2023-09-29 11:23:36
वर्तमान मोदी-संघी शासन में नफरत का माहौल खूब पनप रहा है। संघी मानसिकता के लोग देश को हिन्दू-मुसलमान में बाँटकर, मनुवाद का चोला ओढ़कर सत्ता का स्वाद ले रहे हैं। वास्तविकता के आधार पर देखा जाये तो ब्राह्मणों की नीति ‘समाज बांटो और राज करो’ की रही है जो आज भी जारी है। यही नीति देश में पिछले पाँच हजार वर्षों से चली आ रही है। पूरे देश की जनसंख्या को मनुवादियों ने 6743 जातियों में बांटा हुआ है। इससे साफ है कि समाज में विभाजन की प्रक्रिया ब्राह्मणों ने अपने स्वार्थवश शुरू की थी। लेकिन ब्राह्मण वर्ग इस तथ्य को सीधे-सीधे स्वीकार नहीं करता बल्कि वह कहता है कि ‘बांटो और राज करो’ की नीति अंग्रेजों की देन है। जनता को बरगलाकर ब्राह्मणों के द्वारा यह कोरा झूठ परोसा जा रहा है जो तथ्यों के विपरीत है। ऐतिहासिक तथ्य इस बात के साक्षी है कि समाज में विभाजन की प्रक्रिया ब्राह्मणों ने शुरू की और उसे सींचा भी। ब्राह्मण वर्ग की होशियारी और चालाकी के कारण आम जनता आज तक यह नहीं समझ पायी कि ब्राह्मण हमेशा अपने हित के लिए काम करता है। वह देश व समाज के लिए काम नहीं करता। ब्राह्मणों के स्वार्थ के सामने देश और जनता का हित कोई मायने नहीं रखता क्योंकि उनके डीएनए में अपना हित ही सर्वोपरि है। इसलिए देश के पिछले पाँच हजार साल के इतिहास में ऐसा एक भी उदाहरण नहीं मिलता जब ब्राह्मण वर्ग ने अपने स्वार्थ में काम नहीं किया हो। ब्राह्मण वर्ग ने जातीय सामाजिक बँटवारा शायद अपने आपको समाज में श्रेष्ठ रखने के उद्देश्य से किया है और बाकी बचे हुए लोगों को मूर्ख बनाकर, छलावों में फंसाकर, अगले-पिछले जन्म का डर दिखाकर, यहाँ के भोले-भाले लोगों में भ्रम की स्थिति पैदा की। उसी के आधार पर भोली-भाली जनता से धन लूटता है और कहता है कि ब्राह्मण को उसकी तृप्ति के लिए दान दो, पुण्य कमाओ तो आपका जीवन सुखमय होगा। ब्राह्मण वर्ग न कोई श्रम करता है और न ही समाज उपयोगी कार्यों में अपना वक्त देता है। वह तो सिर्फ (247) दिन लोगों को भ्रमित करके उनको मूल पथ से भटकाता है और जनता को लूटने के लिए अनावश्यक आशीर्वाद देने का ढोंग करता है। समाज के विभिन्न समुदायों में आपसी नफरत का बीजारोपन करता है।
देश में पनप रहा पुजारियों का पाखंड: देश में जबसे यूरेशियन आर्यों (ब्राह्मण) का आगमन हुआ है तभी से देश में झूठ, प्रपंच, नफरत के बीजों को भारत की भूमि पर रोपित किया जा रहा है। हर रोज नए-नए पुजारी पैदा किए जा रहे हैं। उन्हें आवश्यक संसाधनों से लेस करके समाज में पाखंड फैलवाया जा रहा है। उसके लिए आवश्यक धन-सामग्री भाजपा संघी नेताओं द्वारा जुटाई जा रही है। पूरे देश में पुजारियों द्वारा जो पाखंड फैलाया जा रहा है उसका सभी वर्गों में जोर-शोर से गुणगान किया जा रहा है। जनता की वैज्ञानिक सोच व समझ को विभिन्न प्रकार के झूठ और पाखंड के द्वारा खत्म किया जा रहा है। गाय-गोबर, हिन्दू-मुसलमान करके जनता के बीच भ्रम की स्थिति पैदा की जा रही है। दलित व मुस्लिमों पर गाय-गोबर के स्लोगनों द्वारा लिंचिंग करायी जा रही है। लिंचिंग के नाम पर मनुवादी मानसिकता के लोगों द्वारा दलित-मुस्लिमों की हत्याएँ करायी जा रही है। यह सब कुछ समाज में अचानक नहीं घट रहा है। इस सबके पीछे मनुवादी संघी सोच के लोगों का शासन है। जो लोगों को आपस में शांत व सद्भावना के साथ बैठने नहीं देती है। तथाकथित साधु, संत, पुजारी देश