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झूठ बोलने में ‘विश्वगुरु’ हैं पीएम मोदी

News

2023-09-15 12:52:59



प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इतने सारे झूठे दावे किए हैं कि सभी को याद रखना और उन्हें यहां लिखना संभव नहीं है। मोदी के कुछेक झूठे वायदे:-

कांग्रेस ने 70 साल में कुछ नहीं किया: मोदी जो भी कांग्रेस को दोष दे रहे हैं वह सिर्फ लोगों को बेवकूफ बनाने और जनता से जुड़े मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए है। पिछले 70 वर्षों के दौरान भारत का जबरदस्त विकास हुआ है और सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों ने कुछ शानदार निर्णय लिए हैं जिसके कारण आज भारत एशिया की दूसरी सबसे बड़ी शक्ति है। भारत जब आजाद हुआ तब यहाँ पर केवल 500 कॉलेज और 21 यूनिवर्सिटी थी जो कांग्रेस शासन काल में करीब 45 हजार कॉलेज व करीब 1000 से अधिक विश्वविद्यालय बने। ये सभी तथ्य मोदी को भी पता होगें? वह यह सब कुछ जानबूझकर जनता को गुमराह करने के उद्देश्य से बोलते हैं। मोदी कट्टर किस्म के संघी है, संघियों का जनता को भटकाने के लिए मूल मंत्र होता है कि झूठ बोलो, बार-बार बोलो और जोर से बोलो ताकि जनता को सच लगने लगे। मोदी उसी का अनुसरण कर रहे हैं, यह उनकी संघी शिक्षा है।

मोदी को समझ आने से पहले देश में ‘हरित क्रांति’ के परिणाम आने शुरू हो गये थे और देश खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर हो गया था। मोदी ने जब ‘शाखा’ में ‘निक्कर’ पहनना शुरू किया था, तब इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान के टुकड़े करके बांग्लादेश बनाया था और लाखों पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। इसी समय सिक्किम जो एक स्वतंत्र देश था उसको भारतीय राज्य का हिस्सा बनाकर मान्यता दी। जब मोदी अपनी पत्नी को छोड़कर भाग गए थे, तब इंदिरा गांधी ने पहला परमाणु परीक्षण किया था। जब मोदी साइकिल चलाना सीख रहे थे, तब भारत ने हवाई जहाज और हेलीकॉप्टर बनाना शुरू कर दिया था। जब मोदी आरएसएस कार्यालय के फर्श की सफाई कर रहे थे, तब भारत में सुपर कंप्यूटर और सूचना प्रौद्योगिकी पहले से ही स्थापित हो गए थे। जब मोदी गुजरात में अपने ही वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ षडयंत्र रच रहे थे, तब पी.वी. नरसिम्हा राव ने भारत में आर्थिक उदारीकरण की पहल की थी। इनके अलावा ‘चंद्रयान’, ‘मंगल मिशन’, ‘जीएसएलवी’, ‘मेट्रो’, ‘मोनो रेल’, ‘अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे’, ‘परमाणु पनडुब्बी’, सैकड़ों मिसाइलें-‘पृथ्वी’, ‘अग्नि’, ‘नाग’, दर्जनों परमाणु हथियार, चेतक हेलीकॉप्टर, मिग तेजस, अर्जुन टैंक, धनुष तोप आदि मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले भारत ने ये सब क्षमताएं हासिल कर ली थीं।

सबका साथ सबका विकास का नारा : यह सबसे बड़ा झूठ निकला, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के सेंट्रल हॉल में रखी संविधान की एक प्रति के सामने श्रद्धापूर्वक नमन किया था, लोकसभा में घुसने से पहले संसद की सीढ़ियों पर साष्टांग प्रणाम किया था, तब जनता को लगा था कि एक ऐसा प्रधानमंत्री बना है जो लोकसभा को मंदिर की तरह सम्मान दे रहा है। कुछ ही दिनों में यह भ्रम टुट गया और अन्य बातों की तरह यह भी हवा का बुलबुला ही निकला। सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास को जोड़ने के लिए की गई बात एक जुमला साबित हुई। चूंकि नरेंद्र मोदी संघ परिवार का ही उपज है, जिसके लिए हिंदुत्व भारतीय राष्ट्रीयता का केंद्र है, यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता है कि वे जो उपदेश देते हैं, उसको पूरा भी करने में सक्षम होंगे। संघ ने देश के प्रति सत्य, निष्ठा कभी भी नहीं दिखाई।

