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ठाकुरों के उत्पीड़न का सटीक जवाब देने वाली वीरागंना फूलन देवी

फूलन देवी ने बहमई में एक लाइन में खड़ा करके 22 ठाकुरों की हत्या की थी।
News

2022-08-23 09:02:22

फूलन देवी का जन्म उत्तर प्रदेश के एक गाँव में 1963 में हुआ था। 16 वर्ष की उम्र में ही कुछ डाकुओं ने उनका अपहरण कर लिया था। बस उसके बाद ही उनका डाकू बनने का रास्ता बन गया था और उन्होंने 14 फरवरी 1981 को बहमई में 22 ठाकुरों की हत्या कर दी थी। इस घटना ने फूलन देवी का नाम बच्चे की जुबान पर ला दिया था। फूलन देवी का कहना था उन्होंने ये हत्याएं बदला लेने के लिए की थीं। उनका कहना था कि ठाकुरों ने उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया था जिसका बदला लेने के लिए ही उन्होंने ये हत्याएं कीं। फूलन 1998 का लोकसभा चुनाव हार गईं लेकिन अगले ही साल हुए 13वीं लोकसभा के चुनाव में वे फिर जीत गईं। 25 जुलाई 2001 को उनकी हत्या कर दी गई। 80 के दशक में ‘फूलन देवी’ का नाम फिल्म शोले के ‘गब्बर सिंह’ से भी ज्यादा खतरनाक बन चुका था।

कुछ महिलाओं को फूलन देवी की धमकी और मिसाल देते अक्सर सुना जाता था। कहा जाता था कि फूलन देवी का निशाना बड़ा अचूक था और उससे भी ज्यादा कठोर था उनका दिल। जानकारों का कहना है कि हालात ने ही फूलन देवी को इतना कठोर बना दिया कि जब उन्होंने बहमई में एक लाइन में खड़ा करके 22 ठाकुरों की हत्या की तो उन्हें जरा भी मलाल नहीं हुआ। फूलन देवी 1980 के दशक के शुरूआत में चंबल के बीहड़ों में सबसे खतरनाक डाकू मानी जाती थीं। उनके जीवन पर कई फिल्में भी बनीं।

लोगों की हीरो थी फूलन देवी

साथ ही खासकर ठाकुरों से उनकी दुश्मनी थी इसलिए उन्हें अपनी जान का खतरा हमेशा महसूस होता था। चंबल के बीहड़ों में पुलिस और ठाकुरों से बचते-बचते शायद वह थक गईं थीं इसलिए उन्होंने हथियार डालने का मन बना लिया। लेकिन आत्मसमर्पण का भी रास्ता इतना आसान नहीं था। फूलन देवी को शक था कि उत्तर प्रदेश की पुलिस उन्हें समर्पण के बाद किसी ना किसी तरीके से मार देगी इसलिए उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार के सामने हथियार डालने के लिए सौदेबाजी की। मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सामने फूलन देवी ने एक समारोह में हथियार डाले और उस समय उनकी एक झलक पाने के लिए हजारों लोगों की भीड़ जमा थी।

उस समय फूलन देवी की लोकप्रियता किसी फिल्मी सितारे से कम नहीं थी। फूलन देवी के जीवन पर शेखर कपूर ने ‘बैंडिट क्वीन’ नाम से फिल्म बनाई फूलन देवी ने लाल रंग का कपड़ा माथे पर बाँधा हुआ था और हाथ में बंदूक लिए जब वे मंच की तरफ बढ़ीं थीं तो सबकी साँसें जैसे थम सी गई थीं। कहीं फूलन यहाँ भी तो गोली नहीं चला देगी और कुछ ही लम्हों में फूलन देवी ने अपनी बंदूक माथे पर छुआकर फिर उसे अर्जुन सिंह के पैरों में रख दिया। इसी घड़ी फूलन देवी ने डाकू की जिÞंदगी को अलविदा कह दिया था। फूलन मिजाज से बहुत चिड़चिड़ी थीं और किसी से बात नहीं करती थीं, करती भी थीं तो उनके मुँह से कोई न कोई गाली निकलती थी। फूलन देवी खासतौर से पत्रकारों से बात करने से कतराती थीं। फूलन देवी का आत्मसमर्पण एक ऐतिहासिक घटना थी क्योंकि उनके बाद चंबल के बीहड़ों में सक्रिय डाकुओं का आतंक धीरे-धीरे खत्म होता चला गया। चंबल के बीहड़ों में सक्रिय डाकू कई प्रदेशों की सरकारों के लिए बहुत बड़ा सिरदर्द बने हुए थे और कुछ इलाकों में तो उनका हुक्म टालने की हिम्मत नहीं की जाती थी।

