2024-05-17 11:22:05
वर्तमान समय में देश में लोकसभा का आम चुनाव चल रहा है। मोदी-भाजपा चुनावी अखाड़े में मुस्तैदी के साथ लगी हुई है। देश में चुनाव की जमीन मोदी-भाजपा विरोधी संकेत दे रही है। जमीन पर हालात इस कदर खराब दिख रहे हैं कि आम जनता का एक भी व्यक्ति मोदी-भाजपा को वोट देने के पक्ष में नहीं आ रहा है। आम जनता से चुनाव संबंधी बात करने पर जवाब मिलता है कि हमें पहले यह बताओ कि पिछले 10 साल में मोदी-भाजपा ने देश की जनता के लिए कौनसा अच्छा काम किया है? निरुत्तर होने पर हमें चर्चा को जारी रखने के लिए जनता से पूछना पड़ता है कि मोदी-संघी सरकार से आप क्या चाहते हैं? जनता का साफतौर पर जवाब होता है कि देश में कमरतोड़ महँगाई है; आजाद भारत में बेरोजगारी दर सर्वाधिक स्तर पर पहुँच चुकी है; शिक्षा संबंधी संस्थान धड़ल्ले से फीस बढ़ाए जा रहे हैं उनपर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है, ये सभी शिक्षण संस्थान अधिकतर भाजपा-संघी प्रबंधन के हैं जो मनमाने ढंग से फीस बढ़ा रहे हैं। जबकि ये सभी संस्थान सरकार से कम दर पर जमीन खरीदकर बनाए गए हैं; स्वास्थ्य संबंधी परीक्षण, निरीक्षण और उपचार इतने महंगे हो चुके है कि वे आम जनता की पहुँच से बाहर हो चुके हैं; परिवहन संबंधी सरकारी इन्फ्रास्ट्रक्चर न के बराबर करके निजी परिवहन महंगा कर दिया है कि उसका खर्च वहन करने की क्षमता आम जनता में नहीं है; समाज के ताने-बाने को इतना विषाक्त कर दिया है कि आम जनता के बीच नफरत का माहौल साफ दिखने लगा है, एक सम्प्रदाय का आदमी दूसरे से दुश्मनी का भाव रख रहा है जो देश की एकता और अखंडता के लिए अच्छा संकेत नहीं है; मोदी-भाजपा शासन में गरीब अधिक गरीब हुआ है और मोदी के व्यापारी मित्र अधिक धनवान बने हैं। आम हालात को देखने से लगता है कि मोदी जी देश की आम जनता के प्रधानमंत्री नहीं है; बल्कि वे तो सिर्फ अपने व्यापारी मित्रों को बेहिसाब आर्थिक फायदा पहुँचाने के लिए ही प्रधानमंत्री बने है। देश की आम जनता और उसकी तकलीफें मोदी के मस्तिष्क में कोई मुद्दा ही नहीं है और न इससे जुड़ी व्यवस्थाओं पर मोदी का कोई ध्यान नहीं है और न ही वे इसे जरूरी मानते हैं। मोदी जी ने 10 साल के शासन में एक भी प्रेसवार्ता का कार्यक्रम नहीं किया है। मोदी सिर्फ अपने व्यापारी मित्रों की ही बात करते हैं और देशवासियों से इतने अधिक झूठ बोलते हैं कि सुबह से शाम तक उनके सभी भाषणों में झूठों का ही बोलबाला रहता हैं। मोदी जी के इस तरह के झूठों से देश की जनता अब खिन्न हो चुकी है और आलम यह हो चला है कि अब कोई भी व्यक्ति मोदी का सच भी सुनना नहीं चाहता है और जनता अब उनके सच को भी झूठ समझ रही है।
मोदी के झूठ और पाखण्डों की कुछेक बानगी: मोदी के झूठ और पाखंड इतने ज्यादा है कि उनका संक्षिप्त में विवरण दिया नहीं जा सकता। इसलिए यहाँ पर सिर्फ कुछेक झूठ और पाखंडों की बानगी का ही जिक्र कर रहे हैं-
21 अप्रैल 2024 को बांसवाड़ा, तेलंगाना में अपनी सभा के दौरान मोदी ने जनता से कहा था कि कांग्रेस के घोषणा पत्र में निजी संपत्ति को जब्त करने का प्लान है और महिलाओं के मंगलसूत्र छीनकर मुस्लिम महिलाओं को दिये जाएँगे। मोदी ने ये भी कहा था कि मनमोहन सिंह की सरकार ने देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का बताया था। इस तरह की बयानबाजी से संबंधित तथ्यों की जाँच-पड़ताल करने पर पता चला है कि मोदी जी के ये सभी बयान झूठे हैं, मनमोहन सिंह जी की सरकार ने ऐसा बयान कभी नहीं दिया।
