2022-11-18 09:34:24
यह जगजाहिर है कि आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविन्द केजरीवाल की जननी आरएसएस है। इसलिये आम आदमी पार्टी, भाजपा का छोटा सगा भाई है। दोनों अपने पिता आरएसएस की आज्ञा व आदर्शों का पालन करते है। हिन्दूवादी/ब्राह्मणवादी संस्कृति उन्हें विरासत में मिली है और यह उनके लिये आदर्श है। इसलिये, उस अमानवीय संस्कृति के आदर्शों के अनुरूप सत्ता में आने के लिये झूठ बोलने में वे किसी से कम नहीं है। उनकी कार्यशैली बताती है कि उनकी कथनी और करनी में बहुत अंतर है। हिमाचल प्रदेश विधानसभा, गुजरात विधानसभा तथा दिल्ली नगर निगम के चुनावों के लिये आम आदमी पार्टी मैदान में है। वे चुनाव जीतने के लिये खूब झूठे वायदे कर रहे हैं। वे जानते हैं कि किये गये वायदों को पूरा करना कोई जरूरी नहीं है।
भारत के लोगों की याददाश्त बहुत छोटी रहती है। इसलिये लोगों को बेवकूफ बनाने का सबसे उमदा और इस देश में खूब आजमाया हुआ फॉर्मूला है-समय-समय पर नये-नये वायदे करते रहो, लोगों को धर्म-कर्म में उलझाकर रखो तथा जहां-तहां मुफ्त का टुकड़ा फेंकते रहो और अपनी लूट-खसोट व संविधान विरूद्ध कार्य बेरोकटोक करते रहो। ऐसा करते रहने से इस देश के लोग पुराने वायदों की बात नहीं करते। इस प्रकार बिना किसी समस्या के सत्ता चलती रहती है। भारत ब्रिटेन तो है नहीं कि वहां के प्रधानमंत्री लोगों की नाराजगी देखने पर सत्ता संभालने के 45 दिन बाद ही त्यागपत्र दे देते हैं। अपने यहां कोई ऐसी समस्या नहीं है। यदि सरकार बदलने का प्रश्न उठेगा तो पांच वर्ष बाद। पांच वर्ष तक बेरोकटोक मनमानी करने का लाईसेंस यहां मिल जाता है। ऐसे लोग जो कहते हैं काम उनके उसके उलट ही देखने में आते हैं, जैसे भ्रष्टाचार समाप्त करने की सर्वाधिक बात करने वाले ही सर्वाधिक भ्रष्टाचार करते पाये जाते हैं, इसलिये भ्रष्टाचार दिन-दिन बढ़ रहा है और अब भ्रष्टाचार ने संगठित रूप ले लिया है। जो इसे संगठित रूप देने के लिये जिम्मेदार हैं, भला वे इसे क्यों कम करेंगे? कभी नहीं।
अब मुख्य मुद्दे पर आते हैं। आम जनता से अपील है कि आने वाले चुनावों में वोट देने का निर्णय लेने से पहले निम्न लिखित बातों पर ध्यान अवश्य दें।
आम आदमी पार्टी का पोस्टमार्टम:
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भ्रष्टाचार की बात करें तो, केजरीवाल के सहयोगी मंत्री सतेन्द्र जैन (आज भी मंत्री हैं) कई महीने से जेल में बंद है। आबकारी नीति के मामले में वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया पर गंभीर आरोप है, जांच अभी जारी है। दिल्ली के स्कूलों में निर्माण कार्यों में भी भ्रष्टाचार के मामले हैं, जिनकी जांच जारी है। अन्य मामलों में भी उपराज्यपाल भ्रष्टाचार और अनियमितता के मामलों की जांच कर रहे हैं। अन्य मामले भी सामने आ रहे है।
पिछले कई वर्षाें की सीएजी रिपोर्ट विधान सभा में प्रस्तुत नहीं की गई। उपराज्यपाल ने इसके विरूद्ध सख्त टिप्पणी की। भाजपा तो रोज ही केजरीवाल सरकार के नये-नये भ्रष्टाचार उजागर करती रहती है जो अखबार की सुर्खी बनते हैं। ऐसी भ्रष्टाचारी पार्टी कट्टर ईमानदार होने का दावा कैसे कर सकती है?
