2022-10-13 09:20:11
अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु राज्य के रामेश्वरम जिले के धनुषकोड़ी गांव में हुआ था। कलाम एक बहुत बड़े परिवार के हिस्सा थे जिसमें पांच भाई और पांच बहन थी। अब्दुल कलाम का पूरा नाम अबुल पक्कीर जैनुलआबेदीन अब्दुल कलाम था।
कलाम का बचपन आर्थिक अभावों में बीता। इनके पिता मछुआरों को बोट किराए पर देते थे। कलाम के पिता जैनुलआबेदीन भले ही पढ़े-लिखे नहीं थे लेकिन उच्च सोच वाले व्यक्ति थे। कलाम ने अपनी आरम्भिक शिक्षा रामेश्वरम में पूरी की, सेंट जोसेफ कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री ली और मद्रास इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नोलॉजी से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की।
अब्दुल बेहद सादगी से जीवन जीने वाले व्यक्ति थे। अनुशासन और दैनिक रूप से पढ़ना इनकी दिनचर्या में था। अपने गुरु से उन्होंने सीखा था कि यदि आप किसी भी चीज को पाना चाहते है तो अपनी तीव्र इच्छा रखनी होगी। कलाम शानो-शौकत के बिल्कुल भी हिमायती नहीं थे। एक बार राष्ट्रपति भवन में उनके परिजन रहने के लिए आए उनका स्वागत उन्होंने बहुत अच्छे से किया। परिजन 9 दिन तक राष्ट्रपति भवन में रहे जिसका खर्च साढ़े तीन लाख रुपए हुआ, जिसका बिल उन्होंने अपनी जेब से भरा। राष्ट्रपति भवन में रहते हुए भी डॉ. कलाम एक साधारण जीवन जीते थे और अपने ऊपर कोई अधिक खर्च नहीं करते थे। उन्हें देख दिखावे के लिए धन खर्च करना व्यर्थ लगता था। वे वेतन भी बहुत कम लेते थे और जो भी बचत उनके पास होती थी, उस धन को वे गरीब लोगों के कल्याण के लिए दान में दे देते थे।
कलाम बच्चों से बहुत प्रेम करते थे और उन्हें सदा विज्ञान का जीवन में महत्व बताते थे। अब्दुल कलाम को पीपुल्स प्रेसीडेंट कहते है। 2002 में राष्ट्रपति बनने के बाद भी उनके दरवाजे सदा आमजन के लिए खुले रहते थे। वे स्वयं गरीब बस्ती में रहने वाले बच्चों को प्रेरणा देते थे और उनकी शिक्षा के लिए मदद करते थे। कई पत्रों का जबाव तो स्वयं अपने हाथों से लिखकर देते थे। कलाम के विद्यर्थियों के प्रति प्रेम को देखकर संयुक्त राष्ट्र ने उनके जन्मदिन को विद्यार्थी दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया।
वैज्ञानिक जीवन: अब्दुल कलाम का सपना था कि वे पायलट बनना चाहते थे परंतु किन्हीं कारणों की वजह से वे पायलट नहीं बन पाए। 1962 में वे अंतरिक्ष विभाग से जुड़ गए जहां उन्हें विक्रम साराभाई, सतीश धवन और ब्रह्म प्रकाश जैसे महान हस्तियों का सान्निध्य प्राप्त हुआ। 1980 में पूर्ण रूप से भारत में निर्मित उपग्रह रोहिणी का प्रक्षेपण किया जो सफल रहा।
अब्दुल कलाम ने विभिन्न सरकारों में विज्ञान सलाहकार और रक्षा सलाहकार के पद को सुशोभित किया। डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आॅगेर्नाइजेशन में रहते हुए इन्होंने पृथ्वी और अग्नि जैसी मिसाइल को आॅपरेशनल किया। राजस्थान में हुए दूसरे परमाणु परीक्षण (शक्ति2) को सफल बनाया।
पुरस्कार एवं पुस्तकें: एक महान व्यक्ति वही होता है जो कि अपने जाने के बाद भी लोगों को राह दिखाता रहे। उनकी लिखी हुई पुस्तकें विंग्स आॅफ फायर, इंडिया 2020, इग्नाइटेड मांइड, माय जर्नी आदि है। अब्दुल कलाम को 48 यूनिवर्सिटी और इंस्टीट्यूशन से डॉक्टरेट की उपाधि मिली है। भारत में अब्दुल कलाम उन चुनिंदा लोगों में से जिन्हें सभी सर्वोच्च पुरस्कार मिले। 1981 में पद्म भूषण, 1990 में पद्म विभूषण, 1997 में भारत रत्न से सम्मानित हुए। एक अच्छी सोच और कर्मों पर विश्वास करने वाले एपीजे अब्दुल कलाम ने अपनी पुस्तक द विंग्स आॅफ फायर में युवाओं को प्रेरित करने वाली बातों की व्याख्या की है।
निधन: एक प्रखर बुद्धि के धनी, ओजस्वी वक्ता, थिंक टैंक के चले जाने से उनकी कमी सदा रहेगी। ऐसे महान मिसाइल मैन डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का 27 जुलाई 2015 को आईआईटी गुवाहटी में संबोधित करते समय कार्डियक अरेस्ट हुआ और देहांत हो गया। ऐसे राष्ट्रपति पर पूरे देश को हमेशा गर्व रहेगा। उनके निधन के पश्चात मालूम हुआ कि डॉ. कलाम ने कोई सम्पत्ति नहीं बनायी, न ही उनके पास कोई एटेस्टस थे और न ही उनके बैंक में कोई बड़ी धन राशि थी। इतने महान व्यक्ति होते हुए भी वे साधारण जीवन जीते थे और उस मिशाल को सही सिद्ध करते थे ‘सादा जीवन उच्च विचार’।
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