के लोगों को भ्रमित करने के लिए जगह-जगह जाकर अपने प्रचार व कथाओं का आयोजन करते हैं। उनके बीच जोर-जोर से नारे लगाकर लोगों को यह बताते हैं कि देश का हिन्दू खतरे में हैं। देश की जनता को ब्राह्मणी पंडे-पुजारी मूर्ख ही समझते हैं, वे ये भी हिसाब नहीं लगाते हैं कि जब देश में मुगलों व अन्य मुसलमान शासकों का राज था तो जिन हिंदुओं को आज धर्म के नाम पर खतरा हो रहा हैं उन्हें तब खतरा क्यों नहीं हुआ? जो आज के हिन्दू व्यवस्था में अधिक हो रहा है! यह मनुवादियों द्वारा सोची-समझी रणनीति है, इसके पीछे का उद्देश्य यही है कि देश की जनता को अपने मार्ग से भटकाओ, मिथ्या बातें करो, और असत्य बातों को जनता में बार-बार प्रचार करके उनके मस्तिष्क में बैठाओ और जब तक दोहराते रहो तब तक ये प्रपंचकारी बातें उनको सत्य न लगने लगे। हिन्दुत्ववादी गुंडों की मॉब लिंचिंग से देश के सैंकड़ों बेगुनाहों लोगों की जाने चली गई है। वर्तमान शासनकर्त्ता जमात को इन घृणित घटनाओं का न कोई अफसोस है और न ही देश की कानून व्यवस्था ने ऐसी घटनाओं पर कोई सवाल खड़ा किया है? इससे यह साफ हो जाता है कि जो कुछ जनता में घटित हो रहा है उस सबके पीछे मनुवादी संघी शासन की मानसिकता ही काम कर रही है जो षड्यंत्रकारी तरीकों से जनता को मूर्ख बना रही है कि यह कानून व्यवस्था का सवाल है। मगर उनसे कोई ये पूछे कि देश की कानून व्यवस्था सरकार के अधीन है या किसी और के अधीन है। अगर सरकार कानून का राज स्थापित करने में विफल है तो ऐसी सरकार को या तो खुद ही शासन की गद्दी छोड़ देनी चाहिए या फिर जनता को इसका संज्ञान लेकर चुनाव में ऐसी सरकार को हराना चाहिए।
देश में उगाया जा रहा नफरत का माहौल: देश में पिछले पाँच हजार वर्षो से मंदिर संस्कृति को बढ़ावा देकर उसे फैलाया जा रहा है। इस सबके पीछे मनुवादी संघियों की रणनीति यह है कि समाज में जितना पाखंड फैलाकर जनता को बाँटकर रखोगे मनुवादियों को उतना ही फायदा होगा। वास्तविकता के आधार पर वर्तमान मोदी-संघी शासन हिंदुत्व की बात करता है और उसे आगे बढ़ाने के लिए सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग भी करता है। मनुवादी संघी चरित्र के व्यक्ति 247 समाज में नफरत ही नफरत रोपित करते हैं। जनता में जोर-जोर से अपने प्रचार माध्यमों से झूठ तंत्र के आधार पर बताते हैं कि देश की हिन्दू जनता को मुस्लिमों से खतरा है उसकी रक्षा के लिए दलित वर्ग के ना समझ नौजवानों को झाड़ के पेड़ पर चढ़ाकर उन्हें यह सीखाओं और उनमें तथाकथित धर्म की बातें ठूस-ठूस कर भारो कि तुम हिन्दू धर्म के रक्षक हो। तुम ही हिन्दू धर्म की रक्षा कर सकते हो, धर्म की रक्षा करना तुम्हारा कर्तव्य है, धर्म की रक्षा करते हुए अगर तुम कुर्बान भी हो जाओ तो सीधे स्वर्ग में जाओगे, अकल के अंधे, ऐसे धर्म रक्षकों से अगर यह सवाल किया जाये कि यह धर्म का काम है और ऐसा काम करने से मनुष्य का जीवन सुखमय होता होगा तो धर्म की रक्षा करने के लिए ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य समाज के लोग आगे क्यों नहीं आ रहे हैं? यहाँ यह साफ हो जाता है कि दलित वर्ग के नौजवान बच्चों को धर्म रूपी नशा पिलाकर उन्हें बलि का बकरा बनाकर तैयार किया जाता है। ऐसा करने में अगर दलित नौजवानों की जान भी चली जाये तो ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य वर्ग को कोई नुकसान नहीं होता। दलित वर्ग के बच्चों के