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महान क्रान्तिकारी बिरसा मुंडा

News

2022-11-18 09:47:59

आदिवासी शिरोमणी बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवम्बर 1875 में लिहातु रांची (झारखंड) में हुआ। तब यह अविभाजित बिहार में था। बिरसा के पिता जी का नाम सुगना मुंडा तथा माता जी का नाम करमी हातू था। इनकी आदिवासियों में मुंडा जाति थी। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा साल्गा गांव में हुई। आगे की स्कूली शिक्षा इंगलिश मीडिल स्कूल, चाईबासा में हुई। बिरसा मुंडा को अपनी भूमि, संस्कृति से बहुत प्यार था। मुंडाओं व मुंडा सरदारों की भूमि छीने जाने का उन्हें बहुत दुख था। वे आदिवासियों के जल, जंगल और जमीन पर हक की वकालत करते थे। वे आदिवासियों के भूमि आंदोलन के समर्थक थे। उनके मन में अंगे्रज सरकार के विरूद्ध विरोध था। बिरसा मुंडा ने अपने आदिवासी लोगों में सामाजिक, सांस्कृतिक तथा धार्मिक जाग्रति पैदा करने के संकल्प के साथ-साथ राजनीतिक जाग्रति पैदा करने का संकल्प लिया। इसके लिये उन्होंने गांव-गांव में घूमकर अपने संकल्प तथा अपने उद्देश्य के बारे में लोगों का बताया। उन्होंने ‘अबुआ दिशोमरे अबुआ राज अर्थात हमारे देश में हमारा शासन’ का बिगुल फूंक दिया। उन्होंने बनवासियों को संगठित किया और उन्हें अंग्रेजी शासन के खिलाफ संघर्ष के लिये तैयार किया। बिरसा मुंडा एक महान देशभक्त थे। उन्होंने भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिये धर्मान्तरण कराने वाली ईसाई मिशनरियों का विरोध किया। उनकी सरकार विरोधी गतिविधियों से अंग्रेज सरकार ने नाराज होकर उन्हें 1895 में गिरफ्तार कर लिया। उन पर मुकदमा चलाकर उन्हें दो साल की सजा दे दी और उन्हें हजारीबाग केन्द्रीय कारागार में डाल दिया। इसी समय अकाल पडा और अनेक आदिवासी लोग भूख, गरीबी से पीडित हो गये। ऐसे कठिन समय में उनके शिष्यों और साथियों ने अकाल पीडितों की सहायता करने का बीडा उठाया और लागों की बहुत सहायता की। इस कार्य से बिरसा मुंडा का सारे क्षेत्र में बडा नाम हुआ, प्रभाव पडा और सभी मुंडा जाति के लोगों को संगठित होने की चेतना हुई। लोग उन्हें एक महापुरूष की तरह मानने लगे। लोग उन्हें ‘धरती बाबा’ कहकर पुकारने लगे और उनकी पूजा करने लगे। सन 1897 से लेकर 1900 तक मुंडों और अंग्रेज सिपाहियों के बीच युद्ध चला। बिरसा मुंडा के नेतृत्व में मुंडा लोगों ने संगठित होकर अंग्रेजों का मुकाबला किया और उन्हें नाको चने चबा दिये। जनवरी 1900 में बिरसा मुंडा डोमबाडी नाम की पहाडी पर अपने लागों की विशाल जनसभा को संबोधित कर रहे थे, वहां अंग्रेजों व मुंडाओं के बीच भीषण संघर्ष हुआ। इस संघर्ष में बहुत से औरतें व बच्चो मारे गये। बिरसा मुंडा को भी अंग्रेस सरकार ने 3 फरवरी 1900 को चक्रघरपुर में पकड़ लिया और कैद में डाल दिया।

9 जून 1900 को इस महान क्रांतिकारी बिरसा मुंडा की रांची जेल में मौत हो गई। इस महान सेनानायक को शोषण व अन्याय के विरूद्ध सशस्त्र क्रांति का संचालन करने के लिए सदैव याद किया जायेगा।

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01 जनवरी : मूलनिवासी शौर्य दिवस (भीमा कोरेगांव-पुणे) (1818)

01 जनवरी : राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले और राष्ट्रमाता सावित्री बाई फुले द्वारा प्रथम भारतीय पाठशाला प्रारंभ (1848)

01 जनवरी : बाबा साहेब अम्बेडकर द्वारा ‘द अनटचैबिल्स’ नामक पुस्तक का प्रकाशन (1948)

01 जनवरी : मण्डल आयोग का गठन (1979)

02 जनवरी : गुरु कबीर स्मृति दिवस (1476)

03 जनवरी : राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले जयंती दिवस (1831)

06 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. जयंती (1904)

08 जनवरी : विश्व बौद्ध ध्वज दिवस (1891)

09 जनवरी : प्रथम मुस्लिम महिला शिक्षिका फातिमा शेख जन्म दिवस (1831)

12 जनवरी : राजमाता जिजाऊ जयंती दिवस (1598)

12 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. स्मृति दिवस (1939)

12 जनवरी : उस्मानिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद ने बाबा साहेब को डी.लिट. की उपाधि प्रदान की (1953)

12 जनवरी : चंद्रिका प्रसाद जिज्ञासु परिनिर्वाण दिवस (1972)

13 जनवरी : तिलका मांझी शाहदत दिवस (1785)

14 जनवरी : सर मंगूराम मंगोलिया जन्म दिवस (1886)

15 जनवरी : बहन कुमारी मायावती जयंती दिवस (1956)

18 जनवरी : अब्दुल कय्यूम अंसारी स्मृति दिवस (1973)

18 जनवरी : बाबासाहेब द्वारा राणाडे, गांधी व जिन्ना पर प्रवचन (1943)

23 जनवरी : अहमदाबाद में डॉ. अम्बेडकर ने शांतिपूर्ण मार्च निकालकर सभा को संबोधित किया (1938)

24 जनवरी : राजर्षि छत्रपति साहूजी महाराज द्वारा प्राथमिक शिक्षा को मुफ्त व अनिवार्य करने का आदेश (1917)

24 जनवरी : कर्पूरी ठाकुर जयंती दिवस (1924)

26 जनवरी : गणतंत्र दिवस (1950)

27 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर का साउथ बरो कमीशन के सामने साक्षात्कार (1919)

29 जनवरी : महाप्राण जोगेन्द्रनाथ मण्डल जयंती दिवस (1904)

30 जनवरी : सत्यनारायण गोयनका का जन्मदिवस (1924)

31 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर द्वारा आंदोलन के मुखपत्र ‘‘मूकनायक’’ का प्रारम्भ (1920)

2024-01-13 11:08:05