1994 में उनके जीवन पर शेखर कपूर ने बैंडिट क्वीन नाम से फिल्म बनाई जिसे पूरे यूरोप में खासी लोकप्रियता मिली फूलन देवी ने 1983 में आत्मसमर्पण किया और 1994 तक जेल में रहीं। इस दौरान कभी भी उन्हें उत्तर प्रदेश की जेल में नहीं भेजा गया। 1994 में जेल से रिहा होने के बाद वे 1996 में वे 11वीं लोकसभा के लिए मिर्ज़ापुर से सांसद चुनी गईं।

समाजवादी पार्टी ने जब उन्हें लोक सभा का चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया तो काफी हो हल्ला हुआ कि एक डाकू को संसद में पहुँचाने का रास्ता दिखाया जा रहा है।

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01 जनवरी : मूलनिवासी शौर्य दिवस (भीमा कोरेगांव-पुणे) (1818)

01 जनवरी : राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले और राष्ट्रमाता सावित्री बाई फुले द्वारा प्रथम भारतीय पाठशाला प्रारंभ (1848)

01 जनवरी : बाबा साहेब अम्बेडकर द्वारा ‘द अनटचैबिल्स’ नामक पुस्तक का प्रकाशन (1948)

01 जनवरी : मण्डल आयोग का गठन (1979)

02 जनवरी : गुरु कबीर स्मृति दिवस (1476)

03 जनवरी : राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले जयंती दिवस (1831)

06 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. जयंती (1904)

08 जनवरी : विश्व बौद्ध ध्वज दिवस (1891)

09 जनवरी : प्रथम मुस्लिम महिला शिक्षिका फातिमा शेख जन्म दिवस (1831)

12 जनवरी : राजमाता जिजाऊ जयंती दिवस (1598)

12 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. स्मृति दिवस (1939)

12 जनवरी : उस्मानिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद ने बाबा साहेब को डी.लिट. की उपाधि प्रदान की (1953)

12 जनवरी : चंद्रिका प्रसाद जिज्ञासु परिनिर्वाण दिवस (1972)

13 जनवरी : तिलका मांझी शाहदत दिवस (1785)

14 जनवरी : सर मंगूराम मंगोलिया जन्म दिवस (1886)

15 जनवरी : बहन कुमारी मायावती जयंती दिवस (1956)

18 जनवरी : अब्दुल कय्यूम अंसारी स्मृति दिवस (1973)

18 जनवरी : बाबासाहेब द्वारा राणाडे, गांधी व जिन्ना पर प्रवचन (1943)

23 जनवरी : अहमदाबाद में डॉ. अम्बेडकर ने शांतिपूर्ण मार्च निकालकर सभा को संबोधित किया (1938)

24 जनवरी : राजर्षि छत्रपति साहूजी महाराज द्वारा प्राथमिक शिक्षा को मुफ्त व अनिवार्य करने का आदेश (1917)

24 जनवरी : कर्पूरी ठाकुर जयंती दिवस (1924)

26 जनवरी : गणतंत्र दिवस (1950)

27 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर का साउथ बरो कमीशन के सामने साक्षात्कार (1919)

29 जनवरी : महाप्राण जोगेन्द्रनाथ मण्डल जयंती दिवस (1904)

30 जनवरी : सत्यनारायण गोयनका का जन्मदिवस (1924)

31 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर द्वारा आंदोलन के मुखपत्र ‘‘मूकनायक’’ का प्रारम्भ (1920)

2024-01-13 11:08:05