Friday, 15th November 2024
Follow us on
Friday, 15th November 2024
Follow us on

फातिमा शेख: देश की पहली मुस्लिम महिला शिक्षिका

(09-01-1831 से 9-10-1900)
News

2023-10-06 10:24:43

फातिमा शेख पहली मुस्लिम शिक्षिका थीं जिन्होंने क्रांतिसूर्य ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले के साथ मिलकर लड़कियों में डेढ़ सौ वर्ष पहले शिक्षा की मशाल जलाई थी। आज से लगभग 150 सालों तक भी शिक्षा बहुसंख्य लोगों तक नहीं पहुंच पाई थी जब विश्व आधुनिक शिक्षा में काफी आगे निकल चुका था। लेकिन भारत में बहुसंख्य लोग शिक्षा से वंचित थे लडकियों की शिक्षा का तो पूछो मत क्या हाल था। ज्योतिराव फुले पूना (अब पुणे) में 1827 में पैदा हुए। उन्होंने बहुजनों की दुर्गति को बहुत ही निकट से देखा था। उन्हें पता था कि बहुजनों के इस पतन का कारण शिक्षा की कमी ही है। इसलिए वे चाहते थे कि बहुसंख्य लोगों के घरों तक शिक्षा का प्रचार प्रसार होना ही चाहिए। विशेषत: वे लड़कियों के शिक्षा के जबरदस्त पक्षधर थे। इसका आरंभ उन्होंने अपने घर से ही किया। उन्होंने सबसे पहले अपनी संगिनी सावित्रीबाई को शिक्षित किया। ज्योतिराव अपनी संगिनी को शिक्षित बनाकर अपने कार्य को और भी आगे ले जाने की तैयारियों में जुट गए। यह बात उस समय के सनातनियों हिन्दुओं को बिलकुल भी पसंद नहीं आई। उनका चारों ओर से विरोध होने लगा। ज्योतिराव फिर भी अपने कार्य को मजबूती से करने में लगे रहे। ज्योतिराव नहीं माने तो उनके पिता गोविंदराव पर दबाव बनाया गया। अंतत: पिता को भी ब्राह्मवादी व्यवस्था के सामने विवश होना पड़ा। मजबूरी में ज्योतिराव फुले को अपना घर छोड़ना पडा।

उनके एक दोस्त उस्मान शेख पूना के गंज पेठ में रहते थे। उनकी एक बहन थीं जिसका नाम फातिमा शेख था। फातिमा शेख और उस्मान शेख ने ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई को उस मुश्किल समय में बेहद अहम सहयोग दिया था। उन्होंने ज्योतिराव फुले को रहने के लिए अपना घर दिया। यहीं ज्योतिराव फुले ने 1 जनवरी 1848 में अपना पहला स्कूल शुरू किया। उस्मान शेख भी लड़कियों की शिक्षा के महत्व को समझते थे। वह अपनी बहन फातिमा शेख को बहुत चाहते थे। उस जमाने में अध्यापक मिलने मुश्किल थे। उस्मान शेख ने अपनी बहन के दिल में शिक्षा के प्रति रुचि निर्माण की। सावित्रीबाई के साथ वह भी लिखना-पढ़ना सीखने लगीं। बाद में उन्होंने शिक्षक सनद प्राप्त की। क्रांतिसूर्य ज्योतिराव फुले ने लड़कियों के लिए कई स्कूल कायम किए। फातिमा शेख ने सावित्रीबाई के स्कूल में पढ़ाने की जिÞम्मेदारी संभाली। इसके लिए उन्हें समाज के विरोध का भी सामना करना पड़ा। सावित्रीबाई और फातिमा ने वहां पढ़ाना शुरू किया। वो जब भी रास्ते से गुजरतीं तो लोग उनकी हंसी उड़ाते, उन्हें पत्थर मारते तथा उनपर कीचड़ फेंकते थे। दोनों इस ज्यादती को सहन करती रहीं लेकिन उन्होंने अपना काम बंद नहीं किया। फातिमा शेख के जमाने में लड़कियों की शिक्षा में असंख्य रुकावटें थीं। ऐसे जमाने में उन्होंने स्वयं शिक्षा प्राप्त की। दूसरों को लिखना-पढ़ना सिखाया। वे शिक्षा देने वाली पहली मुस्लिम महिला बनीं जिनके पास शिक्षा की सनद थी। घर-घर जाना, लोगों को शिक्षा की आवश्यकता समझाना, लड़कियों को स्कूल भेजने के लिए उनके अभिभावकों की खुशामद करना, फातिमा शेख की आदत बन गई थी। आखिर उनकी मेहनत रंग लाने लगी। लोगों के विचारों में परिवर्तन आना शुरु हो गया वे अपने घरों की लड़कियों को स्कूल भेजने लगे। लड़कियों में भी शिक्षा के प्रति रूचि निर्माण होने लगी। स्कूल में उनकी संख्या बढ़ती गयी। मुस्लिम लड़कियां भी खुशी-खुशी स्कूल जाने लगीं। फातिमा शेख ने लड़कियों की शिक्षा के लिए जो सेवाएं दीं उसे भुलाया नहीं जा सकता। विपरीत परिस्थितियों में ब्राह्मणवादी व्यवस्था के विरोध में जाकर शिक्षा के महान कार्य में ज्योतिराव एवं सावित्रीबाई फुले को मौलिकता के साथ सहयोग देने वाली एक वीर मानवतावादी शिक्षिका फातिमा शेख को दिल से नमन।

