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बालश्रम निषेध दिवस पर विशेष

बाल मजदूरी के प्रति विरोध एवं जगरूकता फैलाने के मकसद से हर साल 12 जून को बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है।
News

2024-06-08 10:51:06

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने जागरूकता पैदा करने के लिए 2002 में विश्व बाल श्रम विरोधी दिवस के रूप में मनाने की शुरूआत की। संगठन के अनुमान के मुताबिक विश्व में 21 करोड़ 80 लाख बालश्रमिक हैं। जबकि एक आकलन के अनुसार भारत में ये आंकड़ा 1 करोड, 26 लाख 66 हजार 377 को छूता है। अक्टूबर 2006 तक बालश्रम को इस असमंजस में रखा गया कि किसे खतरनाक और किसे गैर खतरनाक बाल श्रम की श्रेणी में रखा जाए। उसके बाद इस अधिनियम 1986 में संशोधन कर ढाबों, घरों, होटलों में बालश्रम करवाने को दंडनीय अपराध की श्रेणी में रखा गया।

दरअसल 1979 में सरकार द्वारा बाल मजदूरी को खत्म करने के उपाय के रूप में गुरूपाद स्वामी समिति का गठन किया गया। जिसके बाद बालश्रम से जुड़ी सभी समस्याओं के अध्ययन के बाद गुरूपाद स्वामी समिति व्दारा रिफारिश प्रस्तुत की गई, जिसमें गरीबी को मजदूरी के मुख्य कारण के रूप में देखा गया और ये सुझाव दिया गया, कि खतरनाक क्षेत्रों में बाल मजदूरी पर प्रतिबंध लगाया जाए एवं उन क्षेत्रों के कार्य के स्तर में सुधार किया जाए। समिति व्दारा बाल मजदूरी करने वाले बच्चों की समस्याओं के निराकरण के लिए बहुआयामी नीति की जरूरत पर भी बल दिया गया।

1986 में समिति के सिफारिश के आधार पर बाल मजदूरी प्रतिबंध विनियमन अधिनियम अस्तित्व में आया, जिसमें विशेष खतरनाक व्यवसाय व प्रक्रिया के बच्चों के रोजगार एवं अन्य वर्ग के लिए कार्य की शर्तों का निर्धारण किया गया। इसके बाद सन 1987 में बाल मजदूरी के लिए विशेष नीति बनाई गई, जिसमें जोखिम भरे व्यवसाय एवं प्रक्रियाओं में लिप्त बच्चों के पुर्नवास पर ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। बच्चों की समस्याओं पर विचार करने के लिए एक महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय प्रयास उस समय हुआ, जब अक्टूबर 1990 में न्यूयार्क में इस विषय पर एक विश्व शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें 151 राष्ट्रों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया तथा गरीबी, कुपोषण व भुखमरी के शिकार दुनिया भर के करोड़ों बच्चों की समस्याओं पर विचार-विमर्श किया गया ।

भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों और नीति निदेर्शों के अनुसार व्यवस्था:

1. धारा 24- 14 साल से कम उम्र का कोई भी बच्चा किसी फैक्ट्री या खदान में कार्य करने के लिए नियुक्त नहीं किया जाएगा और ना ही किसी खतरनाक नियोजन में नियुक्त किया जाएगा।

2. धारा 39-ई - राज्य अपनी नीतियां इस तरह निर्धारित करे कि श्रमिकों, पुरूषों और महिलाओं का स्वास्थ्य तथा उनकी क्षमता सुरक्षति रह सकें, बच्चों की कम उम्र का शोषण न हो, न ही वे अपनी उम्र और शक्ति के प्रतिकूल, आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रवेश करें ।

3. धारा 39 -एफ - बच्चों को स्वस्थ्, स्वतंत्र व सम्मानजनक स्थिति में विकास के अवसर व सुविधाएं दी जाएंगी और बचपन व युवावस्था के नैतिक व भौतिक दुरूपयोग से बचाया जाएगा।

