2024-01-25 12:47:15
पाखंड तो इस देश में कई शताब्दियों से विद्यमान है लेकिन मोदी-संघी ने राम की पत्थर की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम कराकर देश को मुर्खानन्द बनाने का इतिहास रच दिया है। मोदी-संघियों ने दुनिया को यह बता दिया है कि मूर्ख, कमसमझ, अज्ञान, ज्ञानवान और तर्कशील व्यक्ति पूरी दुनिया में है। लेकिन मोदी ने प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम कराकर यह सिद्ध कर दिया कि दुनिया में सबसे अधिक अंधभक्त, मूर्ख, कमसमझ, अज्ञान लोग भारत में ही है। ऐसा लगता है कि ऐसे लोग जितने पूरी दुनिया में है उससे भी अधिक अकेले भारत में हैं। ऐसा प्राकृतिक तौर पर संभव नहीं है लेकिन ऐसा होने के पीछे देश में मौजूद ब्राह्मणवाद और मनुवाद है। ये दोनों ही तत्व एक-दूसरे के पर्यायवाची है जो मनुष्यों में तर्क, बुद्धि, सोच-समझ, न्याय और अभिव्यक्ति की वैचारिकी को निरंतरता के साथ ध्वस्त करते रहते हैं और इसी की वजह से आज यह देश मोदी-संघियों ने मूर्खता के शिखर पर पहुँचा दिया है। दुनिया के अन्य देश अपनी वैज्ञानिक तकनीकी शोधों से अपने देश की जनता से जुड़ी समस्याओं का समाधान कर रहे हैं। लेकिन भारत की मोदी संघी सरकार कोरोना काल में जब देश के लोग लाइनें लगाकर मर रहे थे, देश में चारों ओर हाहाकार था तब मोदी संघी सरकार अपने बेहाल लोगों को दवाई और आॅक्सीजन भी उपलब्ध नहीं करा पा रही थी। लाखों लोगों ने अपने परिजनों को दम तोड़ते देखा था। तब भी मोदी-योगी-संघी मानसिकता की सरकारें गोदी मीडिया के अखबारों में जोर-शोर से अपनी कामयाबी की झूठी खबरें छपवाकर प्रचार कर रहे थे। मोदी संघी सरकार देश भर में बड़े-बड़े प्रपंचकारी दावे करके भोली-भाली जनता को प्रचार के माध्यम से ठगने का काम करती दिख रही थी।
पाखंड फैलने में मोदी-संघी विश्व गुरु: मोदी-संघियों के अंधभक्तों ने अपने पाखंडी प्रचार से मोदी को विश्व गुरु बना दिया है। मोदी विश्व में सबसे श्रेष्ठतम पाखंडी बनकर उभरे हैं। इनकी पाखंडी टीम में एक-दो व्यक्ति नहीं है। इनके पास पाखंड फैलाने के लिए लाखों लोगों की बुद्धिहीन और बेसमझ फौज हैं। पाखंड फैलाने वाली टीम में ऐसे धुरंधर सांसद है जो कोरोना काल में कोरोना के इलाज के लिए गाय के मूत्र का सेवन करने की सलाह दे रहे थे। इनकी इस टीम में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर जैसे निष्ठावान संघी सांसद है जो मालेगाँव बम ब्लास्ट, मक्का-मस्जिद, हैदराबाद और अजमेर बम बलास्ट में शामिल पाये गए थे। इसी केस में इनके साथ राष्ट्रभक्त असीमानन्द, कर्नल पुरोहित व अन्य लोग भी थे। ऐसे हजारों चेले तथ्यहीन पाखंड को जनता में बारम्बारता के साथ परोसते रहते हैं और जनता भी बिना सच जाने इनके कृत्यों को सच मानने लगती है। इन संघियों का छिपा एजेंडा होता है अपराध करना और लोगों को बरगलाना। जिसे ये अपने पाखंड के कोहरे से ढकने का काम करते हैं। इनके ऐसे ही चेले मोदी को विश्व गुरु बताते फिरते हैं।
राम की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में अंधभक्तों ने अपने आराध्य ‘राम’ को भी मोदी के कद से छोटा दिखाया है और मोदी को ‘राम’ से बड़ा बनाकर दिखाया है। प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम सारी दुनिया ने देखा वैज्ञानिक और तकनीकी मानसिकता के लोगों ने इसे बड़े ही अचंभे के साथ देखा और कहा कि कोई कैसे पत्थर की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठित कर सकता है? ऐसा देखकर सारी दुनिया अविश्वास के साथ चकित थी लेकिन देश के मोदी अंधभक्त व उनका गोदी मीडिया कोई भी तर्क नहीं सुन रहा था। ये सभी मोदी द्वारा प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में अपनी निगाहें जमाकर लगे हुए थे। शायद इससे बड़ा मूर्खता का उदाहरण दुनिया में कोई दूसरा नहीं हो सकता। पत्थर की मूर्ति में प्राण-प्रतिष्ठित किया जाना दुनिया के लिए एक अचंभित करने वाला अजूबा था। मोदी के अंधभक्तों से जनता का सवाल है कि जब राम की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा हो गई है तो राम को अपने आप जनता में जाकर अपनी जनता का सुख-दुख व हालचाल जानना चाहिए। प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम को भव्य बनाने के दौरान अयोध्या में कई लोगों के घरों को उजाड़ा गया। जिन्हें सोशल मीडिया पर रोते-बिलकते देखा गया। जिन लोगों के घर-मकान-दुकान उजाड़े गए हैं वे गाली देकर मोदी से पूछ रहे थे कि ऐसे रामराज्य का हमें क्या फायदा?