आज अब बहुत कम ही लोग उस्मान शेख और फातिमा शेख के बारे में जानते हैं। कुछ समूहों ने उनके बारे में जानकारी जुटाने की कोशिश की है। फातिमा शेख का क्या हुआ और उन्होंने कैसे जिÞंदगी बिताई इसके बारे में बहुत जानकारियां अभी नहीं मिली हैं, लेकिन अधिक जानकारियां जुटाने की कोशिशें जारी हैं। एक ऐसे समय में जब देश में सांप्रदायिक ताकतें हिंदुओं-मुसलमानों को बांटने में सक्रिय हों, फातिमा शेख के काम का उल्लेख जरूरी हो जाता है। स्त्रीमुक्ति आंदोलन की अहम किरदार रहीं फातिमा पर शोध की जरूरत है। इतिहास के ऐसे मौन बहुत कुछ कहते हैं।

भारत की पहली मुस्लिम शिक्षिका फातिमा शेख जी को पर कोटि-कोटि नमन!

Post Your Comment here.
Characters allowed :


01 जनवरी : मूलनिवासी शौर्य दिवस (भीमा कोरेगांव-पुणे) (1818)

01 जनवरी : राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले और राष्ट्रमाता सावित्री बाई फुले द्वारा प्रथम भारतीय पाठशाला प्रारंभ (1848)

01 जनवरी : बाबा साहेब अम्बेडकर द्वारा ‘द अनटचैबिल्स’ नामक पुस्तक का प्रकाशन (1948)

01 जनवरी : मण्डल आयोग का गठन (1979)

02 जनवरी : गुरु कबीर स्मृति दिवस (1476)

03 जनवरी : राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले जयंती दिवस (1831)

06 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. जयंती (1904)

08 जनवरी : विश्व बौद्ध ध्वज दिवस (1891)

09 जनवरी : प्रथम मुस्लिम महिला शिक्षिका फातिमा शेख जन्म दिवस (1831)

12 जनवरी : राजमाता जिजाऊ जयंती दिवस (1598)

12 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. स्मृति दिवस (1939)

12 जनवरी : उस्मानिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद ने बाबा साहेब को डी.लिट. की उपाधि प्रदान की (1953)

12 जनवरी : चंद्रिका प्रसाद जिज्ञासु परिनिर्वाण दिवस (1972)

13 जनवरी : तिलका मांझी शाहदत दिवस (1785)

14 जनवरी : सर मंगूराम मंगोलिया जन्म दिवस (1886)

15 जनवरी : बहन कुमारी मायावती जयंती दिवस (1956)

18 जनवरी : अब्दुल कय्यूम अंसारी स्मृति दिवस (1973)

18 जनवरी : बाबासाहेब द्वारा राणाडे, गांधी व जिन्ना पर प्रवचन (1943)

23 जनवरी : अहमदाबाद में डॉ. अम्बेडकर ने शांतिपूर्ण मार्च निकालकर सभा को संबोधित किया (1938)

24 जनवरी : राजर्षि छत्रपति साहूजी महाराज द्वारा प्राथमिक शिक्षा को मुफ्त व अनिवार्य करने का आदेश (1917)

24 जनवरी : कर्पूरी ठाकुर जयंती दिवस (1924)

26 जनवरी : गणतंत्र दिवस (1950)

27 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर का साउथ बरो कमीशन के सामने साक्षात्कार (1919)

29 जनवरी : महाप्राण जोगेन्द्रनाथ मण्डल जयंती दिवस (1904)

30 जनवरी : सत्यनारायण गोयनका का जन्मदिवस (1924)

31 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर द्वारा आंदोलन के मुखपत्र ‘‘मूकनायक’’ का प्रारम्भ (1920)

2024-01-13 11:08:05