2023-12-16 11:43:54
उत्तर भारत की राजनीति में जातिगत समीकरण साधकर भाजपा ने दी इंडिया गठबंधन को दी है सीधी चुनौती। आखिरकार भाजपा ने कयासों का अंत करते हुए छत्तीसगढ़ राजस्थान मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री चेहरे को घोषित कर दिया है। केंद्रीय आॅब्जर्वर के द्वारा विधायकों से चर्चा करने के बाद ऐसे नाम सामने आए जो चर्चा के केंद्र में नहीं थे। भाजपा के प्रचंड बहुमत और मजबूत केंद्रीय नेतृत्व का ही परिणाम है कि आम विधायकों को मुख्यमंत्री के पद से नवाजा जा सका है. भाजपा के साहसिक निर्णय की प्रशंसा की जानी चाहिए क्योंकि ये नाम बड़े नाम नहीं है इनकी बड़ी पहचान भी नहीं है, लेकिन प्रस्तावित मुख्यमंत्री को केवल योग्यता, मनुवादी निष्ठा और भविष्य की संभावनाओं के आधार पर चयन किया गया है।
एक समय लगा था कि जिस तरह से सांसदों को मैदान में उतारा था और उनमें से जीते विधायक दावेदारी भी कर रहे थे, दिल्ली की परिक्रमा भी लगा रहे थे लेकिन इन सभी बड़े नेताओं को पीछे छोड़ते हुए नए चेहरों को प्राथमिकता दी है। मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री के नाम से स्पष्ट है कि तीनों राज्यों में दलित,आदिवासी और जनजाति वर्ग की बड़ी जनसंख्या को उचित प्रतिनिधित्व देने का भी संदेश दिया गया है ताकि 2024 के लोकसभा के चुनाव में इनको पार्टी के साथ जोड़ा जा सके।
इसी के साथ ही अटकलें का दौर समाप्त हो चुका है। मध्य प्रदेश में भाजपा ने ओबीसी चेहरा मोहन यादव को मुख्यमंत्री का पद नवाजा है इसी के साथ एक ब्राह्मण चेहरा और एक दलित चेहरे को भी उपमुख्यमंत्री पद से नवाजा है। यह बीजेपी का सोशल इंजीनियरिंग का फामूर्ला है जिसमें सभी वर्गों को दिखावे के तहत साधने की कोशिश की गई है। छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी ने आदिवासी चेहरे पर मुख्यमंत्री का पद सौंपा है यह एक अच्छी शुरूआत है छत्तीसगढ़ में आदिवासियों का बोलबाला है, उनकी भावना के अनुरूप भाजपा ने मुख्यमंत्री पद देकर उनका सम्मान किया है और इसी के साथ दो उपमुख्यमंत्री भी बनाए हैं ताकि सामाजिक समीकरणों को साधा जा सके।
राजस्थान भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी यही कारण है कि केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को यहां पर पर्यवेक्षक के रूप में भेजा गया और जिसमें वह कामयाब रहे। यहां पर भी भाजपा ने दिग्गजों को पछाड़ते हुए भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री घोषित किया है साथ ही एक अनुसूचित जाति के विधायक को उपमुख्यमंत्री और और एक राजपूत चेहरा और महिला को उपमुख्यमंत्री बनाया गया है।
कुल मिलाकर देखा जाए तो भारतीय जनता पार्टी ने तीनों राज्यों में जहां दलित एवम आदिवासियों की बहुलता थी, एक प्रयास किया है कि इनको उचित प्रतिनिधित्व दिया जाए। हालांकि कयास यह भी लगाए जा रहे थे कि राजस्थान में किरोड़ी लाल मीणा या अर्जुन मेघवाल को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। भाजपा ने यह स्पष्ट संदेश दे दिया है कार्यकतार्ओं से ही नेता बनाए जाए।
अब सबसे बड़ी जो चर्चा होनी चाहिए वह यह है कि विपक्ष को भाजपा ने एक चुनौती दी है और इंडिया गठबंधन यह कैसे स्वीकार करेगा यह आने वाला वक्त बताएगा। इंडिया गठबंधन की आगामी बैठक दिल्ली में 19 दिसंबर को होगी। जिसमें इन सभी विषयों पर चर्चा होगी और यह बैठक काफी गर्म होने वाली है। सभी कुछ एक महीने के अंदर तय करना होगा। एक राष्ट्रव्यापी स्वरूप देकर इंडिया गठबंधन को तेज गति से इसे आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी लेनी होगी।
अन्यथा इस समय भाजपा की राजनीति शिखर पर है और देश के प्रधानमंत्री और भाजपा का कद विपक्ष की विफलता के कारण बढ़ा है जिसको बीजेपी आने वाले लोकसभा चुनाव में जरूर भुनाना चाहेंगे। अब इन तीनों राज्यों में मुख्यमंत्री अपना कार्यभार संभालेंगे और उम्मीद की जाती है कि भाजपा उपेक्षित समाज की भावना के अनुरूप कार्य करेंगे और सभी वर्गों को न्याय मिलेगा। इन राज्यों में प्रगति का मार्ग प्रशस्त होगा और चुनावी कड़वाहट भी दूर होगी। यही भारतीय लोकतंत्र की खूबसूरती है की हर चुनाव में हम लोकतंत्र को मजबूत करते जा रहे हैं। मगर यह भी सत्य है कि मोदी-संघी भाजपा ने संघी मानसिकता से परिशिक्षित उम्मीदवारों को ही मुख्यमंत्री पद सौंपा है। दलित व आदिवासियों को राज्य की सत्ता में सिर्फ जनता को दिखने के लिए पद दिया है।
वीरेंद्र कुमार जाटव
(राजनितिक विश्लेषक एवम पूर्व राष्ट्रिय मिडिया प्रभारी समता सैनिक दल)
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