साथ सभी क्षेत्रों में जाति-धर्म के नाम पर जो भेदभाव होता है वह किसी से छिपा नहीं है। मगर विडंबना यह है कि दलित वर्ग के काफी नौजवान बच्चों को मनुवादी खेल समझ में आ ही नहीं रहा है और वे बनावटी बातों में फँसकर हिंदुत्व के लिए अपनी आहुती देने के लिए तैयार हो जाते हैं। बहुजन समाज के युवक-युवतियां सबकुछ देखकर, पढ़कर व जानकर भी सचेत व जागरूक नहीं हो रहे हैं। मनुवादियों के कहने पर हिंदुत्व की रक्षा के लिए अपनी जान की बाजी लगा रहे हैं, जो बहुजन समाज के लिए घातक है।
संसद में हिंदुत्व के गुंडों का खुला प्रदर्शन: हाल ही में नई संसद भवन का पाँच दिवसीय विशेष सत्र चला जिसमें भाजपा सांसद रामवीर सिंह बिधूडी नाम के गुर्जर समाज के गुण्डे ने संसद में जो मनुवादी चरित्र का प्रदर्शन किया वह सिर्फ शर्मनाक ही नहीं था बल्कि इतना घटिया किस्म का था। उसे देखकर दुनिया के सभी सभ्य समाज के सदस्यों ने शर्मनाक माना और यह महसूस किया कि भाजपा मनुवादी सांसदों के पास कोई शर्म-लिहाज नहीं बची है। सांसद रामवीर सिंह बिधूडी के बिगड़ेल बोल सुनकर संसद में पीछे बैठे भाजपा के वरिष्ठ सांसद हँसते हुए नजर आ रहे थे। इससे यह साफ है कि भाजपा मनुवादी संघी शासन में उनके दल में जीतकर आए सभी सदस्य बेहद निर्लज्ज है। सभ्यता की सीमाएँ उनके आसपास भी नहीं है वे किसी भी हद तक जाकर ऐसा बेहूदा प्रदर्शन कर सकते हैं। इतिहास गवाह है कि मनुवादी व्यवस्था में विश्वास रखने वाले लोगों के द्वारा हमेशा मानवता विहीन आचरण करके देश और दुनिया को शर्मसार किया गया है। देश की बहुजन जनता को इसका कठोर संज्ञान लेना चाहिए और संसद में बैठे ऐसे बेशर्म और निर्लज्ज लोगों को 2024 के आम चुनाव में जीतकर न आने देने का संकल्प भी लेना चाहिए। मर्यादाओं को तार-तार करते हुए रामवीर सिंह बिधूडी का सभ्य समाज ने बेहुदा प्रदर्शन देखा वह निहायत ही असभ्य था, उससे सिर्फ सांसद दानिश अली का ही अपमान नहीं हुआ बल्कि देश के उन सभी व्यक्तियों का अपमान हुआ जिनके पास थोडी बहुत शर्म हया का भाव मौजूद है और जो मानवता और मर्यादाओं में विश्वास रखते हैं। रामवीर सिंह बिधूडी ने यह भी साबित किया है कि संघी-भाजपा के पास मानवता के लिए कोई कार्यक्रम नहीं है। देश के नौजवानों को नफरत की भट्टी में झोंककर, हिन्दू-मुसलमान का जहर फैलाकर सत्ता की कुर्सी हासिल करना ही मोदी-संघी भाजपा का एक मात्र उद्देश्य है। बहुजन समाज के लोगों से आग्रह है कि वे इस प्रकार के मनुवादी जहर से बचें और ऐसे हालातों में मुस्लिमों का एकजुट होकर साथ दें। इतिहास गवाह है कि मुस्लिम समुदाय कभी भी दलितों का विरोधी नहीं रहा। मुस्लिमों ने ज्योतिबा फुले व सावित्रीबाई फुले से लेकर बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर के मिशन में हमेशा जरूरत के हिसाब से सहायता प्रदान की है और सामाजिक परिस्थितियों में हमारे महापुरुषों का दिल से साथ दिया है। समाज में जिस प्रकार भाजपा विरोध और नफरत की भावना पैदा कर रही है उससे जनता में द्वेष की भावना बढ़ेगी, घटेगी नहीं। भगवान बुद्ध ने जनता के कल्याण के लिए अपने उपदेश में कहा था- ‘बैर से बैर बढ़ता है, घटता नहीं’ इसलिए किसी से बैर मत करो। सबका भला चाहो, साथ मिलकर रहो, यही मानव कल्याण का रास्ता है।
दलित-मुस्लिम एकता देश में बने सदाबहार।
मोदी-संघी सरकार को फेंक दो सरहद पार॥
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