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भोजपुरी के ‘शेक्सपियर’ भिखारी ठाकुर

News

2022-12-17 08:00:44

गवना कराइ सैंया घर बइठवले से, अपने लोभइले परदेस रे बिदेसिया।। चढ़ली जवानियां बैरन भइली हमरी रे, के मोरा हरिहें कलेस रे बिदेसिया।

भोजपुरी जनजीवन का यह राग है, भोजपुरी लोक संगीत की आत्मा ऐसे गीतों में बसती है। भिखारी ठाकुर के जीवन से जुड़ी हुई 10 बड़ी बातें निम्नलिखित है:

1- भिखारी ठाकुर का जन्म 18 दिंसबर साल 1887 को सारन जिले के कुतुबपुर (दियारा) गाँव में एक नाई परिवार में हुआ था। उनके पिताजी का नाम दल सिंगार ठाकुर व माताजी का नाम शिवकली देवी था।

2- भिखारी ठाकुर के व्यक्तित्व में कई आश्चर्यजनक खासियतें थीं। उन्हें भोजपुरी का ‘शेक्सपियर’ कहा जाता है। महज अक्षर भर के ज्ञान के बावजूद उन्हें पूरा रामचरित मानस कंठस्थ था।

3- शुरूआती जीवन में भिखारी ठाकुर रोजी रोटी के लिए अपना घर-गांव छोड़कर खड्गपुर चले गए। कुछ वक्त तक वह रोजी रोटी में लगे रहे. कहते हैं इस दौरान तकरीबन तीस साल तक उन्होंने अपना पुश्तैनी पारंपरिक पेशा भी नहीं छोड़ा, पर बाद में भिखारी ठाकुर अपने गांव लौट आए और लोक कलाकारों की एक नृत्य मंडली बनाई और उनके साथ रामलीला करने लगे।

4- भिखारी ठाकुर बहुआयामी प्रतिभा के धनी थे। वह एक लोक कलाकार के साथ कवि, गीतकार, नाटककार, नाट्य निर्देशक, लोक संगीतकार और अभिनेता थे. उनकी मातृभाषा भोजपुरी थी और उन्होंने भोजपुरी को ही अपने काव्य और नाटक की भाषा बनाया. उनकी प्रतिभा का आलम यह था कि महापंडित राहुल सांकृत्यायन ने उनको अनगढ़ हीरा कहा, तो जगदीशचंद्र माथुर ने कहा भरत मुनि की परंपरा का कलाकार.

5- उनके निर्देशन में भोजपुरी के नाटक बेटी बेचवा, गबर घिचोर, बेटी वियोग का आज भी भोजपुरी अंचल में मंचन होता रहता है. इन नाटकों और फिल्मों के जरिए भिखारी ठाकुर ने सामाजिक सुधार की दिशा में जबरदस्त योगदान दिया। उनके नाटक गांवों और ग्रामीण समाज के चारों ओर विकसित हुए, वे अभी भी कोलकाता, पटना, बनारस और अन्य छोटे शहरों जैसे बड़े शहरों में बहुत प्रसिद्ध हैं जहां प्रवासी मजदूरों और गरीब श्रमिक अपनी आजीविका की खोज में जाते हैं। देश की सभी सीमाएं तोड़कर उन्होंने अपनी मंडली के साथ-साथ मॉरीशस, केन्या, सिंगापुर, नेपाल, ब्रिटिश गुयाना, सूरीनाम, युगांडा, म्यांमार, मैडागास्कर, दक्षिण अफ्रीका, फिजी, त्रिनिडाड और अन्य जगहों पर भी दौरा किया जहां भोजपुरी संस्कृति कम या ज्यादा समृद्ध है।

6- भिखारी ठाकुर कई कामों में व्यस्त रहने के बावजूद भोजपुरी साहित्य की रचना में भी लगे रहे। उन्होंने तकरीबन 29 पुस्तकें लिखीं, जिस वजह से आगे चलकर वह भोजपुरी साहित्य और संस्कृति के संवाहक बने। उनकी पुस्तकों की भाषा बहुत सरल थी जिससे लोग बहुत आकृष्ट हुए। उनकी लिखी किताबें वाराणसी, हावड़ा एवं छपरा से प्रकाशित हुईं।

7- हंसि हंसि पनवा खीऔले बेईमनवा कि अपना बसे रे परदेस। कोरी रे चुनरिया में दगिया लगाई गइले, मारी रे करेजवा में ठेस! फिल्म विदेशिया ने भिखारी ठाकुर को खासी पहचान दिलायी. उस फिल्म की ये दो पंक्तियां आज भी भोजपुरी अंचल में मुहावरे की तरह गूंजती रहती हैं।

