2022-08-21 17:38:31
अहिल्याबाई होल्कर एक महान शासक थी और मालवा प्रांत की महारानी। लोग उन्हें राजमाता अहिल्यादेवी होल्कर नाम से भी जानते हैं। उनका जन्म महाराष्ट्र के चोंडी गांव में 31 मई 1725 को हुआ था। उनके पिता मानकोजी शिंदे खुद धनगर समाज से थे, जो गांव के पाटिल की भूमिका निभाते थे। उनके पिता ने अहिल्याबाई को पढ़ाया-लिखाया। अहिल्याबाई का जीवन भी बहुत साधारण तरीके से गुजर रहा था। लेकिन एकाएक भाग्य ने पलटी खाई और वह 18वीं सदी में मालवा प्रांत की रानी बन गईं। युवा अहिल्यादेवी के चरित्र और सरलता ने मल्हार राव होल्कर को प्रभावित किया। वे पेशवा बाजीराव की सेना में एक कमांडर के तौर पर काम करते थे। उन्हें अहिल्या इतनी अच्छी लगी कि उन्होंने उनकी शादी अपने बेटे खांडे राव से करवा दी। इस तरह अहिल्या बाई एक दुल्हन के तौर पर मराठा समुदाय के होल्कर राजघराने में पहुंची। उनके पति की मौत 1754 में कुंभेर की लड़ाई में हो गई थी। ऐसे में अहिल्यादेवी पर जिम्मेदारी आ गई। उन्होंने अपने ससुर के कहने पर न केवल सैन्य मामलों में बल्कि प्रशासनिक मामलों में भी रुचि दिखाई और प्रभावी तरीके से उन्हें अंजाम दिया।
मल्हारराव के निधन के बाद उन्होंने पेशवाओं की गद्दी से आग्रह किया कि उन्हें क्षेत्र की प्रशासनिक बागडोर सौंपी जाए। मंजूरी मिलने के बाद 1766 में रानी अहिल्यादेवी मालवा की शासक बन गईं। उन्होंने तुकोजी होल्कर को सैन्य कमांडर बनाया। उन्हें उनकी राजसी सेना का पूरा सहयोग मिला। अहिल्याबाई ने कई युद्धों का नेतृत्व किया। वे एक साहसी योद्धा और बेहतरीन तीरंदाज थी। वह हाथी की पीठ पर चढ़कर लड़ती थी। हमेशा आक्रमण करने को तत्पर भील और गोंड्स से उन्होंने कई बरसों तक अपने राज्य को सुरक्षित रखा।
रानी अहिल्याबाई अपनी राजधानी महेश्वर ले गईं। वहां उन्होंने 18वीं सदी का बेहतरीन और आलीशान अहिल्या महल बनवाया। पवित्र नर्मदा नदी के किनारे बनाए गए इस महल के ईर्द-गिर्द बनी राजधानी की पहचान बनी टेक्सटाइल इंडस्ट्री। उस दौरान महेश्वर साहित्य, मूर्तिकला, संगीत और कला के क्षेत्र में एक गढ़ बन चुका था। मराठी कवि मोरोपंत, शाहिर अनंतफंडी और संस्कृत विद्वान खुलासी राम उनके कालखंड के महान व्यक्तित्व थे। एक बुद्धिमान, तीक्ष्ण सोच और स्वस्फूर्त शासक के तौर पर अहिल्याबाई को याद किया जाता है। हर दिन वह अपनी प्रजा से बात करती थी। उनकी समस्याएं सुनती थी। उनके कालखंड (1767-1795) में रानी अहिल्याबाई ने ऐसे कई काम किए कि लोग आज भी उनका नाम लेते हैं। अपने साम्राज्य को उन्होंने समृद्ध बनाया। उन्होंने सरकारी पैसा बेहद बुद्धिमानी से कई किले, विश्राम गृह, कुएं और सड़कें बनवाने पर खर्च किया। वह लोगों के साथ त्योहार मनाती और हिंदू मंदिरों को दान देती। एक महिला होने के नाते उन्होंने विधवा महिलाओं को अपने पति की संपत्ति को हासिल करने और बेटे को गोद लेने में मदद की।
अहिल्याबाई होल्कर का चमत्कृत और अलंकृत शासन 1795 में खत्म हुआ, जब उनका इंदौर में 13 अगस्त 1795 में निधन हुआ।
उपलब्धियां
अहिल्याबाई ने इंदौर को एक छोटे-से गांव से खूबसूरत शहर बनाया। मालवा में कई किले और सड़कें बनवाईं। उन्होंने कई घाट, मंदिर, तालाब, कुएं और विश्राम गृह बनवाए। न केवल दक्षिण भारत में बल्कि हिमालय पर भी। सोमनाथ, काशी, गया, अयोध्या, द्वारका, हरिद्वार, कांची, अवंती, बद्रीनारायण, रामेश्वर, मथुरा और जगन्नाथपुरी आदि।
मराठी में किताबें
पुण्यश्लोक अहिल्या - एमएस दीक्षित
अहिल्याबाई - हीरालाल शर्मा
अहिल्याबाई चरित्र - पुरुषोत्तम
अहिल्याबाई चरित्र - मुकुंद वामन बर्वे
कर्मयोगिनी - विजया जहांगीरदारे
ज्ञात-अज्ञात - विनया खंडापेकर
देवी अहिल्या बाई पर बनी फिल्म में मल्लिका प्रसाद ने अहिल्या बाई की भूमिका निभाई है। महाराष्ट्र के ठाणे में एक बच्चों के बगीचे का नाम अहिल्या बाई के सम्मान में अहिल्यादेवी होल्कर उद्यान रखा गया है।
वृत्तचित्र
अहिल्या बाई पर एक 20 मिनट का एक वृत्तचित्र तैयार किया गया है। इसे एजुकेशनल मल्टीमीडिया रिसर्च सेंटर ने तैयार किया।
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