2022-12-03 07:54:32
देश में अभी चुनावी महोत्सव चल रहा और विभिन्न राजनैतिक दलों के प्रत्याशी मैदान में हैं हर कोई जनता का वोट पाने के लिए अनाप-सनाप वायदे कर रहा है। इन अनाप-सनाप वायदों पर गौर करें और बुद्धि से आंकलन करे कि पिछले चुनाव में इनके द्वारा किये गए वायदे पूरे हुए क्या? अगर पूरे किये हैं तो उनका क्या प्रभाव पड़ा है, जनता को उनके किये गए वायदों से कितना लाभ हुआ है? और अगर वायदें पूरे नहीं हुए हंै तो अब उन पर भरोसा कैसे किया जा सकता है? ये सभी बातें सोच-समझकर मतदान किसको करना है इसका फैसला आप स्वयं करें। मतदान के समय किस दल का प्रत्याशी जनता से जुड़े विकास को महत्व देकर उसको अपनी प्राथमिकता बना सकता है, इसका आंकलन करें और समझें कि क्या वह इसे करने में सक्षम होगा? अगर आपके आंकलन में सक्षम लगता है तो उसे अपना वोट दें, अन्यथा नहीं।
शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार हर नागरिक के जीवन से जुड़े अहम मुद्दे हंै इसी पर हर नागरिक का विकास निर्भर करता है। आपके आंकलन के अनुसार शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार को जो प्रत्याशी व्यवहारिक और प्रभावी रूप में सत्ता के समक्ष उठाने और लागू कराने में सक्षम है उसे ही अपना वोट देने का फैसला करें। जो प्रत्याशी शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के मुद्दे पर प्रचंड प्रचार-प्रसार कर रहे हैं, झूठे वायदे कर रहे हैं, उनके द्वारा अतीत में किये गए इन मुद्दों पर कार्यों का आंकलन कर तय करे कि अगर वे इन मुद्दों पर खरे उतर रहे है तो उसी को अपना वोट दें, अन्यथा नहीं।
साथ ही वोट देने से पहले इस बात का भी आंकलन करें कि वोट माँगने वाले प्रत्याशी की सोच और समझ अतीत में कैसी रही है? क्या उसकी सोच और समझ आम जनता के लिए हितकारी है? तथा उसका समाज के सभी घटकों, महिलाओं व दलितों के प्रति उसका व्यवहार कैसा रहा है? उसका भी गंभीरता के साथ आंकलन करें। अगर किसी भी राजनैतिक दल का प्रत्याशी जाति, धर्म, वर्ण के आधार पर आपका वोट माँगता है तो उसको अपना वोट बिल्कुल भी न दें। इससे समाज व देश का अहित होता है। ऐसा फैसला करने में आपकी सोच और समझ न्यायिक होनी चाहिए जातिवादी या मनुवादी नहीं। ध्यान रखे ऐसे मानसिकता के प्रत्याशी समाज और देश के लिए घातक हैं और आगे भी होंगे।
केजरीवाल और मोदी के चुनावी शगूफे
युवाओं को लालीपॉप: फूड ट्रेक, नाइट बाजार, योगा हॉट, खेल की व्यवस्था के इंतजाम, हैप्पीनेस एरिया, 1 लाख स्थानीय युवाओं को स्वरोजगार, स्टार्ट-अप युवाओं को प्रापर्टी टैक्स की छूट, 15000 पार्कों में साइन्थिटिक टर्फ ट्रैक, 10000 ओपन जिम और योगा हार्ट आदि। क्या रोजगार पाने योग्य युवाओं का इस तरह की कोरी पेशकस से काम चलेगा और उसका और उसके परिवार का पेट भरेगा? भाजपा से पहले पिछले पंद्रह वर्षों का हिसाब लो, और फिर वोट के लिए सोचों। जिन्होंने पंद्रह साल में कुछ नहीं किया, वे आने वाले पाँच वर्ष में भी कुछ नहीं करेंगे?