4. संविधान लागू होने के 10 साल के भीतर राज्य 14 वर्ष तक की उम्र के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देने का प्रयास करेंगे (धारा 45)।

बालश्रम के लिए कानून

1. बालश्रम निषेध व नियमन कानून 1986 - इस कानून के अनुसार 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के जीवन और स्वास्थ्य के लिए अहितकर 13 पेशे औ 57 प्रक्रियाओं में , नियोजन को निषिद्ध बनाया गया है।ये सभी पेशे और प्रक्रियाएं कानून की सूची में दिए गए हैं।

2. फैक्ट्री कानून 1948 - यह कानून 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के नियोजन को निषिद्ध करता है। इसके अनुसार 15 से 18 वर्ष तक के किशोर किसी भी फैक्ट्री में तभी नियुक्त किए जा सकते हैं, जब उनके पास किसी अधिकत चिकित्सक का फिटनेस प्रमाण पत्र हो। इसके साथ ही इस कानून में 14 से 18 वर्ष तक के बच्चों के लिए हर दिन साढ़े चार घंटे की कार्य अवधि रखने के साथ ही रात के वक्त उनके कार्य करने पर प्रतिबंध लगाया गया है।

3. भारत में बाल श्रम के खिलाफ कार्रवाई में महत्वपूर्ण न्यायिक हस्तक्षेप 1996 में उच्चतम न्यायालय के उस फैसले से आया, जिसमें संघीय और राज्य सरकारों को खतरनाक प्रक्रियाओं और पेशों में काम करने वाले बच्चों की पहचान करने, उन्हें काम से हटाने और उन्हें गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया गया था।

भारत निम्नलिखित संधियों पर हस्ताक्षर कर चुका है -

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन बलात श्रम सम्मेलन (संख्या 29)

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन बलात श्रम सम्मेलन का उन्मूलन (संख्या 105)

बच्चों के अधिकार पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (सीआरसी)

भारत के कुछ प्रमुख श्रमसंघों व्दारा बालश्रम के संबंध में महत्वपूर्ण योगदान है जिनमें-

1. आॅल इंडिया ट्रेड यूनियन संघ

2. भारतीय मजदूर संघ

3. सेंटर आॅफ इंडिया ट्रेड यूनियंस

4. हिन्द मजदूर सभा

5. बाल श्रम उन्मूलन एवं कल्याण कार्यक्रम

उघोग, ठिकाना, बालश्रम व नुकसान -

वर्तमान में देश के विभिन्न क्षेत्रों में छोटे स्तर पर होटल, घरों व फैक्ट्री में काम कर या अलग अलग व्यवसाय में मजदूरी कर हजारों बाल श्रमिक अपने बचपन को तिलांजलि दे रहें हैं, जिन्हें न तो किसी कानून की जानकारी है, और ना ही पेट पालने का कोई और तरीका पता है .... मध्यप्रदेश से लेकर उत्तर प्रदेश, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, केरल, आंध्रप्रदेश, आसाम, त्रिपुरा और संपूर्ण भारत में ये बाल श्रमिक -कालीन, दियासलाई, रत्न पॉलिश व जवाहरात, पीतल व कांच, बीड़ी उघोग, हस्तशिल्प ,सूती होजरी, नारियल रेशा, सिल्क, हथकरघा, कढ़ाई, बुनाई, रेशम, लकड़ी की नक्काशी, फिश फीजिंग, पत्थर की खुदाई, स्लेट पेंसिल, चाय के बागान और बाल वैश्यावृत्ति के कार्य करते देखे जा सकते हैं। लेकिन कम उम्र में इस तरह के कार्यों को असावधानी से करने पर इन्हें कई तरह की बीमारियां होने का खतरा होता है।अध्ययन करने पर ये पाया गया कि जितने भी बच्चे बालश्रम में लिप्त हैं, वे या तो निरक्षर थे या पढ़ाई छोड़ दी थी। इनमें अधिकांश बच्चे बीमार पाए गए और कई बच्चे नशे के आदि भी थे।