दलित व पिछड़ों को क्या मिलेगा?: देश में दलित व अति पिछड़ी जातियों की संख्या करीब 45-50 प्रतिशत है जिनके पास न अपने अच्छे घर है, न उद्योग है, न शिक्षण संस्थान है, और न अच्छे कारोबार है। ये अधिकतर लोग दूसरों पर आश्ररित है जिसके कारण ये सरकार से 5 किलो अनाज मुफ्त में लेकर ब्राह्मणी सरकारों की गुलामी करने के लिए मजबूर है। मोदी संघी सरकार बड़े फक्र के साथ कह रही है कि हम देश की चालीस-पैतालीस लाख जनता को मुफ्त में अनाज बाँट रहे हैं। मगर सरकार का ऐसा कहना जनता का अपमान है। इस 80-85 लाख जनता को मोदी संघियों की सरकार से पूछना चाहिए कि हमें मुफ्त में अनाज नहीं चाहिए, हमें रोजगार दो, ताकि हम अपने आप अपने श्रम से अपना जीवन यापन कर सके और मुफ्त का 5 किलों अनाज लेकर शर्मिंदा न हो। अगर सरकार ऐसे लोगों को रोजगार देने में नाकामयाब रहती है तो सभी के लिए ऐसी सरकारें निकम्मी है। पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा भी गरीबों को कुछ सहायता दी जाती थी तो उनकी संख्या करीब 28-30 लाख होती थी। जो मोदी संघी राज में बढ़कर 40-45 लाख हो गई है। इसका मतलब साफ है कि मोदी-संघियों की गलत नीतियों के कारण गरीबी बढ़ी है। जबकि इसके उलट मोदी-संघी सरकार अपने आँकड़ों को घुमा-फिराकर जनता को ऐसे बताती है कि गरीबी पहले के मुकाबले कम हुई है जो तथ्यहीन व असत्य है।
बेरोजगारी दर उच्चतम स्तर पर: मोदी सत्ता में जब आए थे तब उन्होंने देश की जनता को बड़े-बड़े वायदे और झांसे से आत्ममुग्ध किया था। मोदी तब कह रहे थे कि हम प्रतिवर्ष दो करोड़ रोजगार जनता को मुहैया कराएंगे। अपने वायदे के विपरीत मोदी-संघी सरकार आजतक रोजगार देने में विफल रही है। इसके उलट मोदी-संघी सरकार ने प्रतिवर्ष दो करोड़ रोजगार कम कर दिये। जो लोग इन दस वर्षों में रोजगार पाने योग्य बने और जो लोग रोजगार पाने की परिधि (उम्र) से बाहर निकल गए उनकी संख्या प्रतिवर्ष दो करोड़ से ज्यादा है। इस प्रकार मोदी संघी शासन ने अपने शासन काल में 20-22 करोड़ लोगों को रोजगार पाने की परिधि से बाहर कर दिया है। अब कभी भी ये लोग रोजगार नहीं पा सकेंगे। ये लोग अब स्थायी रूप से बेरोजगार ही रहेंगे और अपने परिवार का विकास नहीं कर सकेंगे। देश में इस समय बेरोजगारी दर 42-45 प्रतिशत के आसपास है। दुनिया भर में यह आंकड़ा सर्वोच्च है जो सभी को चिंतित करने वाला है। ऊँची महँगाई दर के कारण दिहाड़ी-मजदूर, किसान, तकनीकी कामगार व अन्य परिवार इस ऊँची महँगाई दर से बेहद त्रस्त हैं और उनको इस महँगाई से निपटने का कोई उपाय भी नहीं सूझ रहा है। जितने पैसे ये लोग दिनभर के काम से कमा पात्ो है उससे इन कामगारों का पारिवारिक खर्च चलाना मुश्किल हो रहा है। दूसरी तरह मोदी-संघी सरकार देश में ब्राह्मणवाद को मजबूत करने के लिए लोगों को मंदिरों की परिक्रमा लगाने के लिए प्रेरित कर रही है। अयोध्या के राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन हुआ। उसके लिए अयोध्या की सड़के चौड़ी करके चार-छ: लेन की बना दी गई है। इस कार्यक्रम के दौरान छोटे दुकानदारों की हजारों दुकानों को भी विस्थापित भी किया गया। ये छोटे दुकानदार इन्हीं दुकानों से छोटा-मोटा धंधा करके अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे थे। अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के दौरान कई महिलाओं को रोते-बिलकते देखा गया। पूछने पर वे कह रही थी कि यह कैसा राम राज्य है इस राम राज्य से हमें क्या फायदा है। हमारा तो घर ही उजाड़ दिया गया है। हमें ऐसा राम राज्य नहीं चाहिए। ऐसा ही कृत्य मोदी-संघी सरकार ने काशी के सौंदर्यकरण के दौरान किया था। काशी को सुंदर बनाने के बहाने वहाँ के 500 से अधिक लोगों के कारोबार को ध्वस्त करके उजाड़ दिया गया था। ये लोग आज तक भी अपने व्यवसायों के ध्वस्तीकरण के कारण उभर नहीं पाये हैं। सरकार के ऐसे विकास के कार्यों को जनता विनाश बता रही है। जनता सरकार से गुजारिश कर रही है कि ऐसे जनता विरोधी कार्य न किये जायें।