महिलाओं के लिए: बेटी की शादी में रुपए 50000 का शगुन आशीर्वाद, पिंक टॉइलेट और फीडिंग रूम, बेटी के जन्म पर रुपए 50000 एफडी (फिक्स्ड डिपोजिट), मुफ्त हेल्थ चेकअप, मेधावी छात्राओं को मुफ्त साइकिल आदि। क्या मोदी-भाजपा को ये सब काम पंद्रह वर्षों के दौरान याद क्यों नहीं आये? और काम क्यों नहीं किया? काम नहीं तो वोट नहीं देना चाहिए?
व्यापारी वर्ग के लिए: स्टार्ट-अप टैक्स बेनीफिट्स, निगम का लाइसेंस समाप्त, गृह निर्माण के सरल नियम, प्रॉपर्टी टैक्स में छूट, 100 गज मकान का नक्शा माफ, 4000 आॅटो रिक्शा के लिए स्टैंड आदि। ये सब झूठे वायदे हैं, गौर करो।
छात्रों के लिए: एमसीडी स्कूलों में स्मार्ट क्लास, एमसीडी स्कूलों में सीसीटीवी की सुविधा, एमसीडी स्कूलों में वाई-फाई की सुविधा, नॉलेज पार्क एवं पुस्तकालय आदि। मोदी-भाजपा का शासन पंद्रह वर्षों से है, तब क्यों नहीं किया?
कर्मचारी/मजदूर के लिए: 10 लाख झुग्गीवासियों को पक्का मकान, 5 रुपए में अन्नपूर्णा रसोई में खाना मिलेगा, झुग्गियों में स्कूल और अस्पताल, रेहड़ी-पटरी वाले असंगठित मजदूरों की सुविधाएँ, अस्थायी एमसीडी सफाई कर्मचारियों को नियमित करना, निगम कर्मचारियों को उद्धार-सैलरी और पेंशन में सहूलियत आदि। पहले के 15 वर्षों में क्यों नहीं किया? तो अब वोट क्यों?
केजरीवाल द्वारा मिनी पार्षद का शगुफा: ऐसी कोई भी संवैधानिक व्यवस्था नहीं है जिसके तहत पार्षदों के नीचे मिनी पार्षद बनाए जा सके। अगर केजरीवाल ऐसा करने की सोच रहे हैं तो यह जनता को मूर्ख बनाने का छलावा है। केजरीवाल ने अपने पिछले चुनावों में भी मोहल्ला समितियों या मोहल्ला सभाओं को आर्थिक अनुदान (शक्ति) देने की बात की थी परंतु वे उसे आज तक भी नहीं कर पाये है चूंकि कानून और संविधान में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। इसलिए वह नहीं कर पायेंगे परंतु ऐसे शगूफे जनता में छोड़कर उनकी भ्रष्टाचारी मानसिकता उजागर होती है चूंकि अगर वह या अन्य कोई भी ऐसी व्यवस्था के लिए प्लान करता है तो वह एक प्रबल भ्रष्टाचार का स्रोत होगा और ऐसे मिनी पार्षद केजरीवाल के भ्रष्टाचार के मेजर एजेंट होंगे। दूसरे शब्दों में ये केजरीवाल की जेब भरने के कमाऊ पूत होंगे।
केजरीवाल और मोदी-भाजपा सत्ता में पिछले आठ वर्षों से विराजमान है और इन दोनों में कुछ समानतायें भी है। पहली समानता है-कि दोनों ही संघ से शिक्षित-प्रशिक्षित है; दूसरी समानता है कि दोनों जनता से भरपूर झूठे वायदे करते हैं; तीसरी समानता है कि दोनों ने पिछले आठ वर्षों में जो जनता से वायदे किये उनमें से आजतक एक भी पूरा नहीं किया; चौथी समानता है कि दोनों ही उच्च कोटि का झूठ बोलने में महारथ रखते हैं; पाँचवी समानता है कि दोनों ही जनता को हर रोज झूठ परोसते हैं; छठी समानता है दोनों ही संविधान के विपरीत काम करते हैं; सातवीं समानता है कि दोनों ही बहुजन समाज के घटकों के सामने बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर व भगत सिंह को अपना आदर्श बताते हैं; आठवीं समानता है कि दोनों ही बाबा साहेब के बनाये रास्ते के विपरीत चलते हैं; नौवीं समानता है कि-दोनों ही सत्ता