इतने प्रयासों के बाद भी बालश्रम को पूरी तरह से समाप्त नहीं किया जा सका है। भारत के कैलाश सत्यार्थी बाल व महिला सुरक्षा पर सन 2016 में नोबल पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं। बाल श्रम समस्या कम होने के बजाये बढ रही है। ऐसा समय-समय पर मीडिया में दिखाया भी जाता है। कारण, बालश्रम संबंधित नीतियां केवल कागजों में ही काम कर रही हैं, उन्हें कभी भी ठीक से लागू नहीं किया जाता। इस समस्या से निपटने के लिए कठोर नीतियां बनानी पडेÞगी तथा उन्हें ठीक से लागू करना पडेगा। जरूरत है परिवारों की आय बढ़ाने के कार्यक्रम, रोजगार के साधन बढ़ाने तथा प्राथमिक शिक्षा नीति को ईमानदारी से लागू करने की। हवाबाजी में बात करने से समस्या का हल नहीं निकलेगा।

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01 जनवरी : मूलनिवासी शौर्य दिवस (भीमा कोरेगांव-पुणे) (1818)

01 जनवरी : राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले और राष्ट्रमाता सावित्री बाई फुले द्वारा प्रथम भारतीय पाठशाला प्रारंभ (1848)

01 जनवरी : बाबा साहेब अम्बेडकर द्वारा ‘द अनटचैबिल्स’ नामक पुस्तक का प्रकाशन (1948)

01 जनवरी : मण्डल आयोग का गठन (1979)

02 जनवरी : गुरु कबीर स्मृति दिवस (1476)

03 जनवरी : राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले जयंती दिवस (1831)

06 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. जयंती (1904)

08 जनवरी : विश्व बौद्ध ध्वज दिवस (1891)

09 जनवरी : प्रथम मुस्लिम महिला शिक्षिका फातिमा शेख जन्म दिवस (1831)

12 जनवरी : राजमाता जिजाऊ जयंती दिवस (1598)

12 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. स्मृति दिवस (1939)

12 जनवरी : उस्मानिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद ने बाबा साहेब को डी.लिट. की उपाधि प्रदान की (1953)

12 जनवरी : चंद्रिका प्रसाद जिज्ञासु परिनिर्वाण दिवस (1972)

13 जनवरी : तिलका मांझी शाहदत दिवस (1785)

14 जनवरी : सर मंगूराम मंगोलिया जन्म दिवस (1886)

15 जनवरी : बहन कुमारी मायावती जयंती दिवस (1956)

18 जनवरी : अब्दुल कय्यूम अंसारी स्मृति दिवस (1973)

18 जनवरी : बाबासाहेब द्वारा राणाडे, गांधी व जिन्ना पर प्रवचन (1943)

23 जनवरी : अहमदाबाद में डॉ. अम्बेडकर ने शांतिपूर्ण मार्च निकालकर सभा को संबोधित किया (1938)

24 जनवरी : राजर्षि छत्रपति साहूजी महाराज द्वारा प्राथमिक शिक्षा को मुफ्त व अनिवार्य करने का आदेश (1917)

24 जनवरी : कर्पूरी ठाकुर जयंती दिवस (1924)

26 जनवरी : गणतंत्र दिवस (1950)

27 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर का साउथ बरो कमीशन के सामने साक्षात्कार (1919)

29 जनवरी : महाप्राण जोगेन्द्रनाथ मण्डल जयंती दिवस (1904)

30 जनवरी : सत्यनारायण गोयनका का जन्मदिवस (1924)

31 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर द्वारा आंदोलन के मुखपत्र ‘‘मूकनायक’’ का प्रारम्भ (1920)

2024-01-13 11:08:05