संविधान विरोधी है मोदी-संघी सरकार : प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम आम जनता व संविधान विरोधी है। इस प्राण प्रतिष्ठा समारोह से किसे फायदा और किसे नुकसान है? आम जनता के हित को ध्यान में रखकर इसे परखना चाहिए। ऐसे कार्यक्रमों से स्थानीय जनता का बड़े पैमाने पर नुकसान होता है। उनके रोजगार के धंधे ध्वस्त होते हैं उनके बच्चों का विकास रुकता है। प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम देश और विदेश की जनता ने अपनी आँखों से लाइव देखा। भारतीय संविधान के मुताबिक हमारा देश धर्मनिरपेक्ष है जिसका अर्थ होता है कि सरकार के स्तर से किसी भी एक धर्म को प्रोत्साहित नहीं किया जाएगा। संविधान का अनुच्छेद-25 साफ-साफ निर्देश देता है कि सरकार को सभी धर्मों का बराबर आदर करना चाहिए और किसी भी धर्म को सरकार के स्तर से बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए। मोदी-संघी सरकार ने इस प्रावधान की अनदेखी करके संविधान को अपनी संघी मानसिकता के छिपे एजेंडे से ध्वस्त किया है, भारतीय संविधान किसी भी धार्मिक उत्सवों में सरकार को भाग लेने से प्रतिबंधित करता है। लेकिन मोदी संघी सरकार ने जान-बूझकर अपनी षड्यंत्रकारी संघी मानसिकता के तहत संविधान को दर-किनार करते हुए इसका लाइव प्रसारण दिखाकर सिद्ध कर दिया है कि संघी मानसिकता की सरकार संविधान को अपनी मनुवादी संस्कृति के अनुरूप नहीं मानती है और न आगे भी मानेगी।
अति पिछड़ी जातियों में ज्ञान की कमतरता: भारत की अति पिछड़ी जातियों जैसे नाई, कुम्हार, बढ़ई, गडरिये, लौहार, पटेल, कुर्मी व अन्य समकक्ष जातियों के लोग अपने आपको हिन्दू मानकर उनके ऐसे धार्मिक प्रपंचों में बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं। उन्हें आजतक यह भी पता नहीं है कि अगर तुम हिन्दू हो तो सवर्ण वर्ग के हिन्दू (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य) आपको अपने से नीच क्यों समझते हैं? इस प्रकार की सामाजिक व्यवस्था से इन पिछड़ी जातियों के लोगों को समझ जाना चाहिए कि तुम जब एक ही धर्म के मानने वाले हो तो फिर उसी धर्म की सर्वण जातियां तुम्हें बराबर क्यों नहीं मान रही है? उनके ऐसे व्यवहार से संदेश साफ है कि तुम उसी धर्म में रहकर भी उनसे नीचे हो। हिन्दू धर्म में इस प्रकार की व्यवस्था विषमतावाद को स्थापित करती है। हिन्दू धर्म की यही विशेषता है कि जिन जातियों को वे हिन्दू धर्म का हिस्सा मानती हंै उन्हीं से वे अलगाववाद या छोटे-बड़े होने की भावना भी रखती है। हिंदुओं का यही चरित्र एक जाति को दूसरी जाति से नहीं मिलने देता। हिन्दू धर्म में आपस में कोई सौहार्द नहीं है, वहाँ एकता नहीं है, ऊँच-नीच की भावना है। इसी व्यवस्था को देखकर बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर ने समाज में समतावादी सामाजिक व्यवस्था को प्रतिपादित करने के लिए संघर्ष किया था और बड़े संघर्ष के बाद वे सामाजिक व्यवस्था में समतावाद को स्थापित कर पाये थे।
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