22 अप्रैल 2024 को मोदी ने अलीगढ़, उत्तर प्रदेश में उपरोक्त सभी बातें दोहराई कांग्रेस नेता राहुल गांधी को शहजादा शब्द से संबोधित किया। मोदी ने लोगों को बरगलाने के लिए जनता को गुमराह करने की कोशिश की और उन्होंने यहाँ तक कहा कि अगर आपका गाँव में एक घर है और शहर में एक फ्लैट बच्चों के लिए आपने बनाया है तो कांग्रेस आपकी मेहनत की कमाई हुई संपत्ति पर अपना पंजा मारेगी और वह आपका स्त्री धन भी लूटना चाहती है।
23 अप्रैल 2024 को मोदी ने राहुल गांधी के भाषण से एक्स-रे वाला संदर्भ उठाया और कहा कि आपके घर में बाजरे के डिब्बे के अंदर भी कुछ रखा है तो वह भी एक्स-रे करके खोजा जाएगा और आपके पास जरूरत से ज्यादा संपत्ति है तो उस पर कब्जा करके लोगों में बाँट देंगे। आपके पास अगर दो घर है तो एक घर कांग्रेस वाले ले लेंगे और उसे अल्पसंख्यकों को बाँट देंगे, ये सब झूठ पाये गए हैं।
24 अप्रैल 2024 को सागर, मध्य प्रदेश में कहा कि कर्नाटक में कांग्रेस ने गैर कानूनी तरीकों से धर्म के आधार पर आरक्षण की व्यवस्था की है और कांग्रेस ने सभी मुसलमानों को ओबीसी कोटे के अंतर्गत डाल दिया है। ओबीसी आरक्षण का बड़ा हिस्सा आरक्षण से छिन जाएगा और वह धर्म के आधार पर मुस्लिमों को दे दिया जाएगा, ये भी निराधार झूठ था।
24 अप्रैल 2024 सरगुजा, छत्तीसगढ़ में मोदी ने कहा था कि कांग्रेस ने बरसों पहले आंध्र प्रदेश में धर्म के आधार पर आरक्षण देने का प्रयास किया था और इसको पूरे देश में लागू करने की योजना बनाई थी। मोदी ने आगे कहा कि कांग्रेस 15 प्रतिशत आरक्षण मुस्लिमों को देना चाहती है। मोदी ने यहाँ पर यह भी लपेट लगाया था कि इस प्रकार आरक्षण देने से एससी/एसटी/ओबीसी के आरक्षण का कोटा कम हो जाएगा। इसी भाषण में मोदी ने यह दावा दोहराया कि कांग्रेस ने कर्नाटक में धर्म के आधार पर कोटा लागू किया था परंतु जब वहाँ भाजपा सरकार आई तो भाजपा ने उसे उखाड़ पर फेंक दिया और दलितों, आदिवासी व पिछड़ों को उनका अधिकार वापिस दिया। मोदी ने एक और दावा किया कि कांग्रेस का कहना है कि वह अब ‘विरासत कर’ लगाएगी, माता-पिता से मिलने वाली विरासत पर भी टैक्स लगाएगी। आप जो अपनी मेहनत से संपत्ति जुटाते हंै, बनाते हैं वह आपके बच्चों को नहीं मिलेगी। बल्कि कांग्रेस का पंजा उसे भी आपसे छीन लेगा।
24 अप्रैल 2024 को बैतूल, मध्य प्रदेश में दावा किया कि कांग्रेस एससी/एसटी/ओबीसी वर्गों से आरक्षण छीनकर उसे अपने खासमखास ‘विशेष वोट बैंक’ को देना चाहती है। मुसलमानों को आरक्षण संबंधी दावों को दोहराते हुए मोदी ने कहा कि कांग्रेस अपनी वोट बैंक को मजबूत करने के लिए निजी संपत्ति को जब्त करके उसे बाँटने की साजिश रच रही है। यह भी कोरा झूठ साबित हुआ है।
25 अप्रैल 2024 को आगरा की रैली में मोदी ने दावा किया कि धर्म के आधार पर आरक्षण देने के लिए कांग्रेस ओबीसी के 27 प्रतिशत कोटे से एक हिस्सा चुराने की योजना बना रही है। मोदी ने दावा किया कि कांग्रेस की योजना परिवार के लोगों को पैतृक संपत्ति मिलने से पहले 55 प्रतिशत संपत्ति जब्त करने की है, फिर तर्क दिया कि जो संपत्ति आप अपनी पीढ़ी को विरासत में दे रहे है उसमें से आधे से ज्यादा टैक्स लगाकर कांग्रेस आपसे लूटना चाहती हैं।
25 अप्रैल 2024 मुरैना, मध्य प्रदेश में मोदी ने दावा किया कि जब इन्दिरा गांधी नहीं रही तो उनके बेटे राजीव गांधी को विरासत में उनकी संपत्ति मिलनी थी। तब राजीव गांधी ने योजना बनाई कि यह इन्दिरा गांधी से मिलने वाली संपत्ति सरकार के पास न चली जाये इसलिए उन्होंने अपनी सम्पति को बचाने के लिए विरासत कर को खत्म कर दिया था। मोदी का यह झूठ भी निराधार पाया गया।
