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आद्य क्रांतिकारक उमाजी नाईक

भारताचे पहिले आद्यक्रांतिवीर .....क्रांतिकारक नरवीर राजे उमाजी ...
News

2023-09-06 10:49:48

क्रांतिवीर उमाजी नाईक का जन्म पुणे जिले के भिवंडी गांव में 07 सितंबर 1791 में हुआ। उमाजी का नाम उमाजी दादाजी खोमणे था और उनका बचपन पुरंदर किले के परिसर में बीता। उमाजी को उनकी माताजी ने तलवार चलाना, घुड़सवारी, भाला चलाना, पटा आदि दांवपेच सिखाये। उमाजी के परिवार पर पुरंदर किले की सरंक्षण करने की जिम्मेदारी थी। इसलिए उमाजी की माताजी शिवाजी महाराज की कहानियाँ बताती थी। शिवाजी महाराज की कहानियाँ सुनके उनके मन में क्रांति की भावना जागृत हुई। उमाजी बहुत ही होनहार लड़का था। उसने परंपरागत रामोशी हेर कला को बहुत ही जल्द सीख लिया। अंग्रेज सरकार ने अपनी सत्ता स्थापित करना चालू किया। धीरे-धीरे अंग्रेज सरकार ने मराठों का राज्य अपने कब्जे में ले लिया और पुणे शहर को भी अपने अधीन कर लिया। सन 1803 में अंग्रेज सरकार ने दूसरे बाजीराव को अपने नियमों से चलने को कहा। बाजीराव दिृतीय अंग्रेज सरकार के नियमों से काम करने लगा। सबसे पहले सभी किले की तरह पुरंदर किले के सरंक्षण की जिम्मेदारी रामोशी समाज से निकालकर अंग्रेज सरकार ने अपने पहचान के लोगों को दी। इस कारण रामोशी समाज पर भूखे रहने की समस्या पैदा हुई। अंग्रेज सरकार का अत्याचार बढ़ने लगा, अंग्रेज सरकार का अत्याचार उमाजी अपने आँखों से देख रहे थे।

समाज सेवा

उमाजी नाईक के आदर्श शिवाजी महाराज थे। उन्होंने विठूजी नाईक, कृष्ण नाईक, खुशाबा रामोशी और बाबु सोलसकर आदि क्रान्तिकारियों के साथ जेजुरी के खंडोबाराव को भंडारा रजवाड़ा देकर अंग्रेज सरकार के विरुद्ध विद्रोह की घोषणा की। उमाजी नाईक ने अंग्रेज, साहूकार और बड़े वतनदारों को लूटकर गरीब जनता की सेवा करने लगे। अंग्रेज सरकार ने 1818 में शनिवारवाडे (पूना) पर यूनियन जैक वाला झंडा फहराया। कम्पनी के अत्याचारों को देखते हुए उमाजी नाईक पुरंदर में सैनिकों को इकट्ठा करके विद्रोह की तैयारी करने लगे।

देशभक्ति

अंग्रेजों को भगाने के लिए उमाजी नाईक प्रयत्न करने लगे। अंग्रेज सरकार उमाजी से त्रस्त होने लगी इसलिए अंग्रेज सरकार ने 1818 में उमाजी को गिरफ्तार कर लिया और एक साल के लिए जेल में डाल दिया। जेल में उन्होंने पढ़ना लिखना सीखा। वे जेल से छूटने के बाद अंग्रेजों के खिलाफ अपने क्रांतिकारियों के साथ अंग्रेजों को भगाने की योजना बनाने लगे, देश के लिए लड़ने लगे। जनता भी उनका साथ देती थी। उमाजी को गिरफ्तार करने के लिए आये हुए अंग्रेज अधिकारी मोकीन टॉस ने पुरंदर के मामलेदार को फर्मान निकालने को कहा। मामलेदार अंग्रेज सैनिकों के साथ उमाजी को गिरफ्तार करने के लिए गए लेकिन दोनों में बहुत ही जोरदार युद्ध हुआ, उमाजी ने 5 अंग्रेज सैनिकों की गर्दन काटकर मामलेदार को भेजी। अंग्रेज सरकार के मन में दहशत पैदा हुई। उमाजी के सैनिक पर्वतों में रहते थे। उनके पास 5000 पांच हजार सैनिक थे। सन 1824 को बाबुट्री का खजाना लूट के मंदिरों की देखरख के लिए जनता में बांट दिया था। 30 नवंबर 1827 को अंग्रेजों को बताया कि, हजारों विद्रोह होते रहेंगे सतपुड़ा से लेकर सह्याद्रि तक, अंग्रेजों आपको भारत से एक दिन भागना पड़ेगा। 21 दिसंबर 1830 को अंग्रेज अधिकारी बाइंड और उनके सैनिकों को मांढरदेवी किले से बन्दुक चलाकर अंग्रेज सैनिक को भागना पड़ा। 16 फरवरी 1831 को अंग्रेज सरकार के लिए उमाजी ने एक ऐलाननामा निकाला उसमे लिखा था कि, लोगों को अंग्रेज सरकार की नौकरिया छोड़ देनी चाहिए, देशवासियों ने एकसाथ इकट्ठा होकर अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह करना चाहिए। अंग्रेजों का खजाना लूटना चाहिए, लगान नहीं देना चाहिए, ब्रिटिश की सत्ता नष्ट होने वाली है, उनकी मदद नहीं करनी चाहिए। उमाजी छत्रपति शिवाजी महाराज की तरह कार्य करने लगे, लोग उमाजी को राजा कहने लगे। उमाजी का डर अंग्रेज सरकार को लगने लगा। अंग्रेज सरकार उमाजी को पकड़ने के लिए साजिश रचने लगी।

