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संत बसवेश्वर जी का जीवन दर्शन

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2024-04-27 09:08:45

संत बसवेश्वर का जन्म 28 अप्रैल 1131 ईसवी में बागेवाडी (कर्नाटक के संयुक्त बीजापुर जिले में स्थित) में हुआ था। उन्होंने उपनयन संस्कार (जनेऊ) होने के बाद 8 साल की उम्र में ही इस धागे को तोड़ दिया था। उन्होंने उस दौर में कई पदों पर अपनी सेवाएं भी दी थीं। समाज में गरीब-अमीर और जाति के आधार पर भेदभाव हो रहा था। जिसके खिलाफ संत बसवेश्वर जी ने आवाज उठाई।

बसवेश्वर, एक ऐसे संत थे, जिन्होंने 800 साल पहले नारी प्रताड़ना को खत्म करने की लड़ाई लड़ी। साथ ही वो शिव के उपासक थे और उन्होंने मठों, मंदिरों में फैली कुरीतियों, अंधविश्वासों और अमीरों की सत्ता को चुनौती दी। एक संत जिसके नाम से कन्नड़ साहित्य का एक पूरा युग जाना जाता है। बसवेश्वर खुद ब्राह्मण परिवार में जन्मे थे। उन्होंने ब्राह्मणों की वर्चस्ववादी व्यवस्था का विरोध किया। वे जन्म आधारित व्यवस्था की जगह कर्म आधारित व्यवस्था में विश्वास करते थे। उन्होंने कुरीतियों को हटाने के लिए इस नए संप्रदाय की स्थापना की, जिसका नाम लिंगायत था। बता दें लिंगायत पहले हिंदू वैदिक धर्म का ही पालन करता था। लिंगायत समाज को कर्नाटक की अगड़ी जातियों में गिना जाता है। कर्नाटक की आबादी का 18 फीसदी लिंगायत हैं। पास के राज्यों जैसे महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में भी लिंगायतों की अच्छी खासी आबादी है। लिंगायत सम्प्रदाय के लोग ना तो वेदों में विश्वास रखते हैं और ना ही मूर्ति पूजा में। लिंगायत हिंदुओं के भगवान शिव की पूजा नहीं करते लेकिन भगवान को उचित आकार ‘इष्टलिंग’ के रूप में पूजा करने का तरीका प्रदान करता है। इष्टलिंग अंडे के आकार की गेंदनुमा आकृति होती है जिसे वे धागे से अपने शरीर पर बांधते हैं। लिंगायत इस इष्टलिंग को आंतरिक चेतना का प्रतीक मानते हैं। निराकार परमात्मा को मानव या प्राणियों के आकार में कल्पित न करके विश्व के आकार में इष्टलिंग की रचना की गई है। लिंगायत पुनर्जन्म में भी विश्वास नहीं करते हैं. लिंगायतों का मानना है कि एक ही जीवन है और कोई भी अपने कर्मों से अपने जीवन को स्वर्ग और नरक बना सकता है।

बसव वचन

देवलोक मर्त्यलोक अलग नही है।

सत्यवचन बोलना ही देवलोक।

असत्यवचन बोलना ही मर्त्यलोक।

सदाचार ही स्वर्ग, अनाचार ही नरक।

आप ही प्रमाण है कूडलसंगमदेव!

महात्मा बसवेश्वर भारतीय मनीषा के प्रथम बागी धर्म गुरु हैं, उनका विद्रोह अंधविश्वास और अंधश्रद्धा के विरोध में सदैव मुखर रहा है। महात्मा बसवेश्वर के काल में समाज ऐसे चौराहे पर खड़ा था, जहां चारों ओर धार्मिक पाखंड, जात-पात, छुआछूत, अंधश्रद्धा से भरे कर्मकांड, पंडित-पुरोहितों का ढोंग और सांप्रदायिक उन्माद चरम पर था। आम जनता धर्म के नाम पर दिग्भ्रमित थी।

बसवेश्वर की मृत्यु श्रावण सुद्ध पंचमि 30-7-1196 को हुआ। बसवेश्वर भारतीय मनीषा के भूगर्भ के फौलाद हैं जिसके चोट से ढोंग, पाखंड और धर्मांधता चूर-चूर हो जाती है। बसवेश्वर भारतीय संस्कृति का वह हीरा है जिसकी चमक नित नूतन और शाश्वत है।

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01 जनवरी : मूलनिवासी शौर्य दिवस (भीमा कोरेगांव-पुणे) (1818)

01 जनवरी : राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले और राष्ट्रमाता सावित्री बाई फुले द्वारा प्रथम भारतीय पाठशाला प्रारंभ (1848)

01 जनवरी : बाबा साहेब अम्बेडकर द्वारा ‘द अनटचैबिल्स’ नामक पुस्तक का प्रकाशन (1948)

01 जनवरी : मण्डल आयोग का गठन (1979)

02 जनवरी : गुरु कबीर स्मृति दिवस (1476)

03 जनवरी : राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले जयंती दिवस (1831)

06 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. जयंती (1904)

08 जनवरी : विश्व बौद्ध ध्वज दिवस (1891)

09 जनवरी : प्रथम मुस्लिम महिला शिक्षिका फातिमा शेख जन्म दिवस (1831)

12 जनवरी : राजमाता जिजाऊ जयंती दिवस (1598)

12 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. स्मृति दिवस (1939)

12 जनवरी : उस्मानिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद ने बाबा साहेब को डी.लिट. की उपाधि प्रदान की (1953)

12 जनवरी : चंद्रिका प्रसाद जिज्ञासु परिनिर्वाण दिवस (1972)

13 जनवरी : तिलका मांझी शाहदत दिवस (1785)

14 जनवरी : सर मंगूराम मंगोलिया जन्म दिवस (1886)

15 जनवरी : बहन कुमारी मायावती जयंती दिवस (1956)

18 जनवरी : अब्दुल कय्यूम अंसारी स्मृति दिवस (1973)

18 जनवरी : बाबासाहेब द्वारा राणाडे, गांधी व जिन्ना पर प्रवचन (1943)

23 जनवरी : अहमदाबाद में डॉ. अम्बेडकर ने शांतिपूर्ण मार्च निकालकर सभा को संबोधित किया (1938)

24 जनवरी : राजर्षि छत्रपति साहूजी महाराज द्वारा प्राथमिक शिक्षा को मुफ्त व अनिवार्य करने का आदेश (1917)

24 जनवरी : कर्पूरी ठाकुर जयंती दिवस (1924)

26 जनवरी : गणतंत्र दिवस (1950)

27 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर का साउथ बरो कमीशन के सामने साक्षात्कार (1919)

29 जनवरी : महाप्राण जोगेन्द्रनाथ मण्डल जयंती दिवस (1904)

30 जनवरी : सत्यनारायण गोयनका का जन्मदिवस (1924)

31 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर द्वारा आंदोलन के मुखपत्र ‘‘मूकनायक’’ का प्रारम्भ (1920)

2024-01-13 11:08:05