25 अप्रैल 2024 को मोदी ने आंवला, उत्तर प्रदेश में जनता के सामने दावा किया कि सिर्फ कांग्रेस का इरादा आर्थिक ही नहीं बल्कि कांग्रेस का इरादा संस्थानों व दफ़्तरों का भी सर्वे कराने का है। उन्होंने आगे कहा कि अगर किसी दलित या पिछड़े परिवार में दो लोग नौकरी में हैं तो कांग्रेस एक नौकरी छीनकर मुस्लिमों को दे देगी, यह दावा भी झूठा पाया गया है।
उपरोक्त कुछेक झूठ बानगी मात्र हैं अगर उनके सारे झूठों की गणना की जाये और उनका ठीक से विश्लेषण करके जनता को बताया जाये तो उसे सैंकड़ों वॉल्यूम बनाकर छापना पड़ेगा। मोदी के उपरोक्त सभी झूठ निराधार और तथ्यहीन पाये गए हैं।
मोदी ने अपनी सत्ता के माध्यम से देश में जो पाखंड फैलाया है उसका सभी को पता है। राम मंदिर के निर्माण का श्रेय लेने के लिए मोदी स्वयं व उनके अन्धभक्तों ने देश की भोली-भाली जनता को बरगलाकर अवैज्ञानिकता के प्रपंचों में फंसाया। मोदी स्वयं व उनके संघी साथी और साथ में संघी ब्रिगेड ने देश की गली-गली और कोने-कोने में पुजारियों, सत्संगियों, कथावाचकों, तथाकथित साधु-संतों की भरमार कर दी है। इस पर आने वाला अनाप-सनाप खर्च मोदी-भाजपा अदृश्य तरीकों से जुटा रही है। धीरेन्द्र शास्त्री उर्फ बागेश्वर धाम जैसे पाखंडी से हर रोज किसी न किसी लोकसभा क्षेत्र में कथाओं का आयोजन कराया जा रहा है। मोदी की चुनावी सभाओं में देश की आम जनता नहीं आ रही है तो मोदी-भाजपा व संघियों ने भीड़ दिखाने की उद्देश्य से व्यवस्था बनाई है कि जिन लोगों को ट्रकों, गाड़ियों में भरकर सभा स्थल पर लाया जाये उन्हें सभा समाप्ति पर दोबारा से उन्हीं गाड़ियों में भरकर दूसरे सभा स्थल पर ले जाया जाये। मोदी की खुद की सभाओं में अधिकतर कुर्सियां खाली ही दिखती हंै। मोदी के अन्धभक्तों से जब जनता रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं पर सवाल पूछती है तो मोदी भक्त जनता को बताते हैं कि मोदी जी का डंका पूरे विश्व में बज रहा है। मोदी जी ने जितना विकास का काम किया है पूरे विश्व में उतना किसी ने नहीं किया है।
बहुजन समाज की राजनीति: यह सर्वविदित है कि समाज जातीय टुकड़ों में बंटकर बिखरा हुआ है उनकी न एक सोच है, न एक समझ है और न वे सामूहिक रूप से इकट्ठा होकर अपनी शक्ति को बनाने की मंशा रखते हैं। देश की जनसांख्यिकी को देखकर बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर ने 1948 में गोविंद बल्लभ पंत जो उस वक्त प्रदेश के मुख्यमंत्री थे उनकी मौजूदगी में कहा था कि अगर तुम सब लोग इकट्ठा होकर समाज की राजनीति करो तो गोविंद बल्लभ पंत जैसे ब्राह्मण मुख्यमंत्री आपके जूते के फीते बांधने में गर्व महसूस करेंगे। परंतु कांग्रेस की ब्राह्मणवादी नीतियों के कारण समाज अपने जातीय घटकों में बिखरकर शक्तिहीन बना रहा। इसके उपरांत मान्यवर साहेब कांशीराम जी ने 1970 के दशक में बहुजन राजनीति में पदार्पण किया और समाज की बिखरी हुई जनशक्ति को इकट्ठा करने का प्रयास किया। उनके प्रयास से बहुजन समाज को अपेक्षित सफलताएं भी हासिल हुई और बहन कु. मायावती जी उत्तर प्रदेश जैसे बड़े प्रदेश की चार-चार बार मुख्यमंत्री बनी। लेकिन देखने में आ रहा है कि समाज इकट्ठा होने पर शक्ति कम लगा रहा है और बिखरने में शक्ति ज्यादा लगा रहा है। बिखरने की प्रक्रिया में उत्प्रेरक शक्ति ब्राह्मणी व संघी मानसिकता की लगी हुई है जो बहुजन समाज को इकट्ठा नहीं होने देना चाहती। बहुजन समाज के जातीय घटकों के इकट्ठा होने से देश में ब्राह्मणवाद और मनुवाद दोनों ही खतरे में पड़ेंगे। इसलिए ये शक्तियाँ कभी भी अपने विनाश की शक्ति को इस देश में पनपने देने के लिए भरसक प्रयत्न करती रहेगी।
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