2022-11-24 11:05:39
सर छोटूराम का जन्म 24 नवम्बर, 1881 में झज्जर जिले के गढ़ी सांपला गांव में हुआ था। सर छोटू राम का असली नाम रिछपाल था। छोटूराम अपने पुरे परिवार में सबसे छोटे थे इसलिए इनको छोटू कहकर बुलाया जाता था। विद्यालय में भी इनका नाम छोटूराम ही था। छोटूराम के दादा जी का नाम रामरत्न था। रामरत्न के पास दस एकड़ बंजर व बरानी जमीन थी तथा इनके पिता जी का नाम सुखीराम था। छोटूराम ने अपने गांव से बारह मील की दूरी पर स्थित मिडिल स्कूल झज्जर में प्राइमरी शिक्षा ग्रहण की। उसके बाद छोटूराम ने क्रिशचन मिशन स्कूल दिल्ली में प्रवेश लिया परन्तु शिक्षा का खर्चा उठाना बहुत मुश्किल था। एक बार छोटूराम अपने पिता के साथ सांपला के साहूकार से कर्जा लेने के लिए गए तब साहूकार ने उनका अपमान किया। यह छोटूराम को महामानव बनाने की दिशा में एक शंखनाद था। छोटू राम के अंदर एक क्रांतिकारी युवा जाग चूका था। अब छोटूराम किसी भी अन्याय को सहन नहीं करते थे। वे हर अन्याय के विरुद्ध खड़े हुआ करते थे। क्रिश्चियन मिशन स्कूल के छात्रावास के प्रभारी के विरुद्ध छोटू राम ने पहली हड़ताल की। इस हड़ताल के संचालन को देखकर छोटू राम को ‘जनरल रॉबर्ट’ के नाम से जाना जाने लगा। सन 1903 में इंटर की परीक्षा पास करने के बाद छोटूराम ने दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की। छोटूराम ने अपने जीवन के आरम्भिक समय में ही सर्वोत्तम आदर्श और चरित्रवान छात्र के रूप में वैदिक धर्म और आर्यसमाज में अपनी स्थापना बना ली। सन 1905 में छोटूराम जी ने राजा रामपाल के यहां निजी सचिव के रूप में कार्य किया और सन 1907 तक अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान का सम्पादन किया। फिर यहां से छोटूराम जी वकालत की डिग्री करने आगरा आ गए।
समाज सेवा
छोटूराम आगरा जाकर आगरा के जाट छात्रावास का अधीक्षक बना। 1911 में छोटूराम ने वकालत की डिग्री प्राप्त की यहां रहकर छोटूराम ने मेरठ और आगरा की सामाजिक दशा का अध्ययन किया। सन 1911 मे छोटूराम ने चौधरी लाल चंद के साथ वकालत शुरू की और उसी वर्ष जाट सभा का गठन किया। छोटूराम समाज में अपना स्थान एक महान क्रांतिकारी और समाज सुधारक के रूप में बना चुके थे। छोटूराम जी ने कई शिक्षण संस्थानों की स्थापना की। वकालत के व्यवसाय में चौधरी जी ने नए आयाम जोड़े। छोटूराम ने झूठे मुकदमे ना लेना, छल कपट से दूर रहना, गरीबो को कानूनी सलाह निशुल्क देना आदि सब अपने जीवन का आदर्श बनाया। इन्ही सिद्धांतों का पालन कर छोटूराम जीवन में भी और पेशे में भी बहुत आगे बढ़ गए। 1915 में छोटूराम ने जाट ‘गजट नाम’ का अखबार शुरू किया जो कि हरियाणा का सबसे पुराना अखबार है, यह अखबार आज भी छापा जाता है।
सर छोटूराम और स्वाधीनता संग्राम
चौधरी छोटूराम ने स्वाधीनता संग्राम में जमकर भाग लिया। उन्होंने रोहतक में कांग्रेस पार्टी का गठन किया और रोहतक कांग्रेस पार्टी के प्रथम प्रधान बन गए। जिले में छोटूराम का आह्नान अंग्रेजी सरकार को भी कंपकपा देता था। चौधरी जी ने लेखो और कार्यो को अंग्रेजों ने बहुत भयानक करार दिया फिर छोटूराम ने कांग्रेस छोड़ दी क्योंकि छोटूराम गांधी जी के असहयोग आंदोलन से कतई भी सहमत नहीं थे। उनका मानना था कि इस आंदोलन से किसानो का हित नहीं होगा वो चाहते थे कि आजादी की लड़ाई सवैधानिक तरीके से लड़ी जाये। कुछ बातो पर मतभेद होते हुए भी छोटूराम गाँधी जी के अच्छे प्रसंशक रहे। छोटू राम ने अपना कार्य क्षेत्र उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब तक फैला लिया और जाट समाज का एक सशक्त संगठन तैयार किया। आर्यसमाज और जाट समाज को उन्होंने एक मंच पर लाने के लिए स्वामी श्रद्धानन्द और भटिंडा गुरुकुल और मैनेजर चौधरी पीरूराम से सम्पर्क साध लिया और एक कानूनी सलाहकार बन गए। पंजाब रौलट एक्ट के विरुद्ध आन्दोलन को दबाने के लिए मार्शल लॉ लागू कर दिया गया था जिसके परिणामस्वरूप देश की राजनीति में एक अजीबोगरीब मोड़ आ गया। एक तरफ गांधी जी का असहयोग आंदोलन था तो वही दूसरी तरफ छोटूराम ने अंग्रेजी हुकूमत के साथ सहयोग की नीति अपना ली।
महत्वपूर्ण योगदान
11 जून 1940 को उनके प्रयत्नों से एक अधिनियम लागू हुआ जिसमें बंधुआ मजदूरों को शोषण से निजात दिलाई तथा रविवार को दुकाने व संस्थान बंद रहेंगे। मजदूरी पर रोक लगाए जाने वाले कानून में छोटी-छोटी गलतियों पर वेतन नहीं काटा जायेगा। दीनबंधु चौधरी छोटूराम ने 8 अप्रैल 1935 में एक अधिनियम किसान व मजदूर को सूदखोरों के चंगुल से मुक्त कराने के लिए बनवाया। इस कानून के तहत अगर कर्जे का दुगुना पैसा दिया जा चुका है तो ऋणी ऋण-मुक्त समझा जाएगा। 9 जनवरी सन 1945 को लाहौर में छोटूराम जी का स्वर्गवास हो गया।
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