2022-09-30 10:32:09
यहाँ आप का मतलब आम आदमी पार्टी से है जिसके मुखिया दिल्ली के सीएम श्री अरविंद केजरीवाल है। अब तक भली भाँति सब लोग यह जान चुके है कि दिल्ली में मजबूती से बैठी शीला दीक्षित की कांग्रेस सरकार को हटाने के लिए सन 2011-12 में आरएसएस द्वारा प्रायोजित ‘भ्रष्टाचार हटाओ आंदोलन’ चलाया गया जिसमें केजरीवाल तथा आम आदमी पार्टी का उदय हुआ। भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस को हटाने में असहाय थी। आम आदमी पार्टी को स्थापित करने में संघ के कई एजेंडे नजर आते हैं: एक, हालिया तौर पर भ्रष्टाचार की बोगी खड़ी करके सन 2013 में दिल्ली से कांग्रेस सरकार को हटाना था जिसमें संघ को सफलता मिली। यद्यपि जितने घोटालों का उस समय जिक्र किया गया, आज नौ साल बाद भी न कोई घोटाला साबित हुआ और न किसी को सजा मिली।
दो, सर्वाधिक महत्वपूर्ण दूरगामी सोच वाली तथा एक खतरनाक षड्यंत्र की योजना। इसके तहत ए टीम भाजपा के साथ आम आदमी पार्टी को आरएसएस की बी टीम के रूप में मजबूती से खड़ा करना। इसलिए आम आदमी (बहुजन समाज, अल्पसंख्यक) को बेवकूफ बनाकर छिपे षड्यंत्रों व झूठे प्रचार द्वारा दिल्ली में आप पार्टी को अप्रत्याशित भारी बहुत का मिलना तथा कांग्रेस का सफाया होना, इस बात का प्रमाण है। इसके पीछे आरएसएस तथा व्यापारी वर्ग का खुला समर्थन रहा। व्यापारी वर्ग कहता है, ‘दिल्ली में केजरीवाल, केंद्र में भाजपा’। झाड़ू चुनाव चिन्ह के कारण एक विशेष वर्ग शत-प्रतिशत बेवकूफ बना जबकि उन्हें आज तक मिला कुछ नहीं।
अब थोड़ा केजरीवाल को समझने का प्रयास करें। ये वही केजरीवाल हैं जिन्होंने कुछ वर्ष पहले जेएनयू में छात्रों की सभा में एससी/एसटी आरक्षण के विरुद्ध जहर उगला था। ये वहीं केजरीवाल है जो कहते हैं, मैं बनिया हूँ और राजनीतिक नफा-नुकसान सब समझता हूँ। मेरा परिवार आरएसएस से जुड़ा है। ये वही केजरीवाल है जिन्होंने ठेके पर काम कर रहे सफाई कर्मचारियों, डीटीसी में लगे कर्मचारियों, अध्यापकों आदि को सरकार बनने के बाद, उन्हें रेगुलर करने का वायदा किया था। लेकिन हुआ क्या, सरकार बनने के बाद वे सभी वायदे भूल गए, किसी को रेगुलर नहीं किया, आज तक भी नहीं। उन्होंने कहा, आप की सरकार बनने के बाद वैट के लिए किसी भी व्यापारी के यहाँ छापा नहीं पड़ा। छापा न पड़ने के दो ही कारण हो सकते हैं, या तो सरकार ने जानकार छापा डाला ही नहीं या सभी व्यापारी ईमानदार हो गए। पहला कारण ही सही नजर आता है, क्यों यह आप सोचिए।
कुछ हाल के समय की बातें भी की जाये। आप सरकार ने बदनीयति व व्यापारी वर्ग को फायदा देने वाली ‘घर-घर राशन’ की ‘फ्री होम डिलवरी’ योजना लागू करने के लिए पूरी ताकत लगाई लेकिन उपराज्यपाल ने इसे स्वीकृति नहीं दी। कोरोना के दौरान अनेक सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों/स्टाफ की भारी कमी थी। प्राइवेट अस्पतालों व लैबस ने कोरोना काल में जनता को खूब लूटा, भारी मुनाफा कमाया। लोगों ने खूब शिकायतें की लेकिन सरकार ने इसका कोई संज्ञान नहीं लिया, इस लूट की कोई जाँच नहीं कराई। दिल्ली में आये दिन आम आदमी पार्टी तथा भाजपा एक-दूसरे पर भारी भ्रष्टाचारों तथा नाकामियों के गंभीर आरोप लगा रहें हैं। लेकिन लगता है कि दोनों फिक्सड मैच खेल रहे हैं तथा जनता को बेवकूफ बना रहे हैं। स्वास्थ्य की बात करें तो सरकारी अस्पतालों में आज भी डॉक्टरों/स्टाफ के अनेक पद खाली है। गरीबों के लिए फ्री टेस्ट की घोषणा, लेकिन अधिकतर मरीजों को खराब मशीन की बात कह कर टर्का दिया जाता है और उन्हें प्राइवेट लैबों की तरफ मोड़ दिया जाता है। ये लैब वाले खूब फल-फूल रहे हैं।