अंग्रेज सरकार की साजिश

उमाजी नाईक का पता बताने के लिए ब्रिटिश सरकार ने उमाजी नाईक को गिरफ्तार करने के लिए 10,000 /- रु की राशि और 400 बिघा भूमि का इनाम रखा। जमीन साहूकार, वतनदार आदि को प्रलोभन दिखाकर उमाजी के सैनिकों को गुमराह किया गया। काळोजी नाईक और नाना चव्हाण दोनों लोगों ने उमाजी नाईक की गुप्त जानकारी अंग्रेज सरकार को दी। 15 दिसंबर 1831 को भोर तालुका के उतरोली गांव में उमाजी को अंग्रेज सरकार ने पकड़ा। पूना के मामलेदार कचेरी के एक खोली में रखा गया। मोकिन टॉस उमाजी नाईक की प्रतिदिन जानकारी लेता था। उमाजी पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया गया। न्यायाधीश जेम्स टेलर ने उमाजी नाईक को फांसी की सजा सुनाई। 03 फरवरी 1832 को पुणे के खटकमल आली के मामलेदार कचेरी में उमाजी नाईक को फांसी दी गई। अंग्रेजों ने उमाजी नाईक के शव को पेड़ से लटकाकर रखा था जिससे की क्रांतिकारियों के मन में दहशत पैदा हो और कंपनी व सरकार के विरुद्ध कोई भी क्रांतिकारी विद्रोह ना कर सके।

उमाजी नाईक के प्रति निकले हुए शब्द

मरावे परी कीर्ति रुपे उरावे इस कथन के अनुसार अंग्रेज अधिकारी मॉकिन टॉस कहता है, उमाजी का आदर्श छत्रपति शिवाजी महाराज था। उसे फांसी नहीं दी जाती तो, दूसरा शिवाजी पैदा हो जाता, यह सत्य है। अगर साजिश करके अंग्रेजों ने उमाजी को गिरफ्तार नहीं किया होता तो शायद भारत बहुत पहले ही स्वतंत्र हो जाता।

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01 जनवरी : मूलनिवासी शौर्य दिवस (भीमा कोरेगांव-पुणे) (1818)

01 जनवरी : राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले और राष्ट्रमाता सावित्री बाई फुले द्वारा प्रथम भारतीय पाठशाला प्रारंभ (1848)

01 जनवरी : बाबा साहेब अम्बेडकर द्वारा ‘द अनटचैबिल्स’ नामक पुस्तक का प्रकाशन (1948)

01 जनवरी : मण्डल आयोग का गठन (1979)

02 जनवरी : गुरु कबीर स्मृति दिवस (1476)

03 जनवरी : राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले जयंती दिवस (1831)

06 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. जयंती (1904)

08 जनवरी : विश्व बौद्ध ध्वज दिवस (1891)

09 जनवरी : प्रथम मुस्लिम महिला शिक्षिका फातिमा शेख जन्म दिवस (1831)

12 जनवरी : राजमाता जिजाऊ जयंती दिवस (1598)

12 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. स्मृति दिवस (1939)

12 जनवरी : उस्मानिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद ने बाबा साहेब को डी.लिट. की उपाधि प्रदान की (1953)

12 जनवरी : चंद्रिका प्रसाद जिज्ञासु परिनिर्वाण दिवस (1972)

13 जनवरी : तिलका मांझी शाहदत दिवस (1785)

14 जनवरी : सर मंगूराम मंगोलिया जन्म दिवस (1886)

15 जनवरी : बहन कुमारी मायावती जयंती दिवस (1956)

18 जनवरी : अब्दुल कय्यूम अंसारी स्मृति दिवस (1973)

18 जनवरी : बाबासाहेब द्वारा राणाडे, गांधी व जिन्ना पर प्रवचन (1943)

23 जनवरी : अहमदाबाद में डॉ. अम्बेडकर ने शांतिपूर्ण मार्च निकालकर सभा को संबोधित किया (1938)

24 जनवरी : राजर्षि छत्रपति साहूजी महाराज द्वारा प्राथमिक शिक्षा को मुफ्त व अनिवार्य करने का आदेश (1917)

24 जनवरी : कर्पूरी ठाकुर जयंती दिवस (1924)

26 जनवरी : गणतंत्र दिवस (1950)

27 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर का साउथ बरो कमीशन के सामने साक्षात्कार (1919)

29 जनवरी : महाप्राण जोगेन्द्रनाथ मण्डल जयंती दिवस (1904)

30 जनवरी : सत्यनारायण गोयनका का जन्मदिवस (1924)

31 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर द्वारा आंदोलन के मुखपत्र ‘‘मूकनायक’’ का प्रारम्भ (1920)

2024-01-13 11:08:05