2024-01-12 13:48:04
मायावती एक भारतीय महिला राजनीतिज्ञ हैं और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। वे बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष हैं। उन्हें भारत की सबसे युवा महिला मुख्यमंत्री के साथ-साथ प्रथम दलित मुख्यमंत्री भी होने का श्रेय प्राप्त है। वे चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं और उन्होंने सत्ता के साथ-साथ आनेवाली कठिनाइओं का सामना भी किया है। उन्होंने अपने कैरियर की शुरूआत एक स्कूल शिक्षिका के रूप में की थी लेकिन कांशी राम की विचारधारा और कर्मठता से प्रभावित होकर उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया। उनका राजनैतिक इतिहास काफी सफल रहा और 2003 में उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव हारने के बावजूद उन्होने सन 2007 में फिर से पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की। अपने समर्थको में बहन जी के नाम से मशहूर मायावती 13 मई 2007 को चौथी बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं और पूरे पाँच वर्ष शासन के पश्चात सन 2012 का चुनाव अपनी प्रमुख प्रतिद्विन्द्वी समाजवादी पार्टी से हार गयीं।
प्रारंभिक जीवन
मायावती उर्फ चंदावती देवी का जन्म 15 जनवरी 1956 को दिल्ली में हुआ था। उनकी माता का नाम रामरती और पिता का नाम प्रभु दयाल था। उनका पैतृक गांव बादलपुर, जिला गौतमबुद्ध नगर है। प्रभु दयाल जी दूरसंचार केंद्र में अफसर थे। मायावती के 6 भाई हैं। उन्होंने कालिंदी कॉलेज, दिल्ली से कला में स्नातक की उपाधि ली और फिर दिल्ली विश्वविद्यालय से एल.एल.बी और बी. एड भी पास किया। उनके पिता उन्हें कलेक्टर बनाना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने अपना बहुत सारा वक़्त भारतीय प्रशासनिक सेवा की तैयारी में लगा दिया। इसी दौरान उन्होंने शिक्षिका के रूप में कार्य करना शुरू किया। मायावती के जीवन में कांशी राम के बढ़ते प्रभाव से उनके पिता बिलकुल भी खुश नहीं थे। उन्होंने मायावती को कांशी राम के पद चिह्न पर न चलने की सलाह दी, फिर भी मायावती ने अपने पिता की बात अनसुनी कर बड़े पैमाने पर कांशी राम द्वारा शुरू किये गए कार्यों और परियोजनाओं से जुड़ गयीं।
राजनीति में प्रवेश
बी.एड का पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद, मायावती ने अपने पड़ोस में छात्रों को पढ़ाना शुरू किया और साथ ही आईएएस परीक्षा की तैयारी भी कर रही थीं। एक बार वर्ष 1977 में जाने-माने दलित राजनेता कांशी राम उनके घर परिवार से मिलने आए। वह मायावती के वार्ता कौशल और विचारों से प्रभावित हुए और उन्हें राजनीति में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। वर्ष 1984 में, कांशी राम ने बहुजन समाज पार्टी की स्थापना की और उन्हें इसके सदस्य के रूप में शामिल किया। भारतीय राजनीति में यह उनका पहला कदम था। वर्ष 1989 में पहली बार वह संसद सदस्य के रूप में चुनी गई थीं। वर्ष 2006 में, मायावती ने कांशी राम का अंतिम संस्कार किया, जिसे लिंग अभिनति के खिलाफ पार्टी की अभिव्यक्ति और विचारों के रूप में माना गया, क्योंकि भारतीय परिवारों में दिवंगत व्यक्ति का अंतिम संस्कार परंपरागत रूप से परिवार के पुरुष उत्तराधिकारी द्वारा किया जाता है।