आज देश में अल्पसंख्यकों के उपर खुलेआम अत्याचार हो रहा है, भाजपा नेता अल्पसंख्यकों को खत्म करने की खुलेआम बात कर रहे हैं। जगह जगह धर्मसंसद के नाम पर मुस्लिमों को प्रति नफरत फैलाया जा रहा है।? देश में आज जातिगत भेदभाव चरम पर है। कुछ खास जाति के लोगों ने सत्ता पर कब्जा कर लिया और बाकियों के साथ भेदभाव हो रहा है। कुछ खास उद्योगपतियों को आगे बढ़ाया गया और अन्य को पीछे छोड दिया गया। सबका साथ सबका विकास का नारा पूरी तरह फेल और वह जुमला ही रह गया।

मोदी की एकता की पिच : जनता को मोदी की एकता की पिच पर संदेह है क्योंकि उन्होंने एक बार गुजरात नरसंहार के पीड़ितों की तुलना कुत्ते के ‘पिल्लों’ से की थी, उत्तर प्रदेश में श्मशान-कब्रिस्तान कहा था और वायनाड में ‘बहुसंख्यक-अल्पसंख्यक’ जनसांख्यिकीय प्रोफाइल की बात की थी। तथ्य यह है कि मोदी ने आक्रामक हिंदू राष्ट्रवाद का पालन करने के लिए राजनीति में अपनी अभूतपूर्व वृद्धि का श्रेय खुद को दिया है। ‘समावेशीता’ के पक्ष में उनका भाषण जनता के लिए अधिक दृढ़ विश्वास के लायक नहीं हो सकता। वह राजनीति में धर्म के अतिक्रमण के खिलाफ बोल रहे होंगे न कि धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ।

100 दिनों में स्विस बैक अकाउंट वालों का नाम

100 दिनों में स्विस बैक अकाउंट वालों का नाम बताने का जनता से वायदा किया, लेकिन नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बने हुए करीब 10 वर्ष गुजर गए, वे अब काले धन का नाम भी नहीं ले रहे हैं और चुप्पी साधे हुए हैं। बहुत सारे घोटालेबाज मोदी मित्र देश का पैसा लेकर विदेश भाग गए। काला धन आने के बजाय विदेश चला गया। स्विस बैंक द्वारा दिए गए नामों की घोषणा तक नहीं हुई। मोदी की यह बात भी जुमला ही निकली।

गुजरात मॉडल का प्रचार एक कोरा झूठ: गुजरात में विकास के नाम पर सिर्फ प्रचार ही हुआ है। रिवर फ्रंट के खोखले विकास के दम पर मोदी देश को मूर्ख बनाते रहे हैं। गुजरात में पिछले 27 सालों से बीजेपी की सरकार है, देश के अनेक हिस्सों में मेट्रो सेवा चालू हो चुकी है लेकिन गुजरात में इस साल मेट्रो सेवा चालू हुई है। मोदी का कोई एक ऐसा काम नहीं निकला जिसे गुजरात मॉडल कह सकें। युवाओं को रोजगार नहीं दिया, जिसके कारण युवा गुजरात छोड़ने पर मजबूर हो गए। सबको नौकरी की तलाश में दूसरे राज्यों या विदेशों में जाना पड़ा। गरीबी चरम पर है और ग्रामीण इलाकों में सड़क, बिजली की व्यवस्था बहुत खराब है। भ्रष्टाचार जोरों पर है, हर क्षेत्र में कमीशनखोरों का दबदबा है, मोरबी ब्रिज का टूटना इसका जीता जागता उदाहरण है। ब्रिज के रखरखाव और संचालन का काम एक ऐसे अनुभवहीन प्राइवेट कंपनी को दिया जिसने चोरी की और मरम्मत के नाम पर लीपापोती की। नतीजा 140 से ज्यादा लोगों की जान चली गई। गुजरात मॉडल मोदी के मीडिया मित्रों द्वारा बनाया गया एक जुमला मात्र था, जो अभी भी बेशर्मी से चलाया जा रहा है।