के अहम पदों पर अपने संघी व वैश्य भाईयों को बैठाये हुए हैं; दसवीं समानता है कि दोनों ही वैश्य (बनिया) समाज से आते हैं; ग्यारहवीं समानता है कि दोनों ही कामगार व आम जनता की बात न करके व्यापारी वैश्य वर्ग की बात करते हैं; बारहवीं समानता है कि दोनों ही सत्ता के अहम पदों पर अपने भ्रष्ट साथियों को रखते हैं; तेरहवीं समानता है कि दोनों ही हिंदुत्व के सांप्रदायिक भाव से ओत-प्रोत है; चौदहवीं समानता है कि दोनों ही बहुजन समाज को कमजोर करने के षड्यंत्र रचते है; पंद्रहवीं समानता है कि दोनों ही जनता के लिए रोजगार के अवसर खत्म कर रहे हैं; सोलहवीं समानता है कि दोनों ही सरकारी संस्थाओं का निजीकरण कर रहे हैं। सत्रहवीं समानता है कि दोनों की प्रवृति अधिनायकवादी है; अट्ठारहवीं समानता है कि दोनों के शासन में भ्रष्टाचार चरम पर है; उन्नीसवीं समानता है कि दोनों ही जनता विरोधी है; बीसवीं समानता है कि दोनों ही चुनाव जीतने के लिए षड्यंत्र रचते हैं।
समानताओं के आधार पर यह कहा जा सकता है कि मोदी-भाजपा और केजरीवाल के डीएनए का अवयव एक ही पदार्थ से बना है; जिसके आधार पर दोनों का चरित्र, कार्यप्रणाली और आंतरिक संरचना एक जैसी ही है। सिर्फ जनता को दिखने में वे दोनों अलग-अलग हैं लेकिन दोनों का कार्य रूप एक ही है। इसलिए जनता अपनी सोच और समझ के आधार पर अपनी आँखों पर पड़े अंधे आवरण को हटाकर देखे, तो समझ सकेंगे कि ये दोनों ही लोकहित के कार्य नहीं कर सकते, चूंकि ये दोनों अपनी संघी मानसिकता के आधार पर कार्यों को अंजाम देते हैं। पिछले आठ वर्षों के दौरान मोदी की केंद्र सरकार और केजरीवाल के दिल्ली शासन से जनता को कोई राहत नहीं है, क्योंकि असली मुद्दों को ये दोनों ही जनता के सामने आने नहीं देते। जनता असली मुद्दों को अपने सामने रखकर आंकलन करके, समझे कि क्या इनके द्वारा किये गए किसी भी काम से जनता का बहुआयामी विकास हुआ है? दोनों एक कुशल बाजीगर की तरह लोगों को आकृषित करते हैं और अपने मायाजाल में फंसाकर जनता का वोट लेते हैं और वोट से प्राप्त सत्ता शक्ति से जनता का अदृश्य तरीके से शोषण करते हैं।
मोदी-भाजपा और केजरीवाल के कार्यों से जनता को कोई लाभ नहीं है। दोनों ही बहुजन समाज के युवकों व सभी उम्र के सदस्यों को अपने भ्रमजाल में फंसाकर सत्ता चाहते हैं। सत्ता शक्ति से ही दोनों अदृश्य रूप से मोह-माया जाल में फंसाये रखना चाहते हैं। दोनों ही धर्म और हिंदुत्व के प्रबल प्रचारक-प्रसारक है जिससे जनता को कोई लाभ नहीं है। जनता को सिर्फ अपने और अपनी भावी पीढ़ियों के विकास-शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार आदि के विषय में सोचना चाहिए। अगर ये सभी सुविधाएँ जनता को मिलेंगी तो समाज समृद्ध बनेगा।
अब फैसला जनता खुद करे कि वो किसे और क्यों वोट दे? मोदी-भाजपा और केजरीवाल के आठ वर्षों के कार्यकाल में तो उन्हें कोई राहत नहीं मिली है, अब जनता खुद सोचे, समझे और इनको सत्ता से बाहर करे। तभी इस देश में आने वाली पीढ़ी के लिए भविष्य उज्ज्वल बन पाएगा।
वोट हमारा है अधिकार, न जाने दें इसको बेकार
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