राजनीतिक यात्रा
=वर्ष 1984 में बहुजन समाज पार्टी का गठन दलित राजनेता कांशी राम ने किया था और मायावती को पार्टी के सदस्य के रूप में शामिल किया गया था। वर्ष 1989 में 9वीं लोकसभा के आम चुनावों में मायावती ने सफलतापूर्वक चुनाव लड़ा। इस चुनाव में, वह पहली बार संसद सदस्य के रूप में चुनी गई थीं। उन्होंने एक बड़े अंतर के साथ जीत दर्ज की और लोकसभा में उत्तर प्रदेश के बिजनौर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। अप्रैल 1994 में वह पहली बार राज्यसभा या संसद के उच्च सदन की सदस्य बनीं।
=जून 1995 में उत्तर प्रदेश राज्य में मुख्यमंत्री के रूप में कार्य करने वाली पहली भारतीय दलित महिला बनकर उन्होंने इतिहास बनाया। वह 18 अक्टूबर 1995 तक पद पर बनी रहीं।
=वर्ष 1996 से 1998 तक उन्होंने उत्तर प्रदेश राज्य विधानसभा में विधायक के रूप में कार्य किया। 21 मार्च, 1997 को दूसरी बार वह उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं और 20 सितंबर 1997 तक इस पद को बरकरार रखा।
=वर्ष 1998 में वह उत्तर प्रदेश के अकबरपुर निर्वाचन क्षेत्र से 12वीं लोकसभा की सदस्य के रूप में दूसरी बार चुनी गई थीं।
=वर्ष 1999 में वह 13वीं लोकसभा की सदस्य बनीं।
=15 दिसंबर 2001 को दलित नेता कांशी राम ने एक भव्य रैली में घोषणा की कि मायावती उनकी राजनीतिक उत्तराधिकारी होंगी और उनके साथ-साथ बहुजन आंदोलन की एकमात्र उत्तराधिकारी होंगी।
=फरवरी 2002 को उन्हें उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्य के रूप में फिर से निर्वाचित किया गया था।
=मार्च 2002 को उन्होंने अकबरपुर लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया।
=3 मई 2002 कोवह तीसरी बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं और 26 अगस्त 2002 तक बनी रहीं।
=कांशी राम का स्वास्थ्य खराब होने पर 18 सितंबर 2003 को वह बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष बनीं। तब से लेकर अब तक वह इस राष्ट्रीय पार्टी की बागडोर संभाले हुए हैं। उनकी अध्यक्षता में बसपा का जनाधार बढ़ता जा रहा है। उत्तर प्रदेश के अलावा अन्य प्रदेशों में जैसे उत्तराखंड, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान, हरियाणा आदि से विधायक भी चुनकर आतें हैं तथा स्थानीय निकायों के चुनावों में भी बसपा के जिला पंचायत अध्यक्ष, ब्लॉक प्रमुख तथा सरपंच आदि भी अच्छी खासी संख्या में विजयी होते हैं। वर्तमान में बसपा के लोक सभा में 10 सांसद हैं।
=अप्रैल-मई 2004 में उन्हें उत्तर प्रदेश के अकबरपुर निर्वाचन क्षेत्र से (चौथी बार) 14वीं लोकसभा की सदस्य के रूप में फिर से निर्वाचित किया गया था।
=जुलाई 2004 में उन्होंने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया और दूसरी बार राज्यसभा की सदस्य बनीं।
=27 अगस्त 2006 को वह दूसरी बार पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में चुनी गई थीं।
=13 मई 2007 को वह चौथी बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं और 14 मार्च 2012 तक पद बनी रहीं।
=वर्ष 2012 के विधानसभा चुनावों में मायावती की बहुजन समाज पार्टी ने समाजवादी पार्टी के खिलाफ अपना बहुमत खो दिया।