8- बिहार में उस खांटी नाच शैली की मौत हो चुकी है, जिसके लिए भिखारी को पहचाना जाता है. सभ्य नाच या बिदेसिया शैली के आविष्कारक भिखारी ठाकुर ही थे. औरतों की ड्रेस पहन लडकों या पुरुषों के नाचने की परंपरा यानी लौंडा नाच भी अब स्वतंत्र रूप से खत्म हो चुका है।

9- जिस अंग्रेजी राज के खिलाफ नाटक मंडली के माध्यम से वह जीवन भर जनजागरण करते रहे, बाद में उन्हीं अंग्रेजों ने उन्हें रायबहादुर की उपाधि दी।

10- भिखारी ठाकुर ने भरपूर उम्र जी। 83 साल की उम्र में 10 जुलाई, 1971 को भोजपुरी के शेक्सपियर भिखारी ठाकुर ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। ठाकुर की मृत्यु के बाद, उनकी थिएटर शैली की उपेक्षा हुई फिर भी, समय के साथ यह एक नए आकार पर ले लिया है और उसकी लौंडा डांस शैली लोकप्रिय हो गई है बिहार शायद दुनिया का एकमात्र ऐसा क्षेत्र है, जहां एक पुरुष महिला जैसी वेशभूषा में महिलाओं के वस्त्र पहन कर नृत्य करता है। जैसे कि यह सार्वजनिक रूप से स्वीकार्य है।

(भिखारी ठाकुर जी को उनकी 135वीं जयंती पर कोटि-कोटि नमन!)

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01 जनवरी : मूलनिवासी शौर्य दिवस (भीमा कोरेगांव-पुणे) (1818)

01 जनवरी : राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले और राष्ट्रमाता सावित्री बाई फुले द्वारा प्रथम भारतीय पाठशाला प्रारंभ (1848)

01 जनवरी : बाबा साहेब अम्बेडकर द्वारा ‘द अनटचैबिल्स’ नामक पुस्तक का प्रकाशन (1948)

01 जनवरी : मण्डल आयोग का गठन (1979)

02 जनवरी : गुरु कबीर स्मृति दिवस (1476)

03 जनवरी : राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले जयंती दिवस (1831)

06 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. जयंती (1904)

08 जनवरी : विश्व बौद्ध ध्वज दिवस (1891)

09 जनवरी : प्रथम मुस्लिम महिला शिक्षिका फातिमा शेख जन्म दिवस (1831)

12 जनवरी : राजमाता जिजाऊ जयंती दिवस (1598)

12 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. स्मृति दिवस (1939)

12 जनवरी : उस्मानिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद ने बाबा साहेब को डी.लिट. की उपाधि प्रदान की (1953)

12 जनवरी : चंद्रिका प्रसाद जिज्ञासु परिनिर्वाण दिवस (1972)

13 जनवरी : तिलका मांझी शाहदत दिवस (1785)

14 जनवरी : सर मंगूराम मंगोलिया जन्म दिवस (1886)

15 जनवरी : बहन कुमारी मायावती जयंती दिवस (1956)

18 जनवरी : अब्दुल कय्यूम अंसारी स्मृति दिवस (1973)

18 जनवरी : बाबासाहेब द्वारा राणाडे, गांधी व जिन्ना पर प्रवचन (1943)

23 जनवरी : अहमदाबाद में डॉ. अम्बेडकर ने शांतिपूर्ण मार्च निकालकर सभा को संबोधित किया (1938)

24 जनवरी : राजर्षि छत्रपति साहूजी महाराज द्वारा प्राथमिक शिक्षा को मुफ्त व अनिवार्य करने का आदेश (1917)

24 जनवरी : कर्पूरी ठाकुर जयंती दिवस (1924)

26 जनवरी : गणतंत्र दिवस (1950)

27 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर का साउथ बरो कमीशन के सामने साक्षात्कार (1919)

29 जनवरी : महाप्राण जोगेन्द्रनाथ मण्डल जयंती दिवस (1904)

30 जनवरी : सत्यनारायण गोयनका का जन्मदिवस (1924)

31 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर द्वारा आंदोलन के मुखपत्र ‘‘मूकनायक’’ का प्रारम्भ (1920)

2024-01-13 11:08:05