=दिल्ली गंदी है, दिल्ली में कूड़े के पहाड़ है: गलियों में, पार्कों में, सड़कों पर कूड़ा फैला है, ये खबरें तो नित्य अखबारों में छपती हैं। इसका प्रमाण पत्र तो दिल्ली वाले ही दे रहे है, इसेमं यूएनओ का कोई दखल नहीं है। इस बढ़ती गंदगी के पीछे भी भारी भ्रष्टाचार है, ईमानदारी से जांच हो तो आसानी से पता चल जायेगा। इसके लिये दिल्ली सरकार भी अपनी जिम्मेदारियों से नहीं बच सकती। जैसे-दिल्ली सरकार की अनेक ऐजेंसिंयों जैसे पीडब्ल्यूडी, दिल्ली जल बोर्ड, सिंचाई विभाग आदि न काम समय पर पूरा करती हंै, न ही मजबूत काम बल्कि काम करने के बाद कूड़ा/मलबा सड़क/गली में ही छोड़ जाते हैं।
=दिल्ली में बिजली और पानी पर दी जाने वाली सब्सिडी वापिस ले ली गई है। फिर हिमाचल प्रदेश, गुजरात में इनके फ्री देने के वायदों पर क्या विश्वास किया जा सकता है? क्या यह जनता को धोखा देने जैसा नहीं है?
=दिल्ली के अस्पतालों तथा डिस्पेंसरियों में मेडिकल तथा सहायक स्टाफ की भारी कमी है। ऐसे में स्वास्थ्य सुविधाऐं कैसे सुधरी हुई मानी जा सकती हैं?
=सरकारी स्कूलों में प्रिंसिपल, वाइस प्रिंसिपल तथा शिक्षकों के बड़ी संख्या में पद खाली पडे हैं। टीचिंग स्टाफ पढ़ाने में कम, रिापोर्ट बनाने में अधिक लगा रहता है। कुछ अध्यापकों को स्कूलों की रिपोर्ट की मानिटरिंग का काम दे दिया गया है जबकि यह काम शिक्षा निदेशालय के अन्तगर्त आता है। क्या, ऐसे हालात में विद्यार्थिंयों को समुचित तथा सामायिक शिक्षा दी जा सकती है? फिर किस बात के लिये दिल्ली के शिक्षा मॉडल का झूठा प्रचार किया जा रहा है?
=दिल्ली के कुछ स्कूलों में कुछ पुराने कमरों को रिपेयर करके, रंगाई-पुताई कर दी गयी है। क्या इससे वास्तव में अच्छा इम्फ्राट्रक्चर बन जाता है? लेकिन हकीकत इसके विपरीत है। अनेक स्कूलों में कमरों की बहुत कमी है। किसी-किसी स्कूल में तो आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को एक दिन छोड़कर एक दिन स्कूल आने को कहा गया है। इन निर्माण कार्यों में भी भ्रष्टाचार के आरोप है।
=दिल्ली में अनेक सड़कें टूटी है, गलियाँ टूटी है कहीं-कहीं तो सालों से टूटी पड़ी है, गलियों में गंदा पानी भरा रहता है, छोटे-छोटे बच्चे स्कूल भी नहीं जा पाते। ये खबरे बराबर समाचार पत्रों में छपती रहती है। इन सबके लिए कौन जिम्मेदार है?
=काफी समय से वृद्ध आयु पेंशन नहीं मिल रही है, अनेक बुजुर्ग लोग समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
=कॉमनवैल्स गेम्स-2010 के समय पर जो उमदा इंक्रास्ट्रकचर कांग्रेस सरकार ने बनाया था, लापरवाही और मेंनटैनेन्स की कमी के कारण वह बर्बाद हो चुका है। इसके लिए कौन जिम्मेदार है?
=केजरीवाल ने सरकारी विभागों में ठेके पर काम करने वाले लोगों को नियमित करने तथा अधिक लोगों को रोजगार देने का वायदा किया था लेकिन वे भूल गए हैं। शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य सेवाओं, दिल्ली परिवहन, पीडब्ल्यूडी, दिल्ली जल बोर्ड आदि विभागों में किसी को नियमित नहीं किया गया सभी ठेके पर काम कर रहे हैं। बड़ी संख्या में सफाई कर्मचारी भी ठेके पर ही काम कर रहे हैं।
=केजरीवाल आरक्षण के कट्टर विरोधी है। बाबा साहेब का नाम लेते है, उनका फोटो लगाने का ढोंग भी करते हैं लेकिन कम उलटे करते हैं। अनुसूचित जातियों का वोट लेकर चुनाव जीतते है लेकिन उन्हें देते कुछ नहीं। पहले दिल्ली में और अब पंजाब में चुनाव जीता इन वर्गों का वोट लेकर। लेकिन न दिल्ली में और न ही पंजाब में एससी के एक आदमी को भी राज्य सभा में एमपी नहीं बनाया। यह धोखा नहीं तो क्या है?