मायावती पर आधारित पुस्तकें
=‘आयरन लेडी कुमारी मायावती’ नामक पुस्तक वरिष्ठ पत्रकार मोहम्मद जमील अख्तर ने लिखी थी। यह पुस्तक 14 अप्रैल 1999 को डॉ. अम्बेडकर की जयंती की पूर्व संध्या पर श्री कांशी राम द्वारा प्रकाशित की गई थी।
=‘बहनजी: मायावती की राजनीतिक जीवनी’ अनुभवी पत्रकार अजय बोस द्वारा लिखी गयी।
मायावती द्वारा लिखी पुस्तकें
=‘बहुजन समाज और उसकी राजनीति’ को 3 जून, 2000 को पार्टी की पच्चीसवीं सालगिरह पर श्री कांशी राम द्वारा प्रकाशित किया गया था।
=‘मेरा संघर्षमय जीवन एवं बहुजन आंदोलन का सफरनामा’ पुस्तक को 15 जनवरी, 2006 को मायावती के 50वें जन्मदिन पर श्री कांशी राम द्वारा प्रकाशित किया गया था।
=कांशी राम जयंती की पूर्व संध्या पर 15 मार्च, 2008 को ‘माई स्ट्रगल-रिडेन लाइफ एण्ड बहुजन समाज’ (मेरी और बहुजन समाज की संघर्ष यात्रा) प्रकाशित की गयी थी।
मायावती से जुड़े विवाद
=वर्ष 2002 में केंद्रीय जाँच ब्यूरो ने ताज हेरिटेज कॉरिडोर से संबंधित परियोजना में वित्तीय अनियमितताओं पर संदेह करते हुए कुछ अन्य लोगों के साथ उनके घर पर छापा मारा।
हालांकि, जून 2007 में तत्कालीन राज्यपाल टी.वी. राजेश्वर ने घोषित कर दिया कि उनके खिलाफ कोई पर्याप्त सबूत नहीं था। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में सीबीआई की याचिका को खारिज कर दिया और मायावती पर मुकदमा चलाने के लिए राज्यपाल को निर्देशित करने के लिए सहमत नहीं था।
सीबीआई ने औपचारिक स्रोतों के अनुरूप असंगत संपत्ति रखने के लिए उनके खिलाफ मामला दर्ज किया। मायावती और उनकी पार्टी ने दावा किया कि उनकी आय में समर्थकों और पार्टी के सदस्यों द्वारा दिए गए उपहार और योगदान शामिल थे। दिल्ली उच्च न्यायालय ने 3 अगस्त, 2011 को केंद्र सरकार द्वारा मायावती के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि उन्होंने दानकर्ताओं और समर्थकों की पहचान पूरी तरह से प्रकट की थी। 6 जुलाई 2012 को भारतीय उच्चतम न्यायालय ने मामले को रद्द कर दिया। आखिरकार 8 अक्टूबर 2013 को सीबीआई ने मुकदमा बंद कर दिया।
उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान मायावती ने बौद्ध धर्म और दलितों के प्रतीकों की कई मूर्तियों का निर्माण कराया। गौतम बुद्ध, गाडगे महाराज, संत रविदास, कबीर दास, ज्योतिराव फुले, साहूजी महाराज और भीमराव अम्बेडकर आदि महापुरूषों की मूर्तियों का निर्माण कराया। सन 2011 में बहनजी ने 685 करोड़ रुपये की लागत से लखनऊ में अम्बेडकर स्मारक स्थल, सामाजिक परिर्वतन स्थल, प्रेरणा स्थल, रामाबाई पार्क तथा मान्यवर कांशीराम स्मारक स्थल आदि की ऐतिहासिक व भव्य इमारतों का निर्माण कराया। नोएडा में भी विशाल व भव्य अम्बेडकर पार्क का निर्माण करवाया। खेलों को बढ़ावा देने के लिए नोएडा में इंटरनेशलन बुद्ध सर्किट का निर्माण करवाया। मायावती के कार्यकाल में ही दिल्ली से नोएडा मैट्रो रेल चालू हो गई। इन भव्य स्मारकों को देखने के लिए देश-विदेश से हजारों पर्यटक प्रतिदिन आते हंै। इन भव्य व ऐतिहासिक स्मारकों से लखनऊ की खूबसूरती में चार-चांद लग गये हैं।
-सी.पी. सिंह
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