प्रत्येक नागरिक के खाते में 15 लाख रुपए डाले जाएँगे: यह भी एक कोरा झूठ ही निकला, किसी के भी खाते में 15 रुपए भी नहीं आये। मोदी ने कहा था कि मुझे सिर्फ 60 महीने दीजिए, मैं देश की तकदीर बदल दूंगा। नोटबंदी से काला धन खत्म होगा। क्या ऐसा हो पाया है, नही हुआ। उल्टा काला धन बढ़ गया, बाजार से 9 लाख करोड़ के 2000 के नोट गायब हो गए। आज भी बाजार में नकली नोट मिल रहे हैं। खुलेआम कालाबाजारी हो रही है। न आतंकवादी खत्म हुए और न नक्सली, सब कुछ वैसा का वैसा। नोटबंदी के नाम पर देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो गई, मोदी काल में देश विकास के सभी क्षेत्रों में पीछे चला गया।

भ्रष्टाचार की समाप्ती: भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए मोदी के द्वारा बताई गई उनकी महत्वाकांक्षा एक झूठ थी क्योंकि उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद से लोकपाल समिति भी स्थापित नहीं हुई है। पूर्ववर्ती सरकारों के मुकाबले मोदी-संघी शासन में भ्रष्टाचार 4-5 गुना बढ़ गया है। हर जगह संघ के व्यक्तियों को बैठाया गया है, संस्थानों के सभी काम ठेके पर उन्हीं की मर्जी से दिये जाते हैं। मोदी-संघी शासन में हाईवे बनाने पर अधिक जोर है तथा सरकारी संपत्ति को मोदी अपने मित्र व्यापारियों को औने-पौने दामों पर बेच रहे हैं।

किसानों की आय दोगुनी करेंगे: परंतु इस दिशा में कोई भी काम नहीं हुआ है। उनके सभी वायदे झूठे निकले, उल्टे उनके शासन में किसानों को अधिक नुकसान होने लगा। तीन किसान कानूनों के खिलाफ किसानों को एक वर्ष से अधिक तक आंदोलन करना पड़ा। किसान आंदोलन में 700 से अधिक किसानों की मौत हुई और आज भी किसान आत्महत्या कर रहे हैं। खाद बीज के दाम चरम पर है। किसानों की उपज का उचित मुआवजा नहीं मिल रहा है। कुल मिलाकर मोदी किसान विरोधी ही साबित हुए हंै।

पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम करेंगे: पेट्रोल, डीजल की कीमतों को लगभग 50 रुपये तक लाने का उनका वादा एक झूठ था। पेट्रोल की कीमत 2014 में 65 रुपए थी उसे आज जनता 120 रुपए लीटर खरीदने को मजबूर है। डीजल भी 100 रुपए के आसपास बिक रहा है। 375 रुपए वाला गैस सिलेंडर आज 905 रुपए में बिक रहा है। देश जनता ऊंचे दामों पर इन सब चीजों को खरीदने के लिए मजबूर है और सरकार (मोदी) एक शातिर बदमाश की तरह मौन है।

दो करोड़ रोजगार प्रतिवर्ष: मोदी का दो करोड़ रोजगार प्रतिवर्ष देने का नारा भी जुमला ही निकला। मोदी ने नौकरी देने की जगह नौकरियों के अवसरों को ही खत्म कर दिया। सरकारी कंपनियों को अपने मित्रों की प्राइवेट कंपनियों को देकर खत्म कर दिया गया। देश के किसी भी क्षेत्र में नौकरियों की बहाली नहीं हुई। छात्रों को आंदोलन करना पड़ा फिर भी कुछ नहीं हुआ। रेलवे में बहाली रुकी हुई है, स्कूल और कॉलेजों में शिक्षकों की भारी कमी है। रोजगार देने का उनका दावा झूठा निकला।

