाया गया; महिला पहलवानों के आंदोलन को सत्ताबल की ताकत से कुचला ये सभी महिला पहलवान देश के किसान परिवारों से ही आती है।
संघी सरकारें दलितों की सबसे बड़ी दुश्मन: संघी मानसिकता के लोग सिर्फ भाजपा में ही नहीं हैं वे मूल रूप से कांग्रेस में भी उतने ही कारगर रहे हैं। वास्तविकता के आधार पर मनुवादी संघियों की जनक कांग्रेस ही है। शुरूआती दौर में कांग्रेस में ब्राह्मणवाद का वर्चस्व था और वहीं से मनुवादी-संघियों की पैदाइस हुई। जो मूलत: देश के आदिवासियों, अत्यंत पिछड़ी जाति के लोगों से, दलित जातियों व सभी वर्गों की महिलाओं पर अत्याचार और नफरत करना अपना अधिकार समझते रहे। यही मानसिक परिपाटी आज संघी भाजपा में दिखाई दे रही है। आज जो दलित समुदाय के व्यक्ति भाजपा सरकारों में शामिल है या अपने किसी स्वार्थ के लिए भाजपा में शामिल होकर कार्य कर रहे हैं वे कभी भी दलित समाज के हितैषी नहीं हो सकते। वे ऐसा करके दलित समाज के स्वाभिमान को कुचलकर अपने राजनैतिक स्वार्थ के लिए भाजपा संघी सरकारों से चिपककर वहाँ उनकी गुलामी कर रहे हैं। दलित समाज को सामूहिकता के आधार पर ऐसे छिपे आस्तीन के साँपों का संज्ञान लेना चाहिए और समाज की एकता के बल पर उन्हें बाहर करना चाहिए। भाजपा संघी मानसिकता के लोग कोई भी अनैतिक, अमर्यादित, प्रताड़ित करने वाले काम से नहीं डरते, वे सिर्फ एक ही चीज से डरते हैं और उसका नाम है ‘चुनाव में हारना’। इसी डर के कारण मोदी संघी सरकार चुनाव आयोग में और न्यायपालिकाओं में संघी मानसिकता के लोगों को भर रही है। ताकि परिणाम उनकी इच्छा के मुताबिक आ सके।
दलित समुदाय को मनुवादी संघियों से दूर रहना चाहिए: मनुवादी संघी लोग भारत के संविधान और उसके निर्माता बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर से नफरत करते हैं। क्योंकि उन्होंने संविधान में समतामूलक समाज की स्थापना की और सभी दलितों, पिछड़े व अल्पसंख्यकों के अधिकारों को संरक्षित किया। इसलिए मनुवादी संघी मानसिकता के लोग चाहे किसी भी राजनीतिक पार्टी में हो वे बाबा साहेब से नफरत करते हैं। नफरत करने का आधार मनुवादियों के धार्मिक ग्रंथों में छिपा दलित व पिछड़ों के लिए तिरस्कार और अपमान है। क्योंकि उनके तथाकथित धार्मिक ग्रंथ उन्हें दलितों, शूद्रों व सभी वर्गों की महिलाओं सहित सभी पर अमानवीय अत्याचार करने का अधिकार देते हैं। इसलिए हमारा सभी दलित व पिछड़े समाज के लोगों से आग्रह है कि वे अपना स्वयं का हित छोड़कर समाज के हित में कार्य करें और अपने समाज की भलाई के लिए बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर के आचरण को समाहित करके उसका पालन करें।
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