=केजरीवाल कट्टर हिन्दूवादी है। राम और कृष्ण उनके आदर्श है। भारतीय करैंसी पर वे गणेश और लक्ष्मी का फोटो लगाने की अपील भी करते हैं। क्या ये डॉ. अम्बेडकर के आदर्श है? डॉ. अम्बेडकर के विजन के अनुसार भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना हुई। उन्होंने डॉ. अम्बेडकर का फोटो लगाने की बात क्यों नहीं की?
=वे दिखावे के लिए तथा भ्रष्टाचार के लिए बहुत से अनुत्पादक कार्य करते हैं जिसके कारण पब्लिक फंड का दुरुपयोग होता है। दिल्ली में अनेक स्थानों पर ऊँचे-ऊँचे राष्ट्रीय झंडा लगाना, इससे क्या राष्ट्रीय की भावना बढ़ती है? कुछ नहीं सब व्यर्थ। काँवड़ शिविरों, रामलीला समितियों, गणेश पूजा पंडालों को बढ़ावा दिया जा रहा है चूंकि सरकार उन्हें सहायता प्रदान करती है। क्या इन्हें दी जाने वाली आर्थिक सहायता पब्लिक फंड का खुला दुरुपयोग नहीं है?
=दिल्ली में कई सड़कों पर सौंदर्यकरण का काम चल रहा है। लेकिन ठेली-रेहड़ी व खोमचे वाले वहीं पर जमे हैं ये दिल्ली की सुदंरता में चार-चांद लगा रहे हैं, गंदगी बढ़ा रहे हैं। इनके कारण गाड़ियां ट्रैफिक जाम के हालात पैदा करती हैं, अभी पटरी के साथ ग्रीन पैच तो बनाये जा रहे हैं लेकिन आगे लापरवाही और देखभाल में कमी के कारण ये ग्रीन पैच बर्बाद होने की पूरी संभावना है। सौंदर्य के नाम पर रह जायेंगे सिर्फ र्इंट-पत्थर, क्या यह पब्लिक का धन व्यर्थ नहीं हो जायेगा?
ये सब जमा खाता है केजरीवाल का। नया-नया मुल्ला तरह-तरह की बाजीगरी कर, झूठे वायदे कर जनता को मूर्ख बनाने में लगा है जिसमें वह भी पारंगत है। इसलिए जनता इस खेल को समझे। चुनाव के समय उनसे दूरी बनाये और अपने को लूटने से बचाये।
भारतीय जनता पार्टी: भाजपा मतलब मोदी जी। मोदी है तो मुमकिन है। एक तरफ स्वच्छता अभियान दूसरी तरफ कूड़े के पहाड़ माने भ्रष्टाचार के पहाड़, दिल्ली दुनिया का सर्वाधिक गंदा और प्रदूषित शहर का कीर्तिमान। दिल्ली में महिलाओं के साथ बलात्कार तथा हत्या, लूट-खसोट, हत्या और धोखा-धड़ी के बढ़ते केस, खराब कानून व्यवस्था की और इशारा करते हैं। ये खबरें रोज छपती है इसलिए इन्हें कोई नहीं भूल सकता। अंधभक्तों की बढ़ती संख्या भी एक कीर्तिमान है। बाकी तो 15 लाख रुपए का जुमला, नोटबंदी में मरे लोग, काम धंधे ठप्प, बिगड़ी अर्थव्यवस्था कोरोना में मरे लाखों लोग, स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल सभी ने देखा, किसी को पचास हजार रुपए आज तक नहीं मिले। बिगड़ती अर्थव्यवस्था डॉलर हो गया 83 रुपए का, बहुत कुछ सामान चीन से ही आ रहा है। झूला झुलाने के बाद चीन अंदर आकर बैठा है, सीमाओं पर गाँव बसा दिये है। क्या लोग इन सबको भूल पाये हैं? यादें जरूर ताजा हो जाएँगी। पड़ोसी कोई मित्र बचा नहीं। बेरोजगारी के भी कीर्तिमान बन रहे हैं। किसान आंदोलन को लोग बिल्कुल नहीं भूल सकते। तीन मित्र उद्योगपति अंबानी, अडानी, रामदेव भी कीर्तिमान बना चुके है और भी बहुत से अच्छे बुरे रिकॉर्ड है।
यदि इन लोगों ने दिल्ली राजधानी का ऐसा बदहाल कर दिया, सर्वाधिक गंदे शहर का तमगा थमा दिया। तो गुजरात और हिमाचल प्रदेश के लोग सोंचे कि उनके यहाँ क्या होने वाला है? क्या अच्छा हो सकता है? वैसे ये जो जनता है, सब जानती है।
तो जनता जनार्दन से अपील है कि अपने दिमाग की बत्ती जलाये। वोट देने का निर्णय लेने से पहले देखे कि कौन जनता के हितैषी है, आम आदमी के हित में है और वाकई देश और संविधान की रक्षा की भावना रखते हैं।
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