अच्छे दिन आएंगे: अच्छे दिन आएंगे का नारा भी एक जुमला और झूठ ही निकला, संघी प्रचारकों पर जनता को विश्वास नहीं करना चाहिए, संघियों के मुलाबले देश में और कोई झूठा व बैगेरत नहीं है, सावधान रहो, यकीन मत करो। देश के हर वर्ग के लोग परेशान हैं, युवाओं का कैरियर खत्म हो गया। किसान अपनी जमीन बेचने पर मजबूर है। उद्योग धंधे चौपट हो गये। गरीब और गरीब हो गया और गरीब देश के 80 करोड़ लोग मुफ्त के राशन की लाइन में लग रहे हैं। शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था ध्वस्त हो गई।

हम सभी एक साथ रह सकते हैं और एक साथ काम कर सकते हैं। एक बेहतर, मजबूत, गरीबी मुक्त और विकसित भारत बनाने में सक्षम हो सकते हैं। हम सबको वोट करते समय भाजपा संघी मानसिकता के कैंडिडेट को अपना वोट नहीं देना है। वोट सिर्फ बहुजन समाज के सही उम्मीदवार और सही पार्टी को ही वोट देना है। जुमलेबाजों पर यकीन नहीं करना है। वोट करते समय जाति और धर्म पर विचार नहीं करना, दिमाग से आंकलन करके सही उम्मीदवार को वोट देकर जीतना है और उस पर लगातार नजर भी रखनी है। मोदी हटाओ, देश बचाओ

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01 जनवरी : मूलनिवासी शौर्य दिवस (भीमा कोरेगांव-पुणे) (1818)

01 जनवरी : राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले और राष्ट्रमाता सावित्री बाई फुले द्वारा प्रथम भारतीय पाठशाला प्रारंभ (1848)

01 जनवरी : बाबा साहेब अम्बेडकर द्वारा ‘द अनटचैबिल्स’ नामक पुस्तक का प्रकाशन (1948)

01 जनवरी : मण्डल आयोग का गठन (1979)

02 जनवरी : गुरु कबीर स्मृति दिवस (1476)

03 जनवरी : राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले जयंती दिवस (1831)

06 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. जयंती (1904)

08 जनवरी : विश्व बौद्ध ध्वज दिवस (1891)

09 जनवरी : प्रथम मुस्लिम महिला शिक्षिका फातिमा शेख जन्म दिवस (1831)

12 जनवरी : राजमाता जिजाऊ जयंती दिवस (1598)

12 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. स्मृति दिवस (1939)

12 जनवरी : उस्मानिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद ने बाबा साहेब को डी.लिट. की उपाधि प्रदान की (1953)

12 जनवरी : चंद्रिका प्रसाद जिज्ञासु परिनिर्वाण दिवस (1972)

13 जनवरी : तिलका मांझी शाहदत दिवस (1785)

14 जनवरी : सर मंगूराम मंगोलिया जन्म दिवस (1886)

15 जनवरी : बहन कुमारी मायावती जयंती दिवस (1956)

18 जनवरी : अब्दुल कय्यूम अंसारी स्मृति दिवस (1973)

18 जनवरी : बाबासाहेब द्वारा राणाडे, गांधी व जिन्ना पर प्रवचन (1943)

23 जनवरी : अहमदाबाद में डॉ. अम्बेडकर ने शांतिपूर्ण मार्च निकालकर सभा को संबोधित किया (1938)

24 जनवरी : राजर्षि छत्रपति साहूजी महाराज द्वारा प्राथमिक शिक्षा को मुफ्त व अनिवार्य करने का आदेश (1917)

24 जनवरी : कर्पूरी ठाकुर जयंती दिवस (1924)

26 जनवरी : गणतंत्र दिवस (1950)

27 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर का साउथ बरो कमीशन के सामने साक्षात्कार (1919)

29 जनवरी : महाप्राण जोगेन्द्रनाथ मण्डल जयंती दिवस (1904)

30 जनवरी : सत्यनारायण गोयनका का जन्मदिवस (1924)

31 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर द्वारा आंदोलन के मुखपत्र ‘‘मूकनायक’’ का प्रारम्भ (1920)

2024-01-13 11:08:05