दिल्ली में बेहतर शिक्षा मॉडल के दुष्प्रचार तथा इसके खोखलेपन की परख करे। सरकारी स्कूलों में दीवारों की रंगाई-पुताई से ही इन्फ्रस्ट्रक्चर नहीं बढ़ जाता। समाचार पत्रों में छपी रिपोर्ट के अनुसार सभी अनेक सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या बहुत ज्यादा है, चार हजार तक। यहाँ तक कि 18-20 सैक्सन है, कमरे कम पड़ रहे है। छठी कक्षा से लेकर नवीं कक्षा तक के छात्रों को एक दिन छोड़कर बुलाया जाता है। पढ़ाई केवल तीन से चार घंटे ही हो पा रही है। स्कूलों में सफाई व्यवस्था तथा शौचालयों की हालत खस्ता है। बच्चों की शिक्षा बुरी तरह प्रभावित हो रही है। दूसरी रिपोर्ट के अनुसार सरकारी स्कूलों में प्रिंसिपल के 84 प्रतिशत पद, वाइस प्रिंसिपल के 34 प्रतिशत पद तथा टीजीटी/पीजीटी के लगभग 32 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं। यहाँ तक कि कुछ अध्यापकों को उनके साथ कुछ स्कूल अटैच कर उन स्कूलों की रिपोर्टों की मोनिटरिंग और शिक्षा निदेशालय के साथ कोआर्डिनेशन का काम दे दिया गया है। जबकि यह कार्य अध्यापकों के कार्य क्षेत्र में नहीं आता। यह कैसा शिक्षा मॉडल है जहाँ बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है।
भ्रष्टाचार मुक्त कट्टर ईमानदार सरकार के दावे को भी देखिए: अभी हाल में दिल्ली के उपराज्यपाल ने अनेक अनियमितताओं एवं भ्रष्टाचार के मामलों की जाँच के लिए सख़्ती दिखाई है। जैसे मुख्यमंत्री द्वारा उपराज्यपाल को भेजे जानी वाली फाइलों पर सीएम द्वारा हस्ताक्षर न होना, पिछले 5 वर्षों की सीएजी रिपोर्ट को विधान सभा में चर्चा के लिए पेश न करना, स्कूलों में किये निर्माण में घोटाला तथा बस खरीद के टैंडर में घोटाला/अनियमितताएं आदि की जाँच चल रही है। अभी पिछले दिनों, आबकारी नीति तथा शराब के ठेके के लाइसेंस वितरण में घोटाले के समाचार सभी ने देखे, जिनकी जाँच चल रही है। ये सब दशार्ते है कि दाल में अवश्य ही कुछ काला है। इसलिए मामले को मोडने के लिए आप ने एलजी पर ही भ्रष्टाचार के आरोप लगा दिये है। यह ऐसे ही हो सकता है जैसे प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति महोदय पर ही आरोप जड़ दे। पिछले दिनों कई राज्य सरकारों ने पैट्रोल/डीजल पर करों में कमी की लेकिन केजरीवाल सरकार ने एक पैसा भी कम नहीं किया। वैसे हर समय आम आदमी को राहत का ढिढोरा पीटा जाता है।
यह भी देखने में आता है कि यदि कोई शहीद/खिलाड़ी/कर्मचारी या अन्य मृत व्यक्ति सवर्ण है तो केजरीवाल शीघ्रता से प्राथमिकता के आधार पर स्वयं एक बड़ी रकम (करोड़ रुपए तक) का चैक देने स्वयं उस व्यक्ति के घर पहुँच जाते हैं। दूसरी और यदि वह व्यक्ति बहुजन समाज से है तो उसे कम राशि की सहायता या कुछ भी नहीं दिया जाता। यह है दोहरा चरित्र, आम आदमी का ढिंढोरा पीटने वालों का। हालांकि अधिकतर प्रदेशों की सरकारें ऐसा ही रवैया अपनाती है।
अब अंतिम और महत्वपूर्ण मुददे पर आते है। केजरीवाल ने ऐसे ही झूठे वायदे करके पंजाब में चुनाव जीत लिया जबकि उनका वहाँ कोई भारी काम नहीं है। अभी भी दिल्ली में रोज फ्री बिजली, फ्री पानी का प्रचार हो रहा है, होर्डिंग सभी ने देखे। गोवा, गुजरात, तथा हिमाचल प्रदेश में चुनाव आ रहे हैं। एक तरफ केजरीवाल दिल्ली में फ्री बिजली/सब्सिडी वापिस ले रहे हैं, दूसरी तरफ इन राज्यों को फ्री बिजली, पानी का झांसा दे रहे है। यह कितनी घटिया और झूठ बोलने वाली राजनीति है। वे और भी अनेक झूठे वायदे कर रहे हैं। लोगों को इस झांसे में नहीं आना चाहिए।
जैसा कि ऊपर लिखा गया है, आम आदमी पार्टी संघ की बी टीम है। इसे संघ का पूरा समर्थन है। संघ की दूरगामी योजना यह है कि विपक्षी दल के नाम पर केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को खड़ा किया जाये। इससे कांग्रेस पार्टी और क्षेत्रीय दलों का सफाया करना है और विपक्ष के तौर पर आप को प्लॉट करना है। मतलब एक खतरनाक षड्यंत्र, एक बाप (संघ) के दो बेटे, भाजपा (ए टीम) तथा आप (बी टीम)। दोनों बेटे हर हाल में बाप का एजेंडा (हिंदूवाद, मनुवाद, हिन्दू-राष्ट्रवाद, पूंजीवाद) लागू करेंगे, मतलब दोनों हाथों में लड्डू। इसलिए अमित शाह बार-बार दोहराते हैं कि हम देश को कांग्रेस मुक्त बनाएँगे। मैं कहता हूँ कि ये देश को विपक्ष मुक्त बनाएँगे, मतलब तानाशाह राष्ट्र बनाएँगे। भाजपा की कर्तव्य शैली कदम-कदम पर तानाशाही सिद्ध कर रही है। केजरीवाल अब न मोदी की बुराई करते हैं और न संघ की। भाजपा और आप दोनों एक-दूसरे पर आरोप लगाकर लड़ते हुए दिखते है लेकिन ये दोनों फ्रेंडली मैच खेलकर आम जनता को बेवकूफ बना रहे है। आप की कार्यशैली भाजपा से भिन्न नहीं। यहाँ भी भ्रष्टाचार के आरोपी नेता कई महीने से जेल में बंद होने के बाद भी मंत्री बने हुए हैं, उन्हें मंत्री पद से नहीं हटाया गया।
इसलिए बहुजन समाज (एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक) के लोगों का कर्तव्य बनता है कि इस षड्यंत्र को समझें। विपक्ष मुक्त भारत मतलब तानाशाही राज में सजा बहुजन समाज ही भुगतेगा। सवर्ण को नुकसान नहीं होगा चूंकि गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण (ईडब्ल्यूएस कोटा) के नाम पर बचे ब्राह्मणों को इस ‘सुदामा कोटे’ में भरपाई की जा रही है जोकि असंवैधानिक है। संविधान बदलने के भी पुरजोर प्रयास किये जा सकते हैं। जबकि इसकी उपेक्षा तो सरेआम हो ही रही है आज सभी ने यह महसूस कर लिया है कि यह बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर द्वारा रचित संविधान ही है जो आज तक बहुजन समाज के मान-सम्मान और अधिकारों की रक्षा कर रहा है। आने वाले चुनावों में खासतौर से आम आदमी पार्टी से सावधान रहना है, उसके झाँसों में नहीं आना चाहिए अन्यथा झांसे में आकर अपने पैरों पर ही कुल्हाड़ी मार रहे होंगे। इसलिए अपने दिमाग की बत्ती जलाओ, जैसा भी स्थानीय आधार और समय के मद्देनजर उचित हो देशहित, लोकहित में, बहुजन समाज के लिए काम करने वाले तथा प्रजातांत्रिक राजनीतिक गठबंधन दलों का ही भरपूर समर्थन किया जाये, अन्य विकल्प नजर भी नहीं आता। यदि बहुजन समाज बुद्धि से काम लेकर ऐसा कर पाता है तो निश्चित तौर पर बढ़ते हुए ब्राह्मणवाद/मनुवाद/तानाशाही को रोका जा सकता है अन्यथा प्रजातंत्र खतरे की तरफ तेजी से बढ़ रहा है।
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